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नरेन्द्र मोदी का शपथ ग्रहण समारोह आज, इन नेताओं को भी मिल सकती है कैबिनेट में जगह

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भाजपा नेता नरेंद्र मोदी रविवार को लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए तैयार हैं। इस भव्य समारोह में पड़ोसी देशों के नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों सहित 8,000 से अधिक लोग शामिल होंगे। मोदी के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर राष्ट्रीय राजधानी को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। हर जगह सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली को नो फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है। ड्रोन उड़ाने, पैराग्लाइडिंग पर रोक लगा दी गई है। राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में कई देशों के राष्ट्रप्रमुख भी शामिल होंगे। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और सेसेल्स के उपराष्ट्रपति अहमद अफीफ शनिवार को भारत पहुंच गए। वहीं श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमासिंघे, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जुगनाथ, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोग्बे भी आज भारत पहुंचेंगे। 

मोदी के साथ आज जो सासंद आज मंत्री पद की शपथ लेंगे, उन्हें फोन आने शुरू हो गए हैं। मोदी के साथ शपथ के लिए जिन जिन सांसदों को फोन गया है, उनमें चिराग पासवान, रामनाथ ठाकुर, जीतन राम मांझी, जयंत चौधरी, एचडी कुमारस्वामी, सर्वानंद सोनोवाल, जितेंद्र सिंह, अर्जुन मेघवाल, पीयूष गोयल, नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, टीडीपी से दो सांसदों को राम मोहन नायडू और चंद्रशेखर पेम्मासानी शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोदी कैबिनेट में चार मंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी से हो सकते हैं। वहीं नीतीश कुमार की जदयू को दो मंत्री पद मिल सकते हैं। टीडीपी से राम मोहन नायडू, हरीश बालायोगी और दग्गुमल्ला प्रसाद को मंत्री बनाया जा सकता है। 

वहीं जनता दल यूनाइटेड से ललन सिंह और राम नाथ ठाकुर मंत्री बन सकते हैं। ललन सिंह लोकसभा और राम नाथ ठाकुर राज्यसभा सांसद हैं। गौरतलब है कि राम नाथ ठाकुर भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया जा रहा है कि रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी, अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया पटेल, बिहार की हम पार्टी के नेता जीतनराम मांझी को भी केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शनिवार शाम को हुई एनडीए की बैठक में यह फैसला हुआ। लोकसभा चुनाव में तेदेपा ने 16 और जदयू ने 12 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है और मौजूदा एनडीए सरकार में इन दोनों पार्टियों की अहम भूमिका है।

CBI ने लैंड फॉर जॉब केस मामले में लालू यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट, 6 जुलाई को कोर्ट करेगी सुनवाई

डेस्क: सीबीआई ने आज कोर्ट में लैंड फॉर जॉब मामले में लालू प्रसाद यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ कंक्लूडिंग चार्जशीट दाखिल कर दिया है। इस चार्जशीट में 78 लोगों के नाम है। इससे पहले दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई को चार्जशीट दाखिल करने का आदेश दिया था। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 29 मई को अपने एक आदेश में कहा था कि सीबीआई 7 जून तक फाइनल चार्जशीट दाखिल करे। कोर्ट ने सीबीआई पर हर तारीख को चार्जशीट दाखिल करने के लिए समय मांगने पर नाराजगी भी जताई थी। 

कोर्ट ने जताई थी नाराजगी

इसी कारण आज सीबीआई ने लैंड फॉर जॉब मामले में लालू प्रसाद यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ कंक्लूडिंग चार्जशीट दाखिल किया है। सीबीआई ने यह चार्जशीट अतिरिक्त सेशन जज विशाल गोगने की कोर्ट में लालू प्रसाद यादव सहित अन्य के खिलाफ दाखिल किया है। सीबीआई ने 78 लोगों को आरोपी बनाया है। सीबीआई ने कहा कि 38 कैंडिडेट्स है, इसके अलावा कुछ अधिकारी शामिल है। सीबीआई ने कहा कि मंजूरी का इंतजार है। सीबीआई ने कहा 6 जुलाई तक इस मामले में मंजूरी मिल जाने की उम्मीद है। कोर्ट चार्जशीट पर 6 जुलाई को सुनवाई करेगा।

क्या है लैंड फॉर जॉब मामला?

लैंड फॉर जॉब मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू यादव रेल मंत्री थे। लालू पर आरोप है कि लालू यादव ने पद पर रहते हुए परिवार को जमीन दिलाने के बदले रेलवे में नौकरियां दिलवाई थी। सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि रेलवे में की गई भर्तियां भारतीय रेलवे के मानकों के दिशा निर्देशों के हिसाब से नहीं थीं।

स्वाति को धमकियां मिल रहीं, जमानत नहीं दे सकते..', मारपीट मामले में केजरीवाल के PA बिभव कुमार की याचिका ख़ारिज

 दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने स्वाति मालीवाल मारपीट मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के पूर्व सहयोगी बिभव कुमार की नियमित जमानत याचिका शनिवार को खारिज कर दी। अदालत ने पीड़िता स्वाति मालीवाल को मिली धमकियों और आरोपी द्वारा गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के मद्देनजर जमानत याचिका खारिज कर दी। सुनवाई के दौरान स्वाति मालीवाल भी मौजूद थीं और उन्होंने उन्हें मिली धमकियों के सबूतों के स्क्रीनशॉट की एक प्रति रिकॉर्ड पर रखी। उन्होंने 13 मई को हुई घटना के बारे में भी बताया।

विशेष न्यायाधीश (NDPS) एकता गौबा मान ने बिभव कुमार की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी। पुलिस पूछताछ के बाद वह न्यायिक हिरासत में है। विशेष न्यायाधीश एकता गौबा मान ने 7 जून को आदेश दिया कि, “इस तथ्य के मद्देनजर कि जांच प्रारंभिक चरण में है और पीड़िता के मन में अपनी सुरक्षा के साथ-साथ अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा को लेकर डर है। यह भी आशंका है कि आरोपी बिभव कुमार अगर स्वतंत्र रहे तो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए मुझे आरोपी बिभव कुमार की जमानत याचिका में कोई दम नहीं दिखता। इसलिए आरोपी बिभव कुमार की मौजूदा नियमित जमानत याचिका खारिज की जाती है।” 

पीड़िता ने आरोप लगाया है कि उसके परिवार और परिवार के अन्य सदस्यों को लगातार धमकियां दी जा रही हैं। स्वाति ने यह भी कहा कि वह डरी हुई हैं, क्योंकि अगर आरोपी को जमानत दी गई तो उनकी और उनके परिवार के अन्य सदस्यों की जान को खतरा है। उन्होंने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। यह दूसरी जमानत याचिका है जिसे अदालत ने खारिज किया है। उसकी पहली नियमित जमानत याचिका 27 मई को खारिज की गई थी। जमानत मांगते हुए बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि आरोपी 2010 से केजरीवाल का पीए है, उस समय केजरीवाल सीएम भी नहीं थे। वह सिर्फ मुख्यमंत्री का PA है जो सीएम के निर्देशानुसार नियुक्तियां देता है। उन्होंने सीएम आवास स्थित कैंप कार्यालय के सहायक अनुभाग अधिकारी द्वारा अपने विभाग को दी गई शिकायत का भी हवाला दिया, जिसमें पीड़िता और आरोपी के 13 मई 2024 को पहुंचने के समय के बारे में बताया गया था।

पीड़िता ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि आरोपी बहुत प्रभावशाली व्यक्ति है और उसके खिलाफ शिकायत करने के बाद, उसके राजनीतिक दल के सभी नेता और कैबिनेट मंत्री पीड़िता को बदनाम करने/उसका चरित्र हनन करने में लगे हुए हैं और उसे उसकी पूरी राजनीतिक पार्टी ने बहिष्कृत कर दिया है, क्योंकि उसने आरोपी के खिलाफ शिकायत की है। स्वाति ने यह भी कहा कि आरोपी बिभव कुमार बहुत प्रभावशाली व्यक्ति है और अपने राजनीतिक दल के नेताओं के संरक्षण में है।

दिल्ली महिला आयोग (DCW) की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने यह भी कहा कि घटना के बाद आरोपी द्वारा एक फर्जी वीडियो बनाया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी द्वारा लीक किया गया कथित छेड़छाड़ और संपादित वीडियो किसी काम का नहीं है, क्योंकि वीडियो घटना के वक़्त का नहीं, बल्कि घटना के बाद का है, जब उन्होंने पुलिस को फोन कर दिया था। अतिरिक्त लोक अभियोजक (APP) अतुल श्रीवास्तव ने याचिका का विरोध किया और कहा कि जांच चल रही है और आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति है। नोएडा में उनके खिलाफ एक मामला लंबित है। उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। यह भी कहा गया कि जांच अधिकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के आवास पर मुलाकात के लिए कोई उचित रजिस्टर नहीं रखा गया है।

यूपी में मिली जीत के बाद 'धन्यवाद यात्रा' निकालेगी कांग्रेस, 11 जून से शुरू होगा कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश में INDI गठबंधन के शानदार प्रदर्शन से उत्साहित कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह 11 से 15 जून तक राज्य के सभी 403 निर्वाचन क्षेत्रों में 'धन्यवाद यात्रा' निकालेगी। इस यात्रा में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के भाग लेने की उम्मीद है। यात्रा के दौरान विभिन्न समुदायों के लोगों को संविधान की एक प्रति देकर सम्मानित किया जाएगा। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से छह पर जीत हासिल की, जबकि उसकी सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) ने 37 सीटें हासिल कीं। दोनों दलों ने भाजपा को पछाड़ दिया, जिसने 33 सीटें हासिल कीं। 

2019 के लोकसभा चुनावों में क्रमशः एक और पांच सीटें जीतने के बाद सपा और कांग्रेस दोनों के लिए यह एक उल्लेखनीय सुधार था। भाजपा ने उस चुनाव में 62 सीटों के साथ राज्य में जीत दर्ज की थी। राहुल गांधी ने रायबरेली में भाजपा प्रतिद्वंद्वी दिनेश प्रताप सिंह को तीन लाख से अधिक मतों से हराया, यह एक ऐसी सीट है, जिसका प्रतिनिधित्व पहले उनकी मां सोनिया गांधी करती थीं। चुनाव आयोग के अनुसार, राहुल गांधी ने 2019 में रायबरेली में अपनी मां की जीत के अंतर को पार कर लिया, जब उन्होंने दिनेश प्रताप सिंह के खिलाफ 1,67,178 मतों के अंतर से सीट जीती थी। दूसरी ओर, भाजपा की स्मृति ईरानी, ​​जिन्होंने 2019 के चुनावों में कांग्रेस के एक और गढ़ अमेठी से राहुल गांधी को हराया था, कांग्रेस के वफादार किशोरी लाल शर्मा से 1.65 लाख से अधिक मतों के अंतर से हार गईं।

जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक दल (RLD) और अपना दल (सोनीलाल) सहित अन्य दलों, जो दोनों भाजपा के नेतृत्व वाले NDA के सहयोगी हैं, ने क्रमशः दो और एक सीट जीती। आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने भी एक सीट पर जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक लोकसभा सीटें (80) और विधानसभा क्षेत्र (403) हैं।

दुनिया के 75 देशों ने दी पीएम मोदी को जीत की बधाई, पड़ोसी ने क्यों नहीं ! PAK ने दिया हैरान करने वाला जवाब

पाकिस्तान ने आज शनिवार को कहा कि वह भारत समेत अपने सभी पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण और "सहकारी संबंध" चाहता है और बातचीत के ज़रिए विवादों को सुलझाना चाहता है। विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने से एक दिन पहले आई है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में NDA गठबंधन ने लोकसभा चुनावों में 293 सीटें हासिल कीं और रिकॉर्ड तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है। यह पूछने पर कि क्या पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री मोदी को चुनाव जीतने पर बधाई दी है, बलूच ने कहा कि अपने नेतृत्व के बारे में निर्णय लेना भारतीय नागरिकों का अधिकार है। उन्होंने कहा कि, "हमें उनकी चुनावी प्रक्रिया पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है।" उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि नई सरकार ने अभी तक औपचारिक रूप से शपथ नहीं ली है, इसलिए भारतीय प्रधानमंत्री को बधाई देने के बारे में बात करना "जल्दबाजी" होगी। भारत के साथ संबंधों पर विस्तार से चर्चा करते हुए बलोच ने दावा किया कि पाकिस्तान ने हमेशा अपने पड़ोसी के साथ सभी विवादों को रचनात्मक बातचीत के जरिए सुलझाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि, "पाकिस्तान ने हमेशा भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ सहयोगात्मक संबंध चाहा है। हमने जम्मू-कश्मीर के मुख्य विवाद सहित सभी लंबित मुद्दों को हल करने के लिए लगातार रचनात्मक वार्ता और सहभागिता की वकालत की है।" हालाँकि, मौजूदा भारत सरकार ने शुरू से कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध चाहता है, तथा इस बात पर जोर दिया है कि इस प्रकार के संबंध के लिए आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी इस्लामाबाद पर है। इस वर्ष की शुरुआत में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत ने "पाकिस्तान के साथ बातचीत के दरवाजे कभी बंद नहीं किए" लेकिन आतंकवाद का मुद्दा "बातचीत के केंद्र में निष्पक्ष और स्पष्ट होना चाहिए"। उन्होंने कहा था कि, "हमने पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए अपने दरवाजे कभी बंद नहीं किए हैं। सवाल यह है कि किस बारे में बात की जाए, अगर किसी देश के पास इतने सारे आतंकवादी शिविर हैं, तो यह बातचीत का केंद्रीय विषय होना चाहिए।" बता दें कि, लोकसभा चुनावों में भाजपा की कम सीटें आने पर और कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन रहने पर पाकिस्तान के कई नेताओं ने ख़ुशी जताई है। पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा हैं कि, ''सांप्रदायिक कट्टरता और भाजपा के प्रतिगामी “हिंदू राष्ट्र” को अस्वीकार करने के लिए भारत के लोग बहुत तारीफ के पात्र हैं।'' वहीं, पाकिस्तान की पिछली इमरान खान सरकार में सूचना मंत्री रहे फवाद चौधरी भी भारत के चुनावों पर लगातार बयान दे रहे थे। वे तो खुले आम कांग्रेस नेता राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कह चुके थे कि, किसी भी तरह मोदी सरकार को हटाना जरूरी है। वे राहुल गांधी के वीडियो और कांग्रेस के विज्ञापन भी अपने हैंडल से शेयर कर चुके हैं। नतीजों पर उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, ''चूंकि भारत के चुनाव पर मेरी हर भविष्यवाणी लगभग सही साबित हुई, इसलिए मैं यह कहने का साहस करता हूं कि मोदी निश्चित रूप से प्रधानमंत्री बनेंगे, लेकिन उनकी सरकार के कार्यकाल पूरा करने की संभावना लगभग शून्य है, यदि INDIA गठबंधन अपने पत्ते ठीक से खेलता है तो भारत में मध्यावधि चुनाव होंगे।'' आखिर INDIA अलायन्स की जीत क्यों चाहता है पाकिस्तान ? दरअसल, इसके पीछे कुछ वैचारिक समानताएं हैं। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने का विरोध पाकिस्तान भी करता है और कांग्रेस भी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह एक बयान में खुलेआम कह चुके हैं कि, पार्टी सत्ता में आई तो 370 वापस लागू करेंगे। ये अनुच्छेद पाकिस्तान के लिए काफी फायदेमंद था। इसके जरिए कोई भी पाकिस्तानी कश्मीर की लड़की से शादी करके भारतीय कश्मीर का नागरिक बन जाता था, जबकि कोई भी दूसरे राज्य का भारतीय वहां जमीन नहीं खरीद सकता था। इसकी मदद से पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाने में बहुत आसानी होती थी। कांग्रेस इसे हटाने का विरोध इसलिए करती है, क्योंकि भारत के मुस्लिम इसका विरोध करते हैं, जो कांग्रेस का मुख्य वोटबैंक है, ऐसे में पार्टी उसके पीछे खड़ी हो जाती है। इसके अलावा अयोध्या मामले पर भी पाकिस्तान और कांग्रेस का एक जैसा रुख है, दोनों उस स्थान पर राम मंदिर बनने के खिलाफ थे, कांग्रेस तो राम को सुप्रीम कोर्ट में काल्पनिक भी बता चुकी थी, ताकि ये सिद्ध हो जाए की जब राम ही काल्पनिक हैं, तो उनका जन्मस्थान कैसा और मंदिर कैसा ? ये भी गौर करने वाली बात है कि, नेहरू से लेकर इंदिरा, राहुल तक नेहरू-गांधी परिवार के कई नेता अफगानिस्तान में मौजूद 'बाबर' की कब्र पर जाकर आ चुके हैं, लेकिन इस परिवार का कोई भी सदस्य आज तक राम मंदिर नहीं गया है, निमंत्रण मिलने के बाद भी। पाकिस्तान भी चाहता था कि, उस स्थान पर राम मंदिर न बने और पूर्व कांग्रेसी पीएम नरसिम्हा राव ने उसी स्थान पर वापस बाबरी मस्जिद बनवाने का खुलेआम वादा किया था। यही नहीं, जब पाकिस्तान ने 26/11 के मुंबई आतंकी हमला किया था, जिसमे 250 से अधिक लोग मारे गए थे, इसके बाद भारतीय सेना ने कांग्रेस सरकार (मनमोहन सरकार) के सामने सर्जिकल स्ट्राइक करने जैसे हमले की अनुमति मांगी थी, लेकिन सरकार ने इजाजत नहीं दी। उल्टा कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने जांच से पहले ही 26/11 RSS की साजिश नाम से किताब लॉन्च कर दी, और हिन्दू आतंकवाद शब्द फैलाया जाने लगा। जबकि, इस हमले में एकमात्र जिन्दा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब ने कबूला था कि उसे पाकिस्तान ने 'जिहाद' करने भेजा था। यही नहीं, सारे पाकिस्तानी आतंकियों के पास हिन्दू नाम वाले ID कार्ड भी थे, यानी पाकिस्तान भी इस हमले का दोष भारत के ही हिन्दुओं पर मढ़ने की साजिश में था, जिसे कांग्रेस की किताब और हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी ने और हवा दे दी। इसके उलट मोदी सरकार ने उरी और पुलवामा हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया, तो इस सरकार के खिलाफ तो पाकिस्तान को होना ही था। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने हाल ही में बयान दिया था कि, भारत को पाकिस्तान की इज्जत करनी चाहिए, क्योंकि उसके पास परमाणु बम है। भारत को अपनी सैन्य ताकत नहीं बढ़ानी चाहिए, क्योंकि इससे पाकिस्तान भड़ककर परमाणु मार सकता है। जबकि, मोदी सरकार का रुख शुरू से यही रहा है कि, जब तक पड़ोसी मुल्क आतंकवाद बंद नहीं करता, तब तक उसके साथ बातचीत शुरू नहीं की जा सकती। इसके अलावा पाकिस्तान भी चाहता है कि, भारत में रह रहे मुस्लिमों को पर्सनल लॉ के हिसाब से चलने दिया जाए, कांग्रेस इसका वादा अपने घोषणापत्र में कर चुकी है, जबकि भाजपा एक देश एक कानून (UCC) की वकालत करती है। इसके अलावा भी कई चीज़ें हैं, जिसके लिए पाकिस्तान केंद्र में मोदी सरकार को हटाने के पक्ष में है और INDIA अलायन्स का समर्थन कर रहा है।
बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना पीएम मोदी के शपथग्रहण में शामिल होने भारत पहुंची, जानें किन नेताओं ने स्वीकार किया निमंत्रण

डेस्क: बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना दोपहर में नई दिल्ली पहुंची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 9 जून को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगी। दिल्ली पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया। इसके अलावा सात अन्य देशों के बड़े नेता और हिंद महासागर क्षेत्र के नेता भी इस समारोह में सम्मिलित होंगे।

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और मालदीव के मोहम्मद मुइज्जु, बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना और नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल भी इस समारोह में शामिल होने पहुंचेंगे। विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है।

मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जुगनाथ, भूटान के शेरिंग तोबगे, शेसेल्स के उप राष्ट्रपति अहमद अफिफ भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आएंगे। शेख हसीना दोपहर में नई दिल्ली पहुंच चुकी हैं। इसके अलावा अफीफ का भी शनिवार को ही राजधानी पहुंचने का कार्यक्रम तय है। वहीं अन्य नेता रविवार को पहुंचेंगे। पीएम मोदी सबके साथ एक अलग से मीटिंग करने की योजना में हैं। 

मॉरीशस को आमंत्रण भेजना भारत और मालदीव के संबंधों में सुधार लाने में मददगार होगा।भारत और मालदीव के संबंध तब खराब हुए थे, जब पिछले साल नवंबर में चीन समर्थन वाले राष्ट्रपति मुइज्जु ने पदभार संभाला था। पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने भारतीय सेना को अपने देश से हटाने की मांग की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शपथ ग्रहण समारोह 9 जून को होगा। इस दिन पर भारत के पड़ोसी देश के नेताओं को भी आमंत्रण भेजा गया है।  

शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के अलावा, नेता राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित भोज में शामिल होंगे। शपथ ग्रहण समारोह रविवार को शाम 7:15 बजे राष्ट्रपति भवन में होगा। "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए नेताओं की यात्रा भारत द्वारा अपनी 'पड़ोसी पहले' नीति और 'सागर' दृष्टिकोण को दी गई सर्वोच्च प्राथमिकता के अनुरूप है। भारत सागर और क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के व्यापक नीति ढांचे के तहत हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग कर रहा है।

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना उनके लिए सम्मान की बात होगी और इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत की उनकी यात्रा यह दर्शाएगी कि द्विपक्षीय संबंध सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं।

वहीं नेपाल विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सौहार्दपूर्ण निमंत्रण पर, पीएम पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' 9 जून 2024 को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए भारत की आधिकारिक यात्रा पर आ रहे हैं।

दुनिया के 75 देशों ने दी पीएम मोदी को जीत की बधाई, पड़ोसी ने क्यों नहीं ! PAK ने दिया हैरान करने वाला जवाब

पाकिस्तान ने आज शनिवार को कहा कि वह भारत समेत अपने सभी पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण और "सहकारी संबंध" चाहता है और बातचीत के ज़रिए विवादों को सुलझाना चाहता है। विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने से एक दिन पहले आई है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में NDA गठबंधन ने लोकसभा चुनावों में 293 सीटें हासिल कीं और रिकॉर्ड तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है।

यह पूछने पर कि क्या पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री मोदी को चुनाव जीतने पर बधाई दी है, बलूच ने कहा कि अपने नेतृत्व के बारे में निर्णय लेना भारतीय नागरिकों का अधिकार है। उन्होंने कहा कि, "हमें उनकी चुनावी प्रक्रिया पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है।" उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि नई सरकार ने अभी तक औपचारिक रूप से शपथ नहीं ली है, इसलिए भारतीय प्रधानमंत्री को बधाई देने के बारे में बात करना "जल्दबाजी" होगी। भारत के साथ संबंधों पर विस्तार से चर्चा करते हुए बलोच ने दावा किया कि पाकिस्तान ने हमेशा अपने पड़ोसी के साथ सभी विवादों को रचनात्मक बातचीत के जरिए सुलझाने का प्रयास किया है।

उन्होंने कहा कि, "पाकिस्तान ने हमेशा भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ सहयोगात्मक संबंध चाहा है। हमने जम्मू-कश्मीर के मुख्य विवाद सहित सभी लंबित मुद्दों को हल करने के लिए लगातार रचनात्मक वार्ता और सहभागिता की वकालत की है।" हालाँकि, मौजूदा भारत सरकार ने शुरू से कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध चाहता है, तथा इस बात पर जोर दिया है कि इस प्रकार के संबंध के लिए आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी इस्लामाबाद पर है। 

इस वर्ष की शुरुआत में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत ने "पाकिस्तान के साथ बातचीत के दरवाजे कभी बंद नहीं किए" लेकिन आतंकवाद का मुद्दा "बातचीत के केंद्र में निष्पक्ष और स्पष्ट होना चाहिए"। उन्होंने कहा था कि, "हमने पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए अपने दरवाजे कभी बंद नहीं किए हैं। सवाल यह है कि किस बारे में बात की जाए, अगर किसी देश के पास इतने सारे आतंकवादी शिविर हैं, तो यह बातचीत का केंद्रीय विषय होना चाहिए।"

बता दें कि, लोकसभा चुनावों में भाजपा की कम सीटें आने पर और कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन रहने पर पाकिस्तान के कई नेताओं ने ख़ुशी जताई है। पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा हैं कि, ''सांप्रदायिक कट्टरता और भाजपा के प्रतिगामी “हिंदू राष्ट्र” को अस्वीकार करने के लिए भारत के लोग बहुत तारीफ के पात्र हैं।'' वहीं, पाकिस्तान की पिछली इमरान खान सरकार में सूचना मंत्री रहे फवाद चौधरी भी भारत के चुनावों पर लगातार बयान दे रहे थे। वे तो खुले आम कांग्रेस नेता राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कह चुके थे कि, किसी भी तरह मोदी सरकार को हटाना जरूरी है। वे राहुल गांधी के वीडियो और कांग्रेस के विज्ञापन भी अपने हैंडल से शेयर कर चुके हैं। नतीजों पर उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, ''चूंकि भारत के चुनाव पर मेरी हर भविष्यवाणी लगभग सही साबित हुई, इसलिए मैं यह कहने का साहस करता हूं कि मोदी निश्चित रूप से प्रधानमंत्री बनेंगे, लेकिन उनकी सरकार के कार्यकाल पूरा करने की संभावना लगभग शून्य है, यदि INDIA गठबंधन अपने पत्ते ठीक से खेलता है तो भारत में मध्यावधि चुनाव होंगे।''

आखिर INDIA अलायन्स की जीत क्यों चाहता है पाकिस्तान ?

दरअसल, इसके पीछे कुछ वैचारिक समानताएं हैं। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने का विरोध पाकिस्तान भी करता है और कांग्रेस भी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह एक बयान में खुलेआम कह चुके हैं कि, पार्टी सत्ता में आई तो 370 वापस लागू करेंगे। ये अनुच्छेद पाकिस्तान के लिए काफी फायदेमंद था। इसके जरिए कोई भी पाकिस्तानी कश्मीर की लड़की से शादी करके भारतीय कश्मीर का नागरिक बन जाता था, जबकि कोई भी दूसरे राज्य का भारतीय वहां जमीन नहीं खरीद सकता था। इसकी मदद से पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाने में बहुत आसानी होती थी। कांग्रेस इसे हटाने का विरोध इसलिए करती है, क्योंकि भारत के मुस्लिम इसका विरोध करते हैं, जो कांग्रेस का मुख्य वोटबैंक है, ऐसे में पार्टी उसके पीछे खड़ी हो जाती है। इसके अलावा अयोध्या मामले पर भी पाकिस्तान और कांग्रेस का एक जैसा रुख है, दोनों उस स्थान पर राम मंदिर बनने के खिलाफ थे, कांग्रेस तो राम को सुप्रीम कोर्ट में काल्पनिक भी बता चुकी थी, ताकि ये सिद्ध हो जाए की जब राम ही काल्पनिक हैं, तो उनका जन्मस्थान कैसा और मंदिर कैसा ? 

ये भी गौर करने वाली बात है कि, नेहरू से लेकर इंदिरा, राहुल तक नेहरू-गांधी परिवार के कई नेता अफगानिस्तान में मौजूद 'बाबर' की कब्र पर जाकर आ चुके हैं, लेकिन इस परिवार का कोई भी सदस्य आज तक राम मंदिर नहीं गया है, निमंत्रण मिलने के बाद भी। पाकिस्तान भी चाहता था कि, उस स्थान पर राम मंदिर न बने और पूर्व कांग्रेसी पीएम नरसिम्हा राव ने उसी स्थान पर वापस बाबरी मस्जिद बनवाने का खुलेआम वादा किया था। यही नहीं, जब पाकिस्तान ने 26/11 के मुंबई आतंकी हमला किया था, जिसमे 250 से अधिक लोग मारे गए थे, इसके बाद भारतीय सेना ने कांग्रेस सरकार (मनमोहन सरकार) के सामने सर्जिकल स्ट्राइक करने जैसे हमले की अनुमति मांगी थी, लेकिन सरकार ने इजाजत नहीं दी। उल्टा कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने जांच से पहले ही 26/11 RSS की साजिश नाम से किताब लॉन्च कर दी, और हिन्दू आतंकवाद शब्द फैलाया जाने लगा। जबकि, इस हमले में एकमात्र जिन्दा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब ने कबूला था कि उसे पाकिस्तान ने 'जिहाद' करने भेजा था। यही नहीं, सारे पाकिस्तानी आतंकियों के पास हिन्दू नाम वाले ID कार्ड भी थे, यानी पाकिस्तान भी इस हमले का दोष भारत के ही हिन्दुओं पर मढ़ने की साजिश में था, जिसे कांग्रेस की किताब और हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी ने और हवा दे दी। इसके उलट मोदी सरकार ने उरी और पुलवामा हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया, तो इस सरकार के खिलाफ तो पाकिस्तान को होना ही था।   

कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने हाल ही में बयान दिया था कि, भारत को पाकिस्तान की इज्जत करनी चाहिए, क्योंकि उसके पास परमाणु बम है। भारत को अपनी सैन्य ताकत नहीं बढ़ानी चाहिए, क्योंकि इससे पाकिस्तान भड़ककर परमाणु मार सकता है। जबकि, मोदी सरकार का रुख शुरू से यही रहा है कि, जब तक पड़ोसी मुल्क आतंकवाद बंद नहीं करता, तब तक उसके साथ बातचीत शुरू नहीं की जा सकती। इसके अलावा पाकिस्तान भी चाहता है कि, भारत में रह रहे मुस्लिमों को पर्सनल लॉ के हिसाब से चलने दिया जाए, कांग्रेस इसका वादा अपने घोषणापत्र में कर चुकी है, जबकि भाजपा एक देश एक कानून (UCC) की वकालत करती है। इसके अलावा भी कई चीज़ें हैं, जिसके लिए पाकिस्तान केंद्र में मोदी सरकार को हटाने के पक्ष में है और INDIA अलायन्स का समर्थन कर रहा है।

पीएम के शपथ ग्रहण समारोह में कई विदेशी मेहमान होंगे शामिल, सेंट्रल विस्टा में काम किया वाले मजदूर, सफाई कर्मी भी होंगे विशिष्ट अतिथि


आम चुनाव 2024 के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिपरिषद का शपथ ग्रहण समारोह राष्ट्रपति भवन में 09 जून की शाम को होना है। इस अवसर पर भारत के पड़ोसी और हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के नेताओं को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे , मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू , सेशेल्स के उपराष्ट्रपति अहमद अफीफ , बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए न्योता भेजा गया है। इसके अलावे मॉरीशस के प्रधामंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ , नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' और भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे को भी निमंत्रण भेजा गया है। इन सभी नेताओं ने शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के सभी आमंत्रित नेता उसी शाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित भोज में शामिल होंगे। बता दें कि भारत के पड़ोसी और हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के नेताओं को शपथ ग्रहण में आमंत्रित करने के पीछे " नेबर फर्स्ट " पॉलिसी को ध्यान में रखा गया है। मिली जानकारी के मुताबिक सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर काम करने वाले मजदूरों , सफाई कर्मियों और ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। रविवार शाम को राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले पीएम मोदी के तीसरे शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए विकसित भारत के एम्बेसडर के रूप में वंदे भारत और मेट्रो ट्रेनों पर काम करने वाले रेलवे कर्मचारियों और केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों को भी आमंत्रित किया गया है। इधर राष्ट्रपति भवन में 8000 से अधिक मेहमानों के लिए व्यवस्था की जा रही है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद पीएम मोदी लगातार तीसरी बार सत्ता में आने वाले दूसरे भारतीय नेता हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा 2019 में अपने भारी बहुमत 303 से घटकर 240 सीटों पर आ गई। भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए जिसने 2019 में 352 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की थी , वह भी घटकर 293 पर आ गया है। लेकिन यह गठबंधन बहुमत के लिए जरूरी 272 के आंकड़े से ज्यादा सीटें जीता है और नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।
नीट रिजल्ट विवाद मामले पर आगे आई सरकार, NTA ने यह लिया फैसला

डेस्क : नीट यूजी परीक्षा का रिज्लट घोषित होने के बाद से ही एनटीए विवादों के घेरे में आ गया है। देशभर से रिजल्ट में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं, जिसको लेकर आज प्रेस कॉन्फेंस का आयोजन किया गया। इस प्रेस वार्ता का आयोजन नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) नई दिल्ली कार्यालय में किया जा रहा है। 

जांच के लिए बनाई है कमेटी

प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि 'गड़बड़ी का जो मामला बताया जा रहा है, वो सिर्फ 6 सेंटर्स और 1600 उम्मीदवारों तक सीमित है। हमने एक्सपर्ट कमेटी बनाकर समीक्षा की थी। फिर से एक नई अपर लेवल कमेटी बनाई गई है, जो पहले की कमेटी (ग्रीवांस रीड्रेसल कमेटी) की रिपोर्ट की समीक्षा करेगी।'

प्रेस वार्ता में कहा गया है कि 'यूपीएससी के पूर्व अध्यक्ष और अन्य शिक्षाविदों को मिलाकर कमेटी बनाई गई है, जो नीट के मामले की जांच करेगी। समिति एक हफ्ते के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। उसके बाद फैसला लिया जाएगा।'

 

ग्रेस मार्क्स से पास हुए सिर्फ 50% उम्मीदवार

शिक्षा सचिव ने कहा कि '1563 उम्मीदवारों को नीट में ग्रेस मार्क्स मिले। इनमें से 790 उम्मीदवार ग्रेस मार्क्स से क्वालिफाई हुए हैं। बाकी सभी के मार्क्स या तो निगेटिव में ही रहे या वो पास नहीं हो सके। ओवरऑल पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। ग्रेस मार्क्स अलग-अलग होता है। आंसरिंग एफिशिएंसी वगैरह के आधार पर।'

एक सेंटर से 6 टॉपर कैसे?

एक सेंटर से 6 टॉपर वाले सवाल का जवाब देते हुए एजुकेशन सेक्रेटरी ने कहा, 'उस सेंटर का एवरेज मार्क्स 235 था। यानी वहां इतने कैपेबल छात्र थे, जो हाई स्कोर कर सकते थे, इसीलिए बिना ग्रेस मार्क्स भी उनका एवरेज मार्क्स ज्यादा था। लेकिन जिन सेंटर्स पर गड़बड़ी हुई है, उनपर एक्शन लिया जाएगा।'

क्या नीट 2024 कैंसिल होगा?

शिक्षा सचिव ने कहा है कि 'Loss of Time के मानदंड़ के आधार पर कंपेनसेटरी मार्क्स दिए गए हैं। मामला सिर्फ 6 सेंटर्स और 1600 बच्चों का है। कमेटी का जो भी फैसला होगा, वो उन्हीं के लिए लिया जाएगा। अन्य पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।' हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस से ये भी संकेत दिए गए हैं किअगर नीट परीक्षा फिर से आयोजित होती है तो सभी केंद्रों पर नहीं होगी। ये सिर्फ 6 सेंटर्स के लिए आयोजित की जाएगी।

केरल में चुनावी हार के बाद आपस में लड़ पड़े कांग्रेस नेता, भाजपा ने राज्य में पहली बार जीती है कोई सीट
हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में पार्टी उम्मीदवार के मुरलीधरन की हार के बाद शुक्रवार को केरल के त्रिशूर में कांग्रेस कार्यकर्ता आपस में बुरी तरह लड़ पड़े। 4 जून को नतीजे आने के बाद से ही त्रिशूर जिला कांग्रेस समिति (DCC) में तनाव व्याप्त हो गया था और अज्ञात पोस्टरों में DCC प्रमुख जोस वल्लूर और त्रिशूर के पूर्व सांसद टीएन प्रतापन को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। एक पोस्टर पर लिखा था कि, "प्रतापन के लिए कोई सीट नहीं, यहां तक कि किसी भी वार्ड में कोई सीट नहीं" और "जोस वल्लूर को इस्तीफा दे देना चाहिए"। शुक्रवार को स्थिति तब बिगड़ गई जब वल्लूर ने DCC सचिव सजीवन कुट्टियाचिरा के कार्यकर्ता सुरेश से पोस्टर लगाने के बारे में पूछताछ की। मुरलीधरन के समर्थक कुट्टियाचिरा और सुरेश पर भी कथित तौर पर DCC प्रमुख वल्लूर और उनके समर्थकों ने हमला किया, जिसके कारण दोनों गुटों के समर्थकों के बीच हाथापाई हो गई। विरोध स्वरूप सजीवन कुट्टियाचिरा ने DCC कार्यालय के भूतल पर कांग्रेस नेता और के मुरलीधरन के पिता के करुणाकरण की तस्वीर के सामने धरना दिया। मुरलीधरन के समर्थक जब कार्यालय पहुंचे तो टकराव और बढ़ गया। मतगणना के दिन के मुरलीधरन ने जिला और राज्य नेतृत्व की भी आलोचना की और आरोप लगाया कि कोई भी नेता उनके लिए प्रचार करने नहीं आया। उल्लेखनीय है कि भाजपा के सुरेश गोपी ने CPI के उम्मीदवार (उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी) और कांग्रेस द्वारा मैदान में उतारे गए के मुरलीधरन से 74,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया। इतिहास में पहली बार भाजपा ने केरल में कोई सीट जीती है।