*खेल मैदान: कागज में हो गए पूरे, धरातल पर अधूरे*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। कालीन नगरी में ग्रामीण प्रतिभाओं को निखारने की मुहिम शुरू होने से पहले ही धरातल पर दम तोड़ने लगी है। लाखों की लागत से बनने वाले खेल मैदान कागजों में तो पूरे हो गए, लेकिन हकीकत में अभी या तो शुरू नहीं हुए या आधे-अधूरे ही है, जो खेल मैदान बने हैं। वहां भी खेल सामग्री नहीं होने से वह मार्निंग वॉक, कबड्डी, ऊंची कूद, लंबी कूद तक ही सीमित हो गए हैं। जिससे युवाओं की प्रतिभा निखारने की मुहिम कुंद होती जा रही है। अधिकांश गांव में खेल मैदान नहीं हैं। ऐसे में ग्रामीण परिवेश के खिलाड़ियों की प्रतिभा निखर नहीं पाती है। इसके मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में खेलकूद को प्रोत्साहित करने के लिए गांवों में खेल मैदान विकसित करने की मुहिम शुरू हुई। कोविड महामारी के बाद शुरू हुई पहल पहले तो जमीन के अभाव में दम तोड़ती दिखी, जबकि अब जरूरी उपकरण न होने से भी दिक्कत हो रही है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो 546 ग्राम पंचायतों में 100 गांव में जमीन मिली। 2021 से अब तक 35 खेल मैदान बनकर तैयार हो गए हैं, जबकि 65 बजट के अभाव में अधूरे हैं, लेकिन धरातल पर कुछ अलग ही नजारा है। अमर उजाला टीम ने रविवार को कई खेल मैदानों की पड़ताल की। जिन खेल मैदानों को कागज में पूर्ण दिखाया गया है। वह हकीकत में या तो अधूरे हैं या शुरू ही नहीं हो सके हैं। अभोली के अमिलहरा और संवरपुर जहां खेल मैदान अधूरा है। वहीं अनेगपुर, सुरहन में अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है। ज्ञानपुर ब्लॉक के रायपुर में भी खेल मैदान आधा ही बन सका है। अधिकतम 15 लाख खर्च कर सकती हैं ग्राम पंचायतें ज्ञानपुर। गांव में बनने वाले खेल मैदान पर ग्राम पंचायतें अधिकतम 15 लाख तक खर्च कर सकती हैं। राज्य वित्त एवं मनरेगा से कुछ ही ग्राम पंचायतें 15 लाख तक खर्च की। अधिकतर में सात से 10 लाख रुपये खर्च किया गया, जो खेल मैदान बने हैं। वहां संसाधन की कमी से युवाओं और भावी खिलाड़ियों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। विभाग का दावा है कि 2021 में छह और 2022 में आठ, 2023 में 16 और 2024 में अब तक पांच खेल मैदान बने हैं। राजस्व विभाग एवं ग्राम प्रधानों के कारण 300 से अधिक गांव में खेल मैदान के लिए जमीन नहीं मिल सकी। कुछ ग्राम पंचायतों में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण है, लेकिन उसे खाली नहीं करवाया जा रहा है। जिसके कारण आला अधिकारियों के निर्देशों का पालन भी नहीं हो पा रहा है। ज्ञानपुर, भदोही और औराई से 214 गांव में खेल मैदान होने की रिपोर्ट दी गई, हालांकि इसमें 100 ऐसी ग्राम पंचायत हैं, जहां पांच से छह बीघे जमीन मिल सकी है। 114 गांव में कहीं एक तो कहीं दो बिस्वा जमीन ही मिली है। 35 खेल मैदान तैयार हो चुके हैं जबकि बजट की कमी से 65 मैदान अधूरे हैं।
300 से अधिक गांव में जमीन की उपलब्धता न होने से यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ सका है। जहां-जहां खेल मैदान बन रहे हैंं वहां खेल सामग्री की खरीद के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलने पर उपकरण खरीदे जाएंगे। - दिनेश त्रिपाठी, युवा कल्याण अधिकारी।
Jul 25 2024, 15:06