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दांगी सांस्कृतिक विकास संघ रांची की महिलाओं ने सावन महोत्सव में मचाया धूम


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : सावन के पावन महीना में दांगी सांस्कृतिक विकास संघ की महिलाओ ने रांची के निजी होटल में सावन मिलन समारोह आयोजित किया गया। इस पावन महीने में भगवान शिव की भक्ति हो या सावन महोत्सव, महिलाओं में उमंग देखने को मिलता है। सावन में महिलाएं न केवल भगवान शिव की पूजा करती है, बल्कि इस दौरान सावन महोत्सव का आयोजन भी होता है।

दांगी सांस्कृतिक विकास संघ के इस कार्यक्रम की शुरूआत महामंत्री डाॅ धनंजय कुमार सिंह के द्वारा दीप जलाकर किया गया। कार्यक्रम को आगे बढ़ते हुए बच्चों के लिए रंगारंग कार्यक्रम और प्रतियोगिता रखा गया। उसके बाद महिलाओं महिलाओं ने रैम्प वॉक कर अपना जलवा बिखरा। सोलो और ग्रुप डांस शानदार रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। वही कार्यक्रम में आए महिलाओं के साथ-साथ कपल्स के लिए भी प्रतियोगिता रखी गई। विभिन्न प्रकार के गेम से सावन इस माहौल को साकार किया गया। 

इस सावन महोत्सव में प्रतिभागियों के विजय की बात करें तो सावन queen का खिताब की प्रथम विजेता अर्चना मीनू द्वितीय राखी कुमारी, और तीसरा स्थान कंचना को दिया गया। इस कार्यक्रम में लगभग 100 लोगों ने हिस्सा लिया । 

यह कार्यक्रम अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार, महामंत्री डाॅ धनंजय कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष पवन कुमार, सहायक महामंत्री नरेंद्र कुमार, संतोष कुमार, उपाध्यक्ष संजय कुमार, महिला मोर्चा अध्यक्ष मीनू, नीता, मनीषा, संगीता, राखी, कंचन, आभा सुधांशु, अर्चना मीनू आदि के प्रयास से सम्पादित हो सका।

बीजेपी मंडल अध्यक्षों की बैठक, चुनाव की तैयारी में जुटी, हिमंता बिस्वा सरमा हुए शामिल


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी की 16 अगस्त को रांची में सभी मंडल अध्यक्षों की बैठक की। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए असम के मुख्यमंत्री और झारखंड बीजेपी सह चुनाव प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा रांची पहुंचें। इस बैठक में चुनाव की तैयारियों को लेकर मंथन किया गया। हिमंता बिस्वा सरमा मंडल अध्यक्षों को संबोधित करते हुए जमीनी तैयारियों को पुख्ता करने को कहा साथ ही चुनाव जीतने का मंत्र भी दिया।

विधानसभा चुनाव में चुनाव जीतने के लिए सबसे अहम हो जाता है भूत स्टार की तैयारी इसलिए प्रदेश और जिलों के पदाधिकारियों के साथ साथ राज्य के सभी मंडल अध्यक्षयो की यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है। इस बैठक में मंडल अध्यक्षों से जमीनी हकीकत भी पार्टी के दिग्गजो ने जाना।

आज है पुत्रदा एकादशी, इस कथा के बिना अधूरा है पुत्रदा एकादशी व्रत, संतान की होगी प्राप्ति


नयी दिल्ली : हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। सावन माह की पुत्रदा एकादशी का व्रत आज 16 अगस्त 2024 को किया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से संतान प्राप्ति और बच्चे की तरक्की से जुड़ी सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत बिना अधूरा कथा पाठ करने से अधूरा माना जाता है ।

एकादशी तिथि को शुभ माना जाता है।

इस दिन श्रीहरि की पूजा होती है।

सावन में पुत्रदा एकादशी व्रत किया जाता है। एकादशी तिथि पर विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मत है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही यश कीर्ति सुख और समृद्धि में भी वृद्धि होती है। अगर आप भी संतान की प्राप्ति चाहते हैं, तो सावन की पुत्रदा एकादशी का व्रत करें और पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करें। इससे साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होगा। आइए पढ़ते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत कथा।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन कथा के अनुसार, द्वापर युग के शुरुआत में एक नगरी थी, जिसका नाम महिरूपति था। इस नगरी में महीजित नाम का राजा राज्य करता था। लेकिन उसको पुत्र न होने की वजह से राजा को राज्य सुखदायक नहीं लगता था।

पुत्रदा एकादशी पर राशि अनुसार करें इन चीजों का दान, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य

पुत्र की प्राप्ति के लिए राजा ने कई तरह के उपाय किए। लेकिन पुत्र सुख प्राप्त नहीं हुआ। एक बार राजा ने सभी ऋषि-मुनियों, सन्यासियों और विद्वानों को बुलाया और उनसे पुत्र प्राप्ति के उपाय पूछे। सभी ने राजा की समस्या को सुनकर कहा कि हे राजन तुमने पूर्व जन्म में सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन तालाब से एक गाय को जल नहीं पीने दिया था, जिसकी वजह से गाय ने तुम्हे संतान न होने का श्राप दिया था। इसकी वजह से तुम पुत्र की प्राप्ति से वंचित हो।

इसके पश्चात ऋषि-मुनियों ने कहा कि अगर तुम सावन की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करोगे, तो इस श्राप से मुक्ति पा सकते हो। जिसके बाद तुम्हें संतान की प्राप्ति हो सकती है। इसके बाद राजा न सच्चे मन से सावन की एकादशी का व्रत किया। 

इस व्रत के पुण्य से राजा की पत्नी गर्भवती हुई और पुत्र को जन्म दिया। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।

भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि,आइए जानते है उनसे जुड़ी कुछ खास बाते

भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के उन महान नेताओं में से एक थे जिनका योगदान न केवल राजनीति में, बल्कि देश की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा में भी महत्वपूर्ण रहा है। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। अटल जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर से पूरी की और आगे की पढ़ाई कानपुर के डीएवी कॉलेज से की, जहाँ से उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।

2. राजनीतिक करियर की शुरुआत:

वाजपेयी जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जन संघ से की, जिसे आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी के रूप में पुनर्गठित किया गया। 1957 में वे पहली बार बलरामपुर, उत्तर प्रदेश से सांसद चुने गए। इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री का पद भी शामिल है।

3. प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल:

अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। पहली बार 1996 में, दूसरी बार 1998 में और तीसरी बार 1999 में। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए, जिसने भारत को विश्व स्तर पर एक मजबूत परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

4. भारत रत्न सम्मान:

अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें भारतीय राजनीति और समाज में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया।

5. कवि और लेखक:

अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रख्यात कवि और लेखक भी थे। उनकी कविताओं में देशभक्ति, समाज सुधार और मानवीय संवेदनाओं की झलक मिलती है। "मेरी इक्यावन कविताएँ" उनकी प्रमुख काव्य संग्रह में से एक है।

6. विनम्रता और सर्वसम्मति की राजनीति:

वाजपेयी जी की राजनीति की सबसे बड़ी खासियत उनकी विनम्रता और सभी दलों के साथ मिलकर काम करने की क्षमता थी। उनकी नेतृत्व क्षमता और सर्वसम्मति बनाने की कला ने उन्हें सभी दलों में सम्मान दिलाया।

7. स्वास्थ्य और निधन:

अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य उनके जीवन के अंतिम वर्षों में धीरे-धीरे बिगड़ता गया। 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।

अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि के अवसर पर, हमें उनके महान विचारों और उनकी सेवाओं को याद करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी मातृभूमि की सेवा में हमेशा समर्पित रहें।

आज का इतिहास:1990 में आज ही के दिन ही चीन ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था,जाने 16 अगस्त से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाक्रम

नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 16 अगस्त का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं।

16 अगस्त का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 2012 में आज ही के दिन विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को इक्वाडोर ने राजनीतिक शरण दी थी।

2010 में 16 अगस्त को ही नई दिल्ली में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एआर रहमान के रचे थीम गीत जियो उठो बढ़ो जीतो को स्वीकृति दी गई थी।

2018 में आज ही के दिन भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु हुई थी।

2008 में आज ही के दिन कांगो में तैनात 125 भारतीय पुलिस अधिकारियों को संयुक्त राष्ट्र शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

2006 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र परिषद ने हैती में अपने अभियान को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया था।

2004 में 16 अगस्त को ही ओलंपिक नौकायन में ऑस्ट्रेलियाई और अमेरिकी टीम ने वर्ल्ड रिकाॅर्ड बनाया था।

2000 में आज ही के दिन वेरेंटर्स सागर में रूस की परमाणु पनडुब्बी दुर्घटनाग्रस्त हुई थी।

1990 में 16 अगस्त के दिन ही चीन ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था।

1960 में आज ही के दिन साइप्रस को ब्रिटेन से छुटकारा मिला था और वहां इस दिन को फ्रीडम के रूप में मनाया जाता है।

1943 में 16 अगस्त को ही बुल्गारिया के जार बोरिस तृतीय अडोल्फ़ हिटलर से मिले थे।

1924 में आज ही के दिन नीदरलैंड-तुर्की के बीच शांति समझौते पर साइन हुए थे।

1918 में आज ही के दिन दूसरी लोकसभा के सदस्य टी. गणपति का जन्म हुआ था।

1787 में 16 अगस्त के दिन ही तुर्की ने रूस के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी।

1777 में आज ही के दिन ही अमेरिका ने ब्रिटेन को बेन्निनगटोन के युद्ध में हराया था।

आइए जानते है कैसे करे राइस वाटर का इस्तेमाल की चेहरे की चमक हमेशा बनी रहें

राइस वाटर, या चावल का पानी, चेहरे की चमक को बनाए रखने के लिए एक प्राचीन और प्राकृतिक उपाय है। इसमें मौजूद विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट्स आपकी त्वचा को स्वस्थ और निखारने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें राइस वाटर का इस्तेमाल:

1. राइस वाटर कैसे बनाएं:

चावल धोएं: आधा कप चावल लें और इसे पानी में अच्छे से धो लें ताकि धूल और गंदगी निकल जाए।

भिगोना: धोए गए चावल को 2-3 कप पानी में 30 मिनट के लिए भिगो दें।

पानी छानें: भीगे हुए चावल से पानी को छान लें। यही पानी राइस वाटर के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

2. राइस वाटर का उपयोग कैसे

 करें:

फेस वॉश: आप राइस वाटर को फेस वॉश की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे चेहरा धोने पर त्वचा को नमी और पोषण मिलेगा।

टोनर: राइस वाटर को टोनर के रूप में उपयोग करें। इसे एक स्प्रे बॉटल में भर लें और चेहरे पर हल्के हाथों से स्प्रे करें। कुछ मिनट के बाद चेहरे को साफ पानी से धो लें।

फेस मास्क: राइस वाटर को बेसन, मुल्तानी मिट्टी, या ऐलोवेरा जेल में मिलाकर फेस मास्क बना सकते हैं। इसे 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगाएं और फिर ठंडे पानी से धो लें।

हफ्ते में दो बार: इस प्रक्रिया को हफ्ते में 2-3 बार दोहराएं। इससे त्वचा में निखार आएगा और त्वचा स्वस्थ दिखेगी।

3. राइस वाटर के फायदे:

त्वचा को नमी: राइस वाटर त्वचा को गहराई से मॉइस्चराइज करता है, जिससे आपकी त्वचा मुलायम और चमकदार बनती है।

एंटी-एजिंग: इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा की उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने में मदद करते हैं।

पिगमेंटेशन कम करता है: नियमित इस्तेमाल से त्वचा का रंग साफ होता है और काले धब्बे कम होते हैं।

4. सावधानियाँ:

अगर आपको किसी प्रकार की एलर्जी या संवेदनशीलता है, तो पहले पैच टेस्ट जरूर करें।

हमेशा ताजा राइस वाटर का ही इस्तेमाल करें, इसे लंबे समय तक न रखें।

राइस वाटर का नियमित उपयोग आपकी त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाए रख सकता है। 

यह एक प्राकृतिक और सस्ता उपाय है जो आसानी से घर पर तैयार किया जा सकता है।

झारखंड के नाराज परीक्षार्थी आज मुख्यमंत्री का करेंगे पुतला दहन, कल आवास घेराव की तैयारी


डेस्क: झारखंड सीजीएल की तैयारी करने वाले परीक्षार्थियों का धर्य अब जवाब दे चुका है. अब वे आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं. शुक्रवार को सभी जिलों में छात्रों का संगठन मुख्यमंत्री का पुतला दहन करेंगे. वहीं, शनिवार को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे. दरअसल छात्र लंबे समय से सीजीएल परीक्षा की तिथि निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि हाल ही में कर्मचारी चयन आयोग ने 21 और 22 सितंबर को परीक्षा की तिथि निर्धारित कर दी है, लेकिन परीक्षा उसी तारीख में होगी या नहीं यह स्पष्ट नहीं है.

छात्रों का इसके पीछे का तर्क ये है कि उस डेट में पहले से ही उत्पाद सिपाही, झारखंड फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर समेत कई परीक्षाओं की तिथि निर्धारित है. ऐसे में आयोग कैसे उस परीक्षा को आयोजित कर पाएगा. वहीं, कई लोगों का कहना है कि सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले कई अभ्यर्थी उत्पाद सिपाही, जेपीएससी समेत कई परीक्षाओं के लिए आवेदन किया है. ऐसे में वह छात्र कैसे परीक्षा में बैठ पाएगा.

उल्लेखनीय है कि झारखंड सीजीएल की परीक्षा 28 जनवरी और 4 फरवरी 2024 को ही निर्धारित की गयी थी. परीक्षा संपन्न तो हो गयी लेकिन पेपर लीक हो जाने के कारण उस परीक्षा को रद्द करना पड़ा. इसके बाद छात्र संगठनों ने जेएसएससी कार्यालय के सामने जमकर बवाल काटा था. आक्रोशित छात्रों ने आयोग के कार्यालय का शीशा तोड़ा डाला था. तो वहीं उस वक्त के तत्कालीन अध्यक्ष नीरज सिन्हा की गाड़ी पर तोड़फोड़ की गयी थी. इस मामले में 4000 छात्रों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. जबकि 15 छात्रों को नामजद आरोपी बनाया गया था. बता दें कि यह साल 2015 की वैकेंसी है. लेकिन हर बार परीक्षा की तारीख आगे बढ़ने से अब तक एग्जाम नहीं हो पाया है. इस वजह से छात्र आक्रोशित हैं.

पीवीयूएन लिमिटेड, पतरातू में 78वां स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया, टाउनशिप और प्लांट में फायर वाटर पंप हाउस का उद्घाटन हुआ

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : पीवीयूएन लिमिटेड, पतरातू में 78वां स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पीवीयूएनएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर.के. सिंह ने इस समारोह की अध्यक्षता की और पीवीयूएनएल टाउनशिप ग्राउंड में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान के साथ हुई, जिसने देशभक्ति की भावना को प्रबल किया।

समारोह में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) द्वारा परेड का निरीक्षण किया गया। अपने संबोधन में, आर.के. सिंह ने भारत की स्वतंत्रता की नींव रखने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता और साहस को नमन किया। उन्होंने पीवीयूएनएल की महत्वपूर्ण उपलब्धियों और विकास की दिशा में किए गए कार्यों पर भी प्रकाश डाला, विशेष रूप से बनारदीह कोयला खनन परियोजना द्वारा हासिल किए गई उपलब्धियों का भी उल्लेख किया।

इस कार्यक्रम में बाल भवन और स्वर्णरेखा महिला समिति के बच्चों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने उत्सव में एक जीवंतता भर दी।

समारोह का समापन मेधा प्रतियोगिता, सीईओ मेरिटोरियस अवार्ड समारोह के साथ हुआ, जिसमें आर.के. सिंह, महाप्रबंधक और विभाग प्रमुखों के साथ स्वर्णरेखा महिला समिति के सदस्यों ने कर्मचारियों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रमाण पत्र और पुरस्कार प्रदान किए और सीआईएसएफ कर्मियों को प्रशंसा पत्र भेंट किए। इसके अलावा, सरकारी स्कूलों के उन छात्रों को उत्कर्ष छात्रवृत्ति भी प्रदान की गई जिन्होंने कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं में सर्वोच्च अंक प्राप्त किए। सामाजिक विकास कार्य अंतर्गत टारगेट विलेजेस के डिफरेंटली एबल व्यक्तियों को बैटरी ट्राइसाइकिल वितरण कर उनके हौसलों को पंख दिए। 

समारोह के अंतर्गत, सीईओ पीवीयूएनएल ने टाउनशिप के सी2 ब्लॉक और टाउनशिप और प्लांट में फायर वाटर पंप हाउस का उद्घाटन किया।

15 अगस्त को ही क्यों मिली आजादी जानें इससे जुड़े रोचक सवालों के जवाब


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : आज पुरा देश अपना 78वां स्वतंत्रता मना रहा है। भारत को आधिकारिक रूप से 15 अगस्त 1947 के दिन आजादी मिली थी। जिसके बाद से ही हर साल प्रत्येक देशवासी के लिए गौरव का दिन है। हालांकि, सवाल ये है कि आखिर भारत की आजादी के लिए यही दिन क्यों चुना गया था और क्यों 15 अगस्त को ही हर साल स्वतंत्रता दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी रोचक जानकारी।

सबसे बड़ा सवाल है कि 15 अगस्त को ही आजादी का दिन क्यों चुना गया

ब्रिटेन के तात्कालिक प्रधानमंत्री एटली ने फरवरी 1947 में ऐलान किया कि 30 जून 1948 तक ब्रिटेन भारत को आजाद कर देगा। इसके लिए आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन भारत की आजादी और बंटवारे के प्लान में तेजी दिखाई। माउंटबेटन के सुझावों पर ब्रिटेन की संसद ने 4 जुलाई, 1947 को इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट पारित किया। इसमें 15 अगस्त 1947 को भारत से ब्रिटिश शासन खत्म करने का प्रावधान था। अब सवाल उठता है कि 15 अगस्त ही क्यों? दरअसल, 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ था और ब्रिटिश आर्मी के सामने जापानी सेना आत्मसमर्पण कर दिया था। उस वक्त ब्रिटेन की सेना में लार्ड माउंटबेटन अलाइड फोर्सेज में कमांडर थे। ऐसे में वह इस दिन को खास मानते थे। जापानी सेना के आत्मसमर्पण का पूरा श्रेय माउण्टबेटन को दिया गया था, ऐसे में माउण्टबेटन 15 अगस्त को अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन मानते थे और इसलिए उन्होंने 15 अगस्त का दिन भारत की आजादी के लिए चुना। 

आजादी के समय महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए थे। 

 आजादी के जश्न में आशीर्वाद लेने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल पत्र भेज कर बुलाया था। उन्होंने पत्र के जवाब में कहा मैं शामिल नहीं हो सकता। दुर्भाग्य से आज हमें जिस तरह आजादी मिली है, उसमें भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष के बीज भी हैं। मेरे लिए आजादी की घोषणा की तुलना में हिंदू-मुस्लिमों के बीच शांति अधिक महत्वपूर्ण है।

भारत के नोटों का ही इस्तेमाल करते थे पाकिस्तानी 

15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के गुलामी के आजाद हुआ तो आजादी के साथ उसे दो हिस्सों में बांट दिया। अब नए मुल्क पाकिस्तान के सामने समस्या थी कि क्या वहां भारत के नोट चलाए जाएं? कुछ पाकिस्तानी नेताओं ने नासिक प्रिंटिंग प्रेस बांटने की मांग की, लेकिन यह प्रैक्टिकली संभव नहीं था। भारत-पाक के नेताओं ने चर्चा की इसके बाद निर्णय लिया गया कि। नोट यहीं नासिक में छपना चाहिए। इसके लिए पाक का एक प्रतिनिधि यहां तैनात होगा, जो प्रोसेस पर नजर रखेगा।समस्या ये थी कि बंटवारे के बाद दूसरे देश का आदमी नोट प्रेस जैसी गोपनीय जगह पर कैसे रह सकता है। इसके लिए बंटवारा कमेटी ने 19 जुलाई 1947 को वित्त विभाग के सामने रिपोर्ट पेश कर अनुमति मांगी तब जाकर उसे यहां रहने की सहमति मिली।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड की बहनों को रक्षा बंधन पर सौगात, मईंया सम्मान योजना की राशि भेजी जाएगी अकाउंट में


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : रक्षा बंधन के पावन दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड की महिलाओं को रक्षा बंधन पर तोहफा देने की तैयारी कर रहे है। झारखंड मुख्यमंत्री मईंया सम्मान योजना की राशि रक्षा बंधन के दिन वितरित करने की तैयारी प्रशासनिक स्तर पर चल रही है। इस योजना के तहत राज्य की महिलाओं को प्रति माह एक हजार रुपये उनके खाते में ट्रांसफर किए जाएंगे।

हालांकि अभी आवेदन जमा करने की प्रक्रिया चल रही है। हेमंत सोरन के अधिकारिक एक्स हैंडल से मिली जानकारी के अनुसार योजना का लाभ लेने के लिए अब तक 30 लाख महिलाओं का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। राज्य सरकार को अनुमान है इस योजना के तहत लाभार्थी महिलाओं की संख्या 48 लाख तक हो सकती है। बता दें कि इस योजना का लाभ उन महिलाओं को दिया जाएगा जो 18 वर्ष से ऊपर हैं और 50 वर्ष के नीचे हैं। बताते चलें कि रक्षाबंधन यानी 19 अगस्त को सीएम सोरेन प्रतीकात्मक तौर पर डीबीटी के माध्यम से 151 महिलाओं के खाते में एक-एक हजार रुपये भेजेंगे। इसके साथ ही झारखंड में मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी। गौरतलब है कि जिन लाभुकों ने बिना किसी गलती/त्रुटी के फॉर्म भरा होगा उनके खाते में एक हजार रुपये आयेंगे।

अब बात करते है मईया सम्मान योजना के आवेदन की तो अब तक 30 लाख आवेदन आ चुके हैं। इस योजना के कारण महिलाओं में हो रहे उत्साह से मुख्यमंत्री हेमंत सारेन काफी खुश नजर आ रहे हैं। आज उन्होंने झंडा उत्तोलन में भी इस बात की जिक्र की। उन्होंने पंचायत से लेकर जिलों, विभागों और मंत्रालय तक के सभी कर्मचारियों को बधाई दी।