अंबेडकर ने अभाव में जीकर प्रभाव को बदला -अर्जुन आर्या
श्रीप्रकाश यादव
चंदौली/ धानापुर कस्बा स्थित डॉ. अंबेडकर पार्क के सभागार हाल में रविवार को "भारतीय संविधान में हमारा दायित्व क्या है" विषय पर लॉर्ड बुद्धा डॉ अंबेडकर सेवा समिति के बैनर तले एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत बतौर मुख्य अतिथि एवं संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन प्रसाद आर्या व अन्य द्वारा सर्व प्रथम डॉ.अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा पुष्प अर्पित कर किया गया। तत्पश्चात गायक पप्पू राजा ने "भीम जैसा न कोई मेरा रहनुमा"मिशन गीत गाकर कार्यक्रम में समा बांध दिया। अंत में लगभग पांच दर्जन से अधिक लोगों ने सदस्यता लिया और संगठन के दायित्वों की मिली जिम्मेवारी को निष्ठा एवं ईमानदारी से निर्वहन करने का संकल्प लिया।
श्री आर्या ने कहा कि डॉ अंबेडकर को प्रारंभिक जीवन में ही जातिगत भेदभाव की कठोर वास्तविकताओं का सामना करना पड़ा। बचपन में सामाजिक बहिष्कार और अपमान का सामना करने के उनके अनुभव ने उनमें जाति व्यवस्था के अन्याय के खिलाफ लड़ने का गहरा संकल्प पैदा कर दिया और उसे पटल पर लाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर हम सबको अमन चैन का जीवन दिया। उन्होंने वर्तमान में समाज में बांचितो पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर हो रहे प्रतिकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डॉ. अंबेडकर की बनाई विरासत पर राज करने वाले भी उन्हीं पर आज अंगूली उठाने लगे हैं । देश को धन्नासेठों के हाथों में सौंपकर मनमाने ढंग से संविधान को बर्बाद करने पर तुले हैं। आज डॉ अंबेडकर को जिन्दा रखने के लिए हम सबको एक बैनर तले एकत्रित होकर संविधान को बचाने में अहम सहभागी बनना होगा। तभी उनके कीर्तिमान को स्थाई रखा जा सकता है।
विशिष्ट अतिथि आनन्द कुमार व लल्लन कुमार ने कहा कि डॉ अंबेडकर ने लंदन में गोलमेज सम्मेलनों में दलितों के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया, और दलितों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए उनके लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की वकालत की। बाबासाहेब के प्रयासों का परिणाम 1932 के पूना पैक्ट के रूप में सामने आया, जिसने आम निर्वाचन क्षेत्रों में दलितों के लिए आरक्षित सीटों का प्रावधान किया।भारत के सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित करने वाले डॉ.अंबेडकर का यह पिढ़िया और राष्ट्र सदैव आभारी रहेगा।वक्ता लालमनि पाल, रामजन्म, और श्रीमान भारती ने कहा कि बुद्ध और डॉ.अंबेडकर को जान लेना पुनर्जन्म के बराबर है। जिन्होंने मानवता के मौलिक अधिकार से परिचय कराया। उन्होंने अर्थव्यवस्था, शिक्षा पर हो रहे भावनात्मक शोषण को जड़ से मिटाया। जिसके प्रतिफल से आज पिछड़ा समाज को बोलने, रहने जैसी तमाम आजादी मिली है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता रामअवतार और संचालन गुल्लू गौतम(कवि) व विजय कुमार ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम को सुचारू रूप देने में सियाराम व अन्य ने भूमिका निभाया। इस दौरान महेंद्र राम, श्यामलाल, लक्ष्मण प्रसाद, महंगू राम, नंद कुमार, श्याम कार्तिक, जियुत पाल, कन्हैया बिंद, मंगल राजभर सहित सैकड़ों ग्रामीण महिलाऐं ,पुरुष व उपस्थित रहे।
Sep 09 2024, 14:50