महाराष्ट्र की राजनीति में होगा बड़ा उलट फेर! सांगली लोकसभा सीट को लेकर उद्धव ठाकरे इंडिया गठबंधन के घटक दलों से हैं नाराज
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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और इंडिया गठबंधन के बाकी घटक दलों के बीच मनमुटाव की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसकी वजह सांगली लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार विशाल पाटिल की जीत है। सांगली लोकसभा सीट पर शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार चंद्रहार पाटिल की हुई हार के बाद उद्धव ठाकरे कांग्रेस से खासे नाराज हैं। सूत्रों के मुताबिक उद्धव ठाकरे की इस नाराजगी की वजह कांग्रेस द्वारा शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार चंद्रहार पाटिल की जगह निर्दलीय विशाल पाटिल को वोटिंग के दौरान सपोर्ट करना है। उद्धव ठाकरे को लगता है कि यहाँ से राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस ने शिवसेना (यूबीटी) के प्रत्याशी चंद्रहर सुभाष पाटिल को धोखा दिया है।
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विशाल पाटिल ने इसी साल अप्रैल में कांग्रेस से बगावत कर दिया था। वहीं, इंडिया गठबंधन ने यहाँ से शिवसेना उद्धव गुट के प्रत्याशी को मैदान में उतारा था। विशाल पाटिल कॉन्ग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के पोते हैं। सांगली से निर्दलीय उम्मीदवार विशाल पाटिल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के संजय पाटिल को 1,00,053 वोटों से हराया था। शिवसेना उद्धव गुट ने सांगली लोकसभा सीट से चंद्रहर सुभाष पाटिल को मैदान में उतारा था। चंद्रहर सुभाष पाटिल तीसरे नंबर पर रहे। उनका विशाल पाटिल से हार का अंतर 5,10,806 वोटों का रहा।
इंडिया गठबंधन में इस सीट को लेकर चुनाव पूर्व भी खींचतान हुई थी।परंपरागत सीट की वजह से कांग्रेस वहां से विशाल पाटिल को अपना उम्मीदवार बनाना चाहती थी, लेकिन शिवसेना (यूबीटी) ने बिना सहयोगियों से चर्चा किए चंद्रहार पाटिल को अचानक से उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इसके बाद दोनों पार्टियों में जमकर विवाद हुआ था, लेकिन उद्धव अपनी जिद पर अड़े रहे. अंत में यह सीट शिवसेना (यूबीटी) के हिस्से में जाने से विशाल पाटिल ने विद्रोह करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा और मंगलवार को आए नतीजों में वह भारी मतों से जीत भी गए।
सांगली लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहाँ सन 1962 से 2014 के 52 वर्षों के अंतराल में कांग्रेस का ही कब्ज़ा रहा है। यह इलाका महाराष्ट्र के तीन बार के मुख्यमंत्री और राज्य के सबसे बड़े कांग्रेस नेताओं में से एक वसंतदादा पाटिल का गढ़ रहा है। साल 1980 से 2014 तक वसंतदादा के परिवार के ही सदस्य इस सीट से जीत कर संसद में जाते रहे हैं। ऐसे में यह भी सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या उद्धव ठाकरे ये नहीं जान पाए कि कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे के लिए अपने मजबूत गढ़ को इतनी आसानी से क्यों छोड़ दिया। इसके बाद एक कांग्रेस के एक बागी नेता ने उद्धव के प्रत्याशी को पटखनी क्यों दी?
ख़ास बात ये भी है कि सांगली सीट पर जीत हासिल करने के बाद विशाल पाटिल ने बयान दिया था कि उनकी लड़ाई कभी कांग्रेस के खिलाफ थी ही नहीं। उन्होंने कहा कि वो कांग्रेस को बचाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे थे।इस बयान के बाद इन आशंकाओं को और बल मिला था कि कांग्रेस ने अंदर ही अंदर विशाल पाटिल की मदद की थी।









Jun 06 2024, 16:21
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