डीयू में मनुस्मृति को लेकर विवाद, कांग्रेस ने सरकार पर उठाए सवाल
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दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुस्मृति को लेकर विवाद हो गया है। विवाद बढ़ने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय ने लॉ की पढ़ाई में मनुस्मृति पढ़ाए जाने का प्रस्ताव रिजेक्ट कर दिया है। दरअसल, यूनिवर्सिटी के एलएलबी के छात्रों को मनुस्मृति पढ़ाने की तैयारी हो रही थी। इस संबंध में लाए गए प्रस्ताव को मंजूरी के लिए यूनिवर्सिटी के शीर्ष अधिकारियों को भेजा गया। हालांकि, डीयू के वाइस चांसलर योगेश सिंह ने स्पष्ट किया कि मनुस्मृति के सुझावों को खारिज कर दिया गया है।
दरअसल, गुरुवार को खबर सामने आयी कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के एलएलबी के छात्रों को मनुस्मृति पढ़ाने के प्रस्ताव पर चर्चा की जाने वाली है। शुक्रवार (12 जुलाई) को अकादमिक परिषद की बैठक होगी, जिसमें इस पर चर्चा होगी। फैक्लटी ऑफ लॉ फर्स्ट और थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स को मनुस्मृति पढ़ाने के लिए सिलेबस में बदलाव चाहता है। इसके लिए यूनिवर्सिटी के फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था से मंजूरी मांगी गई है।
जब दिल्ली यूनिवर्सिटी में मनुस्मृति पढ़ाए जाने की तैयारियों की जानकारी सामने आई, वैसे ही इसकी आलोचना शुरू हो गई। आनन-फानन में यूनिवर्सिटी के वीसी योगेश सिंह सामने आए और उन्होंने पूरे मामले पर सफाई दी। उन्होंने कहा, दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैक्लटी ऑफ लॉ के जरिए आज एक प्रस्ताव पेश किया गया था। इस प्रस्ताव में उन्होंने न्यायशास्त्र विषय में बदलाव का सुझाव दिया था। वाइस चांसलर ने आगे कहा, इसमें से एक बदलाव मनुस्मृति को शामिल करने को लेकर था. हमने किताबों को शामिल करने और फैक्लटी के जरिए बदलाव के प्रस्ताव दोनों को ही खारिज कर दिया है। इस तरह की कोई भी चीज छात्रों को नहीं पढ़ाई जाएगी।
अब इस मामले में सियासत की एंट्री हो गई है। कांग्रेस के एससी-एसटी विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश लिलोठिया ने कहा है कि लॉ फैकल्टी दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन है। इस तरह का प्रस्ताव लाने वालों के नाम सामने लाए जाएं। ऐसे लोग संविधान विरोधी हैं। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए वरना आंदोलन जारी रहेगा।
मनुस्मृति है क्या?
मनुस्मृति हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। इसे मनु संहिता या मानव धर्मशास्त्र के नाम से भी जाना जाता है। संस्कृत में लिखे गए इस ग्रंथ में धर्म, सामाजिक व्यवस्था और कानून से जुड़े विषयों पर जानकारी दी गई है। माना जाता है कि इसे भगवान मनु ने लिखा था जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उन्हें हिन्दू धर्म में मानव जाति का प्रथम पुरुष भी कहा जाता है। मनु संहिता में कुल 12 अध्याय और 2684 श्लोक हैं। हालांकि, इसके कुछ संस्करणों में 2,964 श्लोक बताए गए हैं।
Jul 12 2024, 15:45