वित्त मंत्री ने लोकसभा में पेश किया श्वेत पत्र, यूपीए सरकार के 10 सालों की गिनाईं आर्थिक नाकामियां
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लोकसभा में एक श्वेतपत्र पेश किया। इस श्वेतपत्र में यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताया गया है।श्वेत पत्र के माध्यम से भारत की आर्थिक बदहाली और अर्थव्यवस्था पर इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया गया है। वहीं, इसमें उस समय उठाए जा सकने वाले सकारात्मक कदमों के असर के बारे में भी बात की गई है।बता दें कि संसद के बजट सत्र के दौरान ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि सरकार संसद के दोनों सदनों में श्वेत पत्र लेकर आएगी। इसके जरिए सरकार 2014 से लेकर 2024 तक अपने कार्यकाल के दौरान हुए कामकाजों का लेखा-जोखा सदन के पटल पर रखेगी। इसके साथ ही इस श्वेत पत्र के जरिए पिछली यूपीए सरकार के कुप्रबंधन और गलत नीतियों के बारे में भी जानकारी देगी। अब उसी सत्र को लोकसभा में पेश कर दिया गया है।
लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा रखे गए भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र' में कहा गया है कि यूपीए सरकार को अधिक सुधारों के लिए तैयार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली। लेकिन अपने दस वर्षों में इसे नॉन परफॉर्मिंग बना दिया। 2004 में जब यूपीए सरकार ने अपना कार्यकाल शुरू किया था, तो अच्छे विश्व आर्थिक माहौल के बीच अर्थव्यवस्था 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी। उद्योग और सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक थी और वित्त वर्ष 2004 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 9 प्रतिशत से अधिक थी। 2003-04 के आर्थिक सर्वेक्षण में भी कहा गया था कि विकास, मुद्रास्फीति और भुगतान संतुलन के मामले में अर्थव्यवस्था एक लचीली स्थिति में प्रतीत होती है, एक जोड़ जो कि निरंतर व्यापक आर्थिक स्थिरता के साथ विकास की गति को मजबूत करने की बड़ी गुंजाइश प्रदान करता है।
श्वेत पत्र में कहा गया है कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट पर यूपीए सरकार की ओर से जारी किया गया स्पिल-ओवर प्रभावों से निपटने के लिए एक राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज समस्या से भी कहीं अधिक बदतर था। यह वित्त पोषण और रखरखाव की केंद्र सरकार की क्षमता से कहीं परे था। श्वेत पत्र में आगे कहा गया है कि जीएफसी के दौरान, वित्त वर्ष 2009 में भारत की वृद्धि धीमी होकर 3.1 प्रतिशत हो गई, लेकिन वित्त वर्ष 2010 में तेजी से बढ़कर 7.9 प्रतिशत हो गई। जीएफसी के दौरान और उसके बाद वास्तविक जीडीपी वृद्धि पर आईएमएफ डेटा का उपयोग करते हुए एक क्रॉस-कंट्री विश्लेषण इस तथ्य की पुष्टि करता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव अन्य विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अपेक्षाकृत सीमित था।
लोकसभा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश श्वेत पत्र में यूपीए कार्यकाल में हुए घोटालों का भी जिक्र है।श्वेत पत्र में लिखा गया है कि यूपीए सरकार के 122 टेलीकॉम लाइसेंस से जुड़े 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले ने सरकारी खजाने से 1.76 लाख करोड़ रुपये की कटौती की थी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अनुमान, सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये की चपत लगाने वाला कोल गेट घोटाला, यूपीए शासनकाल में हमारे यहां घोटालों से भरे 12 दिवसीय राष्ट्रमंडल खेल आयोजित हुए।तब, हमारे पास 2जी घोटाला था, यूपीए काल में सरकार ने कुछ चुने हुए लोगों को सोना आयात लाइसेंस प्रदान किया गया।
सरकार ने श्वेत पत्र में कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार को एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी और उन्होंने 10 साल बाद हमें एक कमज़ोर अर्थव्यवस्था दी। अब हमने इसकी जीवंतता बहाल कर दी है। जब 2014 में एनडीए सरकार ने सत्ता संभाली, तो अर्थव्यवस्था ना केवल खराब स्थिति में थी, बल्कि संकट में थी। हमें एक दशक से कुप्रबंधित अर्थव्यवस्था को ठीक करने और इसके बुनियादी सिद्धांतों को सुदृढ़ रूप से बहाल करने की जटिल चुनौती का सामना करना पड़ा। तब, हम 'नाज़ुक पांच' अर्थव्यवस्थाओं में से एक थे; अब, हम 'शीर्ष पांच' अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं, जो हर साल वैश्विक विकास में तीसरा सबसे बड़ा योगदान देते हैं।तब दुनिया का भारत की आर्थिक क्षमता और गतिशीलता पर से भरोसा उठ गया था; अब, अपनी आर्थिक स्थिरता और विकास की संभावनाओं के साथ, हम दूसरों में आशा जगाते हैं।
Feb 08 2024, 19:55