*राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर बच्चों को खिलाई गई एलबेंडाजोल की गोली,अग्रवाल पब्लिक इंटर कॉलेज में हुआ मुख्य आयोजन*
सीतापुर। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का शुभारंभ शनिवार को सीतापुर के शहरी क्षेत्र सहित मिश्रिख और ऐलिया विकास खंडों में किया गया। मुख्य आयोजन शहर के अग्रवाल पब्लिक इंटर कॉलेज में हुआ। इस मौके पर राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के नोडल अधिकारी डॉ. राजशेखर ने फीता काटकर अभियान का शुभारंभ किया। इस मौके पर बच्चों को एलबेंडाजोल की गोली खिलाई गई।
डॉ. राजशेखर ने बताया कि इन क्षेत्रों में केवल एक से 19 साल तक के बच्चों व किशोर-किशोरियों को केवल एल्बेंडाजोल दवा ही खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर एक से 5 साल तक के पंजीकृत सभी बच्चों को, 6 से 19 साल तक के स्कूल न जाने वाले व ईट भट्ठे पर काम करने वाले और घुमंतूर जनजातियों के बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ती द्वारा दवा खिलाई जाएगी। छह से 19 साल तक के स्कूल जाने वाले छात्र छात्राओं को, जिनमें सरकारी, प्राइवेट व अर्ध सकारी स्कूलों, मदरसों के शिक्षक बच्चों को एल्बेंडाजोल गोली खिलाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि 10 अगस्त को दवा खाने से छूटे हुए बच्चों को 14 अगस्त को माॅपअप राउंड चला कर दवा खिलाई जाएगी। हर साल अभियान चलाकर दो बार पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाई जाती है। उन्होंने बताया कि इस बार इस अभियान के तहत सीतापुर शहरी, मिश्रिख और ऐलिया ब्लॉक के जिले के 649 सरकारी और निजी विद्यालयों के अलावा 646 आंगनबाड़ी केंद्रों को शामिल किया गया है। इस अभियान के तहत 3,56,161 बच्चों को एल्बेंडाजॉल की गोली खिलाने का लक्ष्य है। अभियान के तहत 487 आशा कार्यकर्ताओं को लगाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि एक से दो वर्ष तक के बच्चों को 200 मिग्रा, यानि आधी गोली व दो से 19 वर्ष तक के बच्चों व किशोरों को 400 मिग्रा, यानि पूरी गोली खिलाई जानी है। छोटे बच्चों को गोली पीसकर दी जानी है जबकि बड़े बच्चों को इसे चबाकर खाना है।
क्यों जरूरी है दवा खिलाना ---
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समंवयक शिवाकांत ने बताया कि पेट में कीड़े होने से बच्चों और किशाेर-किशोरियों में खून की कमी, कुपोषण, भूख न लगना, कमजोरी, स्वास्थ्य खराब होना और समुचित मानसिक विकास का न होना जैसी समस्याएं हो जाती हैं। इन्हीं समस्याओं से बचाने के लिए यह विशेष अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बच्चे अक्सर जमीन में गिरी चीज उठाकर खा लेते हैं। कई बार वह नंगे पैर ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े (कृमि) विकसित हो जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। वह एनीमिया से ग्रसित हो जाता है। एल्बेन्डाजॉल खा लेने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं, जिससे शरीर में आयरन की शोषक क्षमता बढ़ जाती है, जिससे शरीर में एनीमिया अर्थात खून की कमी दूर होती है।
इस मौके पर जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवमं सूचना अधिकारी, के एन मिश्रा, डीईआईसी मैनेजर डॉ. सीमा कसौधन, अर्बन प्रभारी सदर, डॉ शानू वर्मा, आरकेएसके कोऑर्डिनेटर, कुलदीप शुक्ला, रीता दीक्षित, कोर संस्था से सुयोग श्रीवास्तव, एविडेन्स एक्शन से जिला समन्वयक क्षितिज, अग्रवाल पब्लिक इंटर कॉलेज की प्रबंधक मंजू जिंदल, प्रधानाचार्य, मो. जावेद कमर, मेंटर डॉ. आर के वर्मा एवमं कॉले के शिक्षक, शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।
Aug 10 2024, 18:28