पेरिस पैरालंपिक 2024: सुमित अंतिल ने जैवलिन थ्रो में जीता गोल्ड मेडल
भारत को पैरालंपिक में एक बार फिर से सुमित अंतिल गोल्ड मेडल जिताने में कामयाब रहे हैं. टोक्यो पैरालंपिक में सुमित अंतिल ने जैवलिन में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास रचा था और पेरिस पैरालंपिक में वह अपने कारनामे को दोहराने में कामयाब रहे. जैवलिन स्टार सुमित अंतिल ने इस बार पैरालंपिक रिकॉर्ड भी तोड़ दिया. एफ64 जेवलिन थ्रो कम्पटीशन के फाइनल में सुमित अंतिल का दबदबा देखने को मिला.
पैरालंपिक रिकॉर्ड तोड़कर जीता गोल्ड मेडल
सुमित अंतिल ने पहले ही प्रयास में पैरालंपिक रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया. सुमित ने 69.11 मीटर के प्रयास के साथ गोल्ड मेडल पोजीशन हासिल की. इसके बाद दूसरे प्रयास में उन्होंने पैरालंपिक रिकॉर्ड को बेहतर किया. इस बार वह भाला 70.59 मीटर दूर फेंकने में कामयाब रहे. वहीं, गत चैंपियन सुमित अंतिल ने अपने तीसरे प्रयास में 66.66 मीटर की दूरी हासिल की. इसके बाद सुमित अपने चौथे प्रयास में फाउल थ्रो कर बैठे और पांचवें प्रयास में 69.04 मीटर की दूरी हासिल की. सुमित ने 66.57 मीटर के अपने आखिरी प्रयास के साथ समापन किया.
इसी से साथ सुमित अंतिल पेरिस पैरालंपिक में अपने गोल्ड मेडल का बचाव करने में भी कामयाब रहे. ये साल अभी तक उनके लिए काफी यादगार रहा है. सुमित ने इसी साल पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में 69.50 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड अपने नाम किया था. वहीं, तोक्यो ओलंपिक में उन्होंने 68.55 मीटर के प्रयास से गोल्ड मेडल जीता था. बता दें, एफ64 जेवलिन थ्रो का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी इनके ही नाम है. उन्होंने हांगझोऊ एशियाई पैरा खेलों में 73.29 मीटर की दूरी हासिल की थी.
एक हादसे ने बदल दी सुमित अंतिल की जिंदगी
सुमित अंतिल का जन्म 6 जुलाई 1998 को हरियाणा के खेवड़ा में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता वायु सेना में एक JWO ऑफिसर थे, जिनका 2004 में देहांत हो गया था. सुमित को बचपन से ही काफी मेहनती रहें हैं. उन्हे बचपन से ही कुश्ती में रुची थी. इसलिए वे एक रेसलर बनना चाहते थे और बचपन से ही इसके लिए मेहनत कर रहे थे. एक दिन उनके साथ ऐसा हादसा हुआ, जिसने उनकी जिंदगी को बदलकर रख दिया. उनका रेसलर बनने का सपना टुट गया. बात 2015 की है जब सुमित एक दिन ट्यूशन से अपने घर के लौट रहे थे, तभी उनके गाड़ी की दुर्घटना हो गई. क्योंकि उनके पिता भारतीय सेना में थे, इसिलए उन्हें आर्मी हाॅस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया. वहां डॉक्टर्स को सुमित के घुटने के नीचे के हिस्से को काटना पड़ा. 53 दिन के रेस्ट के बाद उन्हें पुणे के आर्टिफिशियल लिम्ब सेंटर ले जाया गया. वहां उन्हें एक प्रोस्थेटिक यानी आर्टिफिशियल पैर लगाया गया.
आर्टिफिशियल पैर लगने के बाद सुमित ने रेसलर बनने का सपना छोड़ दिया लेकिन नॉर्मल वर्कआउट करते रहते थे. हालांकि दुर्घटना के बाद उन्होंने कुश्ती छोड़ दी थी. तभी जुलाई, 2017 में उनके गांव के एक दोस्त और पैरा एथलिट राजकुमार ने उन्हें पैरा एथलेटिक्स के बारे में बताया. पैरा एथलेटिक्स ने उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया. शुरुआत में वह शॉट पुटर बनना चाहते थे. इसी के बारे में राय लेने के लिए भारतीय कोच विरेंद्र धनखड़ से मिले. उन्होंने सुमित को जैवलिन कोच नवल सिंह से मिलवाया. चर्चा करने पर नवल ने सुमित को जैवलिन थ्रो का सुझाव दिया.
Sep 03 2024, 10:28