सीवान में त्रिकोणीय बनी लड़ाई : एनडीए-इंडी गठबंधन और निर्दलिए तीनों प्रत्याशी स्थानीय, किसकी होगी जीत, जानिए क्या कहता है समीकरण
डेस्क ; देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ। राजेन्द्र प्रसाद की धरती सीवान में छठे चरण में 25 मई को चुनाव होना है। सीवान शुरू से ही राजनीतिक रूप से काफी चर्चित रही है। हालांकि तब से दिवंगत पूर्ब बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन युग के अंत तक सीवान ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। सीवान ने बाहुबल का निर्विरोध राज देखा तो एक सामान्य निर्दलीय प्रत्याशी द्वारा उस साम्राज्य का अंत होते भी देखा है।
1996 से 2009 तक मो। शहाबुद्दीन ने यहां एकछत्र राज किया, लेकिन 2009 के बाद सीवान का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है। पिछले 15 वर्षों से सीवान नयी इबारत लिख रहा है। 2009 में निर्दलिए ओमप्रकाश यादव ने मो। शहाबुद्दीन की पत्नी हिना को शिकस्त देकर सीवान में राजद के एकछत्र राज का अंत किया। उसके बाद पिछले 15 वर्षों से सीवान नयी इबारत लिख रहा है। राजद के हाथों से फिसलने के बाद यह पिछले चुनाव तक एनडीए का गढ़ बना रहा।
सीवान में बन रहा नया समीकरण
इस बार इस गढ़ को जबरदस्त चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पिछले सारे समीकरण हवा हवाई हो चुके हैं। सीवान का समीकरण इस बार पूरी तरह बदला हुआ है। माई समीकरण दरक रहा है। नए समीकरण बन रहे हैं। जातीय गोलबंदी के नये गणित ने इस बार सभी प्रत्याशियों को उलझा दिया है। इस गुत्थी को सुलझाने में इन्हें खूब पसीना बहाना पड़ रहा है। हालांकि मो। शहाबुद्दीन की पत्नी के निर्देलिए चुनाव मैदान में आने से इसका फायदा एनडीए को होता दिख रहा है।
इस बार यहां एनडीए जदयू की विजय लक्ष्मी कुशवाहा तो महागठबंधन से राजद के अवध बिहारी चौधरी मैदान में हैं। इस लड़ाई को निर्दलीय हेना शहाब त्रिकोणीय बना रही हैं। तीनों उम्मीदवार कद्दावर हैं और इस क्षेत्र की जमीन से जुड़े रहे हैं। क्षेत्र की इन्हें समझ तो हैं ही, यहां के लोगों की भावनाओं से भी भली-भांति परिचित हैं। पर, राह किसी की आसान नहीं है। एक दूसरे से आगे निकलने के लिए इन्हें खूब मशक्कत करनी पड़ रही है। हालांकि क्षेत्र में चर्चा एक और निर्दलीय प्रत्याशी जीवन यादव की भी है। चुनाव का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि सभी उम्मीदवारों का अतीत उनके साथ चल रहा है। पुराना इतिहास उनका पीछा नहीं छोड़ रहा। इसके कारण इन्हें कुछ अधिक मेहनत करनी पड़ रही है। लेकिन एक सकारात्मक बात यह है कि गठबंधनों के आधार वोटरों में इनकी स्वीकार्यता धीरे-धीरे बढ़ रही है।
एनडीए को मोदी मैजिक के साथ हिना के मैदान में आने से लाभ का विश्वास
एनडीए की ओर से यह सीट जदयू के पिछले चुनाव से एनडीए के खाते मे है। यहां से वर्ष 2019 के चुनाव में बाहुबली अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह जदयू के टिकट पर चुनाव जीतकर सांसद बनी थी। लेकिन इसबार जदयू ने उनकी जगह पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा की पत्नी विजय लक्ष्मी को चुनाव मैदान में उतारा है। रमेश हाल ही में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो छोड़ जदयू में शामिल हुए थे।
पहली बार चुनाव लड़ रही एनडीए उम्मीदवार विजय लक्ष्मी को मोदी मैजिक का भरोसा है। दिवंगत मो। शहाबुद्दी की पत्नी हिना शहाब के निर्दलीय चुनाव मैदान मे आने से इसका लाभ मिलने का विश्वास है।
हिना शहाब को इस बात की है उम्मीद
हिना शहाब यहां से पहले भी दो बार चुनाव लड़ चुकी है। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। पति शहाबुद्दीन की कोरोना से मौत के समय राजद की ओर अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से नाराजदृ हिना शहाब इसबार निर्दलिए चुनाव मैदान में है। वे सार्बजनिक तौर पर कह चुकी है राजद को खड़ा करने में उनके पति का बड़ा हाथ रहा है लेकिन उनके जाने के बाद पार्टी ने उनसे मुंह मोड़ लिया। हिना को उम्मीद है कि इसबार उन्हें सहानुभित वोट का लाभ मिल सकता है। इसके साथ ही नवरात्र के मौंके पर क्न्या पूजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर उन्होने अपनी छवि सभी लोगों के लिए समान और सेवा करने वाली बनाने की कोशिश भी की है।
हिना शहाब के निर्दलिए मैदान में आने से राजद की बढ़ी परेशानी
हिना शहाब के निर्दलिए मैदान में जाने के फैसले के बाद राजद ने यहां से बिहार विधान सभा के वर्तमान अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया है। वैसे अवध बिहारी चौधरी की छवि राजद के अन्य नेताओं से अलग है। इनकी पहचान साफ-सुथरी छविवाले और लोगों के सुलक्ष नेता के तौर पर है। बावजूद इसके हिना शहाब के निर्दलिए मैदान में आने से इनकी परेशानी बढ़ी है।
सीवान मे अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या भी अच्छी तदाद में है। राजद इस समुदाय को अपना वोट बैंक मानता है। लेकिन हिना शहाब के चुनाव मैदान में होने से राजद के अल्पसंख्यक समुदाय के वोट बैंक में सेंध लग सकती है। साथ ही राजद का कैडर वोट भी बंट सकता है। कारण सीवान मे राजद को मजबूती से खड़ा करने में दिवंगत मो। शहाबुद्दीन की बड़ी भूमिका रही है। ऐसे में वे वोटर हिना शहाब के साथ जा सकते है। जिसका सीधा नुकसान राजद प्रत्याशी अवध बिहारी चौधरी को और राजद का वोट बंटने का फायदा एनडीए प्रत्याशी हो सकता है।
छह विधानसभा क्षेत्र में पांच पर महागठबंधन का कब्जा
बता दें सीवान लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र हैं। इसमें पांच पर महागठबंधन का कब्जा है जबकि एक सीट पर एनडीए का। सीवान, रघुनाथपुर और बड़हरिया पर राजद, जीरादेई व दरौली पर माले और दरौंदा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को जीत मिली थी। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में जनता दल को लीड मिली थी।
May 23 2024, 09:46