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वर्ल्ड एलिफेंट डे : हाथियों से होने वाली क्षति के मुआवजे में की जाए बढ़ोत्तरी, सीएम साय ने केंद्रीय वन मंत्री यादव से की मांग

रायपुर-  केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में विश्व हाथी दिवस पर स्थानीय होटल में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और केन्द्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने आज ही नवा रायपुर स्थित अरण्य भवन में छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रॉनिक ऑक्शन प्रणाली का, वन विभाग द्वारा दो करोड़ रूपए की लागत से निर्मित अत्याधुनिक ऑडिटोरियम ‘दण्डकारण्य‘ का भी शुभारंभ किया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप और सांसद बृजमोहन अग्रवाल, वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव जितेन्द्र कुमार विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित थे।

केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए हाथियों के संरक्षण के लिए भारत की भागीदारी से किए गए प्रयासों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हाथियों के संरक्षण में भारत की अग्रणी भूमिका रही है। केन्द्रीय मंत्री श्री यादव ने हाथियों के संरक्षण एवं मानव कल्याण सुनिश्चित करने के लिए अंतर-क्षेत्रीय जुड़ाव (क्रॉस सेक्टोरल एंगेजमेंट) की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंनेे कहा कि यदि हम हाथियों को बचाएंगे तो वन भी समृद्ध होंगे, क्योंकि हाथियों को ‘पारिस्थितिकी तंत्र के इंजीनियर‘ के रूप में जाना जाता है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने देश में मानव-हाथी द्वंद को कम करने की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यक्रम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, हाथी परियोजना के निदेशक रमेश पाण्डेय तथा छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख वी. श्रीनिवास राव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी सुधीर अग्रवाल, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण, वन्यप्राणी विशेषज्ञ, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, कृषि, विद्युत एवं रेल्वे विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि भारत में जंगली हाथियों की सबसे बड़ी और सुरक्षित संख्या है। हाथियों की पिछली गणना अखिल भारतीय समन्वित हाथी गणना अनुमान 2017 के अनुसार, भारत में 29 हजार 964 हाथी हैं। भारत में हाथी गलियारों से संबंधित 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 14 राज्यों में 33 हाथी रिजर्व (ईआर) और 150 हाथी गलियारे हैं। भारत में हाथियों को विभिन्न खतरों से कानूनी रूप से बचाने के लिए सर्वाेत्तम कानून बनाए गए हैं। हमारे देश में हाथियों के संरक्षण के लिए एक सुदृढ़ संस्थागत ढांचा भी मौजूद है।

देश में हाथियों के संरक्षण के प्रति अनुकूल जनमत है, जिसे मजबूत नेतृत्व का भी समर्थन प्राप्त है। इस प्रकार, यह विश्व हाथियों के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए तथा मानव कल्याण और वन्यजीव संरक्षण के बीच सामंजस्य स्थापित करने की कला और विज्ञान सीखने के लिए भारत की ओर उन्मुख है।

केन्द्रीय मंत्री श्री यादव ने कहा कि हर वर्ष 12 अगस्त विश्व हाथी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव का उद्देश्य हाथियों के कल्याण के लिए विश्व को एक साथ लाना है, जो अपने पूरे क्षेत्र में लुप्तप्राय हैं। एक वैश्विक अग्रणी के रूप में भारत भी ‘विश्व हाथी दिवस‘ मनाता है। इस वर्ष पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और छत्तीसगढ़ सरकार, रायपुर में ‘विश्व हाथी दिवस‘ समारोह की संयुक्त मेजबानी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ जैविक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है और यहां हाथियों की भी अच्छी खासी संख्या है। मानव और हाथियों के बीच के द्वंद को कम करने के नजरिए से छत्तीसगढ़ को उच्च प्राथमिकता दी गई है।

छत्तीसगढ़ में हाथी-मानव द्वंद रोकने चलाया जा रहा है जनजागरूकता अभियान - मुख्यमंत्री श्री साय

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस अवसर पर कहा है कि छत्तीसगढ़ का हाथियों से बहुत पुराना नाता है। हमारे लिए सर्वाेच्च प्राथमिकता हाथी-मानव द्वंद को रोकना है। इसके लिए राज्य सरकार लगातार जागरूकता कार्यक्रम संचालित कर रही है। अनेक नवाचार किए जा रहे हैं। हाथियों के विचरण की जानकारी ग्रामीणों को देने के लिए सरगुजा से हमर हाथी हमर गोठ रेडियो कार्यक्रम का प्रसारण किया जाता है, ग्रामीणों को अपनी ओर हाथियों की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए राज्य सरकार गज यात्रा अभियान चला रही है। ‘गज संकेत एवं सजग’ ऐप के माध्यम से हाथी के विचरण की जानकारी ग्रामीणों को मिल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाथी-मानव द्वंद को रोकने के लिए पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का प्रबंधन किया जा रहा है। हाथियों द्वारा फसल क्षति के लिए किसानों को दिया जा रहा मुआवजें की राशि कम है, इसे बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। हाथी-मानव द्वंद को कम करने के लिए छत्तीसगढ़ को सफलता मिली है।

श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लिए यह गौरव का विषय है कि विश्व हाथी दिवस-2024 के राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम छत्तीसगढ़ में हो रहा है। छत्तीसगढ़ की धरती जैव विविधता से समृद्ध है। जंगली भैंसे, पहाड़ी मैना तथा बाघ और हाथी जैसे वन्य जीव हमारे जंगलों की शान हैं। छत्तीसगढ़ के जंगल हमेशा से हाथियों के प्राकृतिक रहवास रहे हैं। हमारे प्रदेश में हाथियों के ऐतिहासिक साक्ष्य भी मिलते हैं। भागवत पुराण के गजेन्द्र मोक्ष की कथा छत्तीसगढ़ की है। यह सुंदर कथा राजीव लोचन मंदिर में भी अंकित है। यहां पर भगवान राजीव लोचन को कमल का पुष्प चढ़ाते हाथी को अंकित किया गया है। जांजगीर के राजा जाज्वल्य देव ने गज शार्दुंल की उपाधि धारण की थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हाथियों की सुरक्षा को देखते हुए बादल खोल, तमोर पिंगला को एलीफेंट रिजर्व बनाया गया है। अभी हाल ही में हमारी सरकार ने गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला अभ्यारण्य के क्षेत्रों को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने का बड़ा निर्णय लिया है। यह देश का तीसरा सबसे बड़ा तथा छत्तीसगढ़ का चौथा टाइगर रिजर्व होगा। इसके बनने से न केवल बाघों की संख्या बढे़गी अपितु हाथियों को भी सुरक्षित रहवास मिलेगा, इसके बनने से हाथी-मनुष्य द्वंद भी घटेगा। इसके साथ ही लेमरू हाथी रिजर्व क्षेत्र के माध्यम से सरगुजा, कोरबा, रायगढ़ जिलों में हाथियों के संरक्षण पर काम हो रहा है। हमारी छत्तीसगढ़ की संस्कृति में जनजातीय समुदाय हाथियों को बहुत शुभ मानते हैं।

‘विश्व हाथी दिवस‘ कार्यक्रम के माध्यम से वनवासियों, नीति निर्माताओं, नागरिक समाज और वन्यजीव विशेषज्ञों जैसे विविध हितधारकों को उनके विचारों को साझा करने के लिए एक साथ एक मंच पर लाया गया है, जिससे न केवल हाथियों के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि मानव-हाथी संघर्ष के ज्वलंत मुद्दे का भी समाधान होगा। इस दौरान देश भर में एक जन जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया, जिसमें लगभग 5 हजार स्कूलों के लगभग 10 लाख स्कूली बच्चों ने भाग लिया। भारत में हाथियों को राष्ट्रीय धरोहर पशु माना जाता है। हाथी हमारी संस्कृति में गहराई से रचे-बसे हैं। ताजी हवा, ऊर्जा बचाव, अच्छी जीवन शैली के लिए आवश्यक है, जो हमें पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन से मिल सकती है। सूनी धरती में हाथी से लेकर छोटे-छोटे जानवर तक विचरण करते रहते हैं, जो पर्यावरण के संरक्षण के लिए जरूरी है।

केन्द्रीय मंत्री श्री यादव ने कहा कि जंगली हाथियों और वन्यजीवों पर रेलवे परिचालन के कारण पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की हाथी परियोजना द्वारा हाथी-ट्रेन टकराव की आशंका वाले एवं हाथी बहुल क्षेत्र वाले 12 राज्यों में लगभग 2455 किलोमीटर के कुल 110 रेलवे खंडों की सूची तैयार की गई है, जिनमें तात्कालिक उपशमन उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

केन्द्रीय मंत्री श्री यादव और मुख्यमंत्री श्री साय ने हाथी संरक्षण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिए विजेताओं को गज गौरव पुरस्कार प्रदान किये। इस कार्यक्रम के दौरान, प्रतिष्ठित गज गौरव पुरस्कार (1) स्वर्गीय बुबुल गोगोई, (मरणोपरांत) महावत, असम (2) दीनबंधु बर्मन, प्रमुख महावत एवं टीम, पश्चिम बंगाल (3) अनय कुमार सामल, पैरा वन कार्यकर्ता, ओडिशा और (4) संघमित्रा महंत, वन रक्षक, ओडिशा को उनकी अनुकरणीय सेवाओं के लिए प्रदान किए गए है।

प्रदेश के वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि राज्य में हाथी के संवर्धन के लिए यहां के वन अनुकूल है। राज्य में 44 प्रतिशत क्षेत्र वनों से आच्छादित है, जिसमें हाथियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए वातावरण उपयुक्त है। यहां के अनुकूल वातावरण के कारण हाथियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। राज्य में वनों के संवर्धन के लिए एक पेड़ मां के नाम के लिए सक्रियता से जुटे हुए हैं और विभाग द्वारा 3 करोड़ 80 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि महतारी वंदन योजना के तहत लाभान्वित महिलाओं को भी इस अभियान से जोड़ा गया है। प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य के लोगों को वन विभाग के माध्यम से जोड़कर पौधरोपण का कार्य मुस्तैदी से किया जा रहा है।

रक्षा बंधन से पहले मिठाई दुकानों में छापा

रायपुर- छत्तीसगढ़ फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट लगातार छापे मार कार्रवाई कर रही है। रक्षाबंधन से पहले सोमवार को विभाग की संयुक्त टीम ने राजघराना मिष्ठान, नैवेद्य मिष्ठान के प्रोडक्शन यूनिट में छापा मारा है। निरीक्षण के दौरान टीम ने मिलावट की जांच की वही दुकानों से मिठाईयों के सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए भेजे गए है।

विभाग के सहायक आयुक्त नितेश मिश्रा ने बताया कि त्योहार और रक्षाबंधन से पहले का माहौल को ध्यान में रखते हुए लगातार रायपुर के सभी फूड स्टॉल और मिठाई दुकानों की जांच की जा रही है ।इसी कड़ी में सोमवार को राजघराना स्वीट और नैवेद्य के प्रोडक्शन यूनिट से मिठाई के नमूने लिए गए है। सैंपल्स की जांच की जाएगी यह कार्रवाई लगातार अभियान चलाकर रायपुर राजधानी रायपुर में जारी रखी जाएगी।

फूड डिपार्टमेंट ने की अपील

खाद्य सुरक्षा अधिकारी सिद्धार्थ पांडे ने मिठाई दुकान संचालकों से अपील की है कि है कि वे अपने दुकान का लाइसेंस,अनुज्ञप्ति और पंजीयन को चेक करवा ले। अगर उनका लाइसेंस समाप्त हो गया है तो उसे फिर से बनवा ले।अपनी दुकानों में साफ सफाई और सुरक्षा मानकों के नियम को पालन करें।उसके बाद ही मिठाई और खाद्य सामग्री की बेचे। उन्होंने बताया कि बिना लाइसेंस के कार्रवाई करने पर 5 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।

ये चीजें होनी अनिवार्य

छत्तीसगढ़ फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारियो ने बताया कि किसी भी खाद्य सामग्री को बेचने के लिए लाइंसेस का होना अनिवार्य है। इसके साथ ही प्रोडक्शन युनिट में पेस्ट कंट्रोल सर्टिफिकेट,,कर्मचारियों का मेडिकल टेस्ट रिपोर्ट, खाद्य सामाग्री बनाने के उपयोग में लाने वाले वाटर टेस्ट रिपोर्ट का होना आवश्यक है।

रक्षाबंधन से पहले प्रदेश की जा रही छापे मार कार्रवाई

19 अगस्त को रक्षा बंधन का पर्व है । इस समय मिठाई का करोड़ों का कारोबार होता है। इस दौरान नकली मिठाई की भी जमकर बिक्री होती है। इस बात को ध्यान में रखकर खाद्य एवं औषधी प्रशासन की टीम रायपुर समेत प्रदेश के अन्य जिलों में छापा मार कार्रवाई कर रही है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम पहुंचे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, जानिए किस मामले में की पैरवी…

बिलासपुर- पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम आज छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहुंचे। वे अल्ट्राटेक सीमेंट की पैरवी करने हाईकोर्ट आए थे। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवीन्द्र कुमार अग्रवाल की डिविजन बेंच में हुई, हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है।

दरअसल, बलौदाबाजार जिले में स्थित रेलवे साइडिंग के उपयोग को लेकर अल्ट्राटेक और श्री सीमेंट आमने-सामने है। अल्ट्राटेक सीमेंट की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम तो श्री सीमेंट की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और छत्तीसगढ़ के प्रथम महाधिवक्ता रविन्द्र श्रीवास्तव ने पैरवी की। हाईकोर्ट में मामले की आज अंतिम सुनवाई थी। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने की केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा से मुलाकात

रायपुर-   छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने एक दिवसीय दिल्ली प्रवास के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा से मुलाकात की है। श्री जायसवाल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से छत्तीसगढ़ के बजट में स्वीकृत चार मेडिकल कालेजों की स्थापना के लिए 60 फीसदी केंद्रांश का योगदान देने की मांग रखी है। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य अधोसंरचनाओं एवं चिकित्सा सेवा व चिकित्सकीय शिक्षा को सशक्त करने के दृष्टिकोण से दंतेवाड़ा, जांजगीर चांपा, कवर्धा एवं मनेंद्रगढ़ चिकित्सा महाविद्यालयों की स्वीकृति राज्य बजट में की गयी है।

श्याम बिहारी जायसवाल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से रायपुर में रीजनल लेप्रोसी ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरएलटीआरआई) का उन्नयन क्षेत्रीय सिकल सेल उपचार एवं पुनर्वास केंद्र (आरएसटीआरसी) के रूप में करने की मांग की है ताकि राज्य में सिकिल सेल से प्रभावित मरीजों को बेहतर उपचार मिल सके।

श्री जायसवाल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मनेंद्रगढ़ के लिए वर्ष 2015 में 45 करोड़ रूपए की लागत से स्वीकृत टर्शरी केंसर अनुसंधान संस्थान केंद्र की त्वरित स्थापना किए जाने की भी मांग रखी है। इसकी स्थापना से राज्य एवं सीमावर्ती राज्यों के केंसर पीड़ित मरीजों को राहत मिलेगी।

इसके साथ ही श्री जायसवाल ने आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाने के लिए इसे भारत सरकार के उपक्रम एसईसीएल के अस्पतालों में योजना के तहत ईलाज सुविधा प्रदान करने की मांग रखी है। इन मांगों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की बात कही है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई: पटवारी को रिश्वत लेते रंगे हाथों किया गिरफ्तार
रायपुर-  राजधानी के तिल्दा इलाके में काम के एवज में रिश्वत मांगने वाले पटवारी बृजेश मिश्रा को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. प्रार्थी मंगलूराम एवं योगेन्द्र बघेल ने ग्राम नकटी स्थित भूमि की बिकी का सौदा आपस में तय किया था, जमीन की बिक्री के लिये सत्यापित बी-1 एवं खसरे में सुधार के लिये पटवारी बृजेश मिश्रा द्वारा दानो से 30 हजार रूपये रिश्वत के रूप में मांग की थी.

जानकारी के मुताबिक, पटवारी बृजेश मिश्रा द्वारा पैसों की डिमांड के बाद प्रार्थी मंगलूराम एवं योगेन्द्र बघेल ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर ने के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) से शिकायत की थी, जिसके बाद ACB ने शिकायत का सत्यापन किया तो आरोप की पुष्टि हुई. प्रार्थियों ने ACB को बताया कि उन्होंने पटवारी बृजेश मिश्रा को पहले 10 हजार रूपये दिया था और बाकी की राशि 10-10 हजार की किश्तो में देने पर सहमति बनी थी, इसके बाद ACB की टीम ने आरोपी को पकड़ने के लिए जाल बिछाया.

ACB ने ऐसे पकड़ा रंगे हाथ

दोनों प्रार्थी आज आरोपी पटवारी बृजेश मिश्रा को 10 हजार रूपये की दूसरी क़िस्त देने गए हुए थे, इस दौरान जैसे ही पटवारी ने पैसे हाथ में लिए ACB की टीम ने उसे रंगे हाथों धर धबोचा. आरोपी को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ धारा 7 पीसी एक्ट 1988 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जा रही है.

लैब टेक्नीशियन की लापरवाही से गई मासूम की जान: टाइम का अभाव बताकर नहीं की खून की जांच, समय पर इलाज नहीं मिलने से हुई मौत
बिलासपुर- बिलासपुर के बेलगहना क्षेत्र के करही कछार गांव में मलेरिया से पीड़ित एक 9 वर्षीय बच्चे की इलाज के अभाव में मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में लैब टेक्नीशियन ने समय न होने का बहाना बनाकर बच्चे का खून जांचने से इनकार कर दिया, जिससे समय पर इलाज नहीं हो सका और बच्चे की मौत हो गई।


जानकारी के मुताबिक, मृतक बच्चे के माता-पिता कमलेश और दुर्गा बसोर अपने बेटे विकास की तबीयत बिगड़ने पर उसे अस्पताल लेकर गए थे, जहां डॉक्टर ने खून जांच कराने का निर्देश दिया था। लेकिन अस्पताल के टेक्नीशियन ने अभी टाइम नहीं है बोलकर खून जांच करने से मना कर दिया, जिसके बाद बच्चे के परिजन उसे घर वापस ले गए। देर रात बच्चे की हालत और बिगड़ गई, जिससे उसकी मौत हो गई।

इस घटना से आक्रोशित परिजनों ने पूर्व जनपद अध्यक्ष संदीप शुक्ला के साथ मिलकर अस्पताल के बाहर बच्चे के शव के साथ प्रदर्शन किया। परिजनों और शुक्ला ने जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जिसमें तत्काल डॉक्टर की नियुक्ति और लैब टेक्नीशियन पालेश्वर ध्रुव का स्थानांतरण शामिल था। काफी हो-हंगामे के बाद अधिकारियों ने ग्रामीणों की मांगों को मान लिया, जिसके बाद प्रदर्शन समाप्त हुआ। पूर्व जनपद अध्यक्ष संदीप शुक्ला ने अधिकारियों से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
स्कूलों के लिए पाठ्यपुस्तक लेखन उन्मुखीकरण कार्यशाला प्रारंभ, एनसीईआरटी और एससीईआरटी के विशेषज्ञ पाठ्य पुस्तक लेखन का दे रहे प्रशिक्षण

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर छत्तीसगढ़ के स्कूलों में नई शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यपुस्तकों में आवश्यक बदलाव लाने के लिए राज्य स्तरीय पाठ्य पुस्तक लेखन उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में अगले वर्ष से राज्य की कक्षा पहली से तीसरी और छठवीं की पाठ्य पुस्तकें बदलने की योजना है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा स्थानीय न्यू सर्किट हाउस में दो दिवसीय कार्यशाला प्रारंभ हुई।

पुस्तक लेखन उन्मुखीकरण कार्यशाला में स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने कहा कि फाउंडेशनल स्टेज के विद्यार्थियों को उनकी स्थानीय भाषा में पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पाठ्य पुस्तकों में प्रैक्टिकल अप्रोच का समावेश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी के मार्गदर्शन का उपयोग कर इन्हें और बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए। परदेशी ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य वर्तमान में 20 भाषाओं में काम कर रहा है और पाठ्य पुस्तकों को स्थानीयता को ध्यान में रखते हुए रचनात्मक और आकर्षक बनाया जाए।

एनसीईआरटी नई दिल्ली की पाठ्यचर्या के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रंजना अरोरा ने वर्चुअल संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए एनसीईआरटी के साथ मिलकर राज्य के स्कूलों के लिए पाठ्यपुस्तक निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ की है। एनसीईआरटी व एससीईआरटी आपसी समन्वय से बहुत बड़ा और अच्छा कार्य करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम को बनाते समय एससीईआरटी के विशेषज्ञ राज्य के स्थानीय भाषा और विशेषताओं को शामिल करेंगे।

एससीईआरटी के डायरेक्टर राजेंद्र कुमार कटारा ने कहा कि पाठ्य पुस्तकों को इस प्रकार बनाया जाना चाहिए कि वे लंबे समय तक प्रासंगिक रहें। कार्यक्रम को पद्मश्री जागेश्वर यादव सम्बोधित करते हुए कहा कि पाठ्यपुस्तक लेखन में मातृभाषा को विशेष स्थान देना चाहिए, प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होने से बच्चे इसे आसानी से समझ व सीख सकेंगे। प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होने से अपने मातृभाषा से जुड़े रहेंगे। आरआईई अजमेर की प्राध्यापक डॉ. के. वी. श्रीदेवी, एनसीईआरटी नई दिल्ली की भाषा शिक्षा विभाग की प्रोफेसर कीर्ति कपूर एवं डॉ. नीलकंठ कुमार, कला और सौंदर्य विभाग की प्राध्यापक डॉ. शर्बरी बनर्जी ने विभिन्न सत्रों में अपने विचार व्यक्त करते हुए आवश्यक सुझाव दिए। एससीईआरटी के अतिरिक्त संचालक जे.पी. रथ अपने स्वागत उद्बोधन में छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक ऐतिहासिक परिचय देते हुए अपनी बात रखी। कार्यशाला में एनसीईआरटी एवं एससीईआरटी के विषय विशेषज्ञ सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए शिक्षाविद् शामिल थे।

‘‘एक पेड़ मां के नाम’’ अभियान के तहत उद्योग मंत्री ने किया पौधारोपण, आमनागरिकों से एक पेड़ मां के नाम लगाने की अपील

रायपुर-   कोरबा जिले के ग्राम भुलसीडीह में निर्माणाधीन शासकीय मेडिकल कॉलेज परिसर में उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन ने ‘‘एक पेड़ मां के नाम’’ अभियान के तहत फलदार पौधे का रोपण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आव्हान पर एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत सभी नागरिक, ग्रामीण, पेड़ अवश्य लगाएं। पेड़ लगाने के साथ ही उसके पुष्पित व पल्लवित होने तक उसकी देखभाल एवं सिंचाई की व्यवस्था जरूर करें।

उद्योग मंत्री श्री देवांगन ने फलदार पौधा लगाकर एक पेड़ मां के नाम अभियान को सफल बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मां अपने बच्चों को हमेशा प्यार करती है और बच्चों को भी दुनिया में सबसे प्यारी मां ही लगती है। मां के नाम से हम पेड़ लगाएंगे तो स्वभाविक रूप से पेड़ के प्रति हमारा गहरा लगाव रहेगा और हम पेड़ के बढ़ने तक उसकी देखरेख करेंगे। प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय ने भी एक पेड़ मां के नाम लगाकर प्रदेश भर में पेड़ लगाकर अभियान को सफल बनाने का आव्हान किया है।

निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण -

उद्योग मंत्री श्री देवांगन ने 325 करोड़ रूपए की लागत से निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज, कॉन्फ्रेंस हॉल, गर्ल्स हॉस्टल आदि का निरीक्षण किया। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य करने के लिए कहा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज का निर्माण निश्चित समय सीमा में पूर्ण कर लिया जाए।

उद्योग मंत्री ने कहा कि यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि कोरबा जिले में केंद्र एवं राज्य शासन के सहयोग से मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज बन जाने पर जिले के एवं आसपास के क्षेत्रवासियों को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जिसका लाभ आम जनता को मिलेगा। इस अवसर पर श्री प्रफुल्ल तिवारी, वार्ड क्रमांक 16 के पार्षद नरेंद्र देवांगन देवांगन सहित मेडिकल कॉलेज के अधिकारी, छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित थे।

जनसमस्या निवारण पखवाड़ा में प्रदेश भर में मिले 1.12 लाख आवेदन, 45 हजार मौके पर ही निराकृत

रायपुर- प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में विगत 27 जुलाई से 10 अगस्त तक संचालित जनसमस्या निवारण पखवाड़ा का बेहतर प्रतिसाद लोगों को मिला है। पखवाड़ा के दौरान प्रदेश भर में आयोजित शिविरों में कुल एक लाख 12 हजार आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से करीब 45 हजार आवेदनों को मौके पर ही निराकृत किया गया। दूसरे विभागों से संबंधित आवेदनों को संबंधित विभाग को प्रेषित करने के बाद शेष आवेदनों का परीक्षण कर शीघ्र निराकरण की कार्यवाही की जा रही है। उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण साव ने जनसमस्या निवारण पखवाड़ा के दौरान सभी नगर निगमों के आयुक्तों तथा नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों के साथ ही क्षेत्रीय संयुक्त संचालकों को यथासंभव ज्यादा से ज्यादा आवेदनों को मौके पर ही निराकृत करने के निर्देश दिए थे। उन्होंने खुद कई शिविरों का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं देखी थी।

राज्य के सभी 184 नगरीय निकायों में आयोजित जनसमस्या निवारण शिविरों में प्रधानमंत्री आवास योजना से संबंधित 15 हजार 700 आवेदन मिले जिनमें से 1200 का त्वरित निराकरण किया गया। शिविर स्थल पर ही हितग्राहियों को पात्रतानुसार नए आवास की स्वीकृति, आवास आवेदन की त्रुटियों का निराकरण, किस्त का भुगतान तथा अधूरे आवासों को शीघ्र पूर्ण करने के संबंध में कार्यवाही की गई। पेयजल समस्या से जुड़े 4500 आवेदनों में से 700 का शिविर में ही समाधान किया गया। इस दौरान लोगों की मांग एवं शिकायत के अनुसार नए नल कनेक्शन, पाइपलाइन का विस्तार, पाइपलाइन लीकेज की मरम्मत, पेयजल आपूर्ति संबंधी समस्याओं को निराकृत किया गया।

जनसमस्या निवारण पखवाड़ा के दौरान डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण, नाली सफाई, पानी निकासी तथा साफ-सफाई से संबंधित शिकायतों का तत्परता से निराकरण किया गया। नगरीय निकायों की टीम द्वारा कचरा एकत्रीकरण एवं उठाव से संबंधित 1500 आवेदनों में से 700 को शिविर स्थल पर ही निराकृत किया गया। निराश्रितों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन में आ रही समस्याओं का यथाशीघ्र निराकरण कर पेंशन की राशि प्रदान की गई। सामाजिक सुरक्षा पेंशन संबंधी प्राप्त 1950 आवेदनों में से निकाय स्तर के 550 आवेदनों को तत्काल निराकृत किया गया। शेष आवेदनों के परीक्षण की कार्यवाही जारी है।

नगरीय निकायों में आयोजित शिविरों में सड़क व नाली मरम्मत तथा निर्माण कार्य से जुड़े 14 हजार 500 आवेदनों में से 600 आवेदनों को तत्काल स्वीकृत कर सड़क और नाली मरम्मत के कार्य किए गए। शेष मांगों के अनुरूप नई नाली और सड़क निर्माण कार्य की स्वीकृति के लिए पूर्ण प्रस्ताव तैयार कर उचित माध्यम से विभाग को प्रेषित किए जा रहे हैं। नवीन निर्माण कार्यों से संबंधित प्रस्ताव स्थल चयन तथा जांच के उपरांत निकाय के माध्यम से शासन को भेजे जाएंगे। जनसमस्या निवारण पखवाड़ा के दौरान शिविर स्थल पर ही संपत्ति कर के भुगतान की सुविधा मुहैया कराई जा रही थी। नए भवनों के संपत्ति कर एवं संपत्ति निर्धारण संबंधी शिकायतों के निराकरण के साथ ही इनसे संबंधित 600 आवेदनों में से 350 को मौके पर ही निराकृत किया गया।

शिविर स्थल पर ही संपत्ति के नामांतरण, नए भवन निर्माण की स्वीकृति तथा नियमितीकरण संबंधी मांगों का यथासंभव निराकरण किया गया। इनसे जुड़े 700 आवेदनों में से 50 का त्वरित निराकरण किया गया। शेष आवेदन जिला कार्यालय या नगर निवेश से संबंधित होने के कारण इन विभागों के समन्वय से निराकृत किए जाएंगे। वार्डवार आयोजित जनसमस्या निवारण शिविरों में नए राशन कार्ड का वितरण, राशन कार्ड में त्रुटि सुधार एवं पात्रतानुसार बीपीएल/एपीएल राशन कार्ड बनाकर आवेदकों को दिए गए। राशन कार्ड से संबंधित 19 हजार 500 आवेदनों में से दस हजार मौके पर ही निराकृत किए गए। शेष आवेदनों का परीक्षण कर शीघ्र समाधान किया जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से शिविर स्थल पर ही वार्डवासियों के प्राथमिक उपचार और रक्त परीक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। पखवाड़ा के दौरान 9200 लोगों के स्वास्थ्य का परीक्षण कर जरूरी उपचार मुहैया कराया गया। शिविरों में 7500 आयुष्मान कार्ड भी बनाकर वितरित किए गए। भूमि विवाद एवं राजस्व प्रकरणों के 12 हजार 750 आवेदनों में से 3050 आवेदनों का निराकरण भी पखवाड़ा के दौरान किया गया। शिविरों में बिजली, स्ट्रीट लाइट, मवेशी, आवारा कुत्तों, अतिक्रमण, अवैध निर्माण, सड़क बाधा इत्यादि से संबंधित 25 हजार आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से निकाय स्तर की दस हजार आवेदनों का त्वरित समाधान किया गया। शेष आवेदन अन्य विभागों से संबंधित होने के कारण संबंधित विभागों को निराकरण के लिए प्रेषित किए गए हैं।

नवा रायपुर में नवनिर्मित ऑडिटोरियम ‘दण्डकारण्य‘ लोकार्पित, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने किया शुभारंभ

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और केन्द्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने आज यहां नवा रायपुर स्थित अरण्य भवन में छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रॉनिक ऑक्शन प्रणाली का शुभारंभ किया। इस मौके पर वन विभाग द्वारा दो करोड़ रूपए की लागत से तैयार किए गए अत्याधुनिक ऑडिटोरियम ‘दण्डकारण्य‘ का भी शुभांरभ हुआ। कार्यक्रम में वन मंत्री केदार कश्यप, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक गुरु खुशवंत साहेब, विधायक गजेन्द्र यादव और केन्द्रीय वन महानिदेशक एवं भारत सरकार के विशेष सचिव जितेन्द्र कुमार भी शामिल हुए।

ई-ऑक्शन प्रणाली से वन विभाग के विभिन्न काष्ठागारों में काष्ठ के नीलामी में प्रतिस्पर्धा एवं पारदर्शिता आएगी। ई-ऑक्शन की प्रक्रिया में ईओआई के माध्यम से एमएसटीसी के द्वारा ई-ऑक्शन कार्य किया जा सकेगा। काष्ठागार की काष्ठ नीलामी ई-ऑक्शन के माध्यम से कराये जाने से शासन एवं बोलीदाता के लिए भुगतान की प्रक्रिया त्वरित एवं पारदर्शी हो जायेगी। इससे राज्य शासन के राजस्व की वृद्धि होगी।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य में वन विभाग के विभिन्न काष्ठागारों में ईमारती काष्ठ, बल्ली, व्यापारिक बांस, जलाऊ लकड़ी की नीलामी की जाती है। राज्य में 27 विक्रय डिपो संचालित किए जा रहे हैं। अभी अतिरिक्त भुगतान की प्रक्रिया में कागजी कार्यवाही तथा बहुत सारे रिकार्ड रखे जा रहे थे, अब ई-ऑक्शन प्रणाली के शुभारंभ हो जाने से कागजी कार्रवाई से निजात मिलेगी।

दो करोड़ की लागत से तैयार हुआ है ऑडिटोरियम-

वन विभाग द्वारा करीब दो करोड़ रूपए की लागत से नवनिर्मित इस अत्याधुनिक ऑडिटोरियम में आंतरिक साज-सज्जा, लाइट, साउंड सिस्टम, वातानुकूलित, स्टेज, एल.ई.डी स्क्रीन जैसी सुविधाओं के साथ 140 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। वन मुख्यालय में समय-समय पर होने वाले सेमिनार, वर्कशॉप, मैदानी अमले, संयुक्त वन प्रबंधन समिति सदस्यों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए इसकी आवश्यकता थी। इसके शुभारंभ हो जाने से वन विभाग द्वारा अब मुख्यालय स्तर पर आयोजित किए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रम एक ‘स्टेट ऑफ आर्ट सभागार‘ में किए जा सकेंगे। कार्यक्रम में प्रधान वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, मुख्य वन संरक्षक सुधीर कुमार अग्रवाल सहित वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।