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भारत युद्ध नहीं, शांति में विश्वास करता है', पोलैंड से पीएम मोदी ने किसे दिया संदेश

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अपनी दो देशों की यात्रा के पहले चरण में पोलैंड पहुंचे।बुधवार शाम वो पोलैंड की राजधानी वारसॉ पहुंचे जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। पोलैंड के डिप्टी पीएम स्टैनिस्लाव जानुस्ज ने एयरपोर्ट पर पीएम का स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने नवानगर स्मारक के जाम साहब पर और मोंटे कैसिनो की लड़ाई के स्मारक और कोल्हापुर स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित किया। इसके बाद पीएम मोदी ने पोलैंड में भारतीय समुदाय को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने पर भारतीय छात्रों को दिए गए समर्थन के लिए भारतीय समुदाय को भी धन्यवाद दिया। भारतीयों समुदाय को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा, ‘आपने यहां इतना शानदार स्वागत किया है. मैं आपका, पोलैंड की जनता का इस स्वागत के लिए बहुत आभारी हूं। बीते एक हफ्ते से भारत के मीडिया में आप ही लोग छाए हुए हैं। 45 साल बाद कोई पीएम पहली बार पोलैंड आया है।

पिछले एक हफ्ते से भारत की मीडिया में पोलैंड के लोग छाए हुए हैं. पोलैंड के विषय में भी बहुत कुछ बताया जा रहा है। मीडिया में बताया जा रहा है कि 45 साल भारत का कोई पीएम पोलैंड आया है। पीएम ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, जब पोलैंड मुश्किलों से घिरा हुआ था, जब पोलैंड की हजारों महिलाएं और बच्चे शरण के लिए जगह-जगह भटक रहे थे, तक जाम साहब, दिग्विजय सिंह रणजीत सिंह जाडेजा जी आगे आए। उन्होंने महिलाओं और बच्चों के लिए एक विशेष कैंप बनवाया था और उन्होंने कैंप की महिलाओं और बच्चों से कहा था कि जैसे जामनगर के लोग मुझे बापू कहते हैं, वैसे मैं आपका भी बापू हूं.

पीएम ने कहा कि दशकों तक, भारत की नीति थी कि सारे देशों से समान दूरी बनाए रखो, जबकि आज के भारत की नीति है, सारे देशों से नजदीकी बनाओ। आज का भारत सबसे जुड़ना चाहता है, आज का भारत सबके विकास की बात करता है, आज का भारत सबके साथ है, सबके हित की सोचता है। हमें गर्व है कि आज दुनिया, भारत को विश्व बंधु के रूप में सम्मान दे रही है।

दुनिया के किसी भी देश में संकट आए तो भारत पहला ऐसा देश होता है जो मदद का हाथ बढ़ाता है। जब कोरोना आया तो भारत ने कहा कि ‘ह्यूमैनिटी फर्स्ट’। भारत बुद्ध की विरासत वाली धरती है और जब बात बुद्ध की आती है तो हम युद्ध की नहीं शांति की बात करते हैं। भारत का पक्ष एकदम साफ है कि ये युग युद्ध का नहीं है।

*बांग्लादेश ने की शेख हसीना के प्रत्यार्पण की मांग, बीएनपी की मांग भारत के लिए होगी कितनी मुश्किल *

#bnp_says_india_should_extradite_sheikh_hasina 

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद विरोधी से भागकर शेख हसीना ने भारत शरण ली है। हालांकि, हसीना की मुश्किलें यहां भी कम नहीं हो रही हैं। बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ स्वदेश में कई आपराधिक मामले चल रहे हैं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में मंगलवार को एक नई शिकायत दर्ज की गई, जिसमें शेख हसीना और 23 अन्य पर मई 2013 में एक इस्लामी समूह की रैली के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार करने का आरोप लगाया गया। इन सबके बीच उनके प्रत्यर्पण की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। बांग्लादेश नैशनलिस्ट पार्टी ने भारत से अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। 

शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की मुख्य प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी बीएनपी ने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की है। बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर देश में क्रांति को बाधित करने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को भारत से कहा कि हसीना को प्रत्यर्पित किया जाए ताकि उन पर मुकदमा चलाया जा सके। फखरुल के हवाले से एक स्थानीय अखबार ने लिखा, हमारी आपसे मांग है कि आपको उन्हें कानूनी तरीके से बांग्लादेश की सरकार के हवाले कर देना चाहिए। इस देश की जनता ने उन पर मुकदमे का फैसला किया है। उन पर मुकदमा चलने दें।

“भारत के संकल्प के अनुरूप नहीं”

आलमगीर ने पार्टी के संस्थापक जियाउर रहमान को ढाका में श्रद्धांजलि देने के बाद ये बातें कहीं। आलमगीर ने कहा कि शेख हसीना को शरण लेने की अनुमति देना लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा के भारत के संकल्प के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा, 'वहां रहकर उन्होंने (शेख हसीना ने) बांग्लादेश में हुई क्रांति को धता बताने की कई साजिशें शुरू की हैं।' बीएनपी महासचिव ने कहा कि बांग्लादेश और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि है, इसलिए जिनके खिलाफ कोर्ट केस हो, उन्हें जरूर सौंपना चाहिए।

बीएनपी ने शेख हसीना को बताया बांग्लादेश का दुश्मन

शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करते हुए आलमगीर ने एक तरह से भारत के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से जहर उगला। उन्होंने कहा, ‘मैं यह बात दृढ़ता से कह रहा हूं और हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि मुझे नहीं लगता कि भारत को बांग्लादेश के लोगों के दुश्मन (शेख हसीना) को पनाह देकर ज्यादा प्यार मिल सकता है, जिसे देश से भागना पड़ा था।

भारत-बांग्लादेश के बीच प्रत्यार्पण संधि

बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यार्पण को लेकर जिस संधि का जिक्र किया है वो नई दिल्ली और ढाका के बीच 2013 में हुई थी। इस संधि के तहत दोनों देशों को उन लोगों को एक-दूसरे के हवाले करना जरूरी है, जिनके खिलाफ किसी भी अपराध के लिए अदालतों में कार्रवाई शुरू की गई हो। इस संधि के तहत कुछ भगोड़ों को भारत लाया गया है तो कुछ को बांग्लादेश वापस भी भेजा गया है। साल 2016 में इस प्रत्यर्पण संधि में संशोधन किया गया था। इन अपराधों में वित्तीय अपराध भी शामिल हैं, जिनमें एक साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है। बीएनपी का कहना है कि शेख हसीना के खिलाफ दर्ज हत्या और जबरन एक्सटॉर्शन के मामले प्रत्यर्पण वाले कैटेगरी में हैं।

हसीना को भारत से बांग्लादेश प्रत्यर्पित किया लजा सकता है?

अब सवाल उठता है कि क्या शेख हसीना को भारत से बांग्लादेश प्रत्यर्पित किया जा सकता है? भारत प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 8 का हवाला देकर शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने से इनकार कर सकता है। अनुच्छेद 8 कहता है कि अगर प्रत्यर्पण की मांग के पीछे इरादा सही या न्याय के हक में नहीं हो तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है।

हसीना पर अब तक करीब 25 मामले दर्ज

बता दें कि शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में हत्या समेत कई मामले दर्ज हैं। मंगलवार तक उनके खिलाफ दर्ज केसों की संख्या करीब 25 पहुंच चुकी है। बांग्लादेश में 5 अगस्त को छात्रों का विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमें करीब 100 लोगों की मौत हो गई थी। उस बवाल के बाद शेख हसीना को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी और 6 अगस्त को वह बांग्लादेश छोड़कर भारत भाग आई थीं।

भारत ने बांग्लादेश में कर रखा है बड़ा निवेश, जानें शेख हसीना के बाद क्या होगा भविष्य?

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बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ छात्र आंदोलन सत्ता परिवर्तन तक जा पहुंचा।शेख़ हसीना बांग्लादेश छोड़कर भारत आ पहुंची।15 सालों से बांग्लादेश की सत्ता में रहते हुए शेख़ हसीना ने भारत के साथ अपने रिश्तों को काफ़ी मज़बूत बनाया था। बांग्लादेश के साथ भारत के करीबी व्यापारिक रिश्ते रहे। दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है बांग्लादेश। कोविड के बाद से दोनों के बीच ट्रेड में लगातार बढ़ोतरी हुई है। दोनों मिलकर कई प्रॉजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। इनमें भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन सबसे अहम है, जिसके जरिये हिंदुस्तान से रिफाइंड डीजल की आपूर्ति की जाएगी। साथ ही, अपने इस पड़ोसी देश में इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारत ने बहुत निवेश किया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि भारत और बांग्लादेश के बीच हुए व्यापार समझौते का भविष्य क्या होगा? मुक्त व्यापार समझौता हो भी पाएगा या नहीं? 

बांग्लादेश, व्यापार के लिहाज से इस उपमहाद्वीप में भारत का सबसे बड़ा साझेदार है और भारत भी बांग्लादेश के लिए चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक साल 2023-24 में दोनों देशों के बीच 13 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। बीते साल नवंबर महीने में दोनों देशों के प्रधानमंत्री ने भारत समर्थित तीन विकास परियोजनाओं का उद्धाटन किया था। अखौरा-अगरतला रेल लिंक, खुलना-मोंगला पोर्ट रेल लाइन और मैत्री थर्मल प्लांट। अखौरा-अगरतला पहली ट्रेन सेवा है, जो पूर्वोत्तर भारत को बांग्लादेश से जोड़ती है। भारतीय रेल ने लाइन ऑफ़ क्रेडिट प्रोग्राम के तहत बांग्लादेश के रेल इंफ्रास्ट्रक्चर में लगभग एक हज़ार करोड़ का निवेश किया है। 

बांग्लादेश में अडानी समूह का भी बड़ा निवेश है। अडानी पावर ने साल 2017 में बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट के साथ 25 साल का समझौता किया था। जिसमें अडानी पावर की ओर से अपने झारखंड स्थित गोड्डा प्लांट से 1496 मेगावाट बिजली देने का वादा है। गोड्डा पावर प्रोजेक्ट देश का पहला ट्रांजेक्शनल पावर प्लांट है। इसकी 100 फ़ीसदी एनर्जी बांग्लादेश भेजी जाती है। साल 2023 से ये प्लांट बांग्लादेश में बिजली भेज रहा है।

अडानी के साथ-साथ बांग्लादेश में डाबर, मारिको, एशियन पेंट्स, पिडिलाइट, गोदरेज, सन फार्मा, टाटा मोटर्स, हीरो मोटोकॉर्प, टीवीएस मोटर का भी निवेश है।

भारत और बांग्लादेश के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत अक्तूबर 2023 में शुरू हुई ताकि दोने देशों से आयात-निर्यात होने वाली चीज़ों पर कस्टम ड्यूटी हटा दी जाएष विश्व बैंक के एक अनुमान के अनुसार, इससे भारत को बांग्लादेश के निर्यात में 297 फ़ीसदी तक और भारत के निर्यात में 172 फ़ीसदी तक की वृद्धि होने की संभावना है। हालाँकि बांग्लादेश के मौजूदा राजनीतिक दृश्य को देखते हुए इसके भविष्य पर अनिश्चितता बनी हुई है।

सेना और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के रहमोकरम पर बनने वाली अंतरिम सरकार भारत के प्रति क्या रुख अपनाती है, यह अभी साफ नहीं हुआ है। लेकिन अतीत में बीएनपी का भारत के साथ जो रवैया रहा है, वह कोई बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं जगाती है।

पोखरण फायरिंग रेंज के पास आसमान से क्या गिरा? भारतीय वायुसेना ने दिए जांच के आदेश

#indian_air_force_iaf_fighter_aircraft_release_air_store_near_pokhran_firing_range

पोखरण फायरिंग रेंज क्षेत्र के पास भारतीय वायुसेना के एक लड़ाकू विमान में तकनीकी खराबी के कारण एक एयर स्टोर बाहर आ गया।उसके गिरते ही तेज धमाका हुआ, जिससे आसपास के इलाकों में अफरातरफरी मच गई। गनीमत ये रही कि जमीन पर कोई हताहत या क्षति की सूचना नहीं मिली। वहीं, इस घटना के बाद भारतीय वायुसेना ने जांच के आदेश दिए हैं।

राजस्थान के थार रेगिस्तान में स्थित पोखरण फायरिंग रेंज क्षेत्र के पास बुधवार को भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के एक लड़ाकू विमान में तकनीकी खराबी पाई गई। पोखरण फायरिंग रेंज के पास वायुसेना के लड़ाकू विमान से अनजाने में एक एयर स्टोर बाहर आ गया। पोखरण फायरिंग रेंज में आसमान से संदिग्‍ध वस्‍तु गिरने की घटना पर भारतीय वायुसेना ने जानकारी दी है। एयरफोर्स ने एक्स पर पोस्‍ट कर इस घटना के बारे में बताया है। 

एयरफोर्स ने कहा कि IAF के एक फाइटर जेट से चूक के चलते एयर स्‍टोर रिलीज हो गया. वायुसेना ने आगे बताया कि इस घटना में किसी तरह के जान या माल का नुकसान नहीं हुआ है। हालांकि, घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं, ताकि भविष्‍य में इस तरह की घटना न हो। 

बता दें कि फाइटर जेट में हथियार फिट किए जाते हैं। इन बिल्‍ट के साथ ही एक्‍सटर्नल भी हथियार फिट किए जाते हैं। इसे टेक्निकल भाषा में एयर स्‍टोर कहा जाता है।

कोलकाता रेप-मर्डर केस: सीबीआई की रडार पर एएसआई अनूप दत्ता, आठ घंटे की पूछताछ के बाद फिर बुला सकती है एजेंसी

#kolkata_rape_murder_case_asi_role_is_suspicious_in_cbi_investigation 

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में लेडी डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले की जांच सीबीआई कर रही है। इस केस में अभी तक संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया है, जिससे लगातार पूछताछ जारी है और उसके अलग-अलग टेस्ट कराए जा रहे हैं। इसके साथ ही कई और लोग इसी केस में सीबीआई के रडार पर हैं। सीबीआई की जांच में एएसआई अनूप दत्ता की भूमिका संदिग्ध लग रही, जिस कारण एजेंसी उन्हें फिर पूछताछ के लिए बुला सकती है। बता दें कि बीते दिन एजेंसी ने अनूप दत्ता से करीब 8 घंटे पूछताछ की थी।

20 अगस्त को संजय रॉय के करीबी एएसआई अरूप दत्ता को सीबीआई ने तलब किया था। उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया था। अब अरूप दत्ता की संजय रॉय के साथ एक तस्वीर सामने आई है। जिमें अरूप दत्ता और ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के आरोपी संजय रॉय की करीबी साफ नजर आ रही है।

अब सीबीआई दरअसल एएसआई दत्ता की इस केस के प्रमुख आरोपी संजय रॉय के साथ कथित निकटता की जांच कर रही है। संजय रॉय को 2019 में आपदा प्रबंधन समूह के लिए सिविक वॉलंटियर के रूप में भर्ती किया गया था, लेकिन उसने वहां कभी काम नहीं किया। वह कोलकाता पुलिस वेलफेयर बोर्ड के लिए काम करने लगा था।पता चला है कि दत्ता ने मुख्य आरोपी संजय रॉय के साथ रूम शेयर किया था। ऐसे में सीबीआई एएसआई दत्ता और संजय रॉय के बीच के संबंधों की जांच कर रही है।

सीबीआई ने अरूप दत्ता के बारे में तफ्तीश की थी। एफएसएल की टीम ने अरूप दत्ता के खिलाफ कुछ सबूत जुटाए थे। इस केस में एक-के-बाद एक लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। इसमें संजय रॉय और अरूप दत्ता के अलावा आरजी कर मेडिकल अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल से भी सीबीआई पूछताछ कर रही है। उन पर आरोप है कि उन्होंने इस जघन्य अपराध को सुसाइड में बदलने की कोशिश तो की ही, साथ ही उन्होंने पीड़िता की पहचान भी उजागर कर दी। पूर्व प्रिंसिपल ने इस घटना के 4 दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया था।

कोलकाता कांड में डॉ के पिता ने इंटरव्यू में बताई दिल दहला देने वाली बातें: 'एक रात में सपने टूट गए'

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में विश्राम के दौरान कथित तौर पर बलात्कार और हत्या की शिकार हुई 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के पिता ने चिकित्सा के प्रति अपनी बेटी के प्यार को याद किया।

द गार्जियन के साथ एक दिल दहला देने वाले साक्षात्कार में पिता ने कहा कि वे एक गरीब परिवार से हैं और उनकी बेटी का पालन-पोषण बहुत कठिनाई से हुआ।

डॉक्टर बनने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की। उसने बस पढ़ाई की। हमारे सारे सपने एक ही रात में चकनाचूर हो गए। हमने उसे काम पर भेजा और अस्पताल ने हमें उसका शव दे दिया। हमारे लिए यह सब खत्म हो गया है,'' द गार्जियन ने पिता के हवाले से कहा। उन्होंने कहा, "मेरी बेटी वापस नहीं आ रही है। मैं कभी उसकी आवाज नहीं सुनूंगा या हंसूंगा नहीं। अब मैं बस उसे न्याय दिलाने पर ध्यान केंद्रित कर सकता हूं।"

9 अगस्त को, कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर का शव मिला था। अगले दिन अपराध के सिलसिले में एक नागरिक स्वयंसेवक, संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया था। बाद में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया। 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या और उसके बाद अधिकारियों द्वारा मामले को संभालने के कारण पूरे भारत में डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन और हड़ताल की।

पीड़िता के पिता ने बताया कि चिकित्सा में करियर बनाना उनके इकलौते बच्चे का आजीवन सपना था। द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, 31 साल की उम्र में, उन्होंने भारत के मेडिकल कॉलेजों में लगभग 107,000 स्थानों में से एक को सुरक्षित करने के लिए बाधाओं का बचाव किया था, जहां हर साल दस लाख से अधिक महत्वाकांक्षी डॉक्टर प्रतिस्पर्धा करते हैं।

उसके माता-पिता ने दर्जी के रूप में अर्जित उसके पिता की अस्थिर आय से उसके सपने को पूरा किया। "उसने कहा: 'पिताजी, डॉक्टर बनना और दूसरों की मदद करना अच्छी बात है। आप क्या सोचते हैं?' मैंने कहा: 'ठीक है, ऐसा करो। हम आपकी मदद करेंगे।' और देखो क्या हुआ,'' पिता ने याद किया।

कोलकाता रेप-हत्याकांड: आरोपी की सास ने क्या कहा?

आरोपी की सास ने अपराध में और लोगों के शामिल होने का सुझाव दिया क्योंकि उन्होंने कहा कि संजय रॉय इसे अकेले नहीं कर सकते थे। सोमवार को समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए संजॉय रॉय के साथ अपनी बेटी के अनुभव को याद करते हुए महिला ने रिश्ते को तनावपूर्ण बताया और कहा कि संजॉय रॉय ने उनकी बेटी की पिटाई की जिसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।

उन्होंने कहा, ''उनके साथ मेरे रिश्ते बहुत तनावपूर्ण थे।'' उन्होंने आगे कहा, ''शुरुआत में 6 महीने तक सब कुछ अच्छा था। जब वह 3 महीने की गर्भवती थी, तो गर्भपात हो गया। उसने उसकी पिटाई की और इसकी पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई गई। इसके बाद, मेरी बेटी लगातार बीमार रहने लगी, मैंने उसकी दवाइयों का सारा खर्च उठाया।'' उन्होंने कहा, "संजय अच्छा नहीं था। उसे फांसी दो या उसके साथ जो चाहो करो। मैं अपराध के बारे में नहीं बोलूंगी। वह इसे अकेले नहीं कर सकता था।"

क्या जाकिर नाइक को भारत को सौंपेगा मलेशिया? जानें मलेशियाई पीएम का जवाब

#malaysianpmanwaribrahimsaysonzakir_naik 

भारत यात्रा पर आए मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने जाकिर नाइक के प्रत्यपर्ण को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर सबूत पेश किए जाएं तो हम आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे। बता दें कि विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक कथित धन शोधन मामले और नफरती भाषणों के जरिए चरमपंथ भड़काने के मामले में भारत के लिए वांछित है।जाकिर नाइक 2017 में भारत से भागकर मलेशिया चला गया था। वहां महाथिर मोहम्मद के कार्यकाल में उसे सरकारी संरक्षण प्रदान किया गया। अनवर इब्राहिम को भी जाकिर नाइक का खास बताया जाता है।

मलेशियाई प्रधानमंत्री ने संकेत दिया कि उनकी सरकार विवादास्पद इस्लामी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण के भारत के अनुरोध पर विचार कर सकती है, बशर्ते कि वह उसके खिलाफ सुबूत मुहैया कराए।दिल्ली में ‘इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स’ में एक सत्र के दौरान इब्राहिम ने कहा कि सबसे पहले, यह मुद्दा भारतीय पक्ष द्वारा नहीं उठाया गया। प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने इसे बहुत पहले उठाया था, कुछ साल पहले... लेकिन, मसला यह है कि मैं एक व्यक्ति के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, मैं उग्रवाद की भावना के बारे में बात कर रहा हूं, एक बाध्यकारी मामले और सबूत के बारे में बात कर रहा हूं। जो किसी व्यक्ति या समूह या गुट या पार्टियों द्वारा किए गए अत्याचारों का संकेत देते हों, जो किसी व्यक्ति या समूह या गुट या पार्टियों द्वारा किए गए महापाप को साबित करे।

मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अगर कोई भी अनुरोध और सबूत दिया जाता है तो उस पर विचार के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, हम आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देंगे इसको लेकर हमारा रुख स्पष्ट है और हम आतंकवाद के खिलाफ इनमें से कई मुद्दों पर भारत के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस एक मामले की वजह से हमें आगे के सहयोग और हमारे द्विपक्षीय संबंध में गतिरोध पैदा करना चाहिए।

कौन है जाकिर नाइक

जाकिर नाइक का पूरा नाम जाकिर अब्दुल करीम नाइक है। जो भारतीय मूल के इस्लामिक प्रचारक है। जाकिर नाईक का जन्म 18 अक्तूबर 1965 को मुंबई में हुआ था। वह खुद को इस्लामी विद्वान बताता है, लेकिन उसके भाषण आतंकवाद, धर्मांधता को बढ़ाते हैं। वह इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन और पीस टीवी का संस्थापक और अध्यक्ष भी है। दुनियाभर के 500 इस्लामी विद्वानों की सूची में भी जाकिर नाइक का नाम शामिल है। वह खुद को इस्लाम की किसी एक विचारधारा से जुड़ा हुआ नहीं बताता है, लेकिन उसे सलाफी विचारधारा का समर्थक माना जाता है।

भारत में जाकिर नाईक के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं और उस पर देशद्रोह और आतंकवाद को बढ़ावा देने जैसे गंभीर आरोप हैं। भारत सरकार जाकिर नाईक को देश वापस लाने की कोशिश कर रही है।नाइक वर्तमान में भारत में एक वांछित भगोड़ा है। 2016 में नाइक पर मलेशिया में विदेश में रहने के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा। तब से नाइक भारत नहीं लौटा और मलेशिया का स्थायी निवासी बन गया।

अमेरिका राष्ट्रपति की आंखों से छलके आंसू, विदाई भाषण में जो बाइडन हुई इमोशनल

#american_president_joe_biden_in_tears_during_chicago_convention 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार को डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन की शुरुआती रात में केंद्र में रहे। अपने समर्थकों से लंबे समय तक खड़े होकर तालियां बटोरीं और उस पार्टी को विदाई भाषण दिया। अमेरिकी चुनाव से पहले शिकागो में चल रहे चार दिनों के डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन के दौरान सोमवार रात राष्ट्रपति जो बाइडेन की आंखें नम हो गईं। 81 साल के बाइडेन को उनकी बेटी ऐशले बाइडेन ने कन्वेंशन के दौरान इंट्रोड्यूज़ किया. इस मौके पर उन्होंने बेटी को गले लगाया तो उनकी आंखें छलक पड़ीं।

शिकागो में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को मशाल सौंपी। इसके साथ ही कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति की औपचारिक उ्म्मीदवार बन गई हैं। शिकागो कन्वेंशन के पहले दिन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपना विदाई भाषण दिया।

हज़ारों कार्यकर्ताओं और पार्टी के सदस्यों के सामने राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा, “क्या आप कमला हैरिस को यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका का राष्ट्रपति चुनने के लिए तैयार हैं।” बाइडेन इस मौके पर देश के लोगों से गुज़ारिश करते दिखे कि वो कमला हैरिस को वोट करें और अगले चार साल के लिए उन्हें ही चुनें। 

लोगों ने हाथ में बैनर लिए हुए थे जिस पर लिखा था 'हम बाइडेन को दिल से चाहते हैं। इस मौके पर जो बाइडेन इमोशनल नज़र आए। उन्होंने कहा, “मैं आपसे प्यार करता हूं', मैं अपने काम से प्यार करता हूं। मैं अपने देश से तो और भी ज्यादा प्यार करता हूं। हमें अपने लोकतंत्र को बचाना होगा। डोनाल्ड ट्रंप को हराने और कमला हैरिस और टिम वॉल्ट्स को अमेरिका के राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के तौर पर चुनने के लिए हमें आपकी ज़रूरत है।”

राष्ट्रपति बाइडेन ने अपने विदाई भाषण में अपने कार्यकाल की उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये काम कमला हैरिस के साथ किया। उन्होंने कोरोना के दौर में अमेरिका को पूरी दुनिया में सबसे मजबूत इकोनॉमी बनाने की बात कही। बाइडेन ने ट्रंप पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अमेरिका में राजनीतिक हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। ट्रंप जब अमेरिका के बारे में बात करते हैं कि तो लगता है कि अमेरिका कोई बिखरता हुआ देश है। वो दुनिया में अमेरिका की छवि को खराब करते हैं।

रूस की राजधानी मॉस्को पर यूक्रेन का बड़ा ड्रोन हमला, पीएम मोदी के दौरे से पहले और तेज हुआ युद्ध

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 और 22 अगस्त को पोलैंड से होते हुए 23 अगस्त को यूक्रेन पहुंच रहे हैं। इससे पहले रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध अपने चरम सीमा पर पहुंच चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के यूक्रेन दौरे को दोनों देशों के बीच युद्ध विराम की उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है। इस बीच यूक्रेन ने मॉस्को पर अब तक के सबसे बड़े ड्रोन हमला किया है।हालांकि, रूस की सेना ने उन्हें मार गिराया। रूसी सेना ने बताया कि यूक्रेन के 11 ड्रोन सेना ने मार गिराए।जबकि पूरे देश में रातभर में 45 ड्रोन को मार गिराया गया। 

अधिकारियों के मुताबिक रूसी क्षेत्र में नष्ट किए गए 45 ड्रोन में 11 मॉस्को, ब्रायंस्क के सीमावर्ती इलाके में 23, बेलगोरोद क्षेत्र में छह, कलुगा में तीन और कुर्स्क क्षेत्र में दो ड्रोन नष्ट किए गए। वहीं रूसी मीडिया ने मॉस्को क्षेत्र में सुबह-सुबह ड्रोन उड़ने और रूसी रक्षा बल द्वारा उनको नष्ट करने के बाद आग के गोले बनने का फुटेज भी दिखाया। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ड्रोन हमलों के चलते मॉस्को के वानुकोवा, डोमोडेडोवा और झुकोवस्की हवाई अड्डे से चार घंटे तक उड़ानें प्रभावित रहीं। 

मॉस्को के मेयर सर्गेई सोब्यानिन ने बताया कि कुछ ड्रोन पोडोल्स्क शहर के ऊपर नष्ट कर दिए गए। मॉस्को क्षेत्र का यह शहर क्रेमलिन से लगभग 38 किलोमीटर दक्षिण में है। सोबयानिन ने बुधवार तड़के टेलीग्राम पर कहा कि यह ड्रोन का उपयोग करके मॉस्को पर हमला करने का अब तक का सबसे बड़ा प्रयास है। सोब्यानिन ने कहा कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार हमलों के बाद किसी के घायल होने या नुकसान की सूचना नहीं है। रूस के दक्षिण-पश्चिम में ब्रायंस्क पर हुए हमले के बाद भी किसी के हताहत होने या नुकसान की सूचना नहीं है।

बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन के दौरे पर जाने वाले हैं। वहां वो 23 अगस्त को रहेंगे। 45 साल बाद भारत के कोई प्रधानमंत्री यूक्रेन के दौरे पर होंगे। 45 साल बाद भारत के कोई प्रधानमंत्री यूक्रेन के दौरे पर होंगे।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई महीने में रूस का दौरा किया था। राष्ट्रपति पुतिन के साथ पीएम मोदी की मुलाकात पर यूक्रेन के राष्ट्रपति ने सवाल खड़े किए थे।ज़ेलेंस्की ने कहा था कि उन्हें इससे 'भारी निराशा' हुई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था, "इससे बहुत ज़्यादा निराशा हुई। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को एक ऐसे दिन पर मॉस्को में दुनिया के सबसे ख़ूनी अपराधी को गले लगाते देखना शांति प्रयासों के लिए बहुत बड़ा झटका है।"

100 लड़कियों की नग्न तस्वीरें खींच किया ब्लैकमेल, फिर दुष्कर्म... 32 साल बाद 6 दोषियों को उम्रकैद की सजा, पढ़ें दिल दहलाने वाली पूरी कहानी,

 देश के बहुचर्चित अजमेर ब्लैकमेल कांड पर मंगलवार को विशेष न्यायालय कोर्ट संख्या-2 ने अपना फैसला सुनाया है। आज से करीब 32 साल पहले 1992 में हुए इस मामले से राजस्थान के साथ देश भी कांप उठा था और तत्कालीन सरकार हिल गई थी। कोर्ट ने इस मामले के बचे हुए छह आरोपियों को लेकर आज अपना फैसला सुनाया, जिसमें छह आरोपियों को दोषी मानते हुए धारा- 376, 376 डी और 120 बी के तहत 208 पेज के फैसले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसमें एक आरोपी की तबियत खराब होने के चलते उसे एंबुलेंस में लाया गया था। वहीं, इससे पूर्व कोर्ट में बड़ी संख्या में पुलिस का जाब्ता मौजूद रहा और आरोपियों के दोषी साबित होते ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। हालांकि, कोर्ट ने अपना फैसला दो बजे के बाद सुनाया।

राजस्थान के अजमेर जिले में साल 1992 में स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं की नग्न तस्वीरें खींचकर उनको ब्लैकमेल करने के मामले में पूरे राजस्थान के साथ देश शर्मसार हुआ था। मामले में लड़कियों की अश्लील फोटो खींचकर उनको ब्लैकमेल कर दुष्कर्म करने के इस केस ने तत्कालीन सरकार में हड़कंप मचा दिया था। अपनी बदनामी के डर से कई लड़कियों ने आत्महत्या करके मौत को गले लगा लिया था। इस केस के चार अभियुक्तों को पूर्व में सजा हो चुकी है, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने उनको बरी कर दिया था। आज बचे हुए छह अन्य आरोपियों को लेकर आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनाया गया। इसके साथ ही न्यायालय ने प्रत्येक आरोपियों पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

अजमेर ब्लैकमेल कांड की पॉक्सो कोर्ट संख्या-2 में सुनवाई चल रही थी। इस केस के आरोपी नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी और सैयद जमीर हुसैन का ट्रायल पूरा हो गया था। पॉक्सो कोर्ट-2 के न्यायाधीश रंजन सिंह ने इन आरोपियों को दोषी मानते हुए अपना फैसला सुनाया। इस मामले में पूर्व में नौ आरोपियों को सजा सुनाई जा चुकी है। एक ने सुसाइड कर लिया था। मामले में आरोपी ईशरत अली, अनवर चिश्ती, मोइजुल्हा उर्फ पूतन इलाहाबाद, शमसू उर्फ मरदाना को 10 साल की भुगती सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में छोड़ दिया था। वहीं, साल 2001 में हाईकोर्ट ने चार आरोपी महेश लुधानी, परवेज, हरीश, कैलाश सोनी को बरी कर दिया था। इन चारों को साल 1998 में सेशन कोर्ट ने उम्रकैद सुनाई थी, केस में कुल 18 आरोपी थे।

सहायक निदेशक अभियोजन वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि मामले में 18 आरोपी थे, जिनमें हरीश दोलानी (लैब मैनेजर), फारुख चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस अध्यक्ष), नफीस चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस उपाध्यक्ष), अनवर चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस जॉइंट सेक्रेट्री), पुरुषोत्तम उर्फ बबली (लैब डेवलपर), इकबाल भाटी, कैलाश सोनी, सलीम चिश्ती, सोहैल गनी, जमीर हुसैन, अलमास महाराज, इशरत अली, मोइजुल्लाह उर्फ पूतन इलाहाबादी, परवेज अंसारी, नसीम उर्फ टारजन, महेश लोदानी (कलर लैब का मालिक), शम्सू उर्फ माराडोना (ड्राइवर), जऊर चिश्ती (लोकल पॉलिटिशियन) के नाम शामिल थे। पहली चार्जशीट आठ आरोपियों के खिलाफ और इसके बाद चार अलग-अलग चार्जशीट चार आरोपियों के खिलाफ थी। इसके बाद भी पुलिस ने छह अन्य आरोपियों के खिलाफ चार और चार्जशीट पेश की, जिस वजह से 32 साल बाद केस में पीड़िताओं का न्याय मिला।

इस केस का एक आरोपी अलमाश महाराज अभी भी फरार है। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो रखा है। वहीं, एक आरोपी ने आत्महत्या कर ली थी। शेष छह आरोपी की 2002 के बाद गिरफ्तारी हुई थी। उनकी कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और आज उन्हें सजा सुनाई गई। सहायक निदेशक अभियोजन वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से सुनवाई के दौरान 104 गवाह और 245 दस्तावेज पेश किए गए थे। कोर्ट के फैसले पर आज सभी की नजरें टिकी हुई थी। क्योंकि इस मामले में कई लड़कियों ने ब्लैकमेल और बदनामी के डर से आत्महत्या कर ली थी तो कई लड़कियों की शादी तक नहीं हुई थी।

इस ब्लैकमेल कांड की शुरुआत 1992 में हुई थी। अजमेर में लोग उस समय सन्न रह गए थे, जब यहां की प्रतिष्ठित स्कूल कॉलेज की लड़कियों के अश्लील फोटो सबके सामने आए। इन फोटो के जरिए खादिम समुदाय और तत्कालीन यूथ कांग्रेस अध्यक्ष सहित दरगाह के खादिमों के युवकों ने मासूम लड़कियों को ब्लैकमेल कर एक के बाद 100 से अधिक लड़कियों को अपना शिकार बनाया। घटना के बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन सरकार ने इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।