मोदी की तीसरी पारी कांग्रेस और राजद पर पड़ेगी भारी संदर्भ : गठबंधन के तरकश में सिर्फ बातों के तीर
( चिंता नहीं मित्र , सब सेट कर दिया है। बस आप देखते रहिये। )इंडिया गठबंधन में शामिल सभी पार्टियां जानतीं हैं कि अगर मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गये तो भ्रष्टाचारियों की नकेल कस जायेगी। इसी घबराहट में गठबंधन की ओर से उल्टे-सीधे तर्क दिये जा रहे हैं।
एक तरफ एनडीए लोकसभा चुनाव में कमर कस कर उतर चुका है वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन में आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद कोई हलचल ही नहीं दिख रही है। सात चरणों में संपन्न होने वाले लोकतंत्र के महापर्व का पहला चरण 19 अप्रैल से शुरू होने वाला है। मगर इंडी गठबंधन में शामिल सभी पार्टियां अपनी-अपनी डफली बजा रही हैं और सिर्फ बातों के तीर छोड़े जा रहे हैं।
लालू परिवार की तरफ से बारी-बारी से ऐसे- ऐसे बयान सामने आ जाते हैं जो गठबंधन के लिए ही नुकसानदेह साबित हो जाते हैं । लालू प्रसाद की पुत्री डा. मीसा भारती के हालिया बयान कि " हमारी सरकार बनी तो पीएम सहित सारे भाजपा नेताओं को जेल भेजा जायेगा" हताशा ही दर्शाता है। उनके बयान का जब चौतरफा विरोध होने लगा तो मीसा भारती बैकफुट पर आ गयीं और अब कह रहीं हैं कि मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
इससे पहले तेजस्वी यादव भी एक रैली में ऐसा ही बयान दे चुके हैं कि "हम लालू प्रसाद के बेटे हैं किसी से डरने वाले नहीं "। इसी तरह एक रैली में उन्होंने कहा था कि उनके पिता लालू प्रसाद ने लाल कृष्ण आडवाणी के राम रथ को रोका था, हम नरेन्द्र मोदी के विजय रथ को रोकेंगे।
जो गठबंधन अभी तक अपना चेहरा नहीं चुन सका , वह सरकार बनाने के सपने देख रहा है । दिल्ली के मुख्यमंत्री के जेल जाने के बाद पूरा गठबंधन उनके समर्थन में लग गया था, उसे चुनाव की कोई चिंता ही नहीं है। इंडी गठबंधन रूपी जहाज का कप्तान ही जब जहाज छोड़ गया तो वह हिचकोले ही खायेगा।
और अंत में पहले कांग्रेस इंडिया गठबंधन की झंडाबरदार बनी थी, मगर कांग्रेस युवराज राहुल गांधी जब चुनाव की चिंता छोड़ मोहब्बत की दुकान चलाने लगे, तो लालू प्रसाद के परिवार ने गठबंधन का झंडा थामा। मगर एक कहावत है " विनाश काले विपरीत बुद्धि ", यही स्थिति राजद की बन गयी है। लालू परिवार से ऐसे ऐसे बयान आने लगे जो गठबंधन के लिए नुकसानदेह साबित हो रहे हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि बात जुबान से, तीर कमान से और प्राण शरीर से निकल जाते हैं तो फिर वापस नहीं आते।

इंडिया गठबंधन में शामिल सभी पार्टियां जानतीं हैं कि अगर मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गये तो भ्रष्टाचारियों की नकेल कस जायेगी। इसी घबराहट में गठबंधन की ओर से उल्टे-सीधे तर्क दिये जा रहे हैं।

पर, आज देश की स्थितियां भिन्न हैं। आज देश में निरक्षरता की दर 35 फ़ीसदी ही रह गयी है । पर ये कैसी विडंबना है कि आजाद भारत में नेता पढ़े लिखे थे और जनता निरक्षर थी परंतु आज स्थितियां इसकी उलट हैं। आज राजनीति ऐसा क्षेत्र बन गयी है, जहां आपको किसी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं होती। हम देख सकते हैं कि कितने अशिक्षित और गैर योग्य प्रत्याशी सत्ता प्राप्त कर इसका दुरुपयोग करते हैं। आज जेल में बंद सजायाफ्ता व्यक्ति चुनाव में खड़ा होता है और जीत जाता है। वहीं ऐसे व्यक्ति भी राजनीति से चिपके हुए हैं, जिनकी बात जनता समझ ही नहीं पाती। राजनीति आज काजल की कोठरी बन गयी है, मगर उसमें रहने वाले लोगों के कपड़े बेदाग रहते हैं।
2024 लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के नेता करीब 10 साल से ( 2014 से 2024 ) सिर्फ और सिर्फ मोदी विरोध में ही लगे रहे। वहीं इतना तो इंडिया गठबंधन के नेता भी समझ चुके हैं कि 2024 में भी मोदी को सत्ता से बेदखल करना नामुमकिन है । तभी तो एक सभा में ''आप" प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि 2024 में तो नहीं लेकिन 2029 में मोदी को हम जरूर हरायेंगे।
अब 15 अप्रैल तक तिहाड़ जेल में रहेंगे केजरीवाल। कोर्ट में उनके वकील ने ईडी की दलीलों का कोई विरोध नहीं किया। दूसरी ओर ईडी की पूछताछ में भी केजरीवाल सहयोग नहीं कर रहे हैं। वहीं उन्होंने अभी तक मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी नहीं दिया है।
यह राजनीति है साहब, जहां 5 साल तक एक- दूसरे को पानी पी -पीकर कोसने वाले , एक -दूसरे की बखिया उघेड़ने वाले और न जाने क्या-क्या कहने वाले दल चुनाव आने पर अपने-अपने स्वार्थ वश एकत्रित होकर गठबंधन बना लेते हैं ।
2024 लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है । प्रथम चरण में बिहार की चार सीटों के लिए नामांकन का आज जहां अंतिम दिन है , वहीं दूसरे चरण के लिए गुरुवार को ही अधिसूचना जारी होते ही नामांकन की भी प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।
एक एक तरफ लोकसभा चुनाव, जिसका पहला चरण 19 अप्रैल को शुरू हो रहा है और इसके लिए नॉमिनेशन भी चल रहे हैं मगर इंडी गठबंधन में सीटों के बंटवारे की गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले रही है । पूर्णिया , सीवान सहित कुछ सीटों पर मामला फंसा हुआ है। ये सीटें ऐसी हैं जिस पर राजद और कांग्रेस दोनों ही दावा कर रहे हैं। यादव बहुल होने के कारण पूर्णिया को लालू प्रसाद हाथ से निकलने देना नहीं चाहते।
Apr 13 2024, 19:51
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