चैती छठ नहाय खाय के साथ 12 अप्रैल से शुरू होगा. जबकि, चार दिवसीय पर्व का समापन 15 अप्रैल को होगा
*
धनबाद :- सनातन धर्म में चैत्र मास को नव वर्ष का पर्याय भी माना जाता है. पटना के शक्तिपीठ श्री छोटी पटन देवी के आचार्य पंडित विवेक द्विवेदी बताते हैं कि चैत्र मास के शुल्क पक्ष प्रतिपदा के दिन से ही हिंदू नव वर्ष का आरंभ होता है. इसलिए चैती छठ को लेकर किसी के मन में कोई भ्रांति नहीं होनी चाहिए.
वे आगे बताते हैं कि चतुर्थी तिथि से भगवान भास्कर की आराधना और उपासना आरंभ होती है और चार दिनों का महापर्व चैती छठ मनाया जाता है. लोग धन, ऐश्वर्य, वैभव, संतान और कष्टों के निवारण के लिए ही भगवान भास्कर की पूजा करते हैं.
महापर्व की 12 अप्रैल से होगी शुरुआतपंडित विवेक द्विवेदी बताते हैं कि इस बार चैती महापर्व छठ नहाय खाय के साथ 12 अप्रैल से शुरू होगी. इस चार दिवसीय महापर्व का समापन 15 अप्रैल को होगा.
छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है. एक कार्तिक मास में और दूसरा चैत्र मास में. दोनों में भगवान भास्कर की पूजा समान भाव से होती है. चैत्र मास में करने वाले छठ व्रत को चैती छठ कहा जाता है. पंचांग के अनुसार, यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।
व्रत से मिलता है संतान सुखपंडित विवेक बताते हैं कि इस व्रत की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है. इसमें महिलाएं 36 नहीं, बल्कि 48 घंटे का लंबा व्रत करती हैं. इस दौरान वे सात्विक अल्पाहार करती हैं. इस साल चैती छठ में 12 अप्रैल को नहाय खाय, 13 अप्रैल को खरना, 14 अप्रैल को संध्या अर्घ्य व 15 अप्रैल को उगते हुए सूर्य का अर्घ्य देने के साथ पर्व का समापन होगा. पंडित विवेक की मानें तो खरना में दोपहर बाद घरों में प्रसाद तैयार किया जाता है.
इसके लिए व्रती परंपरागत मिट्टी और ईंट से बने चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर प्रसाद तैयार करती हैं. साथ ही अरवा चावल, गंगा जल और गुड़ से बनी खीर, रोटी आदि का प्रसाद बनाया जाता है।
यह महापर्व संतान सुख और संतान के दीर्घायु और घर-परिवार में सुख-समृद्धि व खुशहाली के लिए किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि छठी मईया भगवान सूर्य की बहन हैं. इसलिए इस दिन छठी मईया व भगवान सूर्य की पूजा की जाती है।
Apr 18 2024, 16:31