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नवजोत सिंह सिद्धू नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, जानें क्या है वजह?

#navjot_singh_sidhu_will_not_contest_lok_sabha_elections 

पूरा देश लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान का इंतजार कर रहा है। इससे पहले सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। बीजेपी-कांग्रेस समेत कई दलों ने अपने प्रत्याशियों की सूची भी जारी करने शुरू कर दी है। इस बीच कांग्रेस को बड़े झटके लग रहे हैं। एक तरफ तो पार्टी के बड़े चेहरे हाथ छोड़ रहे हैं, दूसरे कईयों ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। इन्हीं नेताओं में एक हैं पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू। इन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। सिद्धू के लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के फैसले के पीछे पारिवारिक कारण बताया जा रहा है।

बताया जा रहा है कि पार्टी ने नवजोत सिंह सिद्धू को पटियाला से कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी और संभावित बीजेपी उम्मीदवार परनीत कौर के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी की थी। लेकिन सिद्धू ने कैंसर से पीड़ित अपनी पत्नी के इलाज का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू ने राज्य स्तरीय राजनीति में बने रहने की बात की है।

इससे पहले कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने दावा किया कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक बार कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए उनसे संपर्क किया था। सिद्धू ने एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में यह बात कही। उन्होंने एक्स पर इंटरव्यू की एक क्लिप शेयर की। सिद्धू ने कहा कि भगवंत मान साहब मेरे पास आए थे। अगर वह बताएंगे तो मैं उन्हें वह जगह भी बता दूंगा (जहां वह मुझसे मिले थे)। उन्होंने मुझसे कहा कि पाजी, अगर आप मुझे कांग्रेस में शामिल करा देंगे तो मैं आपका सहायक बनने के लिए तैयार हूं। उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि अगर आप आम आदमी पार्टी में शामिल होते हैं तो भी मैं आपका सहायक बनने के लिए तैयार हूं।’ सिद्धू ने दावा किया कि उन्होंने मान से कहा कि वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के प्रति प्रतिबद्ध हैं और वह उन्हें नहीं छोड़ सकते

बांग्लादेशियों और पाकिस्तानियों को भारत में लाकर बसाना स्वीकार नहीं- CAA पर अमित शाह के बयान पर अरविंद केजरीवाल ने दिया जवाब

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गृहमंत्री अमित शाह के सीएए को लेकर दिए गए बयान पर जवाब दिया है।

केजरीवाल ने कहा कि यह कानून बिल्कुल भी देश के हित में नहीं है। दूसरे देशों से लाकर लोगों को यहां बसाया जाए यह ठीक नहीं है।

आजादी के बाद काफी बड़े स्तर पर माइग्रेशन हुआ था, अब सीएए की वजह से जो माइग्रेशन होगा वह 1947 से भी बड़ा होगा।

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में मिलाकर करीब ढाई से तीन करोड़ लोग रहते हैं और अगर इनमें से करीब डेढ़ करोड़ लोग भी आ गए तो क्या होगा। पहले भारत आने से पहले लोग डरते थे, लेकिन इस कानून से लोगों का डर खत्म हो जाएगा।

आप रोंहिग्या की बात कर रहे थे ये तो आप के ही शासन काल में आए हैं। क्या आप बता सकते हैं कि वह कैसे आए। बाहर से आए लोगों को आप अब देश की नागरिकता दोगे, उनके राशन कार्ड बनाओगे ये सही नहीं है। क्योंकि अपने देश के राशन कार्ड नहीं बन पा रहे और आप बाहर के लोगों को बसाने की कोशिश कर रहे हो।

केजरीवाल ने पूछा कि क्या आपके घर के सामने पाकिस्तान से आए लोगों की झुग्गियां बनेंगी, वो लोग न जाने कैसे होंगे क्या लोग सुरक्षित होंगे?

पंजाब में कांग्रेस को एक और झटका, कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर ने थामा बीजेपी का दामन

#congress_gets_big_set_back_as_mp_parneet_kaur_joins_bjp

लोकसभा चुनाव से कांग्रेस को एक-एक कर लगातार बड़े झटके लग रहे हैं। लगभग हर राज्य से कांग्रेस का बड़ा चेहरा पार्टी छोड़ रहा है। इन नेताओं को बीजेपी लपकने में देरी नहीं कर रही है। अब पंजाब में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। पटियाला से सांसद परनीत कौर ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसे लेकर उन्होंने एक आधिकारिक पत्र द्वारा घोषणा की। इसके तुरंत बाद कौर ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। लोकसभा चुनाव के बीच परनीत कौर का भाजपा में जाना कांग्रेस के लिए एक बड़ा नुकसान है।

बता दें कि परनीत कौर कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं। वह पंजाब की ‘शाही सीट’ पटियाला से चार बार कांग्रेस की सांसद रहीं हैं। उन्होंने अब भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि ‘मैं आज बीजेपी में शामिल हो रही हूं। पिछले 25 साल से मैने लोकतंत्र के लिए काम किया है। आज समय आ गया है जो हमारे बच्चों का कल बेहतर बना सकता है।

परनीत कौर ने भारतीय जनता पार्टी में ज्वाइन को लेकर कहा कि मैं मोदी जी के काम और नीति को देख कर और विकसित भारत का जो कार्यक्रम चल रहा है उससे प्रभावित होकर बीजेपी में शामिल हो रही हूं। मैं पीएम मोदी के नेतृत्व में अपने निर्वाचन क्षेत्र, अपने राज्य और देश के लिए काम करूंगी। मोदी जी के नेतृत्व में ही हम अपने बच्चों और देश को सुरक्षित रखा सकते हैं। कांग्रेस पार्टी के साथ मेरी अच्छी पारी रही और मुझे उम्मीद है कि बीजेपी के साथ मेरी पारी बेहतर होगी।

परनीत कौर पिछले 25 वर्षों से पटियाला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ती आ रही हैं। परनीत कौर को बीजेपी इसी सीट से उम्मीदवार बना सकती है। इतिहास में पहली बार बीजेपी पटियाला सीट से चुनाव लड़ेगी। परनीत कौर की उम्र 79 वर्ष है, लेकिन उनके लिए भाजपा 75 से अधिक उम्र के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में नहीं उतारने की अपनी नीति में भी ढील दे सकती है।

पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद कांग्रेस ने सांसद परनीत कौर को तीन फरवरी 2023 को पार्टी से निलंबित कर दिया था। इसके बाद भी परनीत पति कैप्टन अमरिंदर के कार्यक्रमों में शामिल होती रहीं। जिसके बाद यह साफ हो गया था कि लोकसभा चुनाव के दौरान वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाएंगी। में शामिल होती रहीं और तब से ही यह तस्वीर स्पष्ट हो गई थी कि लोकसभा चुनाव के करीब आकर

पंजाब में कांग्रेस को एक और झटका, कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर ने थामा बीजेपी का दामन

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लोकसभा चुनाव से कांग्रेस को एक-एक कर लगातार बड़े झटके लग रहे हैं। लगभग हर राज्य से कांग्रेस का बड़ा चेहरा पार्टी छोड़ रहा है। इन नेताओं को बीजेपी लपकने में देरी नहीं कर रही है। अब पंजाब में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। पटियाला से सांसद परनीत कौर ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसे लेकर उन्होंने एक आधिकारिक पत्र द्वारा घोषणा की। इसके तुरंत बाद कौर ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। लोकसभा चुनाव के बीच परनीत कौर का भाजपा में जाना कांग्रेस के लिए एक बड़ा नुकसान है।

बता दें कि परनीत कौर कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं। वह पंजाब की ‘शाही सीट’ पटियाला से चार बार कांग्रेस की सांसद रहीं हैं। उन्होंने अब भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि ‘मैं आज बीजेपी में शामिल हो रही हूं। पिछले 25 साल से मैने लोकतंत्र के लिए काम किया है। आज समय आ गया है जो हमारे बच्चों का कल बेहतर बना सकता है।

परनीत कौर ने भारतीय जनता पार्टी में ज्वाइन को लेकर कहा कि मैं मोदी जी के काम और नीति को देख कर और विकसित भारत का जो कार्यक्रम चल रहा है उससे प्रभावित होकर बीजेपी में शामिल हो रही हूं। मैं पीएम मोदी के नेतृत्व में अपने निर्वाचन क्षेत्र, अपने राज्य और देश के लिए काम करूंगी। मोदी जी के नेतृत्व में ही हम अपने बच्चों और देश को सुरक्षित रखा सकते हैं। कांग्रेस पार्टी के साथ मेरी अच्छी पारी रही और मुझे उम्मीद है कि बीजेपी के साथ मेरी पारी बेहतर होगी।

परनीत कौर पिछले 25 वर्षों से पटियाला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ती आ रही हैं। परनीत कौर को बीजेपी इसी सीट से उम्मीदवार बना सकती है। इतिहास में पहली बार बीजेपी पटियाला सीट से चुनाव लड़ेगी। परनीत कौर की उम्र 79 वर्ष है, लेकिन उनके लिए भाजपा 75 से अधिक उम्र के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में नहीं उतारने की अपनी नीति में भी ढील दे सकती है।

पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद कांग्रेस ने सांसद परनीत कौर को तीन फरवरी 2023 को पार्टी से निलंबित कर दिया था। इसके बाद भी परनीत पति कैप्टन अमरिंदर के कार्यक्रमों में शामिल होती रहीं। जिसके बाद यह साफ हो गया था कि लोकसभा चुनाव के दौरान वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाएंगी। में शामिल होती रहीं और तब से ही यह तस्वीर स्पष्ट हो गई थी कि लोकसभा चुनाव के करीब आकर

अश्लीलता परोसने वाले कई ओटीटी प्लेटफॉर्म बैन, इन वेबसाइटों, सोशल मीडिया अकाउंट्स पर सरकार ने लगाया प्रतिबंद्ध

#18_ott_platforms_19_websites_and_10_apps_banned

सोशल मीडिया और ओवर द टॉप ;(ओटीटी) एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो घर-घर में मौजूद है। वेबसाइट्स और ऐप्स के जरिए आजकल आप घर बैठे-बैठ जो चाहे वो देख सकते हैं। लेकिन इनका गलत इस्तेमाल करने वालों की भी कोई कमी नहीं है। ऐसी कई सारी वेबसाइट्स, ओटीटी प्लेटफॉर्म और ऐप्स हैं, जो अश्लील कंटेंट लोगों तक पहुंचाते हैं। इस मामले पर सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय ने कार्रवाई करते हुए 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म, 19 वेबसाइट और 10 ऐप को बैन कर दिया है।

एक प्रेस रिलीज में दी गई जानकारी के अनुसार, “सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अश्लील, फूहड़ और पोर्न सामग्री प्रकाशित करने वाले 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म को ब्लॉक करने की कार्रवाई की है। 19 वेबसाइट, 10 एप (गूगल प्ले स्टोर पर 7, एप्पल एप स्टोर पर 3) और इन प्लेटफ़ॉर्म से जुड़े 57 सोशल मीडिया अकाउंट भारत में ब्लॉक कर दिया गया है।”

जिन ओटीटी प्लेटफॉर्म को यह अश्लील सामग्री परोसने के लिए बंद किया गया है, उनके नाम ड्रीम्स फिल्म्स, वूवी, येस्मा, अनकट अड्डा, ट्राई फ्लिक्स, एक्स प्राइम, नियॉन एक्स वीआईपी, बेशरम, शिकारी, खरगोश, एक्स्ट्रामूड, न्यूफ़्लिक्स, मूडएक्स, मोजफ्लिक्स, हॉट शॉट्स वीआईपी, फुगी, चिकूफ़्लिक्स और प्राइम प्ले हैं।

भारत सरकार के मुताबिक इन सभी साइट्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म ने आईटी एक्ट का उल्लंघन किया है। इसके अलावा ये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इंडियन पीनल कोड का भी उल्लंघन कर रहे थे। सरकार का ये भी मानना है कि पिछले कई सालों से ये ओटीटी प्लेटफार्म और वेबसाइट महिलाओं की इमेज खराब करने वाले कंटेंट दिखा रहे थे। 

मंत्रालय ने बताया है कि इनमें से एक प्लेटफॉर्म को 1 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया गया था। दो अन्य प्लेटफॉर्म को 50 लाख बार डाउनलोड किया गया था। यह सभी प्लेटफॉर्म सोशल मीडिया से अपनी अश्लील सामग्री का प्रचार करते थे। इन्हें सोशल मीडिया पर 32 लाख लोगों ने फॉलो कर रखा था। इनके फेसबुक पर 12, इन्स्टाग्राम पर 17 , ट्विटर पर 16 और यूट्यूब पर 12 पेज और चैनल थे। यह इसी के माध्यम से अश्लील सामग्री परोस रहे थे। अब इन पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय का हथौड़ा चल गया है। इन्हें एक झटके में बंद कर दिया गया है।

ममता बनर्जी के परिवार में कलह, सियासी 'आग' में भाई-बहन के रिश्तों में बढ़ी तपन

#mamata_banerjee_brother_babun_banerjee_family_row 

पूरे देश में मौसम का मिजाज बदल रहा है। सर्दियों की विदाई शुरू हो गई है और तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। वहीं, दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव की आमद को लेकर सियासी पारा बी चढ़ने लगा है। राजनीतिक दलों रस्साकशी शुरू हो गई है। पार्टियां टूट रही हैं और रिश्तों में दरार आ रही है। इस सियासी “आग” की चपेट में ममता बनर्जी का परिवार भी आ गया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने छोटे भाई बाबुन बनर्जी से सभी रिश्ते तोड़ने का सार्वजनिक ऐलान कर दिया है।

पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने लोकसभा चुनाव के लिए 42 कैंडिडेट घोषित किए। इस घोषणा के बाद सीएम ममता बनर्जी के परिवार में कलह शुरू हो गया। उनके छोटे भाई स्वपन बनर्जी उर्फ बाबुन बनर्जी ने हावड़ा से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। बाबुन हावड़ा से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार प्रसून बनर्जी को टिकट देने से खुश नहीं थे। एक निजी चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा था, मुझे प्रसून बनर्जी से एलर्जी है। प्रसून हावड़ा के लिए सही विकल्प नहीं हैं। कई सक्षम उम्मीदवार थे, जिन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। पार्टी ने ठीक नहीं किया। मैं उनके ख़िलाफ़ निर्दलीय चुनाव लड़ सकता हूँ। 

भाई के इस बयान से नाराज ममता ने बाबुन बनर्जी को लालची बताते हुए रिश्ता तोड़ने का ऐलान कर दिया। ममता बनर्जी ने कहा कि कभी-कभी उम्र बढ़ने पर लोग लालची हो जाते हैं और चुनाव में प्रॉब्लम करते हैं। मुझे ऐसे लोग पसंद नहीं हैं। ममता बनर्जी ने अपने भाई को लेकर कहा, आज से मैं ख़ुद को उनसे पूरी तरह अलग करती हूँ। अब से कृपया मेरा नाम उनके साथ न जोड़ें। भूल जाइए कि मेरा उनके साथ कोई रिश्ता था। मैं ही नहीं आज से मेरे परिवार के हर सदस्य ने उनके साथ अपना रिश्ता ख़त्म कर लिया है।

दीदी ममता बनर्जी द्वारा रिश्ता तोड़ने की बात के बाद ही भाई बाबुन के तेवर ढीले पड़ गए। बाबुन ने अपने बयान से यू टर्न लेते हुए कहा, ममता बनर्जी ने एक अभिभावक के रूप में जो कहा वह सही है। मैं दीदी की बात को आशीर्वाद के रूप में लेता हूं। मैं अकेला नहीं खड़ा होऊंगा, मैं दीदी के लिए सब कुछ करूंगा। इस तरह बाबुन हावड़ा में निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले से भी पीछे हट गए

हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि दोनों भाई-बहन सार्वजनिक रूप से खुलकर एक दूसरे से लड़े हों। ममता बनर्जी पहले भी अपने भाई को सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान फटकार लगा चुकी हैं।

भाई बहन के बीच कलह की एक वजह भतीजे अभिषेक बनर्जी को बी माना जा रहा है। दरअसल, पिछले एक दशक में उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने पार्टी में नंबर टू का दर्जा हासिल कर लिया है। पार्टी के फैसलों में उनकी छाप दिखने लगी है। उन्हें मीडिया में दीदी का उत्तराधिकारी माना जाने लगा है। शायद यही कारण है कि अभिषेक बनर्जी के बढ़ते कद के कारण भी अब बनर्जी परिवार में कलह बढ़ता जा रहा है।

क्या 2029 से साथ होंगे सभी चुनाव? पहले लोकसभा-विधानसभा, फिर निगम-पंचायत... कैसे काम करेगा सिस्टम, कोविंद कमेटी ने राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट, आ

एक देश-एक चुनाव एक ऐसी प्रणाली है जिसमें देश में सभी चुनाव एक साथ आयोजित किए जाएंगे। यह प्रणाली चुनावों की लागत और व्यय को कम करने, राजनीतिक स्थिरता स्थापित करने और शासन में सुधार लाने के लिए प्रस्तावित की गई है। 'एक देश, एक चुनाव' पर रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है। 

रामनाथ कोविंद कमेटी ने इस रिपोर्ट में कई बड़ी और अहम सिफारिशें की हैं। कमेटी ने वन नेशन वन इलेक्शन के लिए संविधान संशोधन की सिफारिश की है। कमेटी ने सिफारिश की है कि सरकार कानून सम्मत ऐसा तंत्र तैयार करे, जिससे एक साथ चुनाव संभव हो। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली पैनल ने 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट दो सितंबर 2023 को समिति गठन के बाद से तैयार की जा रही थी। 

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश को आजादी मिलने के दो दशक तक एक साथ चुनाव होते थे, लेकिन बाद में चुनाव हर साल होने लगे। इससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ। इसलिए हम यह सुझाव देते हैं कि देश में एक साथ चुनाव की व्यवस्था कायम हो। कमेटी ने सुझाव दिया कि पहले चरण में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव कराए जा सकते हैं। वहीं. इसके 100 दिन बाद नगर पालिका और पंचायत के चुनाव कराए जा सकते हैं। लोक सभा और राज्य विधान सभाओं के चुनावों को एक साथ कराने के उद्देश्य से समिति ने सिफारिश की है कि राष्ट्रपति, आम चुनाव के बाद लोक सभा की पहली बैठक की तारीख को जारी अधिसूचना द्वारा, इस अनुच्छेद के प्रावधान को लागू कर सकते हैं और अधिसूचना की उस तारीख को नियुक्त तिथि कहा जाएगा।

सभी राज्य विधान सभाओं का कार्यकाल, नियत तिथि के बाद और लोक सभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले राज्य विधान सभाओं के चुनावों द्वारा गठित, केवल लोक सभा के बाद के आम चुनावों तक समाप्त होने वाली अवधि के लिए होगा। इसके बाद, लोक सभा और सभी राज्य विधान सभाओं के सभी आम चुनाव एक साथ आयोजित किए जाएंगे।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एक देश-एक चुनाव पर 47 राजनीतिक दलों ने कमेटी को अपनी राय दी। जिनमें से 32 ने पक्ष में और 15 विपक्ष में मत रखा है। कोविंद पैनल ने एक साथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है। कोविंद की अगुआई में 8 मेंबर की कमेटी पिछले साल 2 सितंबर को बनी थी। 23 सितंबर 2023 को पहली बैठक दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की पहली बैठक हुई थी। इसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत 8 मेंबर हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गए हैं।

यह प्रणाली कैसे काम करेगी

पहले चरण में: लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ आयोजित किए जाएंगे।

दूसरे चरण में: निगम और पंचायत चुनाव एक साथ आयोजित किए जाएंगे।

 लाभ

चुनावों की लागत और व्यय में कमी: एक साथ चुनाव आयोजित करने से चुनाव आयोग को पैसे और समय की बचत होगी। 

राजनीतिक स्थिरता: एक साथ चुनाव आयोजित करने से राजनीतिक दलों को लगातार चुनावों में भाग लेने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे राजनीतिक स्थिरता स्थापित होगी।

शासन में सुधार: एक साथ चुनाव आयोजित करने से सरकार को नीतियां बनाने और उन्हें लागू करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलेगा।

इस प्रणाली के नुकसान

चुनावी तारीखों का टकराव: यदि लोकसभा या विधानसभा का कार्यकाल पूरा नहीं होता है, तो चुनाव आयोग को चुनावी तारीखों का टकराव टालने के लिए उपाय करने होंगे।

चुनावी थकान

 एक साथ चुनाव आयोजित करने से मतदाताओं में चुनावी थकान हो सकती है।

क्षेत्रीय मुद्दों का दब जाना

 राष्ट्रीय मुद्दों के कारण क्षेत्रीय मुद्दे दब सकते हैं।

केरल के ज्ञानेश कुमार, पंजाब के सुखबीर संधू होंगे नए चुनाव आयुक्त, अधीर रंजन का दावा-सरकार ने पहले से तय कर रखे थे नाम

#gyanesh_kumar_and_sukhbir_sandhu_new_election_commissioner

ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू देश के दो नए चुनाव आयुक्त होंगे। आज पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन दोनों नामों पर सहमति बन गई है। लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी इन नामों की जानकारी दी है। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी भी चयन समिति के सदस्य हैं।अधीर रंजन चौधरी ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि सरकार ने पहले से ही चुनाव आयुक्तों के नाम तय कर रखे थे। अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि सरकार ने उनसे पहले से सूची साझा नहीं की थी। बता दें कि पूर्व चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय के रिटायरमेंट और अरुण गोयल के बीते दिनों इस्तीफे की वजह से चुनाव आयोग में दो चुनाव आयुक्तों के पद खाली हैं। इन्हीं पदों पर नियुक्ति के लिए आज प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बैठक हुई।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आज नई दिल्ली में 7, लोककल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास में बैठक हुई। बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी भी शामिल हुए।बैठक के बाद अधीर रंजन ने दावा किया है कि केरल के ज्ञानेश कुमार और पंजाब के सुखबीर संधू नए चुनाव आयुक्त होंगे।जल्द ही आधिकारिक रूप से नए चुनाव आयुक्तों के नामों का एलान हो सकता है

बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 'सरकार जिसे चाहेगी, वो ही चुनाव आयुक्त बनेंगे।' अधीर रंजन चौधरी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि 'समिति में सरकार के पास बहुमत है और इस वजह से सरकार अपने पसंद के नाम तय कर सकती है। भारत जैसे लोकतंत्र में इतने बड़े पद पर नियुक्ति इस तरीके से नहीं होनी चाहिए।

अधीर रंजन ने कहा कि मैं अपना क्षेत्र छोड़कर बैठक में शामिल होने के लिए आया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कमिटी में चीफ जस्टिस को भी रहना चाहिए था। उन्हें नहीं रखा गया। बदले में गृह मंत्री अमित शाह को बैठक में शामिल किया गया था। कांग्रेस सांसद ने कहा, मैंने बैठक के पहले ही शार्टलिस्ट उम्मीदवारों की लिस्ट मांगी थी। जिससे उनके बारे में बारीकी से पता करता। पहले, उन्होंने मुझे 212 नाम दिए थे, लेकिन नियुक्ति से 10 मिनट पहले उन्होंने मुझे सिर्फ छह नाम दिए। मुझे पता है कि मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) वहां नहीं है, सरकार ने ऐसा कानून बना दिया है कि सीजेआई दखल नहीं दे सकता और केंद्र सरकार अपनी पसंद का नाम चुन सकती है। मैं यह नहीं कह रहा कि यह मनमाना है, लेकिन जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है उसमें कुछ खामियां हैं।

वन नेशन, वन इलेक्शन’ कोविंद कमेटी ने राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट, जानें क्या हैं सिफारिशें

#onenationoneelectionkovindpaneltosubmititsreportto_president 

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा, राज्यों की विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने को लेकर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है।रिपोर्ट 18,626 पन्नों की है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता में एक साथ चुनाव कराने को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। इसमें पिछले 191 दिनों के हितधारकों, विशेषज्ञों और अनुसंधान कार्य के साथ व्यापक परामर्श का नतीजा शामिल है। 

पिछले सितंबर में गठित समिति को मौजूदा संवैधानिक ढांचे को ध्यान में रखते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए संभावनाएं तलाशने और सिफारिशें करने का काम सौंपा गया था। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति में गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन.के. सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे भी शामिल हैं।

सिफारिश की खास बातें –

- कमेटी ने कहा है कि प्रारंभ में हर दस साल में दो चुनाव होते थे। अब हर साल कई चुनाव होने लगे हैं। इससे सरकार, व्यवसायों, श्रमिकों, न्यायालयों, राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और बड़े पैमाने पर नागरिक समाज पर भारी बोझ पड़ता है। इसलिए समिति सिफारिश करती है कि सरकार को एक साथ चुनावों के चक्र को बहाल करने के लिए कानूनी रूप से व्यवहार्य तंत्र विकसित करना चाहिए। समिति की सिफारिश है कि लोकसभा, विधानसभा चुनावों के साथ-साथ पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव कराए जा सकते हैं। हालांकि, समिति इनको दो चरणों में लागू करने की सिफारिश करती है। जहां पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव और फिर 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाने की बात की गई है।

– संविधान में कुछ संशोधन की भी वकालत की गई है। इसके तहत कुछ शब्दावली में हल्का बदलाव या यूं कहें कि उनको नए सिरे से परिभाषित करने की बात है। ‘एक साथ चुनाव’ को ‘जेनरल इलेक्शन’ कहने का सुझाव है।

– इस तरह लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच अगर एक तालमेल बैठ जाता है और एक देश – एक चुनाव होने अगर लगता है तो यह हर पांच साल पर हुआ करेगा। हां, अगर कोई सदन पांच वर्ष की अवधि से पहले भंग हो गई तो फिर मध्यावधि चुनाव अगले पांच साल के लिए नहीं बल्कि केवल बचे हुए कार्यकाल के लिए होगा ताकि अवधि पूरा होने तक राज्य और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकें।

– लोकसभा का पांच साल कार्यकाल पूरा होने से पहले यदि किसी राज्य विधानसभा में सरकार गिरती है, त्रिशंकु या अविश्वास प्रस्ताव जैसी स्थिति में लोकसभा के बचे हुए कार्यकाल की अवधि के आधार पर विधानसभा में चुनाव कराएं जाएं। जैसे लोकसभा पांच में एक साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी और कहीं राज्य में सरकार गिर गई तो विधानसभा चुनाव चार साल का कराया जाए।

– एकल मतदाता सूची तैयार करने का भी सुझाव है और इसके लिए संविधान के कई अनुच्छेदों में संविधान संशोधन की सिफारिश की गई है।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ कोविंद कमेटी ने राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट, जानें क्या हैं सिफारिशें

#one_nation_one_election_kovind_panel_to_submit_its_report_to_president 

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा, राज्यों की विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने को लेकर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है।रिपोर्ट 18,626 पन्नों की है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता में एक साथ चुनाव कराने को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। इसमें पिछले 191 दिनों के हितधारकों, विशेषज्ञों और अनुसंधान कार्य के साथ व्यापक परामर्श का नतीजा शामिल है। 

पिछले सितंबर में गठित समिति को मौजूदा संवैधानिक ढांचे को ध्यान में रखते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए संभावनाएं तलाशने और सिफारिशें करने का काम सौंपा गया था। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति में गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन.के. सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे भी शामिल हैं।

सिफारिश की खास बातें –

- कमेटी ने कहा है कि प्रारंभ में हर दस साल में दो चुनाव होते थे। अब हर साल कई चुनाव होने लगे हैं। इससे सरकार, व्यवसायों, श्रमिकों, न्यायालयों, राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और बड़े पैमाने पर नागरिक समाज पर भारी बोझ पड़ता है। इसलिए समिति सिफारिश करती है कि सरकार को एक साथ चुनावों के चक्र को बहाल करने के लिए कानूनी रूप से व्यवहार्य तंत्र विकसित करना चाहिए। समिति की सिफारिश है कि लोकसभा, विधानसभा चुनावों के साथ-साथ पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव कराए जा सकते हैं। हालांकि, समिति इनको दो चरणों में लागू करने की सिफारिश करती है। जहां पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव और फिर 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाने की बात की गई है।

– संविधान में कुछ संशोधन की भी वकालत की गई है। इसके तहत कुछ शब्दावली में हल्का बदलाव या यूं कहें कि उनको नए सिरे से परिभाषित करने की बात है। ‘एक साथ चुनाव’ को ‘जेनरल इलेक्शन’ कहने का सुझाव है।

– इस तरह लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच अगर एक तालमेल बैठ जाता है और एक देश – एक चुनाव होने अगर लगता है तो यह हर पांच साल पर हुआ करेगा। हां, अगर कोई सदन पांच वर्ष की अवधि से पहले भंग हो गई तो फिर मध्यावधि चुनाव अगले पांच साल के लिए नहीं बल्कि केवल बचे हुए कार्यकाल के लिए होगा ताकि अवधि पूरा होने तक राज्य और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकें।

– लोकसभा का पांच साल कार्यकाल पूरा होने से पहले यदि किसी राज्य विधानसभा में सरकार गिरती है, त्रिशंकु या अविश्वास प्रस्ताव जैसी स्थिति में लोकसभा के बचे हुए कार्यकाल की अवधि के आधार पर विधानसभा में चुनाव कराएं जाएं। जैसे लोकसभा पांच में एक साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी और कहीं राज्य में सरकार गिर गई तो विधानसभा चुनाव चार साल का कराया जाए।

– एकल मतदाता सूची तैयार करने का भी सुझाव है और इसके लिए संविधान के कई अनुच्छेदों में संविधान संशोधन की सिफारिश की गई है।