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राकेश कुमार-शीतल देवी की जोड़ी ने जीता ब्रॉन्ज,भारत की झोली में 13वां मेडल

तीरंदाजी में भारत आखिरकार मेडल जीतने में कामयाब रहा है. भारत के राकेश कुमार-शीतल देवी की जोड़ी ने मिश्रित टीम कंपाउंड ओपन इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है. ये पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत का 13वां मेडल है. इसी के साथ युवा खिलाड़ी शीतल देवी ने अपना पहला पैरालंपिक मेडल भी जीत लिया है. इससे पहले वह सिंग्लस के इवेंट में हार गई थीं. लेकिन इस बार उन्होंने दमदार खेल दिखाया और इटली के माटेओ बोनासिना-एलोनोरा सारती को हराया.

रोमांचक रहा ब्रॉन्ज मेडल मैच

भारत के राकेश कुमार और शीतल देवी ने मिश्रित टीम कंपाउंड ओपन तीसरे स्थान के प्ले-ऑफ मैच में इटली के माटेओ बोनासिना और एलोनोरा सारती को 156-155 से रोमांचक मैच में हराया. बता दें, तीसरे राउंड के बाद ये छोड़ी पीछे चल रही थी. लेकिन इसके बाद राकेश कुमार और शीतल देवी की ओर से शानदार वापसी देखने को मिली, जिसके चलते ये मैच भारत के खाते में आया.

सिंगल्स इंवेंट की हार का लिया बदला

आर्चर शीतल देवी एक करीबी मुकाबले में हारकर प्री क्वार्टर फाइनल राउंड से ही बाहर हो गईं थीं. इस मुकाबले में शीतल देवी को सिर्फ 1 प्वॉइंट से हार का सामना करना पड़ा था. टोक्यो पैरालंपिक की सिल्वर मेडल विजेता मारियाना ने इस करीबी मुकाबले में शीतल देवी को 138-137 से हराया था. वहीं, इस बार वह 1 प्वॉइंट से मेडल जीतने में कामयाब रहीं.

बता दें, शीतल देवी जम्मू कश्मीर की एक छोटे गांव किश्तवाड़ की रहने वाली हैं. 7 साल की शीतल के जन्म से ही दो हाथ नहीं हैं. वह फोकोमेलिया नाम की बीमारी से जन्मजात पीड़ित हैं. लेकिन उन्होंने अपने जीवन में कभी भी हार नहीं मानी. महज 17 साल की आर्चर शीतल देवी ने पैरालंपिक के डेब्यू मैच में इतिहास रचा था. दुनिया की पहली आर्मलेस यानि बिना हाथों वाली आर्चर शीतल देवी ने आर्चरी के रैंकिंग राउंड के दौरान 703 प्वॉइंट हासिल किए थे और वर्ल्ड रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया था.

पेरिस पैरालंपिक 2024: सुमित अंतिल ने जैवलिन थ्रो में जीता गोल्ड मेडल

भारत को पैरालंपिक में एक बार फिर से सुमित अंतिल गोल्ड मेडल जिताने में कामयाब रहे हैं. टोक्यो पैरालंपिक में सुमित अंतिल ने जैवलिन में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास रचा था और पेरिस पैरालंपिक में वह अपने कारनामे को दोहराने में कामयाब रहे. जैवलिन स्टार सुमित अंतिल ने इस बार पैरालंपिक रिकॉर्ड भी तोड़ दिया. एफ64 जेवलिन थ्रो कम्पटीशन के फाइनल में सुमित अंतिल का दबदबा देखने को मिला.

पैरालंपिक रिकॉर्ड तोड़कर जीता गोल्ड मेडल

सुमित अंतिल ने पहले ही प्रयास में पैरालंपिक रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया. सुमित ने 69.11 मीटर के प्रयास के साथ गोल्ड मेडल पोजीशन हासिल की. इसके बाद दूसरे प्रयास में उन्होंने पैरालंपिक रिकॉर्ड को बेहतर किया. इस बार वह भाला 70.59 मीटर दूर फेंकने में कामयाब रहे. वहीं, गत चैंपियन सुमित अंतिल ने अपने तीसरे प्रयास में 66.66 मीटर की दूरी हासिल की. इसके बाद सुमित अपने चौथे प्रयास में फाउल थ्रो कर बैठे और पांचवें प्रयास में 69.04 मीटर की दूरी हासिल की. सुमित ने 66.57 मीटर के अपने आखिरी प्रयास के साथ समापन किया.

इसी से साथ सुमित अंतिल पेरिस पैरालंपिक में अपने गोल्ड मेडल का बचाव करने में भी कामयाब रहे. ये साल अभी तक उनके लिए काफी यादगार रहा है. सुमित ने इसी साल पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में 69.50 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड अपने नाम किया था. वहीं, तोक्यो ओलंपिक में उन्होंने 68.55 मीटर के प्रयास से गोल्ड मेडल जीता था. बता दें, एफ64 जेवलिन थ्रो का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी इनके ही नाम है. उन्होंने हांगझोऊ एशियाई पैरा खेलों में 73.29 मीटर की दूरी हासिल की थी.

एक हादसे ने बदल दी सुमित अंतिल की जिंदगी

सुमित अंतिल का जन्म 6 जुलाई 1998 को हरियाणा के खेवड़ा में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता वायु सेना में एक JWO ऑफिसर थे, जिनका 2004 में देहांत हो गया था. सुमित को बचपन से ही काफी मेहनती रहें हैं. उन्हे बचपन से ही कुश्ती में रुची थी. इसलिए वे एक रेसलर बनना चाहते थे और बचपन से ही इसके लिए मेहनत कर रहे थे. एक दिन उनके साथ ऐसा हादसा हुआ, जिसने उनकी जिंदगी को बदलकर रख दिया. उनका रेसलर बनने का सपना टुट गया. बात 2015 की है जब सुमित एक दिन ट्यूशन से अपने घर के लौट रहे थे, तभी उनके गाड़ी की दुर्घटना हो गई. क्योंकि उनके पिता भारतीय सेना में थे, इसिलए उन्हें आर्मी हाॅस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया. वहां डॉक्टर्स को सुमित के घुटने के नीचे के हिस्से को काटना पड़ा. 53 दिन के रेस्ट के बाद उन्हें पुणे के आर्टिफिशियल लिम्ब सेंटर ले जाया गया. वहां उन्हें एक प्रोस्थेटिक यानी आर्टिफिशियल पैर लगाया गया.

आर्टिफिशियल पैर लगने के बाद सुमित ने रेसलर बनने का सपना छोड़ दिया लेकिन नॉर्मल वर्कआउट करते रहते थे. हालांकि दुर्घटना के बाद उन्होंने कुश्ती छोड़ दी थी. तभी जुलाई, 2017 में उनके गांव के एक दोस्त और पैरा एथलिट राजकुमार ने उन्हें पैरा एथलेटिक्स के बारे में बताया. पैरा एथलेटिक्स ने उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया. शुरुआत में वह शॉट पुटर बनना चाहते थे. इसी के बारे में राय लेने के लिए भारतीय कोच विरेंद्र धनखड़ से मिले. उन्होंने सुमित को जैवलिन कोच नवल सिंह से मिलवाया. चर्चा करने पर नवल ने सुमित को जैवलिन थ्रो का सुझाव दिया.

भारत की तुलसीमति मुरुगेसन पैरालंपिक में मेडल जीतने वाली पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं,भारत के खाते में अब तक 11 मेडल

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत ने मेडल की संख्या में दहाई का आंकड़ा छू लिया है. 10वां मेडल पैरा-बैडमिंटन में आया.

भारतीय पैरा-बैडमिंटन एथलीट तुलसीमति मुरुगेसन ने महिला एसयू5 कैटेगरी में सिल्वर मेडल अपने नाम किया. ये पैरालंपिक में उनका पहला मेडल है. वहीं, तुलसीमति मुरुगेसन पैरालंपिक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी भी बन गईं. हालांकि, वह गोल्ड मेडल से चूक गईं, क्योंकि उन्हें फाइनल मुकाबले में चीन की यांग किउ जिया से हार का सामना करना पड़ा. जो पिछली बार भी गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रही थी.

तुलसीमति मुरुगेसन ने रच दिया इतिहास

तुलसीमति मुरुगेसन को भले ही फाइनल मैच में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन ये मैच उनके साथ-साथ पूरे देश के लिए काफी खास है. इससे पहले भारत की किसी भी महिला खिलाड़ी ने पैरालंपिक में मेडल नहीं जीत था. बता दें, फाइनल मुकाबले चीन की यांग किउ जिया के खिलाफ तुलसीमति मुरुगेसन ने शानदार शुरुआत की, लेकिन वह अपनी लय को बरकरार नहीं रख सकीं. ऐसे में उन्होंने पहले सेट 17-21 से हार मिली. वहीं, दूसरी रेस उन्होंने 10-21 से गंवा दिए, जिसके चलते उनके नाम सिल्वर मेडल रहा.

मनीषा रामदास ने जीता ब्रॉन्ज मेडल मैच

दूसरी ओर पैरा-बैडमिंटन की महिला एसयू5 कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल मैच मनीषा रामदास ने जीता, सेमीफाइनल मैच में तुलसीमति मुरुगेसन से हार गई थीं. ब्रॉन्ज मेडल मैच में मनीषा रामदास ने डेनमार्क की कैथरीन रोसेनग्रेन को हराया. उन्होंने इस मुकाबला का पहले गेम 21-12 से अपने नाम किया. वहीं, दूसरे गेम 21-8 से जीतकर ब्रॉन्ज मेडल मैच में बाजी मारी. उन्होंने दोनों की सेट में एकतरफा अंदाज में जीत हासिल की. इसी के साथ वह पैरालंपिक में मेडल जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं.

भारत के खाते में अब तक 11 मेडल

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत ने अभी तक 11 मेडल जीत लिए हैं. भारत की झोली में 2 गोल्ड, 4 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं.

भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल शूटर अवनि लेखरा ने जीता, जिन्होंने 10 मीटर एयर राइफल SH1 में गोल्ड अपने नाम किया. वहीं, दूसरा गोल्ड मेडल पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी नितेश कुमार ने मेंस सिंग्लस बैडमिंटन एसएल3 में जीता.

गौतम गंभीर की टीम में विराट कोहली और धोनी को मिली जगह, रोहित शर्मा बाहर

टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर इस समय ब्रेक पर हैं. भारतीय टीम 19 सितंबर से बांग्लादेश के खिलाफ खेली जाने वाली टेस्ट सीरीज से एक्शन में नजर आई है.

इसी बीच गौतम गंभीर ने टीम इंडिया की अपनी ऑल-टाइम बेस्ट वनडे 11 चुनी है. इस टीम को चुनते समय गौतम गंभीर ने कई चौंकाने वाले फैसले लिए हैं. टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा उनकी टीम में शामिल नहीं हैं, जो वनडे फॉर्मेट के सबसे सफल बल्लेबाजों में से एक हैं. वह वनडे में तीन दोहरे शतक भी लगा चुके हैं.

गंभीर ने इन खिलाड़ियों को अपनी टीम में दिया मौका

गौतम गंभीर ने अपनी ऑल टाइम इंडिया वनडे 11 टीम बतौर ओपनर वीरेंद्र सहवाग को जगह दी है. इसके अलावा उन्होंने खुद को भी इस टीम में बतौर ओपनर शामिल किया है,

जिसके चलते रोहित शर्मा उनकी टीम का हिस्सा नहीं बन सके हैं. गंभीर ने तीसरे नंबर पर महान बल्लेबाजों में शुमार राहुल द्रविड़ को चुना है. बता दें, द्रविड़ अपने समय में भारतीय टीम की रीढ़ थे. चौथे नंबर पर उन्होंने क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को चुना है.

विराट-धोनी भी टीम का हिस्सा

गौतम गंभीर ने 5वें नंबर टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली को जगह दी है. वह वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले बल्लेबाज भी हैं.

गौतम गंभीर ने अपनी ऑल टाइम इंडिया 11 टीम छठे नंबर के लिए युवराज सिंह को शामिल किया है. वहीं, टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी गंभीर की टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं. गंभीर ने धोनी को 7वें नंबर पर रखा है.

इन गेंदबाजों को गंभीर ने दी जगह

गंभीर ने अपनी टीम में 2 स्पिनर और 2 तेज गेंदबाजों को भी जगह दी है. भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले अनिल कुंबले और रविचंद्रन अश्विन को गंभीर ने बतौर स्पिनर अपनी टीम का हिस्सा बनाया है. वहीं, इरफान पठान और जहीर खान इस टीम के दो तेज गेंदबाज हैं. बता दें, गंभीर ने अपनी टीम में जसप्रीत बुमराह को भी जगह नहीं दी है और ना ही वनडे वर्ल्ड कप 1983 जीतने वाली टीम के किसी भी खिलाड़ी को अपनी टीम का हिस्सा बनाया है.

प्रीति पाल का ऐतिहासिक प्रदर्शन: पैरालंपिक में दो मेडल जीतकर रचा इतिहास

पेरिस पैरालंपिक में प्रीति पाल ने 100m T35 कैटेगिरी के बाद 200m T35 में भी ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास चल दिया है. इसी के साथ भारत की झोली में कुल 6 मेडल हो गए हैं. वहीं, खेल के चौथे दिन का ये पहला मेडल है. प्रीति पाल ने 100m T35 कैटेगिरी में भी ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था. प्रीति पहली भारतीय एथलीट हैं जिन्होंने ट्रैक इवेंट में मेडल जीता है. अब वह एक ही पैरालंपिक में दो मेडल जीतने वाली खिलाड़ियों की लिस्ट में भी शामिल हो गई हैं.

प्रीति पाल का ऐतिहासिक प्रदर्शन

प्रीति पाल ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करते हुए महिलाओं की 200 मीटर टी35 इवेंट के फाइनल में देश का मान बढ़ाया. उन्होंने 30.01 सेकंड के समय के साथ तीसरा स्थान हासिल किया. इससे पहले उन्होंने 100m T35 कैटेगिरी में 14.21 सेकेंड में ये रेस पूरी की थी और अपना पर्सनल रिकॉर्ड भी तोड़ा था. बता दें, प्रीति पाल का जन्म मेरठ में हुआ था. उन्हें बचपन से ही सेरेब्रल पाल्सी की बीमारी थी. उन्हें मेरठ में अच्छा इलाज नहीं मिल पाया लेकिन इसके बावजूद उन्होंने खेल की दुनिया में अपना नाम कमाया है. प्रीति ने दिल्ली में कोच गजेंद्र सिंह की के अंडर ट्रेनिंग की जो सिमरन शर्मा के भी कोच हैं.

भारत के दो और मेडल हुए पक्के

भारत के खेलों के चौथे दिन दो और मेडल पक्के कर लिए हैं. पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी नितेश कुमार मेंस सिंग्लस एसएल3 के फाइनल में पहुंच गए हैं. यानी नितेश कुमार ने अपना सिल्वर मेडल पक्का कर लिया है और अब वह गोल्ड मेडल जीतने के लिए मैदान पर उतरेंगे. दूसरी ओर पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास यथिराज ने हमवतन सुकांत कदम को 21-17, 21-12 से हराकर पेरिस पैरालंपिक मेंस सिंग्लस की एसएल4 कैटेगिरी के फाइनल में पहुंच गए हैं. ऐसे में उनका मेडल भी पक्का हो गया है.

बता दें, पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के लिए पहला मेडल शूटर अवनि लेखरा ने जीता था. उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल SH1 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. वहीं, इस इवेंट में मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज मेडल जीता. इसके बाद प्रीति पाल ने 100m T35 कैटेगिरी में ब्रॉन्ज मेडल, मनीष नरवाल ने 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 में सिल्वर मेडल और रुबीना फ्रांसिस ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया.

निषाद कुमार की जीत: पेरिस पैरालंपिक में भारत की झोली में 7वां मेडल

हिंदुस्तान में रात हो चुकी थी जब उधर निषाद कुमार नया इतिहास लिख रहे थे. पता नहीं कितनों ने उन्हें उस इतिहास को रचते देखा, लेकिन जिन लोगों ने भी देखा होगा उन्हें नींद बड़ी अच्छी आई होगी. जी हां. भारत के हाई जंपर निषाद कुमार ने पेरिस पैरालंपिक में जो किया है, उसका मजा कुछ ऐसा ही है. 25 साल के निषाद कुमार ने टोक्यो के बाद पेरिस में भी पैरालंपिक खेलों का सिल्वर मेडल अपने नाम कर लिया है. इसी के साथ बैक टू बैक पैरालंपिक खेलों में भारत की चांदी कराने वाले वो सबसे युवा पारा-एथलीट बन गए हैं.

2.04 मीटर की छलांग से भारत की कराई ‘चांदी’

अब सवाल है कि निषाद कुमार ने ये सब किया कैसे? तो उन्होंने भारत की ‘चांदी’ पुरुषों की T47 हाई जंप इवेंट में कराई. इस स्पर्धा में अपनी 2.04 मीटर की छलांग ने निषाद कुमार ने पेरिस पैरालंपिक खेलों का सिल्वर मेडल अपने नाम किया. इस तरह उन्होंने देश की झोली में 7वां मेडल डालने का काम किया.

जिसमें भारत के निषाद को सिल्वर, उसी में USA को गोल्ड

भारत के निषाद कुमार ने जिस इवेंट में सिल्वर मेडल जीता, उसी इवेंट का गोल्ड मेडल USA के रॉडरिक टाउनसेंड-रॉबर्ट्स के नाम रहा. अमेरिकी हाई जंपर ने 2.08 मीटर की छलांग लगाकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया. पैरालंपिक खेलों में USA के एथलीट का ये लगातार तीसरा गोल्ड है. निषाद ने हालांकि USA के हाई जंपर को पीछे छोड़ने की पूरी कोशिश की, पर उन्हें कामयाबी नहीं मिली और दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा.

निषाद की तरह राम पाल नहीं कर सके कमाल

मेंस T47 हाई जंप इवेंट का ब्रॉन्ज मेडल NPA के जी.मर्गीव के नाम रहा, जिन्होंने पूरे 2 मीटर की छलांग लगाई. इसी स्पर्धा में निषाद कुमार के अलावा एक और भारतीय जंपर राम पाल ने भी हिस्सा लिया, मगर वो 1,95 मीटर से ज्यादा ऊंचा नहीं कूद सके. राम पाल 7वें स्थान पर रहे.

भारत ने अब तक जीते 7 मेडल

निषाद कुमार ने भारत के लिए 7वां मेडल जीता. निषाद की दिलाई सफलता के बाद भारत की झोली में अब 1 गोल्ड मेडल के अलावा 2 सिल्वर मेडल और 4 ब्रॉन्ज मेडल हो चुके हैं.

करुण नायर का बल्ला बोला, महाराजा टी20 ट्रॉफी में सबसे ज्यादा चौके लगाने वाले बने बल्लेबाज

महाराजा T20 ट्रॉफी 2024 अब अपने फाइनल मुकाबले के बेहद करीब है. लीग के फाइनलिस्ट टीमों के नाम तय है. मैसुरू वॉरियर्स का मुकाबला फाइनल में बेंगलुरु ब्लास्टर्स के साथ है. मैसुरू वॉरियर्स का ये लगातार दूसरा फाइनल होगा. वहीं बेंगलुरु ब्लास्टर्स पहली बार फाइनल में पहुंची है. इस मुकाबले में सभी की निगाहें उस खिलाड़ी पर होगी जो टीम इंडिया में फिर से वापसी की उम्मीद में बैठा है. और, उसके लिए लगातार कोशिशें भी कर रहा है. हम बात कर रहे हैं करुण नायर की, जिनकी तमन्ना भारत की टेस्ट टीम में फिर से वापसी की है. मगर फिलहाल चर्चा में हैं क्योंकि उनके पास महाराजा T20 ट्रॉफी 2024 में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बनने का मौका है.

महाराजा T20 ट्रॉफी में करुण नायर के सबसे ज्यादा चौके

करुण नायर महाराजा T20 ट्रॉफी 2024 में सबसे ज्यादा चौके लगाने वाले बल्लेबाज बन चुके हैं. मैसुरू वॉरियर्स के कप्तान ने बेंगलुरु ब्लास्टर्स के खिलाफ फाइनल में अगर 14 रन और बनाए तो वो इस लीग में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज भी बन सकते हैं. फाइनल मुकाबले से पहले तक करुण नायर के 27 छक्के और 52 चौके के दम पर 11 मैचों में 494 रन हैं. उनके बल्ले से निकले 52 चौके लीग में किसी भी बल्लेबाज के मुकाबले सबसे ज्यादा हैं. फाइनल मैच के बाद चौकों की संख्या में और इजाफा हो सकता है.

करुण नायर के लिए 14वां रन है जरूरी

महाराजा T20 ट्रॉफी 2024 में सबसे ज्यादा रन फिलहाल शिवामोगा लायंस के बल्लेबाज अभिनव मनोहर के नाम है, जिन्होंने 10 मैचों में 52 छक्के के साथ 507 रन बनाए थे. करुण नायर, अभिनव मनोहर के छक्कों का रिकॉर्ड तो नहीं तोड़ सकते. मगर उनके पास महाराजा T20 ट्रॉफी में लगातार दूसरी बार सबसे ज्यादा रन बनाने वाला बल्लेबाज बनने का मौका है. और, ये काम 14 रन बनाते हो सकता है.

तोड़ सकते हैं अपना ही रिकॉर्ड

करुण नायर महाराजा T20 ट्रॉफी के पिछले सीजन में भी सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे थे. पिछले सीजन में उन्होंने 12 मैचों में 532 रन बनाए थे. इस सीजन के फाइनल में अगर करुण 39 रन और बनाते हैं तो वो अपने पिछले सीजन के सर्वाधिक रनों के रिकॉर्ड को भी तोड़ सकते हैं.

इस बार फाइनल में चूकना नहीं है!

करुण नायर की कप्तानी वाली मैसुरू वॉरियर्स को महाराजा T20 ट्रॉफी के फाइनल में पिछली बार हुबली टाइगर्स से हार का सामना करना पड़ा था. इस बार वो हारना नहीं हराना चाहेंगे. अब बेंगलुरु ब्लास्टर्स उनके सामने कितनी बड़ी चुनौती पेश करती है, ये थोड़ा इस पर भी निर्भर करेगा.

फिर से टीम इंडिया में वापसी की तमन्ना

करुण नायर ने 2016 में विराट कोहली की कप्तानी में भारत के लिए टेस्ट डेब्यू किया था. डेब्यू इनिंग में ही उन्होंने तिहरा शतक जड़ा था. लेकिन, उस बड़ी पारी के बाद वो आगे कुछ खास नहीं कर सके और उनकी वो नाकामी ही उनके बाहर होने की वजह बन गई. महाराजा T20 ट्रॉफी के दौरान ही करुण नायर ने एक इंटरव्यू में बताया कि वो भारत की टेस्ट टीम में फिर से वापसी को लेकर कितने बेताब हैं? अब देखना ये है कि उनकी बेताबी को मुकाम कब तक मिलता है?

ड्वेन ब्रावो ने टी20 से लिया संन्यास,प्रोफेशनल टूर्नामेंट नहीं खेलेंगे

ड्वेन ब्रावो ने टी20 से संन्यास का ऐलान कर दिया है. वो अब से प्रोफेशनल टूर्नामेंट नहीं खेलेंगे. ब्रावो ने बताया कि कैरेबियन प्रीमियर लीग 2024 सीजन उनके लिए आखिरी प्रोफेशनल टूर्नामेंट होगा. इस सीजन के बाद वो किसी भी टी20 टूर्नामेंट में नजर नहीं आएंगे. उन्होंने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर दी है. सीपीएल में ट्रिनबागो नाइट राइडर्स के लिए खेलने वाले ब्रावो ने अपने संन्यास के बारे में बताते हुए लिखा कि सीपीएल 2024 उनका आखिरी सीजन होगा. वो अपना आखिरी प्रोफेशनल टूर्नामेंट अपने कैरेबियन फैंस के सामने खेलना चाहते हैं. ट्रिनबागो नाइट राइडर्स के साथ सीपीएल के सफर की शुरुआत हुई थी और अब इसी टीम के साथ वो इसे खत्म करना चाहते हैं.

जीत चुके हैं 5 CPL ट्रॉफी

ब्रावो ने 2021 में टी20 इंटरनेशनल से संन्यास लिया था. यूएई में हुए टी20 वर्ल्ड कप में टीम के बुरे प्रदर्शन के बाद उन्होंने इंटरनेशनल टी20 को अलविदा कह दिया था. वहीं 2023 में आईपीएल से भी संन्यास ले लिया था. अब उन्होंने सीपीएल में भी अपने सफर को विराम देने का फैसला किया है. इस तरह वो 4 साल में 3 बार संन्यास का ऐलान कर चुके हैं. ड्वेन ब्रावो कैरेबियन प्रीमियर लीग के सबसे सफल खिलाड़ी हैं. इस लीग में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड उन्ही के नाम है. ब्रावो ने सीपीएल के 103 मुकाबलों में 128 विकेट चटकाए हैं. इतना ही नहीं वो 5 बार सीपीएल ट्रॉफी भी जीत चुके हैं.

टी20 में 600 से ज्यादा विकेट

ड्वेन ब्रावो को टी20 का स्पेशलिस्ट माना जाता है. वो इस फॉर्मेट में दुनिया की लगभग हर लीग हिस्सा लेकर अपने टैलेंट का लोहा मनवा चुके हैं. वो टी20 में सबसे पहले 500 विकेट लेने वाले पहले खिलाड़ी हैं. ब्रावो इस फॉर्मेट में 578 मुकाबले खेल चुके हैं और केवल गेंदबाजी ही नहीं बल्कि बल्लेबाजी में भी कमाल दिखा चुके हैं. ब्रावो डेथ ओवर में अपनी बेहतरीन गेंदबाजी से मैच जिताने के लिए मशहूर हैं. वहीं अंतिम के ओवरों में छक्के लगाकर भी मैच जिताने की भी काबिलियत रखते हैं. टी20 में ब्रावो अब तक 630 विकेट चटका चुके हैं. वहीं बल्ले से 6970 रन भी बना चुके हैं.

पेरिस पैरालंपिक 2024: शीतल देवी का अभियान समाप्त, प्री क्वार्टर फाइनल में हारी

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत अभी तक 5 मेडल जीत चुका है, इसमें एक गोल्ड मेडल भी शामिल है. खेलों के तीसरे दिन शूटर रुबीना फ्रांसिस ने 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 इवेंट के फाइनल में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. लेकिन अब भारत को एक बड़ा झटका भी लगा है. आर्चर शीतल देवी एक करीबी मुकाबले में हारकर पेरिस पैरालंपिक 2024 से बाहर हो गई हैं. प्री क्वार्टर फाइनल में उनका सामना चिली की मारियाना जुनिगा से हुआ. इस मुकाबले में शीतल देवी को सिर्फ 1 प्वॉइंट से हार का सामना करना पड़ा.

1 प्वॉइंट से शीतल देवी का टूटा सपना

टोक्यो पैरालंपिक की सिल्वर मेडल विजेता मारियाना ने इस करीबी मुकाबले में शीतल देवी को 138-137 से हराया. दोनों खिलाड़ियों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली. शुरुआती तीन राउंड के बाद दोनों ही खिलाड़ी बराबरी पर थीं. लेकिन चौथे राउंड में विजेता मारियाना ने 1 प्वॉइंट की बढ़त हासिल की. उन्होंने ये बढ़त पांचवें राउंड में भी बरकरार रखी, जिसके चलते शीतल देवी ने इस मुकाबले को 1 प्वॉइंट से गंवा दिया.

डेब्यू मैच में रच दिया था इतिहास

महज 17 साल की आर्चर शीतल देवी ने पैरालंपिक के डेब्यू मैच में इतिहास रचा था. दुनिया की पहली आर्मलेस यानि बिना हाथों वाली आर्चर शीतल देवी ने आर्चरी के रैंकिंग राउंड के दौरान 703 प्वॉइंट हासिल किए थे और वर्ल्ड रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया था. शीतल ने 720 में से 703 अंक हासिल किए थे. इसके साथ ही वो 700 अंक पाने वाली भारत की पहली महिला आर्चर बन गई हैं. हालांकि, कुछ देर बाद ही तुर्किए की ओजनूर गिर्डी क्यूर ने 704 अंक के साथ शीतल के इस रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया.

शीतल देवी जम्मू कश्मीर की एक छोटे गांव किश्तवाड़ की रहने वाली हैं. 7 साल की शीतल के जन्म से ही दो हाथ नहीं हैं. वह फोकोमेलिया नाम की बीमारी से जन्मजात पीड़ित हैं. लेकिन उन्होंने अपने जीवन में कभी भी हार नहीं मानी. शीतल देवी कुर्सी पर बैठी हैं, अपने दाहिने पैर से धनुष उठाती हैं, फिर दाहिने कंधे से डोरी खींचती हैं और अपने जबड़े की ताकत से तीर छोड़ती हैं. उनकी इस कला को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. शीतल देवी बिना हाथों के प्रतिस्पर्धा करने वाली दुनिया की पहली और एकमात्र सक्रिय महिला तीरंदाज भी हैं.

भारत को 5वां मेडल शूटर रुबीना फ्रांसिस ने दिलवाया,211.1 अंक के साथ ब्रॉन्ज मेडल किया अपने नाम

पेरिस पैरालंपिक 2024 के तीसरे दिन भारत को पहला मेडल शूटर रुबीना फ्रांसिस ने दिलाया है. रुबीना फ्रांसिस ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 इवेंट के फाइनल में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. ये उनका पहला पैरालंपिक मेडल है. वहीं, पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के कुल 5 मेडल हो गए हैं. इनमें से 4 मेडल शूटिंग में आए हैं. रुबीना ने 211.1 अंक के साथ ये मेडल जीता है.

रुबीना फ्रांसिस का ब्रॉन्ज पर निशाना

रुबीना फ्रांसिस फाइनल के स्टेज 1 के बाद तीसरे स्थान पर थी. उन्होंने इस स्टेज के 10 शॉट में कुल 97.6 (10.7, 10.3, 10.3, 9.7, 9.0, 8.4, 10.0, 9.8, 9.6, 9.8) का स्कोर किया. स्टेज 2 में रुबीना फ्रांसिस ने अपने शानदार खेल को जारी रखा. ये मेडल रुबीना फ्रांसिस के साथ-साथ भारत के लिए भी काफी ऐतिहासिक है. दरअसल, वह पिस्टल शूटिंग में पैरालंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं हैं.

मैकेनिक की बेटी का बड़ा कारनामा

मध्य प्रदेश के जबलपुर की पैरा पिस्टल शूटर रुबीना फ्रांसिस ने पिछले कुछ समय में भारत के लिए दमदार खेल दिखाया है. वह इससे पहले भी कई इवेंट में भारत का नाम रोशन कर चुकी है.इससे पहले रुबीना फ्रांसिस ने वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट्स वर्ल्ड कप- 2023 में 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में सिल्वर मेडल जीता था. वह पैराशूटिंग वर्ल्ड कप में पी- 6 एयर पिस्टल मिश्रित टीम इवेंट में गोल्ड मेडल भी जीत चुकी है. बता दें कि रुबीना की मां सुनीता फ्रांसिस जबलपुर के प्रसूतिका गृह में नर्स हैं,वहीं उनके पिता साइमन मोटर मैकेनिक का काम करते हैं.

पेरिस पैरालंपिक 2024 में मेडल जीतने वाले भारतीय

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत का खाता शूटर अवनि लेखरा ने खोला था. अवनि ने 10 मीटर एयर राइफल SH1 में गोल्ड मेडल जीता था. वहीं, मोना अग्रवाल ने इस इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता. इसके बाद भारत के लिए तीसरा मेडल प्रीति पाल ने जीता. प्रीति पाल ने 100m T35 कैटेगिरी में देश को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया. प्रीति पहली भारतीय एथलीट भी हैं जिन्होंने ट्रैक इवेंट में मेडल जीता. इसके बाद चौथा मेडल मनीष नरवाल ने दिलाया. मनीष नरवाल ने 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 में सिल्वर मेडल अपने नाम किया