अमवा महुइया के झूमे डलिया, करवट फेर ना बलमुआ हमार ओरिया गीतों पर जमकर थिरके श्रोता
प्रयागराज। एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत एनसीजेडसीसी, संस्कृति मंत्रालय भारत, सरकार द्वारा माघ मेला में आयोजित 10 दिवसीय चलो मन गंगा यमुना तीर सांस्कृतिक कार्यक्रम के समापन दिवस की पूर्व संध्या पर झारखंड से पधारी सुप्रसिद्ध भोजपुरी गायिका चन्दन तिवरी ने अपने सुरों का जलवा बिखेरा। उन्होंने अपने गायकी के अंदाज में भजनों की सुर सरिता प्रवाहित कर त्रिवेणी तट के इस उत्सव को यागदार बना दिया।
"हे गंगा मइया गजब रउरी माया से" ,"राजा दशरथजी के घरवा, आज अइले ललनवां... "अइली प्रयागराज के मेला, हम खरीदे लगनी केला, "अमवा महुइया के झूमे डलिया, करवट फेर ना बलमुआ हमार ओरिया" आदि भजनों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को बसंत ऋतु का एहसास कराया। श्रोता तालियों से उनका उत्साहवर्धन करते रहे। मंगलवार को एक के बाद एक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से पूरा पंडाल देर रात तक मगन होकर झूमता रहा। रामबाबू यादव एवं केदारनाथ व दल ने जोगवा रमाये जोगी बारी बा उमरिया एवं जन्मभूमि है हमारी हमरे जियरा से प्यारी की प्रस्तुति दी। इसके बाद अनूप बनर्जी ने "पायोजि मैंने राम रत्न धन पायो, "सजादो घर मेरे घर राम आये है" तथा "हरे रामा हरे कृष्णा" को पेश कर खूब तालियां बटोरी।
लोकनृत्यों ने बाधां समा- विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने लोकनृत्यों की शानदार प्रस्तुतियों से दर्शकों को रोमांचित किया। उन्होंने लोकनृत्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत बनाया। उनकी गतिविधियों ने दर्शकों को अपनी माटी के साथ जोड़ने का अद्भुत अनुभव हुआ। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरषार्थी ने किया।
Feb 14 2024, 11:25