*मकर संक्रांति पर्व का धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व जानना जरूरी: डा. विमल मिश्रा*
प्रयागराज।केंद्रीय विद्यालय ओल्ड कैंट प्रयागराज में मकर संक्रांति के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता आईईआरटी प्रयागराज के निदेशक डॉ. विमल मिश्रा ने मकर संक्रान्ति के भौतिक, आध्यात्मिक महत्व को बताया। डा. मिश्रा ने बताया कि पौष मास में सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में विराजमान होते है। इस अवसर को देश के विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग त्योहार जैसे लोहड़ी, कहीं खिचड़ी, कहीं पोंगल आदि के रूप में मनाते हैं।
हिंद धर्म में मकर संक्रांति ऐसा त्योहार है जिसका धार्मिक के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है। धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन स्वर्ग का दरवाजा खुल जाता है। इस दिन पूजा, पाठ, दान, तीर्थ नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था, लेकिन दक्षिणायन सूर्य होने के कारण बाणों की शैया पर रहकर उत्तरायण सूर्य का इंतजार करके मकर संक्रांति होने पर उत्तरायण में अपनी देह का त्याग किया, ताकि वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाएं।
इसके साथ ही उन्होंने सूर्य और पृथ्वी के परस्पर भौगोलिक क्रिया का भी उल्लेख किया। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य राजीव कुमार तिवारी ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और आईईआरटी प्रयागराज के परीक्षा नियंत्रक डॉ0 यू0एस0 वर्मा ने आईईआरटी में प्रवेश प्रक्रिया के संबंध में जानकारी प्रदान की। उपप्राचार्य अंशुल प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम का समन्वयन हनुमान प्रसाद पाण्डेय, श्रवण कुमार पांडेय, संदीप कुमार श्रीवास्तव, अनुराग प्रजापति और सरफराज अनवर ने किया। कार्यक्रम का संचालन मनोज भूषण शुक्ल ने किया।
Jan 16 2024, 09:49