कांग्रेस की चुप्पी कहीं आत्म समर्पण तो नहीं
संदर्भ : बिहार में कांग्रेस को मिलीं नौ सीटें
यह राजनीति है साहब, जहां 5 साल तक एक- दूसरे को पानी पी -पीकर कोसने वाले , एक -दूसरे की बखिया उघेड़ने वाले और न जाने क्या-क्या कहने वाले दल चुनाव आने पर अपने-अपने स्वार्थ वश एकत्रित होकर गठबंधन बना लेते हैं ।
गठबंधन तो बन जाता है लेकिन जब सीटों के बंटवारे की बात आती है तो सभी ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहते हैं । अपने-अपने प्रदेशों में मजबूत क्षेत्रीय दल अपना जनाधार खोना नहीं चाहते। इसलिए सीटों के बंटवारे पर आपसी सहमति बनाने में ही काफी माथापच्ची होती है ।
ठीक यही स्थिति आज 2024 के लोकसभा चुनाव में दिख रही है। बेमन से ही सही महा गठबंधन तो बन गया पर भानुमती का कुनबा कब तक इकट्ठा रहता, सो बिखराव शुरू हुआ । गठबंधन के सूत्रधार ही बीच भंवर में महागठबंधन रूपी नाव को छोड़कर एनडीए के जहाज पर सवार हो गये। फिर तो झड़ी ही लग गयी। आप , तृणमूल कांग्रेस , सपा आदि पार्टियों ने भी गठबंधन से अलग राह पकड़ ली।
वहीं विलुप्त होने के कगार पर पहुंच रही कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और अपनी आधी उम्र गुजार देने के बाद भी युवा राहुल गांधी लगता है कांग्रेस का बोरिया बिस्तर समेटकर इटली में शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं। कांग्रेस की चुप्पी उसके आत्म समर्पण को ही दरसा रही है ।
थोड़ी बहुत उछल कूद राजद मचा रहा है। पूर्णिया से टिकट मिलने की शर्त पर अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय कर पप्पू यादव निश्चित हो गये थे । मगर उनके साथ राजद प्रमुख ने गेम खेल दिया । लालू प्रसाद ने पप्पू यादव से राजद में अपनी पार्टी जाप का विलय करने पर मधेपुरा से टिकट देने की पेशकश की थी। इस पर पप्पू यादव ने कहा कि सोचेंगे, मगर दूसरे ही दिन कांग्रेस से मिल गये।
इसके बाद लालू प्रसाद ने जदयू से टिकट नहीं मिलने पर राजद में शामिल हुईं बीमा भारती को सिंबल देकर पूर्णिया से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। पप्पू यादव से नाराज लालू प्रसाद की इस गुगली से परेशान पप्पू बैकफुट पर आ गये और इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं।
करीब -करीब हर प्रदेश में जहां क्षेत्रीय दल मजबूत हैं , वे कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सीटें देना नहीं चाहते। इसलिए इंड़ी गठबंधन में शामिल कांग्रेस को अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए मजबूरीवश राजद से समझौता करना पड़ा है। यह भी कह सकते हैं कि लालू प्रसाद ने कांग्रेस को उसकी हैसियत बता दी है।
और अंत में सभी पार्टियां चुनाव लड़ तो रही हैं मगर सभी की छठी इंद्री उनको यह आभास करा रही है कि कहीं न कहीं मामला गड़बड़ है।
Apr 09 2024, 13:33