क्या आप जानते है दोने और पत्तलों में खाना स्वास्थ के लिए है कितना लाभकारी,यह पर्यावरण से लेकर मनुष्य तक की करती है सुरक्षा
पत्तल और दोना के पत्ते प्रकृति में पर्यावरण के अनुकूल हैं जो साल के पत्तों से बने होते हैं।प्लेट एक गोलाकार आकार में होती है जिसमें छह से आठ पत्तियाँ एक संकीर्ण लकड़ी की छड़ियों से जुड़ी होती हैं।
भारत मुख्य रूप से अपनी समृद्ध संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों के लिए जाना जाता है। पुराने जमाने में दामाद की चपलता की परख पत्तल और कटोरी बनाकर की जाती थी, तभी उसे उसका होने वाला ससुर स्वीकार करता था।
एक बहुत छोटी सी बात है पर हमने उसे विस्मृत कर दिया हमारी भोजन संस्कृति, इस भोजन संस्कृति में बैठकर खाना और उस भोजन को "दोने पत्तल" पर परोसने का बड़ा महत्व था कोई भी मांगलिक कार्य हो उस समय भोजन एक पंक्ति में बैठकर खाया जाता था और वो भोजन पत्तल पर परोसा जाता था जो विभिन्न प्रकार की वनस्पति के पत्तो से निर्मित होती थी।
क्या हमने कभी जानने की कोशिश की कि ये भोजन पत्तल पर परोसकर ही क्यो खाया जाता था? नही क्योकि हम उस महत्व को जानते तो देश मे कभी ये "बुफे"जैसी खड़े रहकर भोजन करने की संस्कृति आ ही नही पाती।
जैसा कि हम जानते है पत्तल अनेक प्रकार के पेड़ो के पत्तों से बनाई जा सकती है इसलिए अलग-अलग पत्तों से बनी पत्तलों में गुण भी अलग-अलग होते हैतो आइए जानते है कि कौन से पत्तों से बनी पत्तल में भोजन करने से क्या फायदा होता है?
एक बार आजमा कर देखें
लकवा से पीड़ित व्यक्ति को अमलतास के पत्तों से बनी पत्तल पर भोजन करना फायदेमंद होता है।
जिन लोगों को जोड़ो के दर्द की समस्या है ,उन्हें करंज के पत्तों से बनी पत्तल पर भोजन करना चाहिए।
जिनकी मानसिक स्थिति सही नहीं होती है ,उन्हें पीपल के पत्तों से बनी पत्तल पर भोजन करना चाहिए।
पलाश के पत्तों से बनी पत्तल में भोजन करने से खून साफ होता है और बवासीर के रोग में भी फायदा मिलता है।
केले के पत्ते पर भोजन करना तो सबसे शुभ माना जाता है , इसमें बहुत से ऐसे तत्व होते है जो हमें अनेक बीमारियों से भी सुरक्षित रखते है।*
पत्तल में भोजन करने से पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता है क्योंकि पत्तल आसानी से नष्ट हो जाते है।
पत्तलों के नष्ट होने के बाद जो खाद बनती है वो खेती के लिए बहुत लाभदायक होती है।
पत्तल प्राकतिक रूप से स्वच्छ होते है इसलिए इस पर भोजन करने से हमारे शरीर को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है|अगर हम पत्तलों का अधिक से अधिक उपयोग करेंगे तो गांव के लोगों को रोजगार भी अधिक मिलेगा क्योंकि पेड़ सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रो में ही पाये जाते है।
अगर पत्तलों की मांग बढ़ेगी तो लोग पेड़ भी ज्यादा लगायेंगे जिससे प्रदूषण कम होगा। डिस्पोजल के कारण जो हमारी मिट्टी, नदियों ,तालाबों में प्रदूषण फैल रहा है ,पत्तल के अधिक उपयोग से वह कम हो जायेगा।
जो मासूम जानवर इन प्लास्टिक को खाने से बीमार हो जाते है या फिर मर जाते है वे भी सुरक्षित हो जायेंगे ,क्योंकि अगर कोई जानवर पत्तलों को खा भी लेता है तो इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा सबसे बड़ी बात पतला डिस्पोजल से बहुत सस्ती भी होती है, ये बदलाव आप और हम ही ला सकते हैं अपनी संस्कृति को अपने से हम छोटे नहीं हो जाएंगे बल्कि हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि हमारी संस्कृति का विश्व में कोई सानी नहीं है।
Jul 28 2024, 12:29