लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ पूरे देश में लग जाएगा आदर्श आचार संहिता, जानें किन-किन चीजों पर रहेगी पाबंदी
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लोकसभा चुनाव का आगाज अब जल्द ही होने जा रहा है। चुनाव आयोग की ओर से शनिवार 16 मार्च की तारीख को प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन होने जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, आम चुनाव 2024 और कुछ राज्य विधानसभाओं के कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कल यानी शनिवार, 16 मार्च को दोपहर 3 बजे आयोजित की जाएगी।संभावना जताई जा रही है कि इस बार लोकसभा चुनाव का आयोजन 6 से 7 चरण में कराया जा सकता है। बता दें कि चुनाव तारीखों की घोषणा होने के साथ ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी।
क्या आपके मन में भी सवाल उठ रहे हैं कि आचार संहिता आखिर होती क्या है? कब तक ये प्रभावशाली रहती है और इस दौरान क्या-क्या काम नहीं किए जा सकते? दरअसल आदर्श आचार संहिता का मतलब पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए बनी गाइडलाइंस से है। आचार संहिता चुनाव की घोषणा से प्रक्रिया पूरी होने यानी नतीजे जारी होने तक लागू रहती है।
क्या है आचार संहिता
आचार संहिता एक नियमावली है, जिसके तहत चुनाव को निष्पक्ष और स्वतंत्र ढंग से करने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम-शर्तें तय करता है। या ये भी कह सकते हैं कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है। चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं। चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, आदर्श आचार संहिता 'राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों के मार्गदर्शन हेतु' है। इसमें सामान्य आचरण से लेकर बैठकों, जुलूसों से जुड़ी गाइडलाइंस हैं। चुनावी घोषणापत्र में कैसे-कैसे किए जा सकते हैं, उसके भी नियम हैं।
आचार संहिता में किन कामों पर होती है पाबंदी
इलेक्शन कमीशन की नियमावली के मुताबिक आचार संहिता लगने के बाद कई तहर के कामों पर रोक लगा दी जाती है। ये ऐसे काम होते हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मतदान को प्रभावित कर सकते हैं। आचार संहिता लागू होते ही दीवारों पर लिखे गए सभी तरह के पार्टी संबंधी नारे व प्रचार सामग्री हटा दी जाती है। होर्डिंग, बैनर व पोस्टर भी हटा दिए जाते हैं। इस दौरान सरकार नई योजना और नई घोषणाएं नहीं कर सकती। भूमिपूजन और लोकार्पण भी नहीं हो सकते। चुनाव प्रचार के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। सरकारी गाड़ी, बंगला, हवाई जहाज आदि का उपयोग वर्जित होगा। राजनीतिक दलों को रैली, जुलूस या फिर मीटिंग के लिए परमिशन लेनी होती है। धार्मिक स्थलों और प्रतीकों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान नहीं किया जाएगा। मतदाताओं को किसी भी तरह से रिश्वत नहीं दी जा सकती है। किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे। किसी भी प्रत्याशी या पार्टी पर निजी हमले नहीं किए जा सकते हैं। मतदान केंद्रों पर वोटरों को लाने के लिए गाड़ी मुहैया नहीं करवा सकते हैं। मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित नहीं की जा सकती है।
आचार संहिता कब से कब तक प्रभावशाली रहती है
चुनाव आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जब चुनाव प्रोग्राम की तारीखें घोषित करता है, उसी के साथ ही आचार संहिता भी प्रभावशाली हो जाती है। यह निर्वाचन प्रक्रिया के पूर्ण होने तक प्रवृत्त रहती है। या यूं कहें कि रिजल्ट आने तक ये प्रभाव में रहती है। चुनाव में हिस्सा लेने वाले राजनीतिक दल, उम्मीदवार, सरकार और प्रशासन समेत चुनाव से जुड़े सभी लोगों पर इन नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी होती है।
आचार संहिता के उल्लंघन पर चुनाव आयोग क्या कर सकता है?
यदि कोई प्रत्याशी या राजनीतिक दल आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग नियमानुसार कार्रवाई कर सकता है। उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। ज़रूरी होने पर आपराधिक मुक़दमा भी दर्ज कराया जा सकता है। आचार संहिता के उल्लंघन में जेल जाने तक के प्रावधान भी हैं।
Mar 16 2024, 10:58