*कथा ब्यास ने अजामिल की कथा का प्रसंग सुनाया*
शिवकुमार जायसवाल
सीतापुर- कथा ब्यास ने श्रोताओं को अजामिल की कथा का प्रसंग सुनाया। सकरन के ठाकुरद्वारा मंदिर परिसर में आयोजित श्री शतचंडी महायज्ञ में लखीमपुर खीरी के बिजुआ से पधारे कथा ब्यास बालमुकुन्द त्रिवेदी ने श्रोताओं को अजामिल की कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि अजामिल का जन्म कान्यकुब्ज ब्राह्माण कुल में हुआ था। एक दिन वह गांव से बाजार जा रहे थे तो उन्होंने एक नर्तकी को देख लिया। नर्तकी वेश्या थी बावजूद इसके वह उसे अपने घर ले आए। अजामिल अपने नौ बच्चों के साथ रहने लगे। एक दिन पच्चीस संतों का एक काफिला अजामिल के गांव से गुजर रहा था। यहां पर शाम हो गई तो संतों ने अजामिल के घर के सामने डेरा जमा दिया। रात में जब अजामिल आया तो उसने साधुओं को अपने घर के सामने देखा। इससे वह बौखला गया और साधुओं को भला बुरा कहने लगा। इस आवाज को सुन कर अजामिल की पत्नी जो वेश्या थी वहां आ गई। पति को डांटते हुए शांत कर दिया।
अगले दिन साधुओं ने अजामिल से दक्षिणा मांगी। इस पर वह फिर बौखला गया और साधुओं को मारने के लिए दौड़ पड़ा। तभी पत्नी ने उसे रोक दिया। साधुओं ने कहा कि हमें रुपया पैसा नहीं चाहिए। इस पर अजामिल ने हां कह दिया। साधुओं ने कहा कि वह अपने होने वाले पुत्र का नाम तुम नारायण रख लो। बस यही हमारी दक्षिणा है। अजामिल की पत्नी को पुत्र पैदा हुआ तो अजामिल ने उसका नाम नारायण रख लिया और नारायण से प्रेम करने लगा। इसके बाद जब अजामिल का अंत समय आया तो यमदूतों को भगवान के दूतों के सामने अजामिल को छोड़ कर जाना पड़ गया। इस तरह अजामिल को मोक्ष की प्राप्ति हुई। इसलिए कहा गया है कि भगवान का नाम लेने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इसके अलावा कथा ब्यास मुकेश अवस्थी बृन्दावन से पधारे राम जी बाजपेई, उमेश दीक्षित ने भी भगवत चर्चा का गुणगान किया प्रदीप झांकी ग्रुप बरेली द्वारा भगवान की झांकियों के दर्शन कराये गये। इस मौके पर भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद थे
Apr 13 2024, 18:44