सभी पात्र लोग फाइलेरिया से बचाव की दवा जरूर खाएं: सीएमओ
सीके सिंह(रूपम),सीतापुर। जिले में 10 अगस्त से दो सितंबर तक फाइलेरियारोधी दवा का सेवन कराए जाने के लिए सर्वजन दवा (आईडीए) अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान को लेकर गुरुवार को शहर के एक होटल में मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरपाल सिंह ने पत्रकारों से मुखातिब होते हुए कहा कि इस अभियान के तहत आइवरमेक्टिन, डाईइथाईल कार्बामजीन(डीईसी) और एल्बेंडाजोल की गोलिया खिलाई जाएंगी।
फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यत: हाथी पांव के नाम से जाना जाता है। इसके मुख्य लक्षण पैरों व हाथों में सूजन (हाथीपांव), पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोश का सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन है। उन्होंने बताया कि इस बार 42.46 लाख लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का लक्ष्य है। फाइलेरिया रोधी दवा एक साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोड़कर सभी को करनी है। अभियान को सफल बनाने के लिए 3,735 टीमें और 719 पर्यवेक्षकों की तैनाती की गई है। इसके अलावा एसीएमओ, सीएचसी अधीक्षक, स्वयंसेवी संस्था पाथ मॉनिटरिंग और सुपरविजन करेंगी।
डिप्टी सीएमओ एवं आरकेएसके कार्यक्रम के नोडल अफसर डॉ. राजशेखर ने बताया कि आईडीए अभियान सीतापुर शहरी क्षेत्र सहित मिश्रिख और ऐलिया ब्लॉक को छोड़कर पूरे जिले में चलेगा। इन तीनों क्षेत्रों में 10 अगस्त को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन कर एक से 19 साल के 3.56 लाख बच्चों को पेट से कीड़े निकालने की दवा एल्बेन्डाजोल खिलाई जाएगी। जो बच्चे उस दिन दवा नहीं खा पाएंगे, उन्हें 14 अगस्त को यह दवा खिलाई जाएगी।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. दीपेंद्र वर्मा ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद कुछ ,व्यक्तियों में जी मितलाने, चकत्ते पड़ना, चक्कर आना और उल्टी आने की समस्या हो सकती है। इससे घबराने के जरूरत नहीं है। फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद शरीर में फाइलेरिया परजीवियों के खत्म होने के कारण इस तरह के लक्षण होते हैं। जिला मलेरिया अधिकारी जीतेंद्र कुमार ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा का सेवन बहुत जरूरी है, क्योंकि फाइलेरिया का संक्रमण होने के बाद फाइलेरिया के लक्षण 10 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं और तब तक हम जाने अनजाने रोग के प्रसार में सहयोग करते रहते हैं।
फाइलेरियारोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित हैं बस इस बात का ध्यान रखें कि दवा खाली पेट नहीं खानी है। उन्होंने बताया कि इस अभियान में सहयोगी संस्थाए भी सहयोग कर रहीं है जैसे सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से जनपद में प्रचार प्रसार तथा फाइलेरिया पेशेंट प्लेटफार्म के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों व कोटेदार, प्रधान जैसे हितधारकों के साथ मिलकर समुदाय में जन जागरूकता के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रहीं हैं। साथ ही प्रोजेक्ट कंसर्न आॅफ इंडिया (पीसीआई) संस्थाओं द्वारा समुदाय में फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने के लिए सभी हितधाराको को जागरूक किया जा रहा है।
कार्यक्रम में एसीएमओ डॉ. कमलेश चंद्रा ने पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने फाइलेरिया से बचाव की दवा स्वयं खाने और दूसरों को यह दवा खिलाने का संकल्प लिया। इस मौके पर माइक्रोबायलॉजिस्ट डॉ. आरके सिंह, आरकेएसके के जिला समंवयक शिवाकांत, डीएचआईओ केएन मिश्रा, पाथ संस्था के देवेंद्र सिंह, पीसीआई की अंशू मिश्रा, सीफार के देवेंद्र सिंह आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
फाइलेरिया रोगियों ने सुनाई आपबीती
कार्यशाला में फाइलेरिया रोगी नेटवर्क के सदस्य रमाकांत पांडे और ररिता देवी ने सभी से फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करने की अपील करते हुए कहा कि अज्ञानतावश उन लोगों ने फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन नहीं किया जिसके कारण वह इस बीमारी के साथ जी रहे हैं। आप लोग ऐसी गलती न करें। जब घर बैठे फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जा रही है तो इसका सेवन जरूर करें और फाइलेरिया जैसी लाइलाज बीमारी से बचें। फाइलेरिया पूजा देवी ने कहा कि व्यक्ति को पता ही नहीं होता है कि वह फाइलेरिया से पीड़ित है और अनजाने में वह दूसरों को संक्रमित करता है। इसलिए फाइलेरियारोधी दवा का सेवन जरूर करें।
Aug 08 2024, 18:22