अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में एकसुर में बोले सभी वक्ता, बिना महिलाओं के सहयोग से कोई भी सामाजिक सुधार संभव नहीं
पटना : आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर होटल लेमन ट्री में सामाजिक सुधार में महिलाओं की भूमिका विषय पर ‘ शक्ति ’ नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज मृदुला मिश्र मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थीं। जबकि सम्मानित अतिथि में जयप्रभा मेदांता हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. रवि शंकर सिंह थे।
वहीं विशिष्ट वक्ताओं में सामाजिक कार्यकर्ता रंजना कुमारी, डायरेक्टर, सेंटर फॉर सोशल रिसर्च एंड चेयर पर्सन वीमेन पावर कनेक्ट, नयी दिल्ली, यूजीसी वीमेंस स्टडी सेंटर, पटना विश्वविद्यालय की हेड प्रो. सुनीता राय, जयप्रभा मेदांता हॉस्पिटल पटना की स्त्री रोग तथा कैंसर रोग की सीनियर डॉ. सरिता शर्मा तथा गूंज और सोशल ऐट्रप्रेन्योर की सह संस्थापक मीनाक्षी गुप्ता मौजूद थीं। इस मौके पर हॉस्पिटल की सभी महिला डॉक्टर और अन्य डॉक्टर भी मौजूद थे।
कार्यक्रम में पधारे सभी वक्ताओं ने कहा कि बिना महिलाओं के सहयोग से कोई भी सामाजिक सुधार संभव नहीं हो सकता। वे परिवार से लेकर समाज, देश-दुनिया की रीढ़ हैं, इनके बिना सुधार का कोई मतलब नहीं रह जाता। वक्ताओं ने विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा महिलाओं को सशक्त बनाये जाने के विभिनन कार्यक्रमों पर विस्तृत चर्चा की और अपने देश में भी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए चलायी जा रही योजनाओं की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की।
कहा कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे आकर कमान थाम रही हैं। चाहे व सरकारी क्षेत्र हो व निजी क्षेत्र। महिला के बिना परिवार में भी सुधार नहीं लाया जा सकता तो समाज, देश-दुनिया भी इनके बिना सुधर नहीं सकते।
इस अवसर पर महिलाओं के स्वास्थ्य विषय पर चर्चा करते हुए हॉस्पिटल के स्त्री रोग तथा कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता शर्मा ने कहा कि महिलाओं की सबसे बड़ी कमजोरी उसका परिवार है जिसके लिए वे सभी दुख झेलती रहती हैं। सबके स्वास्थ्य की देखभाल करने वाली महिला अपने स्वास्थ्य पर विभिन्न कारणों से ध्यान नहीं दे पाती हैं जिसके कारण उन्हें विभिन्न बीमारियों से जूझना पड़ता हैं। अपने बच्चों तथा पति को अच्छी सेहत देने में अत्याधिक समय खर्च कर डालती हैं, पर अपने स्वास्थ्य के प्रति कत्र्तव्य पूरा नहीं कर पाती। घंटों भूखे रहकर काम करना और बासी भोजन करना, उपवास-व्रत करना इनकी आदत में शुमार है चाहे वह कम पढ़ी-लिखी महिला हों या बड़े पद पर काम करती हों। पिछले कुछ वर्षों में इनमें सुधार तो आया है, पर इसे और बढ़ाने की जरूरत है।
पटना से मनीष प्रसाद
Mar 09 2024, 11:36