डोडा अटैक का पाक आर्मी से कनेक्शन, आतंकियों के भेष रिटायर्ड कमांडो फैला रहे दहशत
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जम्मू-कश्मीर के डोडा में आतंकियों ने डेरा जमा रखा है। डोडा के घने जंगलों में आतंकी घात लगाए बैठे हैं। जिसके बाद आतंकियों के खात्मे के लिए सुरक्षाबलों ने मुहिम छेड़ दी है। आतंकियों को खत्म करने के लिए भारतीय सेना ने कमर कस ली है। जिसके लिए लगातार सर्च ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। इसी बीच डोडा में फिर बुधवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई है। 24 घंटे के भीतर डोडा जिले में आतंकियों और भारतीय सेना के जवानों के बीच दो बार मुठभेड़ है। जम्मू में अचानक आतंकी गतिविधियां के पीछे पाकिस्तान का ही हाथ बताया जा रहा है। इंटेल के मुताबिक, पाकिस्तान नए सिरे से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और अपनी सेना के पूर्व जवानों को आतंकी के भेष में भेज रहा है।
सिक्योरिटी एजेंसियों का कहना है कि इसके पीछे पाकिस्तान की सोची-समझी रणनीति काम कर रही है। एजेंसियों का कहना है कि असल में आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के अंडर में काम करने वाले कश्मीर टाइगर्स में कोई कश्मीरी नौजवान शामिल नहीं हैं। बल्कि इसमें सारे पाकिस्तानी हैं। पाकिस्तान के एसएसजी यानी स्पेशल सर्विस ग्रुप से रिटायर्ड कमांडो भी शामिल हैं जो हमले के दौरान पॉइंट ब्लैंक जैसा निशाना साधने में माहिर हैं।
खुफिया एजेंसियों की मानें तो पाकिस्तान आतंकवादियों का एक कट्टर, भारी हथियारों से लैस और प्रशिक्षित समूह वर्तमान में जम्मू डिवीजन के घने जंगलों वाले इलाकों में सक्रिय आतंकवादी समूह के तौर पर हमलों को अंजाम दे रहा है। एजेंसी के मुताबिक ये पाकिस्तानी आतंकी हिट-एंड-रन अभियान की तरह अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं और फिर निकट के जंगलों में गायब हो जाते हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि डोडा में आतंक फैलाने वाले ये आतंकी समूह के सदस्य पूर्व पाकिस्तानी सेना के नियमित सैनिक हो सकते हैं न कि साधारण भाड़े के सैनिक। क्योंकि इन्हें अच्छे से ट्रेनिंग दी गई है।जिस तरह से ये पाकिस्तानी आतंकी जंगल में बैठकर चाल पर चाल चल रहे हैं, ये भाड़े के आतंकी नहीं कर सकते।
सैन्य सूत्रों ने बताया कि डोडा हमले में शहीद हुए चारों जवान खोजी दल का नेतृत्व कर रहे थे। उन सभी के चेहरे पर गोली लगी थी। उनके चेहरे कवर नहीं थे। सभी ने लेटेस्ट बुलेट-प्रूफ जैकेट और हेलमेट पहने हुए थे। जवानों पर दो तरफ से घात लगाकर हमला किया गया। वहीं, आतंकवादियों ने जिस जगह को चुना, वहां पेड़ों की कोई छाया नहीं थी, वह खुली जगह थी। आतंकवादियों ने असाल्ट राइफल्स में थर्मल स्कोप का इस्तेमाल करके हेडशॉट से एक-एक करके सैनिकों को निशाना बनाया। सूत्रों ने बताया कि अब तक तीन बातें सामने आई हैं- जम्मू क्षेत्र के घने जंगलों में छिपे आतंकवादी विदेशी मूल के हैं; उन्हें छिपने, घात लगाने और सैनिकों के चेहरों को निशाना बनाने जैसी सैन्य रणनीतियां सिखाई गई हैं। उन्होंने अंदेशा जताया है कि आतंकियों के भेष में ये पाकिस्तानी सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप के पूर्व कमांडो हो सकते हैं।
वहीं, ये भी बताया जा रहा है कि डोडा हमले की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर्स ने ली है। संगठन का सा नाम रखने के पीछे पाकिस्तान और जैश की सोच पश्चिमी देशों से ध्यान भटकाने की है। जिसमें आतंकवादी संगठन का नाम इस्लामिक ना रखा जाए, दूसरे जम्मू-कश्मीर में जब भी कहीं आतंकी हमला हो तो दुनिया को यह लगे कि भारत में यह लोकल स्तर पर बनाए गए संगठन के लोग कर रहे हैं, पाकिस्तान नहीं। उन्होंने कहा कि असल में, कश्मीर संगठन में कोई कश्मीरी नहीं है।
अधिकारी ने बताया कि इस संगठन के लिए जम्मू-कश्मीर में लोकल स्तर पर कुछ लोग जरूर सपोर्ट कर रहे हैं। लेकिन इसमें पाकिस्तानी लड़ाके ही शामिल हैं। इसमें भी पाकिस्तान के पंजाब राज्य के बहावलपुर और लश्कर के लिए मुरीदके से अधिक नौजवान शामिल हो रहे हैं। बहावलपुर पाकिस्तान का 10वां सबसे बड़ा शहर है। सिक्योरिटी एजेंसियों का कहना है कि आने वाले समय में यह भी हो सकता है कि इसी तरह से इंग्लिश नाम पर कोई और आतंकी संगठन सामने आ जाए। पाकिस्तान नहीं चाहता कि वह दुनिया में खासतौर से पश्चिमी देशों के सामने आतंकवाद को बढ़ावा देने के रूप में एक्सपोज हो। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से खासतौर से जब से जम्मू-कश्मीर से 370 हटाई गई है तभी से हमले की जिम्मेदारी लेने में जैश और लश्कर के डायरेक्ट नाम बहुत कम ही सामने आ रहे हैं।
Jul 18 2024, 12:37