दिल्ली:सावन में हरे कपड़े क्यों पहनने चाहिए आइए जानते है इसके पीछे के धार्मिक कारण
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दिल्ली:- सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की भक्ति और धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहारों के लिए जाना जाता है। इस दौरान श्रद्धालु व्रत रखते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और आशीर्वाद पाने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि सावन में महिलाएं हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां धारण करती हैं? यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है? आइए आज हम इस पहेली को सुलझाएं और जानें कि सावन में हरे रंग का इतना महत्व क्यों है। सावन में हरे कपड़े पहनने की परंपरा के पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारण हैं:
भगवान शिव का संबंध: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। हरा रंग शिव को प्रिय माना जाता है, इसलिए लोग इस महीने में हरे कपड़े पहनकर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
हरा रंग सुहाग का प्रतीक
सावन के महीने में सुहागिनों के पहनावे और श्रृंगार में भी एक खास रंग नजर आता है – हरा। हरा रंग सुहाग का प्रतीक माना जाता है, इसलिए सावन में सुहागिनें हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं। हाथों में रची मेहंदी का रंग भी हरा या गहरा होता है, जो सुहाग की खुशियों और मंगलकामनाओं का प्रतीक है। हरी या चूड़ेदार चूड़ियां कलाईयों को सजाती हैं, जो सुहाग की निशानी होती हैं। सावन के सोमवार व्रत, प्रदोष व्रत और हरियाली तीज जैसे व्रतों का पालन करना भी सुहागिनों के लिए परंपरा का हिस्सा है।सावन की मंदिरों में गूंजती भक्तिमय धुन और चारों ओर फैली हरियाली सिर्फ आंखों को ही सुहाती नहीं लगती, बल्कि महिलाओं के सौंदर्य में भी एक खास रंग भर देती है। हरे रंग की चूड़ियां कलाईयों को सजाती हैं, हरे रंग के वस्त्र तन को सुहाते हैं और हाथों में रची हरी मेहंदी मानो सावन की हरियाली का ही एक अंश है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सावन के श्रृंगार में छिपा एक गहरा अर्थ है? हरा रंग सिर्फ श्रृंगार का एक हिस्सा नहीं, बल्कि सुहाग का प्रतीक, देवी पार्वती के प्रति श्रद्धा और भगवान शिव को प्रसन्न करने का माध्यम भी है।
प्रकृति की हरियाली:
सावन के महीने में प्रकृति अपने सर्वोत्तम रूप में होती है, चारों ओर हरियाली छाई रहती है। हरा रंग इस हरियाली का प्रतीक है और इसे पहनकर लोग प्रकृति के साथ एकरूपता का अनुभव करते हैं।
समृद्धि और शांति:
हरा रंग समृद्धि, शांति और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस रंग को पहनने से मन में शांति और सकारात्मकता बनी रहती है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:
आयुर्वेद में हरे रंग को स्वस्थ्य और ताजगी का प्रतीक माना गया है। इसे पहनने से मन और शरीर में संतुलन बना रहता है।
इस प्रकार, सावन में हरे कपड़े पहनने की परंपरा धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व को दर्शाती है।



Jul 26 2024, 17:27
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