अब जंगल में ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों की ओर नहीं जाते पहाड़ी कोरवा राजकुमारी के कदम वनांचल की राजकुमारी ने शुरू की जिंदगी की नई पारी
रायपुर- बात कुछ महीने पहले की ही है। राजकुमारी की जिंदगी किसी राजकुमारी की तरह तो दूर की बात, एक सामान्य इंसान की तरह भी न थी। जंगल में रहना, तेंदू-चार बीनना,बकरी चराना, घर में बाड़ी में काम करना तो कभी खेतों में हल चलाना और सुबह-शाम चूल्हें फूंकना राजकुमारी के जिंदगी की जद्दोजेहद में शामिल थी। शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर पेंड्रीडीह गाँव की पहाड़ी कोरवा महिला राजकुमारी की ख्वाहिश तो थी कि वह पढाई करें और कुछ नौकरी करें। पढ़ाई की उनकी यह ख्वाहिश पूरी तरह से पूरी नहीं हो सकी। लेकिन जितना भी पढ़ी थीं, उन्हें समझ थी कि पढ़ाई ही एक ऐसा माध्यम है जो उन्हें और और उनके समाज को उन्नति की राह पर आगे ले जा सकता है। एक उम्र के साथ ही घर वालो द्वारा रिश्ता तय करने के बाद ससुराल आई राजकुमारी को जब मालूम हुआ कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा जिले के शिक्षित पहाड़ी कोरवाओं को नौकरी दी जा रही है तो उन्होंने देरी नहीं की। अपना आवेदन दिया और पक्के इरादों के साथ जंगल से दूर आकर शहर में नौकरी शुरू की। अब जब नौकरी मिल गई है तो पहाड़ी कोरवा राजकुमारी की दिनचर्या ही बदल गई है। पहले सुबह उठते ही जो कदम उबड़-खाबड़ पगडंडियों से होकर जंगल की ओर जाया करते थे, अब वह जिंदगी की नई पारी और एक नई जिम्मेदारी के साथ स्कूल की ओर आती है।
कोरबा ब्लॉक के सुदूरवर्ती ग्राम पेंड्रीडीह की पहाड़ी कोरवा राजकुमारी ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन अचानक से उन्हें जंगल छोड़कर शहर आना पड़ेगा। उन्हें तो लगता था कि वह जंगल में ही पैदा हुई और अब जिंदगी इन्हीं जंगल में ही बीतेगी। जिले के शिक्षित बेरोजगार पहाड़ी कोरवा जनजाति के युवाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल किए जाने के पश्चात वनांचल की राजकुमारी की किस्मत भी एकाएक बदल गई। अपना आवेदन जमा करने के साथ ही भृत्य पद के लिए चयनित हुई पेंड्रीडीह की राजकुमारी ने जंगल से शहर आकर नौकरी की शुरुआत की। आठवीं पास राजकुमारी ने बताया कि जंगल के आसपास ही उनके पुरखो की जिंदगी कटी है, वह भी काट रही थी। अचानक से शहर आना और यहाँ रहना कुछ अलग सा लगता है,लेकिन यह सब मंजूर है,क्योंकि आज वह जितनी पढ़ाई की उसी के हिसाब से उसे नौकरी मिली है। राजकुमारी का कहना है कि वह यदि जंगल में रहती तो उन्हें और उनके बच्चों को भी उन्हीं माहौल में ढलना पड़ता। उन्होंने बताया कि गाँव में आठवीं तक कि पढ़ाई पूरी करने के बाद शादी हो गई और वह अपने ससुराल में जाकर रहने लगी। उन्होंने अपनी दिनचर्या को बहुत कठिन बताते हुए कहा कि पहाड़ी कोरवा का परिवार ऐसे ही चुनौती और संघर्षमय जीवन व्यतीत करता आया है। उन्हें जब नौकरी मिली तो यह भी एक चुनौती की तरह है। धीरे-धीरे वह स्कूल में काम सीख रही है। यहाँ स्कूल के माहौल को देखकर लगता है कि हम लोग कितना पीछे हैं और जीवन में आगे बढ़ने के लिए शिक्षा का कितना महत्व है। पहाड़ी कोरवा राजकुमारी ने बताया कि आने वाले समय में वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहेगी। उन्हें जो नौकरी मिली है,इससे मिलने वाले वेतन से उसकी आर्थिक समस्या दूर होगी तथा बच्चों का बेहतर ढंग से परवरिश कर पायेगी। पहाड़ी कोरवा राजकुमारी को शहर के एनसीडीसी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में भृत्य के पद पर डीएमएफ से मानदेय के आधार पर जिला प्रशासन द्वारा नौकरी दी गई है।

रायपुर- बात कुछ महीने पहले की ही है। राजकुमारी की जिंदगी किसी राजकुमारी की तरह तो दूर की बात, एक सामान्य इंसान की तरह भी न थी। जंगल में रहना, तेंदू-चार बीनना,बकरी चराना, घर में बाड़ी में काम करना तो कभी खेतों में हल चलाना और सुबह-शाम चूल्हें फूंकना राजकुमारी के जिंदगी की जद्दोजेहद में शामिल थी। शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर पेंड्रीडीह गाँव की पहाड़ी कोरवा महिला राजकुमारी की ख्वाहिश तो थी कि वह पढाई करें और कुछ नौकरी करें। पढ़ाई की उनकी यह ख्वाहिश पूरी तरह से पूरी नहीं हो सकी। लेकिन जितना भी पढ़ी थीं, उन्हें समझ थी कि पढ़ाई ही एक ऐसा माध्यम है जो उन्हें और और उनके समाज को उन्नति की राह पर आगे ले जा सकता है। एक उम्र के साथ ही घर वालो द्वारा रिश्ता तय करने के बाद ससुराल आई राजकुमारी को जब मालूम हुआ कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा जिले के शिक्षित पहाड़ी कोरवाओं को नौकरी दी जा रही है तो उन्होंने देरी नहीं की। अपना आवेदन दिया और पक्के इरादों के साथ जंगल से दूर आकर शहर में नौकरी शुरू की। अब जब नौकरी मिल गई है तो पहाड़ी कोरवा राजकुमारी की दिनचर्या ही बदल गई है। पहले सुबह उठते ही जो कदम उबड़-खाबड़ पगडंडियों से होकर जंगल की ओर जाया करते थे, अब वह जिंदगी की नई पारी और एक नई जिम्मेदारी के साथ स्कूल की ओर आती है।

रायपुर- हरेली तिहार की तैयारियों के लिए सजा मुख्यमंत्री निवास एक छोटे से गांव के रूप में नजर आ रहा है जहां हर तरफ हरेली की धूम है। मुख्यमंत्री निवास एक ग्रामीण मड़ई मेला की तरह सुंदर साजसज्जा में नजर आ रहा है। रहचुली झूला, गेड़ी और सुंदर बैलगाड़ियों से पूरा परिसर हरेली की रौनक से दमक रहा है।


रायपुर- आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओ. पी चौधरी ने आज यहां न्यू सर्किट हाउस सिविल लाइन में नगर तथा ग्राम निवेश विभाग की समीक्षा की, जिसमें राज्य के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकारी उपस्थित हुए।
रायपुर- मुख्यमंत्री श्री साय को आरंग में आयोजित आश्रम छात्रावास लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान नवमी कक्षा के छात्र हर्ष गिलहरे ने अपने हाथों से बनाई स्केच पोर्ट्रेट भेंट की। हर्ष की भेंट पाकर मुख्यमंत्री ने उसे शुभाशिर्वाद दिया और उसे मन लगाकर पढ़ाई करने की समझाईश दी। मुख्यमंत्री ने हर्ष से कहा कि उसके पास केवल एक पेंसिल से किसी की हू-ब-हू तस्वीर बनाने (स्केच) बनाने का अनूठा हुनर है और खूब अभ्यास कर इसको निखारना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रैक्टिस से परफेक्शन आता है, उसकी बारीकियाँ पता चलती है। लगातार प्रैक्टिस करके वो एक अच्छा स्केचमेकर बनकर देश-दुनिया में अपना और अपने प्रदेश का नाम रोशन कर सकता है। हर्ष गिलहरे रायपुर के डीडी नगर स्थित केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 का कक्षा नौंवी का छात्र है।
रायपुर- बालिकाओं की शिक्षा के बगैर महिला सशक्तिकरण की बात अधूरी रहती है। शिक्षा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाती है और उन्हें अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की शक्ति देती है। यह बात रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने शासकीय दुधाधारी बजरंग कन्या महाविद्यालय के दीक्षारंभ समारोह में कही। बृजमोहन अग्रवाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया जिसके बाद सरस्वती वंदना के साथ नव प्रवेशी छात्राओं का स्वागत किया गया।



रायपुर- प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने कबीरधाम जिले के समग्र विकास, किसानों के आर्थिक विकास के लिए नई सिचाई परियोजनाओं, वनांचल सहित सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बैकिंग सुविधाओं के विस्तार, शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत तथा बुनियादी सुविधाओं के विस्तार पर विशेष जोर दिया है।
रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज आरंग में पाँच कन्या छात्रावासों का शुभारंभ किया। पाँचो छात्रावासों के शुरू हो जाने से अनुसूचित जाति की तीन सौ कन्याओं की अपनी पढ़ाई के लिए आवासीय सुविधा मिलेगी। इन छात्रावासों की लागत आठ करोड़ छह लाख रुपये से ज्यादा है। मुख्यमंत्री ने पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास आरंग 100 सीटर लागत 174.67 लाख, प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास मंदिर हसौद, 50 सीटर लागत 174.67 लाख, अनुसूचित जाति कन्या आश्रम आरंग 50 सीटर लागत 162.76 लाख, अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास आश्रम 50 सीटर लागत 162.76 लाख, नवीन प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास आरंग 50 सीटर लागत 152.97 लाख रूपए का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कन्या छात्रावास परिसर में एक पेड़ माँ के नाम अभियान के तहत रामफल के पौधे का रोपण किया।







रायपुर- राज्य शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय द्वारा नगरीय निकायों में कार्यरत स्वच्छता दीदियों और स्वच्छता कमांडोज के मानदेय के लिए 25 करोड़ 86 लाख रुपए जारी किए गए हैं। इस राशि से उन्हें जुलाई, अगस्त और सितम्बर का मानदेय प्रदान किया जाएगा। उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव के अनुमोदन के बाद विभाग ने सभी नगरीय निकायों को राशि जारी कर दी है। मिशन क्लीन सिटी के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न नगरीय निकायों में 9232 स्वच्छता दीदियां और 1937 स्वच्छता कमाण्डोज काम कर रही हैं।
रायपुर- भाजपा प्रदेश पदाधिकारी की बैठक को लेकर प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने कहा, सभी प्रदेश पदाधिकारी, मोर्चा और प्रवक्ताओं के साथ महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें प्रदेश कार्य समिति की बैठक की समीक्षा की गई. 10 जुलाई से आज तक जो कार्यक्रम तय हुए थे उस पर चर्चा की गई.
Aug 03 2024, 21:16
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