आजमगढ़:साफ सफाई जल जमाव एवं पानी की निकासी से परेशान ग्रामीण
सुमित उपाध्याय
अहरौला।( आजमगढ़)स्थानीय विकासखंड अंतर्गत मतलूबपुर ग्राम सभा के हर गली मोहल्ले सार्वजनिक स्थान मंदिर एवं गांव के प्रथम देव (डीह बाबा) सहित कोई ऐसा स्थान नहीं है जहां जल जमाव जल निकासी या साफ सफाई की समस्या नहीं है ग्रामीणों का आरोप है कि इन सभी समस्याओं को लेकर ग्राम प्रधान व सचिव को कई बार अवगत कराया गया लेकिन आज तक इन समस्याओं का निदान नहीं हो पाया है ।
गांव के गलियों में जल निकासी की प्रमुख समस्या है गलियों में हमेशा जल जमाव से गंदा पानी सड़क पर ही बहता रहता है जिसके कारण गांव में संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा बढ़ गया है ग्रामीण पूरी तरह से भयभीत है की कहीं उनके परिवार के सदस्यों को या खुद घर के अभिभावक को मलेरिया टाइफाइड डेंगू जैसी बीमारी ना घेर ले गांव की डाकखाने के सामने वाली गली हो या थाने के बगल वाली गली चाहे पूर्व प्रधान आनंद पांडे के घर जाने वाली गली हो चाहे भाजपा नेता रामजनम गुप्ता के घर को जाने वाली गली हो कोई भी गली जल जमाव जल निकासी या साफ सफाई की समस्या आपको हर गली में दिखाई देगी मतलूबपुर ग्राम सभा के जिस भी गली से आप गुजरेंगे आपको जल जमाव जल निकासी हम साफ सफाई की समस्या के हकीकत की तस्वीर आपको हर गली में दिखाई देगी।
गांव में मच्छरों को भगाने के लिए पंचायत निधि से फागिंग मशीन भी खरीदी गई है लेकिन इस पंचवर्षीय कार्यकाल में सिर्फ एक बार उससे छिड़काव किया गया वह भी आधा अधूरा पूरे ग्राम सभा में छिड़काव न होने के कारण ग्रामीणों में नाराजगी देखने को मिली ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है ग्रामीणों ने कहा कि हमारी गली मोहल्ले में भी छिड़काव करना चाहिए था लेकिन नहीं कराया गया तो ग्रामीणों ने एक कहावत कहना शुरू किया कि आधा गांव फगुआ आधा गांव दिवाली गांव के सार्वजनिक शौचालय का हाल यह है कि पानी की व्यवस्था न होने के कारण उसमें महीनों से ताला जड़ा हुआ है और गांव में लोगों के घरों के कूड़ो को फेकने के कूड़ा दान को नदी के किनारे झाड़ियों में इतना दूर बनाया गया है कि ग्रामीण डर के कारण वहां तक कूड़ा लेकर पहुंचते ही नहीं है।जब सफाई कर्मी की आती है तो सफाई कर्मियों की स्थिति यह है कि वह साफ सफाई के नाम पर सिर्फ विभाग को एवं अपने उच्च अधिकारियों को गुमराह करने में लगे हुए हैं ।
हकीकत यह है कि ज्यादा से ज्यादा सफाई कर्मी सचिवों के बाबू बनकर बैठे हुए हैं कभी-कभी गांव में सफाई करने के लिए सफाई कर्मी सूट बूट पहनकर आते हैं तो वह अपने साथ एक भाड़े पर मजदूर को लाते हैं और उसी मजदूर से गांव की सफाई करवा कर उसे?500 मजदूरी देकर विदा कर देते हैं और ग्रामीणों से रौब दिखाते हुए कहते हैं कि हो गई गांव की साफ सफाई सवाल यह उठता है कि सरकारी विभाग के कर्मचारी अपने विभाग को गुमराह कर रहे हैं या फिर यह विभाग की उच्च अधिकारियों की मेहरबानी या लापरवाही है।
Sep 11 2024, 19:38