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नीट पेपर लीक में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी, सीजेआई ने कहा-साबित करें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई, तो दोबारा कराएंगे परीक्षा

#supreme_court_hearing_cases_relating_to_alleged_paper_leak_in_neet_ug 

सुप्रीम कोर्ट आज नीट-यूजी के मामले पर अहम सुनवाई कर रहा है। 40 से ज्यादा याचिकाओं में नीट-यूजी 2024 को दोबारा कराने की मांग की गई है। इन याचिकाओं पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में एनटीए और नीट यूजी के खिलाफ विभिन्न हाईकोर्ट में दायर वे मुदकमे भी शामिल हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की गई है। पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि नीट-यूजी परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली नहीं हुई है। ऐसे में दोबारा परीक्षा कराए जाने की कोई जरूरत नहीं है। वहीं, एनटीए ने कहा था कि पूरे देश में पेपर लीक नहीं हुआ है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई शुरू होने पर कहा कि नीट मामले को शुक्रवार को सुना जा सकता है। जिस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुनवाई आज ही शुरू करते हैं। हम नीट मामले पर सबसे पहले सुनवाई करेंगे, क्योंकि लाखों छात्र फैसले का इंतजार कर रहे हैं। सीजेआई ने अन्य वकीलों को नीट-यूजी मामले पर सुनवाई के बाद आने को कहा। सीजेआई ने पूछा पहले कौन दलीलें पेश करेगा? 

एसजी ने कहा कि CBI ने दूसरी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। सीजेआई ने कहा कि हमने देख ली है। जिसपर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि हमें सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट नहीं दी गई है। इस पर अदालत ने कहा, 'हालांकि हम पारदर्शिता की वकालत करते हैं। मगर सीबीआई जांच चल रही है। अगर सीबीआई ने हमें जो बताया है उसका खुलासा होता है, तो यह जांच को प्रभावित करेगा।

सीजेआई ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप हमें संतुष्ट करिए कि पेपर लीक बड़े पैमाने पर हुआ और परीक्षा रद्द होनी चाहिए। दूसरी इस मामले में जांच की दिशा क्या होना चाहिए वो भी हमें बताएं। उसके बाद हम सॉलिसिटर जनरल को सुनेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि अगर आप हमारे सामने यह साबित कर देते हैं कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई तभी दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया जा सकता है। 

अदालत ने कहा कि 131 छात्र दोबारा परीक्षा चाहते है। 254 छात्र दोबारा परीक्षा के खिलाफ है। दोबारा परीक्षा चाहने वाले 131 छात्र ऐसे हैं, जो एक लाख आठ हजार के अंदर नहीं आते और दोबारा परीक्षा का विरोध करने वाले 254 छात्र एक लाख आठ हजार के अंदर आते हैं। अगर 1 लाख 8 हजार लोगों को एडमिशन मिलता है, बाकी 22 लाख लोगों को दाखिला नहीं मिलता तो इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए?

सीजेआई ने आगे कहा कि सबसे कम अंक पाने वाले याचिकाकर्ता छात्र के मार्क्स कितने हैं? इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कुल 34 याचिकाएं है, जिनमें चार याचिकाएं एनटीए की है। 

पीठ ने आगे कहा कि 38 में छह ट्रांसफर याचिकाएं शामिल हैं। इस पर एनटीए की ओर से पेश वकील ने कहा कि हां 32 व्यक्तिगत याचिकाएं हैं। अदालत ने कहा कि लंच के दौरान हमें बताएं कि कितने छात्रों ने कोर्ट का रुख किया है।

जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि परीक्षा की मांग करने वाले याचिकाकर्ता क्या एक लाख आठ हजार के अंतर्गत हैं? सीजेआई ने कहा कि नहीं, नहीं ऐसा नहीं हो सकता, यह बाहर हैं। सीजेआई ने कहा कि एनटीए 100 टॉप अंकों वालों का चार्ट दे। साथ ही यह भी बताए कि अभ्यर्थी किस सेंटर और शहर से हैं।

हिरासत में है ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की मां, बंदूक लहराने वाला वीडियो हुआ वायरल

पुलिस ने बताया कि विवादित प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की मां का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे वह बंदूक लहराते हुए दिख रही थी, जिसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया है। पुणे ग्रामीण पुलिस के एसपी पंकज देशमुख ने पुष्टि की कि मनोरमा खेडकर को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड से हिरासत में लिया गया है। मनोरमा और छह अन्य लोगों के खिलाफ कथित तौर पर बंदूक लहराकर किसानों को धमकाने के मामले में दर्ज मामले के सिलसिले में पुणे लाया जा रहा है।

"हमने उन्हें महाड से हिरासत में लिया है। वह यहां आ रही हैं। हम उनसे पूछताछ करेंगे और आगे की कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्हें महाड के एक होटल में पाया गया," देशमुख ने एएनआई को बताया।

कथित वीडियो में मनोरमा खेडकर को पुणे के एक गांव में पड़ोसियों के साथ तीखी नोकझोंक करते हुए दिखाया गया है। दो मिनट के फुटेज में खेडकर अपने सुरक्षा गार्डों के साथ एक व्यक्ति पर चिल्लाते हुए दिखाई दे रही हैं और उसके चेहरे पर पिस्तौल लहराते हुए हथियार छिपाने का प्रयास कर रही हैं।

वीडियो में दिख रही घटना पूजा के पिता दिलीप खेडकर द्वारा पुणे के मुलशी तहसील के धडवाली गांव में खरीदी गई जमीन के बारे में है, जो महाराष्ट्र सरकार के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। स्थानीय लोगों ने दावा किया था कि खेडकर ने पड़ोसी किसानों की जमीन पर अतिक्रमण किया है।

पुणे ग्रामीण पुलिस ने पिछले सप्ताह घटना के तथ्यों की पुष्टि करने के लिए जांच की घोषणा की थी, जिसमें यह भी शामिल था कि मनोरमा खेडकर के पास बंदूक के लिए वैध लाइसेंस था या नहीं।

2023 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर द्वारा पुणे में अपनी पोस्टिंग के दौरान अलग कार्यालय और आधिकारिक कार की कथित मांग और अपनी निजी कार पर लालटेन के अनधिकृत उपयोग को लेकर विवाद खड़ा करने के बाद खेडकर परिवार मीडिया की गहन जांच के दायरे में है।

अब उन पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के आवेदन में ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर उम्मीदवार के रूप में अपनी योग्यता को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का आरोप है। उन्होंने नेत्रहीन और मानसिक रूप से विकलांग होने का भी दावा किया, लेकिन इन दावों को सत्यापित करने के लिए परीक्षण कराने से इनकार कर दिया। हालांकि, सरकार ने मंगलवार को खेड़कर के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को रोक दिया क्योंकि उन्हें "आवश्यक कार्रवाई" के लिए उत्तराखंड के मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में वापस बुलाया गया था। महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन गद्रे द्वारा लिखे गए एक पत्र में कहा गया है कि अकादमी ने उनके जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को रोकने का फैसला किया है, और उन्हें तुरंत वापस बुला लिया है।

डोडा अटैक का पाक आर्मी से कनेक्शन, आतंकियों के भेष रिटायर्ड कमांडो फैला रहे दहशत

#doda_encounter_case_pakistan_conspiracy 

जम्मू-कश्मीर के डोडा में आतंकियों ने डेरा जमा रखा है। डोडा के घने जंगलों में आतंकी घात लगाए बैठे हैं। जिसके बाद आतंकियों के खात्मे के लिए सुरक्षाबलों ने मुहिम छेड़ दी है। आतंकियों को खत्म करने के लिए भारतीय सेना ने कमर कस ली है। जिसके लिए लगातार सर्च ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। इसी बीच डोडा में फिर बुधवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई है। 24 घंटे के भीतर डोडा जिले में आतंकियों और भारतीय सेना के जवानों के बीच दो बार मुठभेड़ है। जम्मू में अचानक आतंकी गतिविधियां के पीछे पाकिस्तान का ही हाथ बताया जा रहा है। इंटेल के मुताबिक, पाकिस्तान नए सिरे से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और अपनी सेना के पूर्व जवानों को आतंकी के भेष में भेज रहा है।

सिक्योरिटी एजेंसियों का कहना है कि इसके पीछे पाकिस्तान की सोची-समझी रणनीति काम कर रही है। एजेंसियों का कहना है कि असल में आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के अंडर में काम करने वाले कश्मीर टाइगर्स में कोई कश्मीरी नौजवान शामिल नहीं हैं। बल्कि इसमें सारे पाकिस्तानी हैं। पाकिस्तान के एसएसजी यानी स्पेशल सर्विस ग्रुप से रिटायर्ड कमांडो भी शामिल हैं जो हमले के दौरान पॉइंट ब्लैंक जैसा निशाना साधने में माहिर हैं।

खुफिया एजेंसियों की मानें तो पाकिस्तान आतंकवादियों का एक कट्टर, भारी हथियारों से लैस और प्रशिक्षित समूह वर्तमान में जम्मू डिवीजन के घने जंगलों वाले इलाकों में सक्रिय आतंकवादी समूह के तौर पर हमलों को अंजाम दे रहा है। एजेंसी के मुताबिक ये पाकिस्तानी आतंकी हिट-एंड-रन अभियान की तरह अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं और फिर निकट के जंगलों में गायब हो जाते हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि डोडा में आतंक फैलाने वाले ये आतंकी समूह के सदस्य पूर्व पाकिस्तानी सेना के नियमित सैनिक हो सकते हैं न कि साधारण भाड़े के सैनिक। क्योंकि इन्हें अच्छे से ट्रेनिंग दी गई है।जिस तरह से ये पाकिस्तानी आतंकी जंगल में बैठकर चाल पर चाल चल रहे हैं, ये भाड़े के आतंकी नहीं कर सकते।

सैन्य सूत्रों ने बताया कि डोडा हमले में शहीद हुए चारों जवान खोजी दल का नेतृत्व कर रहे थे। उन सभी के चेहरे पर गोली लगी थी। उनके चेहरे कवर नहीं थे। सभी ने लेटेस्ट बुलेट-प्रूफ जैकेट और हेलमेट पहने हुए थे। जवानों पर दो तरफ से घात लगाकर हमला किया गया। वहीं, आतंकवादियों ने जिस जगह को चुना, वहां पेड़ों की कोई छाया नहीं थी, वह खुली जगह थी। आतंकवादियों ने असाल्ट राइफल्स में थर्मल स्कोप का इस्तेमाल करके हेडशॉट से एक-एक करके सैनिकों को निशाना बनाया। सूत्रों ने बताया कि अब तक तीन बातें सामने आई हैं- जम्मू क्षेत्र के घने जंगलों में छिपे आतंकवादी विदेशी मूल के हैं; उन्हें छिपने, घात लगाने और सैनिकों के चेहरों को निशाना बनाने जैसी सैन्य रणनीतियां सिखाई गई हैं। उन्होंने अंदेशा जताया है कि आतंकियों के भेष में ये पाकिस्तानी सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप के पूर्व कमांडो हो सकते हैं।

वहीं, ये भी बताया जा रहा है कि डोडा हमले की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर्स ने ली है। संगठन का सा नाम रखने के पीछे पाकिस्तान और जैश की सोच पश्चिमी देशों से ध्यान भटकाने की है। जिसमें आतंकवादी संगठन का नाम इस्लामिक ना रखा जाए, दूसरे जम्मू-कश्मीर में जब भी कहीं आतंकी हमला हो तो दुनिया को यह लगे कि भारत में यह लोकल स्तर पर बनाए गए संगठन के लोग कर रहे हैं, पाकिस्तान नहीं। उन्होंने कहा कि असल में, कश्मीर संगठन में कोई कश्मीरी नहीं है।

अधिकारी ने बताया कि इस संगठन के लिए जम्मू-कश्मीर में लोकल स्तर पर कुछ लोग जरूर सपोर्ट कर रहे हैं। लेकिन इसमें पाकिस्तानी लड़ाके ही शामिल हैं। इसमें भी पाकिस्तान के पंजाब राज्य के बहावलपुर और लश्कर के लिए मुरीदके से अधिक नौजवान शामिल हो रहे हैं। बहावलपुर पाकिस्तान का 10वां सबसे बड़ा शहर है। सिक्योरिटी एजेंसियों का कहना है कि आने वाले समय में यह भी हो सकता है कि इसी तरह से इंग्लिश नाम पर कोई और आतंकी संगठन सामने आ जाए। पाकिस्तान नहीं चाहता कि वह दुनिया में खासतौर से पश्चिमी देशों के सामने आतंकवाद को बढ़ावा देने के रूप में एक्सपोज हो। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से खासतौर से जब से जम्मू-कश्मीर से 370 हटाई गई है तभी से हमले की जिम्मेदारी लेने में जैश और लश्कर के डायरेक्ट नाम बहुत कम ही सामने आ रहे हैं।

ओमान में INS तेग ने संभाला मोर्चा, 8 भारतीयों समेत नौ बचाए गए, कई अब भी लापता

#ins_teg_saved_8_indian_sailors_lives_when_oil_tanker_sunk_off_coast_of_oman 

ओमान तट के नजदीक तीन दिन पहले डूबे कोमोरोस के ध्वज वाले मालवाहक जहाज पर सवार 9 क्रू मेंबर्स को बचा लिया गया है। रक्षा अधिकारी ने बताया कि भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस तेग ने 8 भारतीयों और 1 श्रीलंकाई सहित 9 क्रू मेंबर्स को बचाया है।भारतीय नौसेना की संपत्ति और ओमानी एजेंसियां अभी भी क्षेत्र में खोज और बचाव अभियान चला रही हैं। बता दें कि 14 जुलाई को ओमान तट पर कोमोरोस के झंडे वाले एमटी फॉल्कन प्रस्टीज नामक जहाज पलट गया था। जिसके बाद उसमें सवार करीब 16 चालक दल के सदस्य लापता हो गए थें, जिनमें 13 भारतीय और 3 श्रीलंकाई थें।

भारतीय नौसेना ने खोज और बचाव अभियान चलाने के लिए ओमानी जहाजों और कर्मियों के साथ अपने समुद्री निगरानी विमान पी-8आई को भी तैनात किया था। चालक दल के शेष सदस्यों का पता लगाने के लिए क्षेत्र में खोज एवं बचाव अभियान जारी रहेगा। भारतीय और ओमानी सैनिक मिलकर चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति में बचाव कार्य कर रहे हैं। इस क्षेत्र में समुद्र में उथल-पुथल और तेज हवाएं चल रही हैं। भारतीय नौसेना का लंबी दूरी का समुद्री टोही विमान P8I भी जीवित बचे लोगों की तलाश कर रहा है।

ओमान स्थित भारतीय दूतावास खाड़ी देश के संबंधित अधिकारियों के संपर्क में है। ओमान में भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि दूतावास एमटी प्रेस्टीज फाल्कन के लिए ओमानी अधिकारियों और भारतीय नौसेना के साथ एसएआर ऑप्स का समन्वय कर रहा है। आईएनएस तेग द्वारा आज 8 भारतीयों सहित 9 चालक दल को बचा लिया गया है। बाकी बचे लोगों की तलाश लगातार जारी है।

बता दे कि जहाज एमटी फाल्कन प्रेस्टीज ने 14 जुलाई को रात लगभग 10 बजे ओमान के तट पर आपात संदेश भेजा था। उन्होंने बताया कि इस जहाज पर चालक दल के 16 सदस्य सवार थे जिनमें से 13 भारतीय हैं।

यूपी पुलिस के फैसले पर भड़के ओवैसी, कांवड़ यात्रा को लेकर खाने-पीने की दुकानों के लिए जारी फरमान पर जताई आपत्ती

#asaduddin_owaisi_get_angry_up_police_kanwar_yatra_order 

यूपी में कांवड़ यात्रा को लेकर जारी एक आदेश को लेकर सियासत गर्म हो गई है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर प्रदेश पुलिस की ओर से जारी फरमान पर निशाना साधा है।मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाली दुकानों, ढाबों और ठेलों पर विक्रेता का नाम लिखने का निर्देश पुलिस की ओर से जारी किया गया है। इसे लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जताई है, उन्होंने इस फैसले को हिटलरशाही बताया है।

हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर एक पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश पुलिस के नए आदेश के अनुसार अब हर खाने-पीने की दुकान या ठेले वाले को अपना नाम बोर्ड पर लिखना होगा। जिससे कि कोई भी कांवड़िया गलती से भी किसी मुस्लिम दुकान से कुछ न खरीद ले। उन्होंने कहा कि इसे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद कहा जाता था और हिटलर के जर्मनी में इसे 'जूडेनबॉयकॉट' कहा जाता था।

दरअसल सोशल मीडिया पर मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह का एक बयान वायरल हो रहा है, जिसमें मीडिया के सवाल पर वो कहते हैं कि “कांवड़ यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं, हमारे जनपद में करीब 240 किलोमीटर का रूट है, ऐसे में सभी ढाबों और खाने-पीने का सामान बेचने वालों को कहा गया है कि अपनी दुकान पर काम करने वाले या मालिक का नाम बोर्ड पर जरूर लिखें. उन्होंने कहा कि यह निर्देश इसलिए दिया है जिससे किसी भी कांवड़िये के मन में कोई कन्फ्यूजन ना हो और कानून व्यवस्था की स्थिति बनी रही।

5 जवानों की शहादत के बाद डोडा में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच फिर मुठभेड़, दो जवान जख्मी

#encounter_broken_out_between_security_forces_and_terrorists_j_k_doda 

जम्मू संभाग लगातार आतंकियों के निशाने पर है। पिछले कुछ महीनों से यहां आतंकी गतिविधि बड़ी है। जिसके बाद आतंक के खिलाफ सुरक्षाबलों ने मुहिम छेड़ दी है। 16 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ सेना की मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में पांच जवान शहीद हो गए थे। जिसके बाद डोडा में आतंक पर लगाम कसने के लिए ऑपरेशन चला रहे हैं। आज सुबह तड़के जवानों ने डोडा के कास्तीगढ़ के घने जंगलों में आतंकियों को घेरा। जिसके बाद आतंकी और सुरक्षाबलों के बीच कास्तीगढ़ में मुठभेड़ शुरू हो गई। इस मुठभेड़ में दो जवान जख्मी हो गए हैं। पूरे इलाके में जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना का सर्च ऑपरेशन जारी है।

अधिकारियों ने कहा कि गुरुवार तड़के जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के एक वन गांव में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में दो सैनिक घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ कास्तीगढ़ इलाके के जद्दन बाटा गांव में देर रात करीब दो बजे हुई. दरअसल आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों के स्थापित अस्थायी सुरक्षा शिविर पर गोलीबारी की। जिसके बाद आतंवादियों और सुरक्षाबलों के बीच भारी मुठभेड़ हुई दोनों तरफ से हमले और जवाबी हमले किए गए।

अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की और दोनों पक्षों के बीच एक घंटे से अधिक समय तक गोलीबारी जारी रही। अधिकारियों ने कहा कि आतंकवादियों की गोलीबारी में दो सैनिक मामूली रूप से घायल हो गए। अब तक इस ऑपरेशन में के नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

इससे पहले सोमवार शाम को हुई मुठभेड़ में एक अधिकारी सहित 5 जवानों की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई थी। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि मुठभेड़ तब हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (SOG) के जवानों ने सोमवार देर शाम डोडा शहर से लगभग 55 किलोमीटर दूर देसा वन क्षेत्र में धारी गोटे उरारबागी में एक संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली थी। इसके बाद से ही डोडा में सुरक्षाबलों का सर्च ऑपरेशन जारी है।

बता दें कि, दशकों पुराने आतंकवाद का सफाया करने के बाद 2005 से 2021 के बीच अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहे जम्मू क्षेत्र में पिछले एक महीने में आतंकी हमलों में तेजी देखी जा रही है। डोडा जिला करीब 15 साल पहले सामूहिक रूप से विशेष समुदाय के लोगों को बंधक बनाकर कई नरसंहार और कान व नाक काटने जैसी नृशंस आतंकी वारदातों का गवाह रहा है। इस जिले में पिछले दो माह में पांच से अधिक आतंकी वारदातें हो चुकी हैं।

प्राइवेट जॉब्स में 100 फीसदी आरक्षण पर बवाल, घिरे तो सिद्धारमैया ने डिलीट की पोस्ट, अब नया ट्वीट कर दी सफाई

#karnataka_siddaramaiah_on_reservation_for_kannada_people_in_private_industries

कर्नाटक सरकार का कन्नड़ लोगों को निजी नौकरियों में 50-75% तक का आरक्षण देने वाला बिल गले की फांस बनता जा रहा है।कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की ओर से प्राइवेट सेक्टर में कन्नड़ भाषियों को आरक्षण दिए जाने से जुड़ा विधायक लाने के फैसले पर उद्योग जगत के कई दिग्गजों नेगहरी आपत्ति जताई, साथ ही इसे फासीवादी और अदूरदर्शी कदम करार दिया। वहीं विवाद के बीच सीएम सिद्दारमैया ने आरक्षण से जुड़ा एक पोस्ट डिलीट कर दिया। अब नया ट्वीट कर सफाई दी है।

कर्नाटक में कन्नड़ों को निजी कंपनियों में नौकरी के लिए आरक्षण देने वाले विधेयक पर गहराते विवाद में खुद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मुश्किलों में घिर गए हैं। दरअसल, उन्होंने पहले एक ट्वीट कर निजी उद्योगों में ‘सी और डी’ श्रेणी के 100 प्रतिशत पदों को कन्नडिगा (कन्नड़भाषी) लोगों के लिए आरक्षित करने की बात कही। इस पर जब विवाद बढ़ा तो उन्होंने इसे डिलीट कर नया ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा, 'सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य के निजी उद्योगों और अन्य संगठनों में कन्नड़ लोगों के लिए प्रशासनिक पदों के लिए 50% और गैर-प्रशासनिक पदों के लिए 75% आरक्षण तय करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी गई। हमारी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ लोगों को उनकी ही धरती पर नौकरियों से वंचित न होना पड़े और उन्हें मातृभूमि में आरामदायक जीवन जीने का अवसर मिले। हम कन्नड़ समर्थक सरकार हैं। हमारी प्राथमिकता कन्नड़ लोगों के कल्याण का ध्यान रखना है।'

इससे पहले सीएम सिद्धारमैया ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा था, "कल कैबिनेट बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में 'सी और डी' ग्रेड के पदों पर 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों की भर्ती अनिवार्य करने के विधेयक को मंजूरी दी गई।" उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ भाषी स्थानीय लोगों को अपने राज्य में आरामदेह जीवन जीने का मौका दिया जाए। उन्हें अपनी 'कन्नड़ भूमि' में नौकरियों से वंचित न किया जाए। बाद में सीएम ने वह पोस्ट हटा दी।

बता दें कि उद्योग जगत ने इस विधेयक की मुखर आलोचना की है। इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी टीवी। मोहनदास पाई ने विधेयक की आलोचना करते हुए इसे फासीवादी करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, “इस विधेयक को रद्द कर दिया जाना चाहिएष यह पक्षपातपूर्ण, प्रतिगामी और संविधान के खिलाफ है। यह अविश्वसनीय है कि कांग्रेस इस तरह का कोई विधेयक लेकर आई है। सरकारी अफसर प्राइवेट सेक्टर की भर्ती समितियों में बैठेंगे? लोगों को अब भाषा की भी परीक्षा देनी होगी?”

फार्मा कंपनी बायोकॉन की एमडी किरण मजूमदार शॉ ने कहा, “एक प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में हमें कुशल प्रतिभा की दरकार होती है और हमारा मकसद हमेशा स्थानीय लोगों को रोजगार देना होता है। हमें इस कदम से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं करना चाहिए।” एसोचैम की कर्नाटक इकाई के सह अध्यक्ष आरके मिश्रा ने भी आलोचना करते हुए कहा, “कर्नाटक सरकार का एक और प्रतिभावान कदम।”

प्रमुख कारोबारियों के बाद अब आईटी कंपनी संगठन नेशनल असोसिएशन फॉर सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेस कंपनीस (एनएएसएससीओएम) ने भी इस निर्णय अपनी चिंताएँ जाहिर की हैं। एनएएसएससीओएम ने कर्नाटक सरकार से इस बिल को वापस लेने की माँग की है और कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें राज्य से बाहर जाने का कदम उठाना पड़ सकता है।

एनएसएससीओएम ने एक पत्र जारी करके इस नए बिल को लेकर समस्याएँ बताई हैं। इस पत्र में एनएएसएससीओएम ने कहा, “टेक सेक्टर कर्नाटक की अर्थव्यवस्था और समाज के विकास में बड़ा कारक रहा है। टेक सेक्टर राज्य की GDP में लगभग 25% योगदान देता है और प्रदेश के रफ़्तार से तरक्की में बड़ा सहायक रहा है जिससे राज्य की प्रति व्यक्ति आय देश के औसत से ऊँची हो गई है। राज्य में देश के 30% GCC (ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर) और 11,000 स्टार्टअप हैं।

केजरीवाल की जमानत पर फैसला सुरक्षित, जानिए हाई कोर्ट में वकील सिंघवी और सीबीआई ने दीं क्या-क्या दलीलें

#arvind_kejriwal_bail_plea_hearing_in_high_court 

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल शराब नीति घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। केजरीवाल ने जमानत के अलावा अपनी गिरफ्तारी को भी दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। सोमवार को हाई कोर्ट में सीबीआई से जुड़े भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के मामले में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। जमानत पर अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी।

अदालत ने कहा है कि फैसला लिखने में 5-7 दिनों का समय लगेगा। सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील ने कहा कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी ईडी मामले में अंतरिम ज़मानत दे दी है। आज वो बाहर होते, अगर सीबीआई इंश्योरेंस अरेस्ट नहीं करती। सीबीआई की तरफ से स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर डी. पी. सिंह ने अपनी दलील में कहा कि जांच एजेंसी होने के नाते हमारे पास अपने अधिकार है। हमारे पास अपने अधिकार हैं कि किस आरोपी के खिलाफ कब चार्जशीट करनी है और किस आरोपी को किस समय बुलाना है।

अरविंद केजरीवाल की ओर से सिंघवी की दलीलें

• अरविंद केजरीवाल एक मुख्यमंत्री हैं कोई आतंकवादी नहीं कि उनको जमानत ना मिले

• तारीखें इस बात का बयान देती है की गिरफ्तारी की कोई जरूरत नही थी। ये केवल इंश्योरेंस अरेस्ट था

• सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने आदेश में साफ कहा है कि इंटेरोगेशन गिरफ़्तारी का आधार नहीं हो सकता

• सीबीआई ने अपनी अर्जी में गिरफ्तारी का कोई आधार नही दिया। 

• एक भी आधार नही बताए गए कि आखिर गिरफ्तारी क्यों की जा रही हैं। मुझे बिना सुने 25 जून को सीबीआई की अर्जी को मंजूरी मिल गई और मुझे गिरफ्तार किया गया

• अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील समाप्त करते हुए कहा

• अरविंद केजरीवाल की ब्लड शुगर 5 बार सोते हुए 50 के नीचे जा चुकी है

• इस मामले में सबको जमानत मिल रही है, मेरी पार्टी का नाम आम आदमी पार्टी है लेकिन मुझे बेल नहीं मिल रही

बता दें कि दिल्‍ली शराब घोटाला से जुड़े मामले में ट्रायल कोर्ट ने मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमान दे दी थी। ईडी की तमाम दलीलाों को खारिज करते हुए राउज एवेन्‍यू कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को जमानत दी थी। जांच एजेंसी राउज एवेन्‍यू कोर्ट के फैसले को दिल्‍ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने सीएम केजरीवाल की जमानत को लेकर दिए गए निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी। इसके बाद मुख्‍यमंत्री केजरीवाल के जेल से बाहर आने की उम्‍मीदें धूमिल हो गई थीं। उनकी अंतरिम जमानत याचिका पर बुधवार को भी हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

हरियाणा सरकार का बड़ा ऐलान, अग्निवीरों के लिए पुलिस और माइनिंग गार्ड भर्ती में 10 फीसदी आरक्षण

#agniveer_get_10_percent_reservation_in_jobs_in_haryana 

हरियाणा की नायब सैनी सरकार ने अग्निवीरों को लेकर बड़ा ऐलान किया है।प्रदेश की नायब सिंह सैनी सरकार ने पुलिस और माइनिंग गार्ड में पूर्व अग्निवीरों को 10 फीसद तक आरक्षण देने की घोषणा की है।साथ ही राज्य की ग्रुप C और D भर्ती में भी उम्र सीमा में भी छूट दी जाएगी। वहीं, अपना बिजनेस करने के लिए बिना ब्याज के लोन भी दिया जाएगा। बता दें कि हरियाणा में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। सत्तारुढ़ बीजेपी चुनावी जीत की हैट्रिक लगाने को बेताब है। ऐसे में चुनाव से पहले हरियाणा की बीजेपी सरकार का ये ऐलान फायदेमंद साबित हो सकता है।

मुख्यमंत्री सैनी ने आज बुधवार को अग्निवीरों के लिए बड़ी योजना का ऐलान किया। मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि पीएम मोदी की ओर से 14 जून 2022 को अग्निपथ योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत अग्निवीरों को 4 साल के लिए भारतीय सेना में तैनात किया जाता है। हमारी सरकार अब हरियाणा में अग्निवीरों के लिए राज्य सरकार द्वारा भर्ती किए जाने वाले कांस्टेबल, माइनिंग गार्ड, फॉरेस्ट गार्ड, जेल वार्डन और एसपीओ के पदों पर सीधी भर्ती में 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करेगी।

बिना ब्‍याज लोन 

अग्निवीर सैनिकों को 500000 तक बिना ब्याज का लोन दिया जाएगा। पूर्व अग्निवीर सरकारी लोन लेकर चाहें तो अपना कामकाज भी शुरू कर सकते हैं, ताकि वे आत्‍मनिर्भर बन सकें और अपने परिवार का भरण-पोषण भी अच्‍छी तरह से कर सकें। साथ ही पूर्व अग्निवीरों को आर्म्‍स लाइसेंस भी दिया जाएगाय़

अग्निवीरों को यातायात दुर्घटना में घायल होने पर मुआवजा

सरकार अग्निवीर सैनिकों को यातायात दुर्घटना में घायल होने पर मुआवजा देगी। सड़क दुर्घटना में घायलों का पूरा खर्च भी सरकार उठाएगी। इसके लिए हर जिले में कमेटी का गठन किया गया है। अगर पीड़ित की मौत हो जाती है तो परिजनों को मुआवजा मिलेगा। इस खर्च का वहन हरियाणा रोड सेफ्टी फंड से किया जाएगा । इस स्कीम के तहत बीमाकृत तथा बीमा रहित वाहनों और टक्कर मारकर भागने वाले मोटर वाहन दुर्घटनाओं के पीड़ितों को कैशलेस उपचार की सुविधा प्रदान की जाएगी।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इस दौरान कांग्रेस पर भी निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस ने अग्निवीर योजना को लेकर दुष्प्रचार किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अग्निवीर प्रधानमंत्री की लोकहित योजना है। इसलिए कांग्रेस इसके बारे में लोगों को भ्रमित करने का काम कर रही है। 

हरियाणा सरकार का ये ऐलान ऐसे वक्त में आया है जब अग्निवीर योजना का मुद्दा संसद में उठा था। लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र की अग्निवीर योजना का हवाला देते हुए कहा था कि मैं अग्निवीर परिवार से मिला हूं अग्निवीर जवान को केंद्र सरकार शहीद का दर्जा नहीं देती। अग्निवीर जवान यूज एंड थ्रो मजदूर हैं। इस योजना को लेकर युवकों के मन में डर व्याप्त है। वहीं राज्य में आने वाले वक्त में विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं।

45 साल से संस्कृत में लड़ रहे केस, आज तक कोई नहीं हरा पाया, जब भी अदालत की चौखट पर कदम रखा, संस्कृत भाषा का ही किया इस्तेमाल

आज तक अदालतों में हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू इन्हीं तीनों भाषाओं का इस्तेमाल होते अक्सर देखा गया है. लेकिन आज ऐसे वकील के बारे में जानिए जिन्होंने जब भी अदालत की चौखट पर कदम रखा, संस्कृत भाषा का ही इस्तेमाल किया. इनका नाम है आचार्य श्यामजी उपाध्याय.

श्यामजी उपाध्याय उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बीते 45 साल से संस्कृत भाषा में वकालत कर रहे हैं. श्यामजी से जब पूछा गया कि हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू को छोड़ उन्होंने वकालत के लिए संस्कृत क्यों चुना तो उन्होंने 70 साल पुराना अपने जीवन से जुड़ा एक किस्सा सुनाया. वो साल 1954 था, जब श्याम जी उपाध्याय सात साल की उम्र में अपने पिता पंडित संकठा प्रसाद उपाध्याय के साथ मिर्ज़ापुर कचहरी गए हुए थे. पिताजी को किसी से कहते सुना कि यहां अंग्रेजी, हिन्दी और उर्दू में तो बहस हो रही है, लेकिन संस्कृत में नही, बहुत अफ़सोस है कि यहां संस्कृत में कोई बहस करने वाला नहीं है.

सात साल के श्यामजी उपाध्याय ने पिता की इच्छा के लिए प्रण लिया कि अब वकील ही बनना है और संस्कृत में ही मुकदमा लड़ना है.1978 मार्च से बनारस कचहरी में मुकदमा लड़ने की शुरुआत हुई. फौजदारी मामले के वकील श्री श्यामजी उपाध्याय 1978 से अभी तक कई केस लड़ चुके हैं, लेकिन उनका दावा है कि अभी तक कोई केस नही हारे हैं. वह वाराणसी के सेशन कोर्ट में वकालत करते हैं.

श्यामजी कहते हैं कि सुनवाई के दौरान संस्कृत के आसान शब्दों का ही इस्तेमाल करते हैं. पास में ही ट्रांसलेटर रहता है, जो कि वहीं अनुवाद करके समझा देता है. श्यामजी कहते हैं कई बार तो वह खुद भी अदालत को हिंदी में मतलब समझा देते हैं. श्यामजी शपथ पत्र सहित अन्य दस्तावेज भी संस्कृत में ही अदालत में पेश करते हैं.

श्यामजी उपाध्याय अपने चैम्बर में बाबा विश्वनाथ को स्थापित कर रखे हैं. बाबा विश्वनाथ को पुष्प अर्पित कर धूप दिखाकर ही काम की शुरुआत करते हैं. पिछले 70 सालों से गंगा स्नान और बाबा विश्वनाथ का दर्शन करना उनके दिनचर्या का हिस्सा रहा है. 2003 में भारत सरकार ने श्री श्यामजी उपाध्याय को संस्कृत मित्र पुरस्कार से सम्मानित किया. श्यामजी उपाध्याय हिन्दी और संस्कृत में एक दर्जन से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं. इनके कानून, संस्कृति, धर्म और दर्शन पर दर्जनों लेख भी छप चुके हैं.