गोंडा ट्रेन हादसा: जिला प्रशासन और राहत टीमों की तत्परता और संयुक्त प्रयासों से राहत कार्यों को मिली बड़ी सफलता
गोण्डा। जनपद के मोतीगंज- झिलाही स्टेशनों के बीच गुरुवार को हुई ट्रेन दुर्घटना एक गंभीर और दुखद घटना थी, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों त्वरित और सक्रिय प्रतिक्रिया ने इसे एक बड़ी त्रासदी बनने से रोका।
मंडलायुक्त देवीपाटन शशि भूषण लाल सुशील की देखरेख और जिलाधिकारी नेहा शर्मा के नेतृत्व में राहत और बचाव कार्यों की कुशलता ने यह साबित कर दिया कि जब प्रशासनिक अधिकारी तत्पर और समर्पित होते हैं, तो किसी भी आपदा का सामना कुशलतापूर्वक किया जा सकता है। प्रशासन और राहत टीमों की संयुक्त प्रयासों से बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकी और उन्हें समय पर मदद उपलब्ध कराई जा सकी। इस पूरे राहत और बचाव कार्यों को सफल बनाने में ग्रामीणों की भूमिका भी काफी अहम रही।
गोण्डा के मोतीगंज- झिलाही स्टेशनों के बीच पिकौरा गांव में यह हादसा हुआ। गुरुवार दोपहर के करीब 2.40 बजे इसकी सूचना प्राप्त हुई। जिला प्रशासन द्वारा तत्काल एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई। करीब 14 मिनट यानी 2.54 बजे तक एम्बुलेंस मौके पर पहुंच गई थी। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने खुद मौके पर पहुंचकर राहत व बचाव कार्यों की कमान संभाली। उन्होंने घायलों के इलाज और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की व्यवस्था की। डीएम की तत्परता और कुशलता के कारण राहत कार्यों में तेजी आई और पीड़ितों को समय पर सहायता मिल सकी। वहीं, पुलिस अधीक्षक विनीत जयसवाल की मौजूदगी में पुलिस विभाग ने इस राहत व बचाव कार्य को और तेजी दी।
*900 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी लगे*
जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, आपदा राहत विभाग, स्वास्थ्य विभाग, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों ने मिलकर राहत और बचाव कार्यों को आगे बढ़ाया। सिर्फ प्रशासन की ओऱ से 900 से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों को राहत कार्य में लगाया गया। इसके अतिरिक्त एनडीआरएफ के एक और एसडीआरएफ की चार टीमों ने लोगों को सुरक्षित निकालने में अहम भूमिका निभाई। घटनास्थल पर पानी, भोजन और मेडिकल सहायता की व्यवस्था तुरंत की गई।
*बसों और छोटी गाड़ियों से लोगों को निकाला*
घायलों को एम्बुलेंस और अन्य साधनों से अस्पताल पहुंचाया गया। इस दौरान करीब 40 एम्बुलेंस लगाई गई। जिनमें, 175 से ज्यादा लोगों को घटना स्थल से निकाला गया। जबकि अन्य यात्रियों को करीब 22 बसों और 16 छोटे वाहनों से निकटतम रेलवे स्टेशन तक ले जाया गया। यहां तक की डीएम स्कॉर्ट की गाड़ी से भी यात्रियों को निकाला गया।
डीएम ने यह सुनिश्चित किया कि सभी यात्रियों को आवश्यक सहायता प्राप्त हो और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए। यात्रियों को बसों से रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन पर पहुंचाने का काम किया गया।
जिला प्रशासन ने पीड़ितों को तुरंत राहत उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दी और सभी साधनों का उपयोग करते हुए पीड़ितों को मनकापुर और अन्य स्थानों तक सुरक्षित पहुंचाया।
*राहत सामग्री का वितरण*
राहत कार्यों में 1200 लंच पैकेट, ढाई हजार पानी की बोतलें, 1000 पैकेट बिस्किट, ढाई सौ दर्जन केले और 400 चाय के वितरण की व्यवस्था की गई। इसके अलावा, दवाइयों का भी व्यापक स्तर पर वितरण किया गया, ताकि घायलों को तुरंत चिकित्सा सहायता मिल सके।
*स्पेशल ट्रेन में लिया यात्रियों का हाल*
जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने शाम 6.30 बजे तक एक-एक यात्री को घटना स्थल से निकाल कर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। यहां से निकलकर वह सीधे मनकापुर रेलवे स्टेशन पहुंची। सांसद कीर्तिवर्धन सिंह के साथ कमिश्नर शशि भूषण लाल सुशील भी मौजूद थे। सांसद गोंडा/केन्द्रीय राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह को पूरे प्रकरण की जानकारी देने के बाद मंडलायुक्त देवीपाटन मंडल और जिलाधिकारी ने स्पेशल ट्रेन में बैठे यात्रियों से उनका हालचाल लिया। गोरखपुर प्रशासन एवं रेलवे से समन्वय कर रात्रिकालीन भोजन की व्यवस्था भी गोरखपुर में सुनिश्चित की गई। रात करीब 9 बजे स्पेशल ट्रेन को रवाना करने के बाद मंडलायुक्त देवीपाटन मंडल और जिलाधिकारी जिला अस्पताल में पीड़ितों से मिलने पहुंचे।
Jul 19 2024, 19:11