उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय को लेकर कहीं यह बात
बिहार के मुजफ्फरपुर में उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि आपातकाल लोकतंत्र के साथ एक भद्दा मजाक भर नहीं था बल्कि देश की उस जनता के साथ छलावा भी था जिसने आजाद भारत में कई आजाद सपने पाल रखे थे. ये बातें सूबे के उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय पर जिला भाजपा द्वारा आयोजित संगोष्टी में कही।
उन्होंने कहा समय की यात्रा में कुछ पड़ाव वैसे रह जाते हैं कि उन्हें याद रखना भी हमारी मजबूरी नहीं अपने बच्चों के भविष्य के लिए जरूरी होता है। वह काला अध्याय फिर से दोहराया न जाए खासकर उस काले धब्बे की स्मृति की छाप जो लोकतंत्र को लहू लुहान किया लोकतंत्र की आत्मा को झकझोर दिया संविधान पर जो शोर मचाते हैं कौन लोग है जो बार बार शोर मचाए समाज उसको चोर कहता है।
उन्होंने कहा जो संविधान के साथ गद्दारी किया संविधान की आत्मा को घायल किया एक बार नहीं अनेकों बार, देश में 75 बार राष्ट्रपति शासन लगाकर जनता के निर्वाचित सरकार को इन्होंने ध्वस्त किया यह संविधान की दुहाई देते हैं आधी रात में यही बिहार विधानसभा में 2005 फरवरी में चुनाव हुआ था जनता ने सरकार को चुनकर भेजा था आधी रात में डॉक्टर अब्दुल कलाम आजाद साहब से विदेश में हस्ताक्षर कराकर राष्ट्रपति शासन लगा था यह संविधान की दुहाई देते हैं।
जिस संविधान के मूल आत्माओं में हमारा हिंदुस्तान बसता है उस आत्माओं को धूमिल करने का छवि छुपाने का खेल किसने खेला संविधान का 22 भाग है और 22 भाग में प्रथम भाग वैदिक काल से शुरू होता है मोहनजोदड़ो की हड़प्पा संस्कृति से लेकर तीसरा भाग पर हमारे भगवान राम का मौलिक अधिकार की भी बात होती है जिसमें राम जी का, मां जानकी लक्ष्मण जी का चित्र लगा है लेकिन बाजार में जो संविधान मिलता है वह चित्र दिखाई नहीं पड़ता है जो सही संविधान है
आम लोगों को वह दिखाई क्यों नहीं पड़ता वह उपलब्ध क्यों नहीं है इन लोगों ने इस तरह की व्यवस्था का निर्णय बनाया जो पॉकेट की संविधान छोटे-छोटे किताबों की संविधान है। हमारे यहां एक सेक्रेटरी जिला जज हुआ करते थे उन्होंने कहा मैं भी जज होकर वह संविधान नहीं देख पाया लेकिन हमने अपने विधानसभा अध्यक्ष के नाते जब भगवान राम पर कुछ लोगों ने प्रश्न उठाए हमने कहा संविधान पर शपथ लेने वाले भगवान राम पर प्रश्न ना उठाएं क्योंकि वह संविधान का पाठ है संविधान का अंग है इसके निर्माता ने पूरे देश के जो स्कॉलर थे जो समाज के लिए अपने को समर्पित कर चुके थे उन लोगों ने जो संविधान में भगवान राम जी लक्ष्मण जी मां जानकी हनुमान जी से लेकर महादेव बुद्ध, महावीर, गुरु गोविंद सिंह सभी की तस्वीर लगाई। अपने इतिहास चंद्रगुप्त पर सम्राट अशोक पर आज उस इतिहास को भी दबाया गया है और यह सारे खेल उन लोगों के मानसिकता की उपज थी जिन लोगों ने राष्ट्र की संप्रभुता से ज्यादा अपने संप्रभुता पर ध्यान दिया अपने परिवार के संप्रभुता की चिंता जिनको ज्यादा सताई आपातकाल पहली बार नहीं हुए देश में आपातकाल तीन बार लगा है
पहले 1965 में लगा जब चीन के साथ युद्ध हुआ, 1971 में जब पाकिस्तान के साथ युद्ध की शंखनाद हुई पूरे देश में आपातकाल लग गया लेकिन यह आपातकाल जो 1975 में लगा कोई युद्ध नहीं हो रहा था एक वैसे सत्ता पर बैठे तानाशाही हिटलर शाही फासीवादी मानसिकता के लोगों के मन के अंदर एक भय सता रहा था उनको लग रहा था कि देश की जनता हमारे अत्याचार के कारण हमको सत्ता से बेदखल ही नहीं करेगी हमारे समूल को नष्ट कर देगी इसलिए वह आंतरिक इमरजेंसी का वातावरण को निर्मित किया संविधान के अंदर प्रावधान के माहौल का लाभ उठाया और यह आपातकाल के माध्यम से बड़े-बड़े नेताओं को गिरफ्तार करके जेल के अंदर बंद कर दिया उनकी आवाज को दबा दिया गया प्रेस मीडिया पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष रंजन कुमार ने कहा कि आपातकाल की काली रात याद कर आज भी सिहर उठते हैं लोग कि कैसे आपातकाल का विरोध करने वालों को सरकार ने ब्रिटिश हुकूमत के दौरान किए गए अत्याचारों की याद दिला दी थी।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अपने आप को यदि सचेत रखना है तो, हम सभी को आज का दिन याद रखना होगा याद रखना होगा कि आपातकाल के दौरान एक परिवार ने सत्ता सुख के खातिर संविधान का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि आपातकाल के 47 साल पूरे होने के मौके पर ‘काला दिवस’ का आयोजन कांग्रेस की आलोचना करने भर के लिए नहीं बल्कि संविधान पर इसके जोखिम के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए है। भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने आम जन की आवाज कुचलने की पूरी कोशिश की। धारा-352 लगा दी गई जिसके तहत सरकार को असीमित अधिकार मिल गए। इस धारा के मुताबिक इंदिरा जब तक चाहें सत्ता में रह सकती थीं। लोकसभा-विधानसभा के लिए चुनाव की जरूरत नहीं थी। मीडिया और अखबार आजाद नहीं थे। सरकार कैसा भी कानून पास करा सकती थी सेंसेर और प्रजातंत्र के एकाधिकार द्वारा श्रीमति इंदिरा गांधी जनता को विपक्ष से पूरी तरह से काट देना चाहती थीं। लेकिन हुआ ठीक इसका उलट। उनके प्रचार-तंत्र की विश्वसनीयता खत्म सी हो गई थी। भूमिगत साहित्य ने विपक्ष से जनता को जोड़े रखा।
इसके विपरीत श्रीमति इंदिरा गांधी जनता से बुरी तरह से कट गईं। जनमानस की मन: स्थिति की इसी स्थिति से गैर जानकार रहने के कारण श्रीमति गांधी चुनाव कराने का फैसला ले बैठीं और जब उन्होंने जन-मानस का बदला हुआ रूप देखा, तब तक काफी देर हो चुकी थी। वहीं बिहार सरकार के पंचायती राज्य मंत्री केदार गुप्ता ने कहा कि एक परिवार के विरोध में उठने वाले स्वरों को कुचलने के लिए थोपा गया आपातकाल आजाद भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है।
21 महीनों तक निर्दयी शासन की क्रूर यातनाएं सहते हुए देश के संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष करने वाले सभी देशवासियों के त्याग व बलिदान को आज मैं नमन करता हुं। मौके पर पूर्व मंत्री राम सूरत राय ने संबोधित करते हुए कहा कि भारत की आत्मा गॉंवों में बस्ती है आपातकाल की भयावहता ने उनकी आत्मा को झकझोर डाला था। गाँव की बेबस मासूम जनता के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। बहुत से गॉंव ऐसे थे जिन पर सत्ता के आदेश पर अत्याचार किये गये किन्तु उनका कोई व्यौरा दर्ज नहीं किया था। अपना प्रभुत्व सबसे निचले तबके तक बनाये रखने के लिए तथा आपातकाल का खौफ बनाने के लिए निरपराध एवं मासूमों को टार्गेट किया गया। और इन्हें झूठे केसों में गिरफ्तार किया गया था।
आपातकाल की यातनाओं एवं अपने अनुभव को साझा करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता विष्णुकांत झा ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान आज ही के दिन 25 जून, 1975 को आपातकाल लागू की गई थी कांग्रेस ने देश में आपातकाल लगाकर देश की जनता के मौलिक अधिकारों का हनन किया गया था। भूखे, बेरोजगार, निराश्रित लोगों पर सहानुभूति की बजाय उनसे अमानवीय व्यवहार किया गया और बलपूर्वक नसबंदी जैसा असंवेदशील कार्यक्रम चलाया गया।आपातकाल के दौरान देश में संवैधानिक संकट पैदा हो गया था। संस्थाओं पर कांग्रेस का कब्जा हो गया था और कांग्रेस की प्रशंसा करने वाले लोगों को ही इन संस्थाओं में काम करने का मौका दिया गया था।
इस दौरान सरकार का विरोध करने वालों को जेल भेजा गया पूरे के पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था। वहीं मंचासिन पूर्व मंत्री सुरेश कुमार शर्मा, विधायक बेबी कुमारी ने भी सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम में आपातकाल से जुड़े जनसंघ काल के वरिष्ठ नेता विष्णुकांत झा, लोक अभियोजक प्रमोद शाही, एवं पुरुषोत्तम पोद्दार जिनका भाजपा जिलाध्यक्ष रंजन कुमार एवं मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने अंगवस्त्र एवं पुष्पगुच्छ दे कर सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री सचिन कुमार ने एवं धन्यवाद ज्ञापन महामंत्री प्रभु कुशवाहा ने किया ।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से
जिला महामंत्री धर्मेंद्र साहू, उपाध्यक्ष अंकज कुमार, जिला मंत्री नचिकेता पांडे, नंदकिशोर पासवान, कनकमणि,मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल, साकेत शुभम, राकेश पटेल, राजकुमार श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष संजय चूड़ीवाल प्रवक्ता राजीव कुमार, सत्य प्रकाश भारद्वाज, मनोज कुमार पिंटू, मोर्चा अध्यक्ष भारत रतन यादव, विजय पांडे, उत्पल रंजन, फेकू राम, महिला मोर्चा महामंत्री कोमल सिंह, कुमारी ममता गुड़िया मेहता, शांतनु शेखर, अभिषेक सौरभ, प्रणव भूषण मोनी, परितोष सिंह एवं सभी मंडल अध्यक्ष, प्रकोष्ठ संयोजक विभाग और कार्यसमिति सदस्य मौजूद रहे।
Jul 05 2024, 10:37