बालू से खनन विभाग को हुई 224 करोड़ की आमदनी, फिर भी सोन के बचाव पर खर्च नहीं होती राशि
औरंगाबाद : सोन से खनिज विभाग को इस वर्ष मार्च माह तक 224 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई है। सोन से खनन होने वाली बालू से यह राजस्व विभाग को प्राप्त हुआ है। जिस नदी से विभाग को एक वर्ष में 224 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई है पर उस नदी को बचाने के नाम पर विभाग कोई राशि खर्च नहीं कर पाती है। यही स्थिति के कारण सोन का भी वजूद समाप्त होता जा रहा है।
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नदी के बीच में बालू की जगह मिट्टी, जंगल और झाड़ का रुप ले लिया है। नदी के सरंक्षण और खनन क्षेत्र के विकास के लिए सरकार ने जिला खनिज फाउंडेशन बनाया और प्राप्त होने वाली राजस्व का दो प्रतिशत राशि इस फाउंडेशन के तहत खनन क्षेत्र का विकास और नदी के सरंक्षण पर खर्च करने का प्रावधान बनाया गया है पर फाउंडेशन की राशि भी नदी के बचाने और खनन क्षेत्र के विकास पर खर्च नहीं हो पाती है।
टीम की अनुशंसा और डीएम की स्वीकृति पर ही राशि खर्च होती
राशि को खनन क्षेत्र के बाहर के क्षेत्र में खर्च की जाती है। राशि खर्च के लिए डीएम की अध्यक्षता में टीम गठित की गई है। टीम की अनुशंसा और डीएम की स्वीकृति पर ही राशि खर्च होती है।
खनन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, फाउंडेशन की राशि नदी के सरंक्षण, पर्यावरण सरंक्षण और खनन क्षेत्र का विकास पर खर्च करने का प्रावधान है। खनन विभाग में नदी के बचाव को लेकर कोई योजना नहीं है। बाढ़ नियंत्रण पर्षद को नदी बचाव को लेकर कुछ काम करने की जिम्मेवारी है।
नदी के बचाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं
पर्यावरण सरंक्षण के लिए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद है। नदी बचाने को लेकर आंदोलन करने वाले संजीव नारायण सिंह कहते हैं कि जिला खनिज फाउंडेशन की राशि न तो नदी के सरंक्षण पर खर्च होती है न खनन क्षेत्र के विकास पर।
जनप्रतिनिधियों की अनुशंसित योजना से लेकर डीएम के द्वारा चयनित योजनाओं पर राशि खर्च होती है। बताया कि बाढ़ नियंत्रण से लेकर प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के द्वारा नदी के बचाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। सब सेटिंग के तहत अपनी कार्य कर रहे हैं।
जिला खनिज विकास पदाधिकारी विकास कुमार पासवान ने बताया कि नदी के बचाव को लेकर खनन विभाग का कोई योजना नहीं है।
सरकारी ने जिला खनिज फाउंडेशन बनाया है और इसके तहत खनन क्षेत्र का विकास की योजनाएं कार्यान्वित कराई जाती है। खनन क्षेत्र में पौधे लगाए जाते हैं। नदी के बचाव की जिम्मेवारी बाढ़ नियंत्रण और पर्यावरण सरंक्षण की जिम्मेवारी प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की है।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र







औरंगाबाद: जिले के नगर थाना क्षेत्र के शाहपुर मुहल्ले में सोमवार की रात एक विवाहिता की हत्या गला दबाकर कर दी गई। मृतका की पहचान शाहपुर मुहल्ला वार्ड नंबर- 14 निवासी अनुराग कुमार की पत्नी चंचला देवी के रूप में हुई। मृतका के एक बेटे व एक बेटी है। पति हैदराबाद में प्राईवेट कंपनी में काम करते थे, घटना की सूचना मिलते ही फ्लाइट से सुबह तक अपने घर पहुंचें। पति ने बताया कि उन्हे सूचना रात को दो बजे मिली कि उनकी पत्नी की संदेहास्पद स्थिति में मौत हो गई है। इस घटना की सूचना मिलते ही मंगलवार की सुबह घर पर सैकड़ों लोगों की भीड़ जुट गई। नगर थाना की पुलिस भी पहुंची और छानबीन में जुट गई। पति ने बताया कि गले में चोट के निशान थे। पता चला कि चंचला का झगड़ा कई दिनों से अपने देवर आशुतोष कुमार व देवरानी सुधा देवी के साथ चल रहा था। आस-पड़ोस में रह रहे लोगों ने बताया कि सोमवार की रात दस बजे से 12 बजे तक घर में झगड़ा होने की आवाज सुनाई दे रहा था। रोने चिल्लाने की भी आवाज आ रही थी, लेकिन दरवाजा बंद के कारण कोई उनके घर में नहीं पहुच पाया। मृतका के मायके से पहुंचे भाई मृत्युंजय कुमार ने बताया कि सोमवार की रात 12 बजे सूचना मिली कि बहन चंचला की मौत हो गई है। सुबह अपने बहन के घर शाहपुर पहुंचे तो देखा कि बहन फांसी के फंदे से लटकी थी। सूचना पर नगर थाना की पुलिस पहुंची और शव को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम कराने के बाद शव मायके वालों को सौंप दिया। मायके से पहुंचे परिजनों व मृतका के पति ने ही दाह संस्कार कराया। इधर नगर सर्किल इंस्पेक्टर ने बताया कि इस मामले में मृतका के भाई मृत्युंजय कुमार के द्वारा लिखित थाने में आवेदन दिया गया है, जिसमें मृतका के देव आशुतोष कुमार, देवरानी सुधा देवी एवं ससुर अनिल प्रसाद एवं सास सुशीला देवी को आरोपित बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि देवर देवरानी से झगड़ा हुई और इसी बात को लेकर मारपीट कर गले दबाकर हत्या कर दी गई। शव को साक्ष्य छुपाने के उदेश्य से फांसी के फंदे से लटका दिया गया। इस मामले में पुलिस अभियुक्तों को जल्द गिरफ्तार करेगी। औरंगाबाद से धीरेन्द्र





May 01 2024, 18:24
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