सीएए पर अमेरिका की टिप्पणी पर मोदी सरकार की दो टूक, विदेश मंत्रालय ने दिया ये जवाब
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भारत में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लागू हो गया है। केंद्र सरकार की ओर से इसको लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। इसके बाद से ही पूरे देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। यहां तक की अमेरिका ने देश में सीएए लागू होने पर चिंता जाहिर की थी। जिसके बाद भारत ने सीएए पर अमेरिका की टिप्पणी का जवाब दिया है। भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की गई है। विदेश मंत्रालय की तरफ से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यह भारत का आंतरिक मामला है। इसमें किसी भी बाहरी देश के दखल की कोई जरूरत नहीं है।
दरअसल, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने इससे पहले कहा था कि हम 11 मार्च से प्रभाव में आए सीएए के बारे में चिंतित हैं। हम बारीकी से निगरानी कर रहे हैं कि इस अधिनियम को कैसे लागू किया जाएगा। धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अमेरिका के रिएक्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम भारत का आंतरिक मामला है और यह भारत की समावेशी परंपराओं और मानवाधिकारों के प्रति हमारी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए है। विदेश विभाग ने कहा, भारतीय संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, ऐसे में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार पर चिंता का कोई आधार नहीं है।
सीएए के खिलाफ आलोचना को खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि संकट में फंसे लोगों की मदद को लिए किए गए प्रशंसनीय पहल को वोट बैंक की राजनीति से जोड़ना सही नहीं है। विभाग की ओर से कहा गया कि जिन लोगों को भारत की बहुलवादी परंपराओं, विभाजन के बाद के इतिहास की सीमित समझ है, उनके द्वारा व्याख्यान देने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।
बता दें कि यह अधिनियम अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं।
Mar 15 2024, 20:20