सिर्फ 6 दिन में अदृश्य हुए बाबा बर्फानी, जानें क्या है वजह
#amarnath_shrine_shiva_lingam_melt_just_over_a_week
कश्मीर के अनंतनाग जिले में हर साल गर्मियों में अमरनाथ यात्रा होती है। अमरनाथ के पवित्र गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से शिवलिंग की संरचना होती है। गर्मियों में जब गुफा के अंदर पानी जम जाता है, तब शिवलिंग का आकार बढ़ जाता है। यह माना जाता है कि यह संरचना भगवान शिव का रूप है। सदियों से इस शिवलिंग के आकार को आध्यात्मिक महत्व दिया जाता रहा है। जिसके दर्शन के लिए लाखों लोग हर साल पहुंचते हैं। हालांकि इस साल बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को निराशा हुई है। दरअसल, यात्रा शुरू होने के एक हफ्ते बाद ही शिवलिंग यानी बाबा बर्फानी अदृश्य हो गए। 29 जून को ही अमरनाथ यात्रा शुरू हुई थी और 6 जुलाई को अमरनाथ गुफा की शिवलिंग पिघल गई. साल 2008 के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब यात्रा शुरू होने के 10 दिन से भी कम समय में अमरनाथ का शिवलिंग अदृश्य हुआ है. यानी अमरनाथ यात्रा खत्म होने से पहले ही बाबा बर्फानी पिघल गए।
अमरनाथ यात्रा में समय से पहले बाबा बर्फानी के विलीन होने के मुख्य कारणों में मौसम एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। पिछले साल सर्दियों कम बर्फबारी हुई थी और हाल ही में कश्मीर संभाग में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के कारण बाबा बर्फानी का आकार प्रभावित हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह के दौरान बहुत अधिक तापमान के कारण पिघलने की प्रक्रिया तेज हो गई है।
2008 के बाद यह पहली बार है कि यात्रा के पहले 10 दिनों के भीतर बर्फ का शिवलिंग पूरी तरह से गायब हो गया है। बाबा बर्फानी के पिछले दस सालों की बात करें तो 2014 से बाबा बर्फानी के पिघलने का सिलसिला तेज हो गया। साल 2014 में 71 दिन तक बाबा बर्फानी के दर्शन हुए थे उसके बाद वो अदृश्य हो गए थे। 2015 में तो मात्र 48 दिन में ही पिघल गए थे।
• साल 2016 में 35 दिन बाद ही पिघल गए थे
• साल 2017 में 48 दिन बाद ही पिघल गए थे
• साल 2018 में 36 दिन बाद ही पिघल गए थे
• साल 2019 में 28 दिन बाद ही पिघल गए थे
• साल 2020 में 38 दिन बाद ही पिघल गए थे
• साल 2021 में 35 दिन बाद ही पिघल गए थे
• साल 2022 में 42 दिन बाद ही पिघल गए थे
• साल 2023 में 35 दिन बाद ही पिघल गए थे
• साल 2024 में 6 दिन बाद ही पिघल गए थे
बाबा बर्फानी के इतने जल्दी विलीन हो जाने के बाद अब तरह-तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। कुछ लोग इसे प्रकृति का बड़ा संकेत मान रहे तो कुछ लोग इसके पीछे बढ़ते तापमान को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हालांकि, मूल समस्या जलवायु परिवर्तन है। पहाड़ी क्षेत्रों में खासतौर पर इस बार गर्मी बहुत बढ़ी है। दरअसल, यह एक अल नीनो वर्ष है, जो आमतौर पर कश्मीर हिमालय में कम बर्फबारी लाता है। यह लंबे समय तक शुष्क रहने का कारण बनता है।
जम्मू कश्मीर में अभी बी प्रचंड गर्मी से राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। ऐसे में भीषण गर्मी के चलते लोग काफी परेशान है।0 इसके साथ ही तापमान लगातार नए रिकार्ड बना रहा है। जहां पिछले एक हफ्ते से कश्मीर घाटी में गर्मी और बारिश न होने से परेशानियां बड़ा दी हैं। वहीं, पहाड़ों में पड़ने वाली गर्मी के चलते पहाड़ों में ग्लेशियर के पिघलने में तेजी आई है, जिससे नदियों का जलस्तर भी बढ़ने लगा है। ऐसे में मौसम विभाग की तरफ से इस गर्मी के बाद होने वाली बारिशों से होने वाली बाढ़ और भूस्खलन को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के प्रमुख डॉ मुख़्तार अहमद ने बताया कि पिछले कई सालों में ग्लोबल वार्मिंग के चलते तापमान में दो डिग्री की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि अगर तापमान में एक डिग्री की बढ़ोतरी होती है तो हवा में नमी की मात्रा 7 प्रतिशत तक जाती है, जिससे बाढ़ आने का कारण बना रहता है।
Jul 08 2024, 14:05