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पेरिस ओलंपिक के लिए भारत की ओर से जाएंगे 117 खिलाड़ी, सूची जारी

#parisolympics2024indianathletes_list

पेरिस ओलंपिक का आगाज 26 जुलाई को हो रहा है। पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाले भारतीय दल की सूची जारी कर दी गई है। पेरिस ओलिंपिक में भारत के 117 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। खेल मंत्रालय ने इसके अलावा सपोर्ट स्टाफ के 140 सदस्यों को भी मंजूरी दी है। जिसमें खेल अधिकारी भी शामिल हैं। लंदन ओलिंपिक के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट पूर्व शूटर गगन नारंग को दल प्रमुख बनाया गया है। 

ओलंपिक के लिए जिन खिलाड़ियों ने क्वालीफाई किया था उनमें से केवल गोला फेंक की एथलीट आभा खटुआ का नाम सूची में नहीं है। विश्व रैंकिंग के जरिए कोटा हासिल करने वाली आभा खटुआ का नाम हटाने को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। कुछ दिन पहले विश्व एथलेटिक्स की ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों की सूची से उनका नाम हटा दिया गया था।

ऐथलेटिक्स और शूटिंग में सर्वाधिक

कुल 117 खिलाड़ियों की लिस्ट में सर्वाधिक 29 (11 महिला और 18 पुरुष) खिलाड़ी ऐथलेटिक्स के हैं। उनके बाद शूटिंग (21) और हॉकी (19) का नंबर आता है। टेबल टेनिस में भारत के आठ जबकि बैडमिंटन में दो बार की ओलिंपिक मेडलिस्ट पीवी सिंधु सहित सात खिलाड़ी भाग लेंगे। रेसिलंग (6), आर्चरी (6) और बॉक्सिंग (6) में छह-छह खिलाड़ी चुनौती पेश करेंगे। इसके बाद गोल्फ (4), टेनिस (3), स्विमिंग (2), सेलिंग (2) का नंबर आता है। घुड़सवारी, जूडो, रोइंग और वेटलिफ्टिंग में एक-एक खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। शूटिंग टीम में 11 महिला और 10 पुरुष खिलाड़ी शामिल हैं। टेबल टेनिस में पुरुष और महिला दोनों वर्ग में चार-चार खिलाड़ी शामिल हैं। 

मीराबाई चानू एकमात्र वेटलिफ्टर

तोक्यो ओलिंपिक की सिल्वर मेडलिस्ट मीराबाई चानू दल में शामिल एकमात्र वेटलिफ्टर हैं। वह महिलाओं के 49 किग्रा वर्ग में चुनौती पेश करेंगी। तोक्यो ओलिंपिक में भारत के 119 खिलाड़ियों ने भाग लिया था जिन्होंने सात मेडल जीते थे।

पीएम मोदी की रूस यात्राः अमेरिका की धमकियों से नहीं डरता भारत

#modi_russia_visit 

प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा को खत्म हुए काफी समय बीत चुका है। हालांकि अब तक मीडिया में पीएम मोदी के रूस दौरे से जुड़ी खबरें जारी है। 8 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी रूस के दौरे पर पहुंचे थे। मॉस्को पहुंचने के बाद जब मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मिले तो, दोनों नेताओं ने एक दूसरे को गले लगाया। इसकी चर्चा पश्चिमी देशों के साथ पूरा दुनिया में हुई। पीएम नरेंद्र मोदी की हालिया विदेश यात्राओं में सबसे ज़्यादा सुर्खियाँ बटोरने वाली यात्रा रही उनकी दो दिवसीय रूस यात्रा। इसने पश्चिमी दुनिया में एक अलग तरह की हलचल पैदा कर दी। नई दिल्ली और मॉस्को के बीच गहरे होते रिश्तों के कारण अमेरिका और यूरोपीय देश बेचैनी महसूस कर रहे हैं। 

अमेरिका ने मोदी की रूस यात्रा को लेकर आपत्ति जताई। मोदी के रूस दौरे का विरोध सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहा। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता का दुनिया के सबसे बड़े खूनी हत्यारे को गले लगाना बेहद दुखद है। इससे यूक्रेन में शांति के प्रयासों को झटका लगा है।

पश्चिम के पास मोदी की यात्रा पर इस तरह की बाते करना का कोई ठोस कारण है नहीं। यह यात्रा तार्किक रूप से उस स्थिति का अनुसरण करती है जो भारत ने रूस के साथ अपने दीर्घकालिक संबंधों को बनाए रखने के लिए अपनाई है, यूक्रेन में रूस के सैन्य हस्तक्षेप के मद्देनजर उन्हें कमजोर करने के लिए पश्चिमी दबावों के बावजूद। अमेरिका और यूरोप ने सीधे तौर पर युद्ध में हिस्सा नहीं लिया लेकिन यूक्रेन को हर तरह की सैन्य और दूसरी तरह की मदद दी। चूंकि रूस के साथ सीधे युद्ध के भयंकर परिणाम हो सकते थे, इसलिए अमेरिका ने आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए। इनमें अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली 'स्विफ्ट' से रूस को बाहर करना, उस देश से सामान खरीदने वाले देशों के साथ प्रतिकूल व्यवहार करना, अमेरिकी फेडरल रिजर्व सिस्टम में मास्को के विदेशी मुद्रा भंडार को जबरन जब्त करना और कई अन्य कदम शामिल थे।

अमेरिका और यूरोपीय प्रतिबंधों के कारण, रूस जिसकी अर्थव्यवस्था काफी हद तक पेट्रोलियम के निर्यात पर निर्भर थी, ने पश्चिमी ब्लॉक के बाहर के देशों को आकर्षित करने के लिए अपने तेल की कीमत में काफी कमी कर दी। ऐसी स्थिति में, भारत ने उस देश से तेल की खरीद काफी हद तक बढ़ा दी। इससे उसे काफी फायदा हुआ। अपनी लगभग 70 प्रतिशत पेट्रोलियम क्रूड जरूरतों के लिए बाकी दुनिया पर निर्भर रहने वाले भारत को लगभग 40 प्रतिशत कम कीमत पर रूसी तेल मिलना शुरू हो गया। इस प्रक्रिया में, उसने अरबों डॉलर बचाए। इसके अलावा, चूंकि रूस स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए तैयार था, इसलिए भारत अपने डॉलर के भंडार को बचा सकता था, क्योंकि तेल का भुगतान रुपये में किया जा रहा था। रुपये में इस समझौते से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिला, जो भारत के लिए एक बड़ी राहत थी।

इन हालातों में साफ कहा जा सकता है कि अब समय बदल चुका है। भारत आर्थिक और सामरिक दोनों ही दृष्टि से मजबूत हुआ है। आज वह रक्षा वस्तुओं के मामले में काफी हद तक आत्मनिर्भर है। वह वैश्विक स्तर पर कई मिसाइल, बंदूकें और राइफलें भी निर्यात करता है। ऐसे में भारत रक्षा उत्पादन में स्थापित खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा कर रहा है। आज वह अमेरिका की धमकियों के बावजूद स्वतंत्र विदेश नीति अपना रहा है, रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है और रुपये में भुगतान कर रहा है। कई और देश भी अब धीरे-धीरे अमेरिकी डॉलर को छोड़ रहे हैं। भुगतान के डिजिटलीकरण के कारण आज भारत को स्विफ्ट से बाहर किए जाने जैसे अमेरिकी प्रतिबंधों का डर नहीं है।

नीट पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, परीक्षा का परिणाम वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश

#neet2024ugexam-paperleak_case

नीट पेपर लीक पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा आदेश दिया। नीट पेपर लीक मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस दौरान एनटीए को निर्देश दिया है कि वह अपनी वेबसाइट पर नीट-यूजी परीक्षा में छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों को प्रकाशित करे और छात्रों की पहचान गुप्त रखी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नतीजे शहर और केंद्र के हिसाब से अलग-अलग घोषित किए जाने चाहिए। साथ ही शनिवार दोपहर 12 बजे तक रिजल्ट जारी किए जाने का भी निर्देश दिया।वहीं सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 परीक्षाओं में पेपर लीक और कदाचार का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय की है।

परीक्षा फिर से कराने पर क्या कहा?

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से कराने के लिए यह ठोस आधार होना चाहिए कि पूरी परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने विवादों में घिरी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2024 से जुड़ी याचिकाओं पर अहम सुनवाई की। पीठ ने परीक्षा रद्द करने, पुन: परीक्षा कराने और पांच मई को हुई परीक्षा में कथित अनियमितताओं की अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं से यह दिखाने के लिए कहा कि प्रश्न पत्र ‘‘व्यवस्थागत’’ तरीके से लीक किया गया और उससे पूरी परीक्षा पर असर पड़ा, इसलिए इसे रद्द करना जरूरी है।सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि अगर आप हमारे सामने यह साबित कर देते हैं कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई तभी दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया जा सकता है। 

अदालत ने कहा कि 131 छात्र दोबारा परीक्षा चाहते है। 254 छात्र दोबारा परीक्षा के खिलाफ है। दोबारा परीक्षा चाहने वाले 131 छात्र ऐसे हैं, जो एक लाख आठ हजार के अंदर नहीं आते और दोबारा परीक्षा का विरोध करने वाले 254 छात्र एक लाख आठ हजार के अंदर आते हैं। अगर 1 लाख 8 हजार लोगों को एडमिशन मिलता है, बाकी 22 लाख लोगों को दाखिला नहीं मिलता तो इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए?

सुप्रीम कोर्ट नीट पर अगली और अंतिम सुनवाई सोमवार 22 जुलाई को करेगा। सीजेआई ने कहा कि दिन के 10:30 बजे हियरिंग शुरू हो जाएगी, ताकि दोपहर तक मामले का निपटारा किया जा सके। सॉल‍िसिटर जनरल ने कहा की 24 जुलाई से काउन्सलिंग शुरू करेंगे। हम ये जानकारी अदालत के संज्ञान में लाना चाहते हैं।

नीट पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, परीक्षा का परिणाम वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश नीट पेपर लीक पर

#neet_2024_ug_exam-paper_leak_case

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा आदेश दिया। नीट पेपर लीक मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस दौरान एनटीए को निर्देश दिया है कि वह अपनी वेबसाइट पर नीट-यूजी परीक्षा में छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों को प्रकाशित करे और छात्रों की पहचान गुप्त रखी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नतीजे शहर और केंद्र के हिसाब से अलग-अलग घोषित किए जाने चाहिए। साथ ही शनिवार दोपहर 12 बजे तक रिजल्ट जारी किए जाने का भी निर्देश दिया।वहीं सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 परीक्षाओं में पेपर लीक और कदाचार का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय की है।

परीक्षा फिर से कराने पर क्या कहा?

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से कराने के लिए यह ठोस आधार होना चाहिए कि पूरी परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने विवादों में घिरी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2024 से जुड़ी याचिकाओं पर अहम सुनवाई की। पीठ ने परीक्षा रद्द करने, पुन: परीक्षा कराने और पांच मई को हुई परीक्षा में कथित अनियमितताओं की अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं से यह दिखाने के लिए कहा कि प्रश्न पत्र ‘‘व्यवस्थागत’’ तरीके से लीक किया गया और उससे पूरी परीक्षा पर असर पड़ा, इसलिए इसे रद्द करना जरूरी है।सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि अगर आप हमारे सामने यह साबित कर देते हैं कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई तभी दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया जा सकता है। 

अदालत ने कहा कि 131 छात्र दोबारा परीक्षा चाहते है। 254 छात्र दोबारा परीक्षा के खिलाफ है। दोबारा परीक्षा चाहने वाले 131 छात्र ऐसे हैं, जो एक लाख आठ हजार के अंदर नहीं आते और दोबारा परीक्षा का विरोध करने वाले 254 छात्र एक लाख आठ हजार के अंदर आते हैं। अगर 1 लाख 8 हजार लोगों को एडमिशन मिलता है, बाकी 22 लाख लोगों को दाखिला नहीं मिलता तो इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए?

सुप्रीम कोर्ट नीट पर अगली और अंतिम सुनवाई सोमवार 22 जुलाई को करेगा। सीजेआई ने कहा कि दिन के 10:30 बजे हियरिंग शुरू हो जाएगी, ताकि दोपहर तक मामले का निपटारा किया जा सके। सॉल‍िसिटर जनरल ने कहा की 24 जुलाई से काउन्सलिंग शुरू करेंगे। हम ये जानकारी अदालत के संज्ञान में लाना चाहते हैं।

बांग्लादेश में बवाल, सड़क पर उतरे छात्र, भारत ने अपने नागरिकों के जारी की एडवाइजरी, जानें पूरा मामला

#student_protesting_in_bangladesh 

बांग्लादेश में वाल मचा हुआ है। हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। आरक्षण की मांग को लेकर हजारों छात्र सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अब इस प्रर्दशन ने अपना हिंसक रूप ले लिया है। बुधवार 18 जुलाई को आरक्षण को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। प्रदर्शन के दौरान छात्रों के बीच झड़प हो गई, जिसमें 6 लोगों की गोली लगने से मौत हो गई और 400 घायल हो गए।

ये झड़पें सोमवार को शुरू हुईं, जब सत्तारूढ़ अवामी लीग के छात्र मोर्चे के कार्यकर्ता प्रदर्शनकारियों के सामने आ गए।प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ पार्टी की छात्र शाखा, बांग्लादेश छात्र लीग पर पुलिस के समर्थन से उनके शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर हमला करने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारी इस बात पर जोर दे रहे थे कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था सरकारी सेवाओं में मेधावी छात्रों के नामांकन को काफी हद तक रोक रही है।

हिंसा के कारण सरकार ने मंगलवार देर रात बांग्लादेश में सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के साथ-साथ स्कूलों और कॉलेजों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया तथा छात्रों से छात्रावास खाली करने को कहा गया।

बांग्लादेश में जिस रिजर्वेशन को लेकर छात्र लामबंद हो रहे हैं, वह दरअसल कुछ साल पहले भी विरोध की जद में था। 1971 के बांग्लादेश की आजादी के युद्ध में शामिल परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरी में एक खास फीसद आरक्षण दिया जाता है, छात्र इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं और केवल मेरिट के आधार पर नौकरी देने के बात कर रहे हैं। बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने साफ किया है कि वे इसे समाप्त नहीं करने जा रही हैं और साथ ही, इस हिंसा के चलते हुई मौतों के जिम्मेदार लोगों को जरूर सजा देंगी।

आरक्षण में सबसे ज्यादा विवाद का केंद्र रहा है- स्वतंत्रता सेनानियों का कोटा। क्योंकि, कई लोगों का मानना था कि यह हसीना की अवामी लीग पार्टी के प्रति वफादार लोगों के पक्ष में जाता है। इसी पार्टी ने बांग्लादेशी मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया था। मगर कोटा सीटों में बहुत सारी वैकेंसीज़ रह गईं जबकि मेरिट सूची के कई लोग बेरोजगार रह गए।

भारत ने बांग्लादेश में हो रहे विरोध-प्रदर्शन के मद्देजनर यहां रहने वाले अपने नागरिकों के लिए बृहस्पतिवार को परामर्श जारी करते हुए कहा कि वे यात्रा करने से बचें और कम से कम बाहर निकलें। भारतीय उच्चायोग ने यहां एक बयान में कहा कि बांग्लादेश में मौजूदा हालात को देखते हुए बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय समुदाय के सदस्यों और भारतीय छात्रों को यात्रा से बचने और अपने निवास स्थान से बाहर कम से कम आवाजाही की सलाह दी जाती है।मिशन ने किसी भी सहायता के लिए 24 घंटे चालू रहने वाले कई आपातकालीन नंबर भी जारी किए हैं। उच्चायोग की वेबसाइट के अनुसार बांग्लादेश में लगभग सात हजार भारतीय हैं।

अजित पवार का साथ छोड़ रही बीजेपी, क्या फिर एक होंगे चाचा-भतीजे?

#ajit_pawar_and_bjp_rss_relations 

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की सियासत में लोकसभा चुनाव में एनडीए के खराब प्रदर्शन का असर देखा जा रहा है। एनडीए के खराब प्रदर्शन के बाद से राज्य की राजनीति में उठापटक जारी है। एनडीए के तीनों प्रमुख दलों के नेता इस हार का टिकरा एक-दूसरे पर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। 

महाराष्‍ट्र में लोकसभा चुनाव हारने के बाद भाजपा-शिवसेना-एनसीपी के सत्‍तारूढ़ महायुति गठबंधन में सबसे ज्‍यादा सांसत अजित पवार की हो रही है। अजित पवार को पिछले कुछ दिनों में कई राजनीतिक झटके लग चुके हैं। बुधवार को महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से चार बड़े नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद खबर सामने आई कि अजित गुट के लगभग दो दर्जन पदाधिकारी ने भी शरद गुट का दामन थाम लिया। इसमें कई महिलाओं सहित 20 पूर्व नगर पार्षद शामिल हैं।

वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक मराठी मैग्जीन ने भाजपा का अजित पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ हुए गठबंधन को लेकर आपत्ति जताई है। आरएसएस की मैगजीन के लेख में भाजपा को सीख देते हुए लिखा कि उसे एनसीपी अजित गुट से गठबंधन तोड़ लेना चाहिए। आरएसएस से जुड़े साप्ताहिक अखबार 'विवेक' ने मुंबई, कोंकण और पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र में 200 से अधिक लोगों पर की गई अनौपचारिक रायशुमारी के आधार पर यह लेख प्रकाशित किया। लेख में कहा गया है, ''भाजपा या संगठन (संघ परिवार) से जुड़े लगभग हर व्यक्ति ने कहा कि वह एनसीपी (अजित पवार के नेतृत्व वाले) के साथ गठबंधन करने के भाजपा के फैसले से सहमत नहीं है। हमने 200 से अधिक उद्योगपतियों, व्यापारियों, चिकित्सकों, प्रोफेसर और शिक्षकों की राय जानी। इन सभी ने माना कि भाजपा-एनसीपी गठबंधन को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में व्याप्त असंतोष को कम करके आंका गया।''

लेख के अनुसार, एक-दूसरे से छोटी-मोटी शिकायतों के बावजूद हिंदुत्व के साझा सूत्र के चलते शिवसेना के साथ भाजपा के गठबंधन को हमेशा स्वाभाविक माना जाता है। लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ एमवीए के तत्कालीन मंत्री एकनाथ शिंदे की बगावत स्वीकार कर ली थी। यह बगावत उद्धव सरकार के गिरने का कारण बनी थी। भाजपा ने बाद में शिंदे के समर्थन की घोषणा की और वह सरकार बनाने में सफल रहे। लगभग एक साल बाद, तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजित पवार पार्टी के कई विधायकों के साथ शिंदे सरकार में बतौर उपमुख्यमंत्री शामिल हो गए।

लेख में कहा गया है, ''हालांकि एनसीपी से हाथ मिलाने के बाद जनभावनाएं पूरी तरह से भाजपा के खिलाफ हो गईं। एनसीपी की वजह से गणित गड़बड़ाने के बाद पार्टी की भावी रणनीति को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।'' लेख के मुताबिक, भाजपा की एक ऐसे दल के रूप में छवि बन गई है जो नेताओं को मांझने की पुरानी संगठनात्मक प्रक्रिया को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए दूसरी पार्टी के नेताओं को खुद में शामिल करती है। ऐसे में एनसीपी के साथ मिलकर बीजेपी को विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।

राज्य में जारी इन सियासी उठापटक के बीच छगन भुजबल ने शरद पवार से अचानक मुलाकात करने पहुंच गए थे। इस मुलाकात पर छगन भुजबल ने आरक्षण पर मराठा और ओबीसी के बीच हस्ताक्षेप करने के लिए शरद पवार से गुहार लगाने लगे थे, लेकिन राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस बहाने अपने रिश्ते को पटरी पर लाने की बात कही थी। शरद पवार खेमे के नेता मानते हैं कि बीजेपी अब अजीत पवार से पीछा छुड़ाने की कोशिश में है, जिसके लिए बैगडोर से संदेश दे रही है।

इधर एनसीपी (शरद पवार) के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने कहा कि लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद भाजपा महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है, लेकिन उनको लगता है कि अजीत पवार के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ गठबंधन उसकी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाएगा। क्लाइड क्रैस्टो ने आगा दावा किया कि महाराष्ट्र के मतदाताओं ने राकांपा और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ भाजपा के गठबंधन को स्वीकार नहीं किया है। अजित पवार को अपने साथ लाने के फैसले ने भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी है, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी को महाराष्ट्र में कई लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। महाराष्ट्र की चुनावी राजनीति में यह वर्तमान वास्तविकता है। ऐसा लगता है कि लोगों ने महायुति गठबंधन को स्वीकार्य नहीं किया है।

वहीं, अजित पवार को लेकर आरएसएस और बीजेपी के भीतर से उठ रही आवाजों और एनसीपी में मची भगदड़ को देखते हुए बुधवार को शरद पवार से पूछा गया कि क्‍या यदि अजित पवार पार्टी में वापसी करना चाहेंगे तो उनका क्‍या रुख क्‍या होगा? इस पर एनसीपी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उनकी पार्टी में किसी भी नेता के संभावित प्रवेश पर निर्णय सामूहिक होगा. हालांकि उन्होंने इस बात की पुष्टि करने से इनकार कर दिया कि अगर अजित पवार वापस आना चाहते हैं तो उन्हें पार्टी में शामिल किया जाएगा या नहीं.

बता दें कि महाराष्ट्र में बीजेपी की सीटों की संख्या 2019 में 23 से घटकर हाल के लोकसभा चुनावों में सिर्फ 9 रह गई और उसकी सहयोगी शिवसेना ने सात सीटें मिली हैं और डिप्टी सीएम अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई। इसके विपरीत इंडिया गठबंधन ने 30 सीटें जीती हैं, जिसमें कांग्रेस को 13, उद्धव ठाकरे की एनसीपी को 9 और शरद पवार की एनसीपी के खाते में 8 लोकसभा सीटें आई हैं।

46 साल में दूसरी बार फिर से खुला जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार । जानिए वजह

12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर का प्रतिष्ठित खजाना रत्न भंडार गुरुवार को खोला गया ताकि कीमती सामान को अस्थायी स्ट्रांग रूम में रखा जा सके। 46 साल के अंतराल के बाद 14 जुलाई को पहली बार खजाना खोला गया था। अधिकारियों ने बताया कि रत्न भंडार को आज सुबह 9:51 बजे फिर से खोला गया, ओडिशा सरकार द्वारा गठित पर्यवेक्षी समिति के सदस्यों ने पूजा-अर्चना के बाद मंदिर में प्रवेश किया।

मंदिर में प्रवेश करने से पहले ओडिशा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और पर्यवेक्षी समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ ने मीडियाकर्मियों से कहा, "हमने खजाने के भीतरी कक्ष में रखे सभी कीमती सामानों को आसानी से स्थानांतरित करने के लिए भगवान जगन्नाथ से आशीर्वाद मांगा।" पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, टीम के सदस्यों ने रविवार को तीन ताले तोड़कर भीतरी कक्ष में कई अलमारियां, संदूक और बक्से बरामद किए। भक्तों द्वारा देवताओं को दान किए गए कीमती सामानों को स्ट्रांग रूम में स्थानांतरित किया जा रहा है।

 न्यायमूर्ति रथ ने पुरी के राजा और गजपति महाराजा दिव्य सिंह देब से स्थानांतरण प्रक्रिया की देखरेख करने का अनुरोध किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के लिए आंतरिक कक्ष के अंदर संरक्षण कार्य करने, एक सूची तैयार करने और इसकी संरचना की मरम्मत करने के लिए स्थानांतरण अनिवार्य है। एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि वर्तमान में केवल अधिकृत लोगों और कुछ कर्मचारियों को ही स्थानांतरण के दौरान मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति है। रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष गुरुवार को दोपहर 12:15 बजे तक खुले रहेंगे।

पुरी कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा कि अगर शिफ्टिंग आज पूरी नहीं होती है तो मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के मुताबिक काम जारी रहेगा। पूरी शिफ्टिंग प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जा रही है और यह काम एक उच्च स्तरीय समिति करेगी। एसपी पिनाक मिश्रा ने कहा कि पुलिस की भूमिका एसओपी के मुताबिक अस्थायी भंडार को सुरक्षा मुहैया कराना है। एसपी मिश्रा ने कहा, "सुरक्षा के सभी पहलुओं का ध्यान रखा जा रहा है। जो कुछ भी किया जा रहा है, वह एसओपी के मुताबिक किया जा रहा है। उच्च स्तरीय समिति ने एसओपी को बहुत सावधानी से तैयार किया है।" श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के प्रमुख अरबिंद पाधी ने बुधवार को पीटीआई को बताया, "एएसआई विशेषज्ञों को भी इसकी संरचनात्मक स्थिरता का जायजा लेने के लिए कुछ समय दिया जाएगा।" गुरुवार को सुबह 8 बजे से मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया और 'सिंह द्वार' (सिंह का द्वार) खुला रहा। हालाँकि, भक्त अभी भी भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के दर्शन कर सकते हैं, क्योंकि वे मंदिर के बाहर मौजूद हैं।

कर्नाटक में प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण पर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का यू-टर्न, जानें क्यों पलटे सिद्धारमैया

#karnataka_reservation_bill_2024_put_on_hold 

कर्नाटक सरकार ने राज्य में निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए नौकरियां आरक्षित करने वाला बिल फिलहाल के लिए टाल दिया है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 48 घंटे के अंदर प्राइवेट नौकरी में आरक्षण के बिल पर यू-टर्न ले लिया। राज्य सरकार ने सोमवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में स्थानीय लोगों को प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण वाले बिल को मंजूरी दिया था। जिसके तहत प्राइवेट फर्म्स में नॉन मैनेजमेंट पोजिशंस में 70% और मैनेजमेंट लेवल एंप्लाईज के लिए 50% हायरिंग को रिजर्व रखा गया था। इसे गुरुवार यानी आज विधानसभा में पेश किया जाना था। लेकिन उद्योगपतियों और बिजनेस लीडर्स के विरोध के चलते सरकार को अपना फैसला रोकना पड़ा।

बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस विधेयक को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। इस पर आने वाले दिनों में फिर से विचार कर फैसला लिया जाएगा। इससे पहले, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी एक्स पर पोस्ट कर मामले में सफाई दी। उन्होंने लिखा है कि “निजी क्षेत्र के संस्थानों, उद्योगों और उद्यमों में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण लागू करने का इरादा रखने वाला विधेयक अभी भी तैयारी के चरण में है। अगली कैबिनेट बैठक में व्यापक चर्चा के बाद फैसला लिया जाएगा।”

इससे पहले सीएम सिद्धारमैया ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा था, "कल कैबिनेट बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में 'सी और डी' ग्रेड के पदों पर 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों की भर्ती अनिवार्य करने के विधेयक को मंजूरी दी गई।" उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ भाषी स्थानीय लोगों को अपने राज्य में आरामदेह जीवन जीने का मौका दिया जाए। उन्हें अपनी 'कन्नड़ भूमि' में नौकरियों से वंचित न किया जाए।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की इस पोस्ट के बाद इंडस्ट्री में इसे लेकर विरोध शुरू हो गया। विवाद बढ़ा तो बाद में सीएम ने वह पोस्ट हटा दी।हालांकि इससे पहेल बायोकॉन की किरण मजूमदार-शॉ जैसी बिजनेस लीडर्स ने इस बिल पर अपना विरोध जताया।किरण मजूमदार शॉ ने कहा, “एक प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में हमें कुशल प्रतिभा की दरकार होती है और हमारा मकसद हमेशा स्थानीय लोगों को रोजगार देना होता है। हमें इस कदम से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं करना चाहिए।” 

इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी टीवी मोहनदास पाई ने विधेयक की आलोचना करते हुए इसे फासीवादी करार दिया।उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, “इस विधेयक को रद्द कर दिया जाना चाहिएष यह पक्षपातपूर्ण, प्रतिगामी और संविधान के खिलाफ है। यह अविश्वसनीय है कि कांग्रेस इस तरह का कोई विधेयक लेकर आई है। सरकारी अफसर प्राइवेट सेक्टर की भर्ती समितियों में बैठेंगे? लोगों को अब भाषा की भी परीक्षा देनी होगी?”

Nasscom से लेकर तमाम दिग्गज कंपनियों का टॉप मैनेजमेंट खुलकर इस कदम के विरोध में उतर आया। Nasscom ने तो आंकड़े भी गिनाए। ईटी इंडस्ट्री की इस संस्था ने कहा, 'कर्नाटक की जीडीपी में टेक सेक्टर 25% योगदान करता है, कुल ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) में इसकी 30% से ज्यादा हिस्सेदारी है और करीब 11,000 स्टार्टअप हैं।Nasscom ने कहा कि इस तरह के कानून से न सिर्फ कर्नाटक का विकास प्रभावित होगा, बल्कि राज्य की ग्लोबल इमेज को भी धक्का लगेगा। भारत के कुल सॉफ्टवेयर निर्यात में कर्नाटक की भागीदारी 42% से ज्यादा है। कर्नाटक की राजधानी, बेंगलुरु 'भारत की सिलिकॉन वैली' कही जाती है।

इस तरहग के विरोध के बाद सिद्धारमैया सरकार को समझ आ गया कि यह अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा साबित होगा। तमाम बड़ी कंपनियां राज्य से बाहर निकल जातीं। मौका देखकर कई राज्यों ने तो ऑफर भी दे दिया था। आंध्र प्रदेश जहां के आईटी सेक्टर ने हाल के सालों में तेजी से प्रगति की है, ने कंपनियों से कहा क‍ि वे बेंगलुरु छोड़ हैदराबाद आ जाएं। अगर ऐसा होता तो कर्नाटक सरकार को सालाना खरबों रुपये के राजस्व से हाथ धोना पड़ता। ऐसे में सरकार ने बिल को ठंडे बस्ते में डालना ही बेहतर समझा

नीट पेपर लीक में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी, सीजेआई ने कहा-साबित करें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई, तो दोबारा कराएंगे परीक्षा

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सुप्रीम कोर्ट आज नीट-यूजी के मामले पर अहम सुनवाई कर रहा है। 40 से ज्यादा याचिकाओं में नीट-यूजी 2024 को दोबारा कराने की मांग की गई है। इन याचिकाओं पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में एनटीए और नीट यूजी के खिलाफ विभिन्न हाईकोर्ट में दायर वे मुदकमे भी शामिल हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की गई है। पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि नीट-यूजी परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली नहीं हुई है। ऐसे में दोबारा परीक्षा कराए जाने की कोई जरूरत नहीं है। वहीं, एनटीए ने कहा था कि पूरे देश में पेपर लीक नहीं हुआ है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई शुरू होने पर कहा कि नीट मामले को शुक्रवार को सुना जा सकता है। जिस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुनवाई आज ही शुरू करते हैं। हम नीट मामले पर सबसे पहले सुनवाई करेंगे, क्योंकि लाखों छात्र फैसले का इंतजार कर रहे हैं। सीजेआई ने अन्य वकीलों को नीट-यूजी मामले पर सुनवाई के बाद आने को कहा। सीजेआई ने पूछा पहले कौन दलीलें पेश करेगा? 

एसजी ने कहा कि CBI ने दूसरी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। सीजेआई ने कहा कि हमने देख ली है। जिसपर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि हमें सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट नहीं दी गई है। इस पर अदालत ने कहा, 'हालांकि हम पारदर्शिता की वकालत करते हैं। मगर सीबीआई जांच चल रही है। अगर सीबीआई ने हमें जो बताया है उसका खुलासा होता है, तो यह जांच को प्रभावित करेगा।

सीजेआई ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप हमें संतुष्ट करिए कि पेपर लीक बड़े पैमाने पर हुआ और परीक्षा रद्द होनी चाहिए। दूसरी इस मामले में जांच की दिशा क्या होना चाहिए वो भी हमें बताएं। उसके बाद हम सॉलिसिटर जनरल को सुनेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि अगर आप हमारे सामने यह साबित कर देते हैं कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई तभी दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया जा सकता है। 

अदालत ने कहा कि 131 छात्र दोबारा परीक्षा चाहते है। 254 छात्र दोबारा परीक्षा के खिलाफ है। दोबारा परीक्षा चाहने वाले 131 छात्र ऐसे हैं, जो एक लाख आठ हजार के अंदर नहीं आते और दोबारा परीक्षा का विरोध करने वाले 254 छात्र एक लाख आठ हजार के अंदर आते हैं। अगर 1 लाख 8 हजार लोगों को एडमिशन मिलता है, बाकी 22 लाख लोगों को दाखिला नहीं मिलता तो इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए?

सीजेआई ने आगे कहा कि सबसे कम अंक पाने वाले याचिकाकर्ता छात्र के मार्क्स कितने हैं? इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कुल 34 याचिकाएं है, जिनमें चार याचिकाएं एनटीए की है। 

पीठ ने आगे कहा कि 38 में छह ट्रांसफर याचिकाएं शामिल हैं। इस पर एनटीए की ओर से पेश वकील ने कहा कि हां 32 व्यक्तिगत याचिकाएं हैं। अदालत ने कहा कि लंच के दौरान हमें बताएं कि कितने छात्रों ने कोर्ट का रुख किया है।

जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि परीक्षा की मांग करने वाले याचिकाकर्ता क्या एक लाख आठ हजार के अंतर्गत हैं? सीजेआई ने कहा कि नहीं, नहीं ऐसा नहीं हो सकता, यह बाहर हैं। सीजेआई ने कहा कि एनटीए 100 टॉप अंकों वालों का चार्ट दे। साथ ही यह भी बताए कि अभ्यर्थी किस सेंटर और शहर से हैं।

हिरासत में है ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की मां, बंदूक लहराने वाला वीडियो हुआ वायरल

पुलिस ने बताया कि विवादित प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की मां का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे वह बंदूक लहराते हुए दिख रही थी, जिसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया है। पुणे ग्रामीण पुलिस के एसपी पंकज देशमुख ने पुष्टि की कि मनोरमा खेडकर को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड से हिरासत में लिया गया है। मनोरमा और छह अन्य लोगों के खिलाफ कथित तौर पर बंदूक लहराकर किसानों को धमकाने के मामले में दर्ज मामले के सिलसिले में पुणे लाया जा रहा है।

"हमने उन्हें महाड से हिरासत में लिया है। वह यहां आ रही हैं। हम उनसे पूछताछ करेंगे और आगे की कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्हें महाड के एक होटल में पाया गया," देशमुख ने एएनआई को बताया।

कथित वीडियो में मनोरमा खेडकर को पुणे के एक गांव में पड़ोसियों के साथ तीखी नोकझोंक करते हुए दिखाया गया है। दो मिनट के फुटेज में खेडकर अपने सुरक्षा गार्डों के साथ एक व्यक्ति पर चिल्लाते हुए दिखाई दे रही हैं और उसके चेहरे पर पिस्तौल लहराते हुए हथियार छिपाने का प्रयास कर रही हैं।

वीडियो में दिख रही घटना पूजा के पिता दिलीप खेडकर द्वारा पुणे के मुलशी तहसील के धडवाली गांव में खरीदी गई जमीन के बारे में है, जो महाराष्ट्र सरकार के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। स्थानीय लोगों ने दावा किया था कि खेडकर ने पड़ोसी किसानों की जमीन पर अतिक्रमण किया है।

पुणे ग्रामीण पुलिस ने पिछले सप्ताह घटना के तथ्यों की पुष्टि करने के लिए जांच की घोषणा की थी, जिसमें यह भी शामिल था कि मनोरमा खेडकर के पास बंदूक के लिए वैध लाइसेंस था या नहीं।

2023 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर द्वारा पुणे में अपनी पोस्टिंग के दौरान अलग कार्यालय और आधिकारिक कार की कथित मांग और अपनी निजी कार पर लालटेन के अनधिकृत उपयोग को लेकर विवाद खड़ा करने के बाद खेडकर परिवार मीडिया की गहन जांच के दायरे में है।

अब उन पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के आवेदन में ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर उम्मीदवार के रूप में अपनी योग्यता को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का आरोप है। उन्होंने नेत्रहीन और मानसिक रूप से विकलांग होने का भी दावा किया, लेकिन इन दावों को सत्यापित करने के लिए परीक्षण कराने से इनकार कर दिया। हालांकि, सरकार ने मंगलवार को खेड़कर के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को रोक दिया क्योंकि उन्हें "आवश्यक कार्रवाई" के लिए उत्तराखंड के मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में वापस बुलाया गया था। महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन गद्रे द्वारा लिखे गए एक पत्र में कहा गया है कि अकादमी ने उनके जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को रोकने का फैसला किया है, और उन्हें तुरंत वापस बुला लिया है।