कथा ब्यास ने भक्त ध्रुव की कथा क रसपान कराया
शिवकुमार जायसवाल,सकरन (सीतापुर) कथा ब्यास ने भगवान भक्त ध्रुव की कथा का प्रसंग श्रोताओं को सुनाया ।
सकरन के ठाकुर द्वारा मंदिर पर आयोजित नौ दिवशीय श्री शतचंडी महायज्ञ में बृन्दावन से पधारे कथा ब्यास रामजी बाजपेई ने भक्तों को भक्त ध्रुव की कथा का रसपान कराते हुए बताया कि राजा उत्तानपाद के दो रानियां थीं बड़ी रानी का नाम सुनीति था और छोटी रानी का नाम सुरुचि था सुनीति ने ध्रुव को जन्म दिया तथा सुरुचि ने उत्तम को जन्म दिया था उत्तानपाद की पहली पत्नी रानी सुनीति थी ।
लेकिन राजा उत्तानपाद को सुरुचि व उसका पुत्र उत्तम ज्यादा प्रिय थे राजा उत्तानपाद ने एक दिन ध्रुव को अपनी गोद में बैठाकर रखा था तभी रानी सुरुचि वहां आई और ध्रुव को राजा की गोद में बैठा देखकर गुस्से से ध्रुव को राजा की गोद से उतारा और अपने पुत्र को बैठा दिया इसके बाद वह बोली कि जिसे मैंने जन्म दिया है वही राज सिंहासन का उत्तराधिकारी बनेगा यदि तुम्हें राजगद्दी चाहिए तो भगवान विष्णु की भक्ति करो और उनकी कृपा से मेरी कोख से जन्म लो तभी तुम्हें सिंहासन प्राप्त होगा यह सुनकर ध्रुव रोते हुए अपनी मां सुनीति के पास गये और सारी बात बताई।
तब रानी सुनीति ने कहा कि तुम्हारे पिता को तुम्हारी सौतेली मां और उसका पुत्र अधिक प्रिय है अब हमारा सहारा केवल भगवान विष्णु ही हैं एक दिन ध्रुव भगवान विष्णु की तपस्या करने के लिए घर छोड़कर जा रहे थे तभी रास्ते में उन्हें नारद मुनि मिले और नारद मुनि ने ध्रुव को ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ का मंत्र दिया ध्रुव यमुना नदी के तट पर जाकर इस मंत्र का जाप करने लगे तपस्या के समय ध्रुव की आयु मात्र पांच वर्ष की थी तपस्या से प्रशन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हे अजर अमर रहने का आशीर्वाद दिया आज भी ध्रुव तारा आसमान में उत्तर दिशा में देखने के मिलता है |
Apr 12 2024, 18:42