जब शेख हसीना पर अमेरिका ने बनाया था दबाव, भारत ने दी थी चेतावनी, रिपोर्ट में खुलासा
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बांग्लादेश में तख्तापलट हो चुका है। देश में जारी भारी हिंसा के बीच शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा और भारत में शरण लेनी पड़ी है।बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाला ही में देश के इस हालात के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा है कि सेंट मार्टिन द्वीप न देने के कारण उन्हें सत्ता से हटाने की योजना बनाई गई थी। इसके पहले वो अमेरिका पर इशारों में आरोप लगाती थीं, जैसे मई 2024 में हसीना ने दावा किया था कि बांग्लादेश को तोड़कर एक ईसाई मुल्क बनाने की साज़िश चल रही है। एक गोरी चमड़ी वाले विदेशी ने उन्हें आसानी से चुनाव जीतने का ऑफर दिया था, बदले में वो बांग्लादेश में मिलिटरी बेस बनाना चाहता था। इस बीच एक चौंकाने वाले खुलासा हुआ है।
वॉशिंगटन पोस्ट में बांग्लादेश की राजनीति को लेकर बड़ा दावा किया गया है। रिपोर्ट में भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा कि शेख हसीना के बांग्लादेश से भागने के एक साल पहले भारतीय अधिकारियों ने अपने अमेरिकी समकक्षों से बांग्लादेश की पूर्व पीएम पर दबाव डालना बंद करने को कहा था।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडन सरकार ने हसीना के कार्यकाल में एक बांग्लादेशी पुलिस यूनिट को बैन कर दिया था जिस पर अपहरण और हत्या करने का आरोप था। साथ ही लोकतंत्र को कमजोर करने वाले और मानवाधिकारों का हनन करने वाले बांग्लादेशियों पर वीज़ा प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दी थी।
रिपोर्ट में कहा गया है भारतीय अधिकारी अमेरिका के अधिकारियों से लगातार संपर्क में भी रहे। कई बैठकों में, भारतीय अधिकारियों ने अनुरोध किया कि संयुक्त राज्य अमेरिका अपने लोकतंत्र समर्थक बयानबाजी को कम करें।इसके लिए भारतीय अधिकारियों ने तर्क दिया कि अगर विपक्ष को चुनाव में सत्ता हासिल करने की अनुमति दी गई, तो बांग्लादेश इस्लामी गुटों के लिए पनाहगाह बन जाएगा, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक एक भारतीय अधिकारी ने कहा, 'आप इसे लोकतंत्र के स्तर पर देखते हैं, लेकिन हमारे लिए यह मुद्दे बहुत गंभीर और अस्तित्व से जुड़े हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'अमेरिकियों के साथ बहुत सी बातचीत हुई, जिसमें हमने कहा कि यह हमारे लिए एक मुख्य चिंता का विषय है और आप हमें रणनीतिक साझेदार के रूप में नहीं मान सकते जत कि हमारे पास किसी तरह की रणनीतिक सहमति न हो।'
रिपोर्ट की माने तो इसके बाद बाइडन प्रशासन ने आलोचना को कम कर दिया और हसीना के शासन के खिलाफ आगे के प्रतिबंधों की धमकियों को टाल दिया, जिससे कई बांग्लादेशी निराश हो गए।
Aug 17 2024, 09:58