झारखंड में बढ़ती बांग्लादेशी घुसपैठिया क्या सिर्फ चुनावी मुद्दा है या इसे रोकने के लिए जिम्मेबारी तय करने की जरूरत...?
-विनोद आनंद
गृहमंत्री अमित शाह 20 जुलाई 2024 को रांची में झारखंड विधान सभा चुनाव 2024 का शंखनाद किया और अपने कार्यकर्ताओं को जो चुनावी मुद्दा दिया उसमें कई मुद्दों में एक मुद्दा झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठिये का भी है।
अब सवाल उठता है कि देश के गृहमंत्री के लिए क्या बंगला देशी घुसपैठिया का मुद्दा महज़ एक चुनावी मुद्दा है।या गंभीरता के साथ इसे लेकर अपने केंद्रीय एजेंसियों से इसकी जांच कराकर उसपर उचित कारबाई कराने की है यह एक बड़ा सवाल है।
अगर सच पूछा जाए तो इन दिनों
सिर्फ झारखंड ही नही बिहार, बंगाल मणिपुर असम और देश के विभिन्न भागों में बंगला देशी घुसपैठिये आसानी से घुसपैठ कर स्थानीय लोगों से मिलकर आधारकार्ड,वोटरकार्ड राशनकार्ड बनाकर यहां स्थायी रूप से बसते जा रहे हैं। इस पूरे मुहिम में स्थानीय लोग, स्थानीय प्रशासन और सरकार की पूरी व्यवस्था सवालों के घेरे में है।
अब इन घुसपैठियों को रोकने में सरकार कहाँ विफल हो रही है, इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार की कहाँ चूक है,चुकी यह मामला अंतर्राज्यीय है, कहीं सीधे राज्य में बंगाला देशी घुसपैठ कर रहे हैं तो कहीं दूसरे राज्यों को पार कर दूसरे राज्य में आ रहे हैं और इन सभी मामले में इसे रोकने के लिए किसकी क्या जिम्मबरी है ? इस पर पूरे सरकारी तंत्र की समीक्षा करने और राज्य और केंद्र सरकार को आपसी समन्वय से इस गंभीर स्थिति से नियंत्रण के लिए जिम्मबरी तय करने की जरूरत है।
अब अगर हम बात करें झारखंड में बंगला देशी घुसपैठिये की तो झारखंड के बंगाल के कई सीमावर्ती इलाकों में बंगला देशी घुसपैठिये की संख्यां लगातार बढ़ती जा रही है जो चिंता का विषय है। झारखंड के संथाल परगना के कई जिलों में तो इन दिनों अचानक मुस्लिम आवादी में बृद्धि हुई है, जिसके कारण डेमोग्राफी  जनसांख्यिकी) चेंज हुआ है।अब बीजेपी लगातार इसको लेकर झारखंड सरकार पर सवाल खड़े कर रही है।भाजपा हर मंच से बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाते हुए डेमोग्राफी चेंज की बात करती है, लेकिन सवाल यह है कि इसका असली जिम्मेवार कौन है ? राज्य या केंद्र की सरकार! इसपर जिम्मबरी तय करने और इसे रोकने के लिए ईमानदार कोशीश नही हो रही है।
इधर साल 2011 के बाद से देश में जनगणना नहीं हुई है। ऐसे में किसकी संख्या कितनी बढ़ी या कम हुई है और डेमोग्राफी में क्या बदलाव आये है, इसके बारे में सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है। डेमोग्राफी चेंज मुद्दे पर भाजपा संथाल परगना में मुखर है। बीजेपी 2011 की जनगणना के आधार पर यह मुद्दा उठा रही है। इसके अलावा और भी कई आधार हैं। जिसके कारण भाजपा हावी है।आंकड़ों की बात करें तो 2001 की जनगणना में दुमका की जनसंख्या करीब 11 लाख 7 हजार थी। साल 2011 में दुमका की जनसंख्या बढ़कर करीब 14 लाख हो गई। आंकड़े बताते हैं कि संथाल के सभी 6 जिलों में 12 लाख से ज्यादा नई आबादी बढ़ गई है। बीजेपी का मानना है की यह आंकड़े एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करते हैं और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बिना इतनी तेजी से आबादी का बढ़ना नामुमकिन है।
संथाल में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी पाकुड़ में बढ़ी है। पाकुड़ में मुस्लिम आबादी में करीब 40 इसीसी फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, साहिबगंज में मुस्लिम आबादी में 37 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बीजेपी ने इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण बांग्लादेशी घुसपैठ को माना है। संथाल परगना के 6 जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाने में यहां के जमीन दलालों की सबसे बड़ी भूमिका रही है। जमीन दलाल गिफ्ट डीड के जरिए बांग्लादेशियों को बसा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि झारखंड बनने के बाद संथाल परगना में रजिस्ट्री कराने वाली जमीन खरीदने वालों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।
क्या कहता है भारत सरकार के गृह मंत्रालय का दस्ताबेज
13 दिसंबर 2023 को भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक दस्तावेज जारी किया। जिसमें बताया गया कि 120 से अधिक फर्जी वेबसाइट के जरिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं। पत्र के जरिए झारखंड को लेकर खास चेतावनी दी गई। 2 जून 2023 को झारखंड पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने सभी जिलों के एसपी और डीसी को पत्र लिखा। पत्र संख्या 211/23 के जरिए स्पेशल ब्रांच ने लिखा है कि झारखंड राज्य अंतर्गत संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश की सूचना है।
स्पेशल ब्रांच को मिली जानकारी के मुताबिक बांग्लादेशी घुसपैठियों को पहले विभिन्न मदरसों में ठहराया जाता है। उसके बाद उनका सरकारी दस्तावेज तैयार किये जाते हैं और फिर उनका नाम मतदाता सूची में शामिल किया जाता है। मतदाता सूची में शामिल होने के बाद उन्हें साजिश के तहत यहां बसाया जाता है। हाल ही में झारखंड हाई कोर्ट द्वारा भी इस मामले की सुनवाई के दौरान गंभीरता से ली गयी है ।
इस मुद्दा को लेकर झारखंड हाई कोर्ट मे पीआईएल दाखिल
जमशेदपुर के रहने वाले दानियाल दानिश ने झारखंड हाई कोर्ट में PIL फाइल की थी कि संथाल परगना में बड़ी तादाद में घुसपैठिए दाखिल हो गए हैं जिससे वहां की डेमोग्राफी चेंज हो रही है और आदिवासियों की संख्या घट रही है। याचिकाकर्ता दानियाल ने अदालत से कहा कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिए आदिवासी महिलाओंसे शादी करके उनका धर्म परिवर्तन कर रहे हैं, और उनकी ज़मीनों को गिफ्ट डीड के ज़रिए हथिया रहे हैं। उन्होंने कहा कि घुसपैठिए आदिवासी महिलाओं से शादी करके उनके नाम पर रिजर्व पोस्ट को रिमोट से चला रहे हैं।
घुसपैठियों ने यहां बनवाईं मस्जिद और मदरसे
दानियाल ने अपनी याचिका में हाई कोर्ट से यह भी कहा कि झारखंड के बंगाल से लगने वाले जिलों में घुसपैठियों ने बहुत बड़ी तादाद में मस्जिदें और मदरसे कायम कर लिए हैं। झारखंड हाई कोर्ट ने जिस मसले पर सुनवाई की,
उसको लेकर संथाल परगना के लोग काफी दिनों से आवाज उठा रहे हैं। कई सोशल वर्कर, आदिवासियों की कम होती आबादी और बदलती डेमोग्राफी को लेकर चिंता जता चुके हैं। संथाल परगना में घुसना इसलिए आसान है क्योंकि वहां से बांग्लादेश केवल 15 किलोमीटर दूर है। संथाल परगना की सीमा पश्चिम बंगाल से लगती है और वहां से बांग्लादेश बॉर्डर ज्यादा दूर नहीं है।
लेकिन सवाल अभी भी वही है, इस बदलती डेमोग्राफी का जिम्मेवार कौन है..?
इस पर पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक रणधीर सिंह का कहना है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण संथाल की डेमोग्राफी प्रभावित हुई है। झारखंड में उनकी सरकार आने पर इस पर कानून बनाया जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि घुसपैठ रोकना केंद्र का काम है तो उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सीमाएं खुली हैं। फिर उन्होंने इसका दोष पश्चिम बंगाल सरकार पर लगा दिया।
लेकिन अंत में उन्होंने कहा कि वे गृह मंत्री अमित शाह से इस पर रोक लगाने का अनुरोध करेंगे।'घुसपैठ रोकना केंद्र का काम' है इस मामले में झामुमो नेता प्रेमानंद मंडल का कहना है कि सीमा पर घुसपैठ रोकना केंद्र का काम है।आज भाजपा कानून बनाने की बात करती है, लेकिन जब झारखंड में भाजपा की पांच साल तक रघुवर दास की सरकार के अलावा बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा की सरकार थी, तब वे क्या कर रहे थे? यह सब चुनावी हथकंडा है।
वहीं इस इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि डेमोग्राफी में बदलाव आया है, लेकिन यह सब एक दिन में नहीं हुआ, इसके लिए किसी विशेष पार्टी या सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, इसके लिए दोषी केंद्र और राज्य सरकारें दोनों हैं. अगर कोई वास्तव में इसका समाधान चाहता है तो एक सार्थक प्रयास किया जाना चाहिए, जिसमें सभी दलों के बीच आपसी सहमति जरूरी है.
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Jul 25 2024, 16:12