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कांग्रेस की बैठक
गिरिडीह में कांग्रेस पार्टी की बैठक आयोजित की गई जिसमें कमेटी के सभी कार्यकर्ता शामिल हुए
क्या श्री राम जी माँसाहारी थे? डॉ विवेक आर्य ने प्रस्तुत किया रामचरित मानस के उद्धृत अंश
अयोध्या में श्री राम जी के मंदिर के शिलान्यास का समय जैसे जैसे निकट आ रहा हैं। वैसे वैसे अवांछनीय बयान कुछ लोग देकर देश का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी मेरे अनेक कई मित्रों ने यह शंका मेरे समक्ष रखी है कि उनके सामने दिन प्रतिदिन वाल्मीकि रामायण में से कई श्लोक आते हैं। जिनसे यह सिद्ध होता हैं की श्री राम जी माँसाहारी थे?
इस शंका का समाधान होना अत्यंत आवश्यक है। क्यूंकि श्री राम के साथ भारतीय जनमानस की आस्था जुड़ी है। वैष्णव मत को मानने वाले गोस्वामी तुलसी दास द्वारा रचित रामचरित मानस के प्रभाव से , वैष्णव मत की मूलभूत मान्यता शाकाहार के समर्थन में होने से भारतीय जनमानस का यह मानना है कि ऐसा नहीं हो सकता की श्री राम जी माँसाहारी थे। मेरा भी यही मानना है कि श्री राम चन्द्र जी पूर्ण रूप से शाकाहारी थे। मेरे विश्वास का कारण स्वयं ईश्वर की वाणी वेद है। वेदों में अनेक मंत्र मानव को शाकाहारी बनने के लिए प्रेरित करते हैं, माँसाहारी की निंदा करते हैं, निरीह पशुयों की रक्षा करना आर्य पुरुषों का कर्तव्य बताते हैं और जो निरीह पशुयों पर अत्याचार करते हैं। उनको कठोर दंड देने की आज्ञा वेद में स्पष्ट रूप से वेदों में हैं।

श्रीरामचन्द्र जी का काल पुराणों के अनुसार करोड़ो वर्षों पुराना हैं। हमारा आर्याव्रत देश में महाभारत युद्ध के काल के पश्चात और उसमें भी विशेष रूप से पिछले 2500 वर्षों में अनेक परिवर्तन हुए हैं। जैसे ईश्वरीय वैदिक धर्म का लोप होना और मानव निर्मित मत मतान्तर का प्रकट होना। जिनकी अनेक मान्यताएं वेद विरुद्ध थी। ऐसा ही एक मत था वाममार्ग जिसकी मान्यता थी की माँस, मद्य, मीन आदि से ईश्वर की प्राप्ति होती हैं। वाममार्ग के समर्थकों ने जब यह पाया की जनमानस में सबसे बड़े आदर्श श्री रामचंद्र जी है। इसलिए जब तक उनकी अवैदिक मान्यताओं को श्री राम के जीवन से समर्थन नहीं मिलेगा तब तक उनका प्रभाव नहीं बढ़ेगा। इसलिए उन्होंने श्री राम जी के सबसे प्रमाणिक जीवन चरित वाल्मीकि रामायण में यथानुसार मिलावट आरंभ कर दी जिसका परिणाम आपके सामने हैं। महात्मा बुद्ध के काल में इस प्रक्षिप्त भाग के विरुद्ध"दशरथ जातक" के नाम से ग्रन्थ की स्थापना करी जिसमें यह सिद्ध किया की श्री राम पूर्ण रूप से अहिंसा व्रत धारी थे और भगवान बुद्ध पिछले जन्म में राम के रूप में जन्म ले चुके थे। कहने का अर्थ यह हुआ की जो भी आया उसने श्री राम जी की अलौकिक प्रसिद्धि का सहारा लेने का प्रयास लेकर अपनी अपनी मान्यताओं का प्रचार करने का पूर्ण प्रयास किया। यही से प्रक्षिप्त श्लोकों की रचना आरंभ हुई।

हमें स्वामी दयानंद जी का आभारी होना चाहिए जिन्होंने अपनी महान चिंतन और स्वाध्याय से यह सिद्धांत स्थापित किया कि वेदों के मंत्रों के विकृत अर्थ, एवम रामायण, महाभारत, मनुस्मृति जैसे ग्रंथों में प्रक्षेप अर्थात मिलावट हैं। इस सिद्धांत के आधार पर इन सभी ग्रंथों पर लगने वाले सभी आक्षेपों का निराकरण हो जाता हैं। इस लेख को हम तीन भागों में विभाजित कर अपने विषय को ग्रहण करने का प्रयास करेगे। १. वाल्मीकि रामायण का प्रक्षिप्त भाग २. रामायण में माँसाहार के विरुद्ध स्वयं की साक्षी ३. वेद और मनु स्मृति की माँस विरुद्ध साक्षी वाल्मीकि रामायण का प्रक्षिप्त भाग इस समय देश में वाल्मीकि रामायण की जो भी पांडुलिपियाँ मिलती हैं वह सब की सब दो मुख्य प्रतियों से निकली हैं। एक है बंग देश में मिलने वाली प्रति जिसके अन्दर बाल, अयोध्या,अरण्यक,किष्किन्धा ,सुंदर और युद्ध ६ कांड हैं और कूल सर्ग ५५७ और श्लोक संख्या १९७९३ हैं। जबकि दूसरी प्रति बम्बई प्रान्त से मिलती हैं जिसमें बाल, अयोध्या,अरण्यक,किष्किन्धा ,सुंदर और युद्ध इन ६ कांड के अलावा एक और उत्तर कांड हैं, कूल सर्ग ६५० और श्लोक संख्या २२४५२८ हैं। दोनों प्रतियों में पाठ भेद होने का कारण सम्पूर्ण उत्तर कांड का प्रक्षिप्त होना, कई सर्गों का प्रक्षिप्त होना हैं एवं कई श्लोकों का प्रक्षिप्त होना हैं। प्रक्षिप्त श्लोक इस प्रकार के हैं
१. वेदों की शिक्षा के प्रतिकूल:- जैसे वेदों में माँस खाने की मनाही हैं जबकि वाल्मीकि रामायण के कुछ श्लोक माँस भक्षण का समर्थन करते हैं अत: वह प्रक्षिप्त हैं।
२. श्री रामचंद्र जी के काल में वाममार्ग आदि का कोई प्रचलन नहीं था इसलिए वाममार्ग की जितनी भी मान्यताएँ हैं , उनका वाल्मीकि रामायण में होना प्रक्षिप्त हैं।
३. ईश्वर का बनाया हुआ सृष्टि नियम आदि से लेकर अंत तक एक समान हैं इसलिए सृष्टि नियम के विरुद्ध जो भी मान्यताएँ हैं वे भी प्रक्षिप्त हैं जैसे हनुमान आदि का वानर (बन्दर) होना, जटायु आदि का गिद्ध होना आदि क्यूंकि पशु का मनुष्य के समान बोलना असंभव हैं। हनुमान, जटायु आदि विद्वान एवं परम बलशाली श्रेष्ठ मनुष्य थे।
४. जो प्रकरण के विरुद्ध हैं वह भी प्रक्षिप्त हैं जैसे सीता की अग्नि परीक्षा आदि असंभव घटना हैं जिसका राम के युद्ध में विजय के समय हर्ष और उल्लास के बीच तथा १४ वर्ष तक जंगल में भटकने के पश्चात अयोध्या वापसी के शुभ समाचार के बीच एक प्रकार का अनावश्यक वर्णन हैं। रामायण में माँसाहार के विरुद्ध स्वयं की साक्षी श्री राम और श्री लक्ष्मण द्वारा यज्ञ की रक्षा रामायण के बाल कांड में ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ के समक्ष जाकर उन्हें अपनी समस्या बताते है कि जब वे यज्ञ करने लगते है तब से मारीच और सुबाहु नाम के दो राक्षस यज्ञ में विघ्न डालते है। माँस, रुधिर आदि अपवित्र वस्तुओं से यज्ञ को अपवित्र कर देते हैं। राजा दशरथ श्री रामचंद्र एवं लक्ष्मण जी को उनके साथ राक्षसों का विध्वंस करने के लिए भेज देते हैं। जिसका परिणाम यज्ञ का निर्विघ्न सम्पन्न होना एवं राक्षसों का संहार होता हैं। जो लोग यज्ञ आदि में पशु बलि आदि का विधान होना मानते है,

वाल्मीकि रामायण में राजा दशरथ द्वारा किये गये अश्वमेध यज्ञ में पशु बलि आदि का होना मानते है। उनसे हमारा यह स्पष्ट प्रश्न है कि अगर यज्ञ में पशु बलि का विधान होता तो फिर ऋषि विश्वामित्र की तो राक्षस उनके यज्ञ में माँस आदि डालकर उनकी सहायता कर रहे थे नाकि उनके यज्ञ में विघ्न डाल रहे थे। इससे तो यही सिद्ध होता हैं की रामायण में अश्वमेध आदि में पशु बलि का वर्णन प्रक्षिप्त है और उसका खंडन स्वयं रामायण से ही हो जाता है। ऋषि वशिष्ठ द्वारा ऋषि विश्वामित्र का सत्कार एक आक्षेप यह भी लगाया है कि प्राचीन भारत में अतिथि का सत्कार माँस से किया जाता था। इस बात का खंडन स्वयं वाल्मीकि रामायण में है। जब ऋषि विश्वामित्र ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में पधारते है तब ऋषि वशिष्ठ ऋषि विश्वामित्र का सत्कार माँस आदि से नहीं अपितु सब प्रकार से गन्ने से बनाये हुए पदार्थ, मिष्ठान,भात खीर,दाल, दही आदि से किया। यहाँ पर माँस आदि का किसी भी प्रकार का कोई उल्लेख नहीं हैं।

सन्दर्भ -वाल्मीकि कांड बाल कांड सर्ग ५२ एवं सर्ग ५३ श्लोक १-६ श्री राम जी की माँसाहार की विरुद्ध स्पष्ट घोषणा अयोध्या कांड सर्ग २ के श्लोक २९ में जब श्री राम जी वन में जाने की तैयारी कर रहे थे तब माता कौशल्या से श्री राम जी ने कहाँ मैं १४ वर्षों तक जंगल में प्रवास करूँगा और कभी भी वर्जित माँस का भक्षण नहीं करूँगा और जंगल में प्रवास कर रहे मुनियों के लिए निर्धारित केवल कंद मूल पर निर्वाह करूँगा। इससे स्पष्ट साक्षी रामायण में माँस के विरुद्ध क्या हो सकती है? श्री राम जी द्वारा सीता माता के कहने पर स्वर्ण हिरण का शिकार करने जाना एक शंका प्रस्तुत की जाती है कि श्री रामचंद्र जी महाराज ने स्वर्ण मृग का शिकार उसके माँस का खाने के लिए किया था। इस शंका का उचित उत्तर स्वयं रामायण में अरण्य कांड में मिलता है। माता सीता श्री रामचंद्र जी से स्वर्ण मृग को पकड़ने के लिए इस प्रकार कहती है- यदि आप इसे जीवित पकड़ लेते तो यह आश्चर्य प्रद पदार्थ आश्रम में रहकर विस्मय करेगा- अरण्यक कांड सर्ग ४३ श्लोक १५ और यदि यह मारा जाता हैं तो इसकी सुनहली चाम को चटाई पर बिछा कर मैं उस पर बैठना पसंद करुँगी।

- अरण्यक कांड सर्ग ४३ श्लोक १९ इससे यह निश्चित रूप से सिद्ध होता है कि स्वर्ण हिरण का शिकार माँस खाने के लिए तो निश्चित रूप से नहीं हुआ था। वीर हनुमान जी का सीता माता के साथ वार्तालाप वीर हनुमान जब अनेक बाधाओं को पार करते हुए रावण की लंका में अशोक वाटिका में पहुँच गये तब माता सीता ने श्री राम जी का कुशल क्षेम पूछा तो उन्होंने बताया की राम जी न तो माँस खाते है और न ही मद्य पीते है। :-वाल्मीकि रामायण सुंदर कांड ३६/४१ सीता का यह पूछना यह दर्शाता है कि कहीं श्री राम जी शोक से व्याकुल होकर अथवा गलत संगत में पढ़कर वेद विरुद्ध अज्ञान मार्ग पर न चलने लगे हो। अगर माँस भक्षण उनका नियमित आहार होता तब तो सीता जी को पूछने की आवश्यकता ही नहीं थी। इससे वाल्मीकि रामायण में ही श्री राम जी के माँस भक्षण के समर्थन में दिए गये श्लोक जैसे अयोध्या कांड ५५/३२,१०२/५२,९६/१-२,५६/२४-२७ अरण्यक कांड ७३/२४-२६,६८/३२,४७/२३-२४,४४/२७ किष्किन्धा कांड १७/३९ सभी प्रक्षिप्त सिद्ध होते हैं।
वेद और मनु स्मृति की माँस विरुद्ध साक्षी वेद में माँस भक्षण का स्पष्ट विरोध ऋग्वेद ८.१०१.१५ – मैं समझदार मनुष्य को कहे देता हूँ की तू बेचारी बेकसूर गाय की हत्या मत कर, वह अदिति हैं अर्थात काटने- चीरने योग्य नहीं है ऋग्वेद ८.१०१.१६ – मनुष्य अल्पबुद्धि होकर गाय को मारे कांटे नहीं अथर्ववेद १०.१.२९ –तू हमारे गाय, घोरे और पुरुष को मत मार अथर्ववेद १२.४.३८ -जो(वृद्ध) गाय को घर में पकाता हैं उसके पुत्र मर जाते हैं अथर्ववेद ४.११.३- जो बैलो को नहीं खाता वह कष्ट में नहीं पड़ता है ऋग्वेद ६.२८.४ –गोए वधालय में न जाये अथर्ववेद ८.३.२४ –जो गोहत्या करके गाय के दूध से लोगो को वंचित करे , तलवार से उसका सर काट दो यजुर्वेद १३.४३ –गाय का वध मत कर , जो अखंडनीय है

अथर्ववेद ७.५.५ –वे लोग मूढ़ हैं जो कुत्ते से या गाय के अंगों से यज्ञ करते है यजुर्वेद ३०.१८-गोहत्यारे को प्राण दंड दो स्वामी दयानंद के अनुसार मनु स्मृति में वही ग्रहण करने योग्य है जो वेदानुकुल है और वह त्याग करने योग्य हैं जो की वेद विरुद्ध है। महाभारत में मनु स्मृति के प्रक्षिप्त होने की बात का समर्थन इस प्रकार किया हैं:- महात्मा मनु ने सब कर्मों में अहिंसा बतलाई है, लोग अपनी इच्छा के वशीभूत होकर वेदी पर शास्त्र विरुद्ध हिंसा करते है। शराब, माँस, द्विजातियों का बली, ये बातें धूर्तों ने फैलाई है, वेद में यह नहीं कहा गया है। महाभारत शांति पर्व मोक्ष धर्म अध्याय २६६ माँस खाने के विरुद्ध मनु स्मृति की साक्षी जिसकी सम्मति से मारते हो और जो अंगों को काट काट कर अलग करता हैं। मारने वाला तथा क्रय करने वाला,विक्रय करनेवाला, पकानेवाला, परोसने वाला तथा खाने वाला ये ८ सब घातक हैं। जो दूसरों के माँस से अपना माँस बढ़ाने की इच्छा रखता हैं, पितरों, देवताओं और विद्वानों की माँस भक्षण निषेधाज्ञा का भंग रूप अनादर करता हैं उससे बढ़कर कोई भी पाप करने वाला नहीं हैं।-मनु स्मृति ५/५१,५२ मद्य, माँस आदि यक्ष,राक्षस और पिशाचों का भोजन हैं। देवताओं की हवि खाने वाले ब्राह्मणों को इसे कदापि न खाना चाहिए।-मनु स्मृति ११/७५ जिस द्विज ने मोह वश मदिरा पी लिया हो उसे चाहिए की आग के समान गर्म की हुई मदिरा पीवे ताकि उससे उसका शरीर जले और वह मद्यपान के पाप से बचे।- मनुस्मृति ११/९० इसी अध्याय में मनु जी ने श्लोक ७१ से ७४ तक मद्य पान के प्रायश्चित बताये हैं। इस सब प्रमाणों और सन्दर्भों को पढ़कर मेरे विचार से पाठकों के मन में जो शंका हैं उसका समाधान निश्चित रूप से हो गया होगा। कुछ लोग श्री रामचन्द्र जी द्वारा वनप्रवास के समय मृग के शिकार करने को मांसाहार से जोड़ कर देखते है। मृग शब्द को लेकर भ्रान्ति होने का मूल कारण मृग शब्द से हिरण का ग्रहण करना हैं। वास्तविकता यह है कि मृग का अर्थ हिरण नहीं अपितु सिंह अर्थात जंगली पशु है। कुछ प्रमाणों से इस तथ्य को समझने का प्रयास करते हैं। 1. वाल्मीकि रामायण आरण्यक कांड 14/33 में जटायु राम से कहते हैं "इदं दुर्गमं ही कान्तारं मृग राक्षससेवितम्" अर्थात हे राम यह दुर्गम्य वन मृग राक्षसों से भरा है। यहाँ पर मृग का अर्थ हिंसक जंगली पशु निकलेगा क्यूंकि शांतिप्रिय हिरण से किसी को कोई खतरा नहीं होता। 2. संस्कृत में सिंह के मृगेन्द्र कहा जाता है। जैसे नरों के राजा को नरेंदर कहते है वैसे ही जंगली पशुओं के राजा को मृगेन्द्र संज्ञा दी गई हैं। 3. वेद में भी मृग को सिंह कहा गया है जैसे "मृगों न भीम: कुचरों गरिष्ठ:" 4. जंगली पशुओं के शिकार करने को मृगया कहते हैं। हिमाचल आदि पहाड़ी क्षेत्रों में सिंह को मृग के नाम से जाना जाता हैं। इन प्रमाणों के आधार पर यह सिद्ध होता है कि रामायण में वर्णित मृग सिंह था न कि हिरण था। प्राणरक्षा के लिए हिंसक सिंह का शिकार करना हिंसा नहीं हैं।
कोडरमा के मजदूर की बोरीवली में मौत, गांव वालों व झारखंडी एकता संघ के सहयोग से शव भेजा गया गांव

कोडरमा: रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य जाने वाले झारखंड प्रदेश के ग्रामीण मजदूरों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है। रविवार दिनांक 01/10/2023 को कोडरमा जिले के मरकच्चो थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत जामु निवासी स्व लोकनाथ साव के 49 वर्षीय पुत्र नागेश्वर साव की हार्ट अटैक से मुंबई के बोरीवली में मौत हो गई। मौत की सूचना मिलते ही मृतक के पैतृक गांव में मातम छा गया।साथ ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मिली जानकारी के अनुसार मृतक मजदूर कुछ ही दिन पहले रोजगार की तलाश में  मुंबई गया था।जिसके बाद बोरीवली में वह ऑटो रिक्शा चला कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था।वह घर का अकेला कमाऊ व्यक्ति था। मृतक अपने पीछे पत्नी मालती देवी, पुत्री ममता कुमारी, पुनम कुमारी और पुत्र रवि साव को पीछे छोड़ गए। वहीं इस घटना की सूचना मृतक के परिजनों ने मजदूरों के हितार्थ में कार्य रही संस्था झारखंडी एकता संघ, मुंबई के राष्ट्रीय अध्यक्ष असलम अंसारी और केंद्रीय सदस्य तौफीक अंसारी को देकर  शव को गांव ले जाने में मदद की अपील की। वहीं संघ के बोरिवली इकाई अध्यक्ष भीम कुमार गुप्ता मृतक के पास पहुंचकर परिवार वालों एवं गांव वालों को ढांढस बंधाया और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। संस्था झारखंडी एकता संघ, बोरिवली इकाई के अध्यक्ष श्री गुप्ता, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष इशाक मुल्ला जी, जसीमुद्दीन अंसारी, विनोद साव, एतवारी साव, विनोद गुप्ता, ‌ राजेश साव सहित बबलू साव आदि ने पार्थिव शरीर को गांव भेजने में काफी मदद की। मौत को लेकर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष असलम अंसारी, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष फिरोज आलम, उपाध्यक्ष सलीम अंसारी, सदरुल शेख़, विनोद प्रसाद, ताज हसन अंसारी, संतोष कुमार, असगर खान, तौफीक अंसारी, प्रकाश यादव, राजेंद्र शर्मा, रवि कुमार, मुस्तकीम अंसारी और मुन्ना प्रसाद ने दुःख प्रकट करते हुए कहा कि झारखंड के ग्रामीण मजदूरो की इससे पहले मौतें महानगरों में हो चुकी हैं। इन मजदूरों के साथ किसी तरह का हादसा एवं किसी तरह की समस्या आ जाती है तो झारखंड प्रदेश के विधायक और सांसद  किसी तरह की कोई मदद नहीं करते हैं, सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है।कहा कि सरकार इन मजदूरों के हित में कुछ पहल नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड प्रदेश खनिज संपदा से मालामाल होने के बावजूद आज झारखंड प्रदेश के मजदूरों का पलायन लगातार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।बताया कि संस्था झारखंडी एकता संघ अब तक लगभग 255  मजदूरों का शव गांव झारखंड भेज चुकी है। प्रदेश के बाहर रोजगार के लिए गए  मजदूरों की सुरक्षा एवं सहायता मिल सके, इसकी मांग की। कहा,इस पर भी पूर्व सरकारों की तरह वर्तमान सरकार भी कुछ नहीं सोच रही है जो हम झारखंडियों के लिए दुर्भाग्य की बात है।
फूड पॉइजनिंग से 100 से अधिक बच्चे बीमार
सड़क हादसे में मौत ट्रायल
बगोदर : -बगोदर थाना क्षेत्र के जीटी रोड अटका में दर्दनाक सड़क हादसे में बाइक सवार की घटना स्थल पर ही मौत हो गई ।घटना को लेकर बताया जाता है कि बाइक सवार बगोदर की ओर से गुहार की ओर जा ही रहा था कि एक ट्रक के ओवर टेक करने के दौरान पीछे से आ रही ट्रेलर ने अपनी चपेट में ले लिया जिससे बाइक सवार की घटना स्थल पर ही मौत हो गई मृतक युवक की पहचान डालटेनगंज का बताया जा रहा है।बताया जा रहा है कि मृतक जीवन के पैकेट में आधार कार्ड था और उसमें पुटून मिस्त्री पिता केश्वर विश्वकर्मा ग्राम पोस्ट सुआ थाना डाल्टनगंज कोडिया जिला पलामू है। घटना के बाद से ग्रामीणों की काफी भीड़ लग गई । वहीं घटना की सूचना मिलते ही बगोदर प्रसाशन घटना स्थल पर पहुॅचे और शव को अपने कब्जे में लिए जबकी बाइक को जब्त थाने ले आई । वही ट्रेलर दुर्घटना के बाद भागने में घटनास्थल से तो सफल रहा लेकिन कुछ दूरी पर जाकर रोड के किनारे एक झोपड़ी के पास ट्रेलर खड़ी कर ड्राइवर व खलासी वहां से वाहन छोड़कर भाग निकले।
भाकपा माले की बैठक trial
गिरिडीह में आज भाकपा माले की हुई बैठक.....ट्रायल
गिरिडीह:पांच करोड़ लूट मामले में बेहतर कार्य करने वाले पुलिस पदाधिकारियों को सम्मान
गिरिडीह।झारखण्ड के गिरिडीह जिले में जमुआ-गिरिडीह मुख्य मार्ग के बाटी मोड़ के पास बीते 21 जून की रात डीवाई कंपनी से पांच करोड़ रुपये लूट मामले का मास्टरमाइंड खिरोधर साव उर्फ गुलाब साह और उसके एक साथी मुन्ना रविदास को 77 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पुलिस पदाधिकारियों को गिरिडीह के एसपी दीपक कुमार शर्मा ने प्रशस्ति पत्र और नकद राशि देकर सम्मानित किया। एसपी दीपक कुमार शर्मा ने बेहतर कार्य करने वाले खोरीमहुआ एसडीपीओ मुकेश कुमार महतो, सरिया-बगोदर एसडीपीओ नौशाद आलम, साइबर डीएसपी संदीप सुमन समदर्शी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।इसके अलावा टीम में शामिल अन्य पुलिस पदाधिकारियों और जवानों को भी प्रशस्ति पत्र और नकद राशि देकर सम्मानित किया गया। आपको बता दें कि लूटपाट की घटना को अंजाम देने वाले मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती थी। गिरिडीह के एसपी दीपक कुमार शर्मा के अलावा विशेष छापामारी टीम का नेतृत्व कर रहे खोरीमहुआ के एसडीपीओ मुकेश कुमार महतो लगातार छापेमारी कर रहे थे। इस कांड का मास्टरमाइंड एवं शातिर अपराधी खिरोधर साह उर्फ गुलाब साव घटना के बाद से ही अपने हिस्से में मिले लूट के रुपयों को लेकर फरार चल रहा था।आखिरकार उसे तमिलनाडु से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।पुलिस ने इस लूटपाट मामले में कुछ आठ आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली है।इसके साथ ही लूट के 4 करोड़ रुपये बरामद कर लिए हैं। टीम में ये थे शामिल एसपी दीपक कुमार शर्मा के निर्देश पर गठित एसआईटी और छापामारी टीम में खोरीमहुआ एसडीपीओ मुकेश कुमार महतो, सरिया-बगोदर एसडीपीओ नौशाद आलम, साइबर डीएसपी संदीप सुमन समदर्शी, जमुआ थाना प्रभारी विपिन कुमार, धनवार थाना प्रभारी सत्यदीप कुमार, पुअनि राहुल चौबे, अभिमन्यु परिहारी, आरक्षी जोधन महतो, राजेश गोप, पितांबर पांडेय, सन्नी कुमार, राजेश कुमार, हवलदार अखिलेश कुमार भानू, साकेत कुमार, टुनटुन कुमार साह, नरेश हजाम, नगीना पासवान, आसिम अंसारी, राधेश्याम लकड़ा, बसंत सिंह सरदार, मंगरा उरांव, मुकेश भगत, मो नसीम और नेहाल अख्तर शामिल हैं। इन्हें एसपी ने सम्मानित किया है। कैसे हुई गिरफ्तारी आपको बता दें कि इस लूटपाट की घटना को अंजाम देने वाले मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती थी। गिरिडीह के एसपी दीपक कुमार शर्मा के अलावा विशेष छापामारी टीम का नेतृत्व कर रहे खोरीमहुआ के एसडीपीओ मुकेश कुमार महतो लगातार छापेमारी कर रहे थे।इस कांड का मास्टरमाइंड एवं शातिर अपराधी खिरोधर साह उर्फ गुलाब साव घटना के बाद से ही अपने हिस्से में मिले लूट के रुपयों को लेकर फरार चल रहा था। इसकी गिरफ्तारी के लिए गठित छापामारी दल के द्वारा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, तामिलनाडु एवं अलग-अलग राज्यों में छापेमारी की जा रही थी, लेकिन इस कांड का मास्टरमाइंड गुलाब साह भागने में सफल हो जाता था। इसी बीच गुप्त एवं तकनीकी स्त्रोतों के सहयोग से अभियुक्त गुलाब साह के तमिलनाडु के कन्याकुमारी में छिपे रहने की सूचना प्राप्त हुई। जिसके बाद पुलिस की टीम ने गुलाब साह की गिरफ्तारी के लिए एक विशेष टीम को छापेमारी करने के लिए तमिलनाडु भेजा गया।जिसके बाद पुलिस की टीम ने मोबाइल लोकेशन के जरिए मास्टरमाइंड गुलाब साह को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। अर्धनिर्मित मकान में जमीन के अंदर छिपा कर रखा था रुपये पूछताछ करने पर गुलाब ने खुद को घटना में संलिप्त रहने की बात कहते हुए बताया कि उसने अपने हिस्से में मिले लूट के रुपयों को बरही थाना अंतर्गत अलग-अलग स्थानों पर छिपा कर रखा था। इसके बाद पुलिस ने गुलाब की निशानदेही पर बरही में छापेमारी कर गुलाब के पार्किंग स्थल पर बने अर्धनिर्मित मकान में जमीन के अंदर छिपा कर रखे गये 39 लाख रुपये एवं गैरेज के अंदर छिपा कर रखे गये घटना में प्रयुक्त स्कॉर्पियो को बरामद किया।इसी बीच गुलाब ने पुलिस को बताया कि उसने लूट की कुछ राशि अपने साथी मुन्ना रविदास (बरही के पडिरमा निवासी) को छिपाकर रखने को दिया है। इसके बाद पुलिस की टीम ने मुन्ना रविदास के घर में छापेमारी करते हुए 38 लाख 500 रुपये बरामद कर लिया।इस तरह से पुलिस ने इस लूटपाट मामले में कुछ आठ आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली है।इसके साथ ही लूट के 4 करोड़ रुपये बरामद कर लिए हैं। क्या है पूरा मामला: 21 जून की रात अपराधियों ने जमुआ थाना इलाके के बाटी मोड़ के पास उस वक्त डीवाई कंपनी के पांच करोड़ रुपये लूट लिए, जब कंपनी के कर्मी क्रेटा कार में पटना से कोलकाता ले जा रहे थे. क्रेटा कार के अंडरग्राउंड सेफ में कंपनी के पांच सौ रुपये की गड्डियां भरी हुई थीं।इस मामले को लेकर क्रेटा कार के चालक मयूर सिंह जडेजा जमुआ थाना में आवेदन देकर जमुआ थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. मयूर ने पुलिस को दिए गए बयान में कहा था कि 20 जून की रात को वह अपने सहयोगी जगत सिंह जडेजा के साथ रात करीब 9 बजे पटना के डीवाई कंपनी के मैनेजर भरत सिंह सोलंकी के निर्देश पर क्रेटा वाहन में पांच करोड़ रुपये नगद लेकर कोलकाता के लिए निकला था कि रास्ते में गिरिडीह जिले के जमुआ थाना क्षेत्र में बाटी के पास रोड पर स्कॉर्पियो तथा एक्सयूवी वाहन से आये अपराधकर्मियों द्वारा उक्त क्रेटा वाहन को ओवर टेक कर रोक लिया तथा उसके चालक व सहयोगी को कब्जे में लेकर क्रेटा वाहन में रखे पांच करोड़ रुपये लूट लिए। घटना के डेढ़ माह पूर्व ही रची गयी थी पूरी साजिश इस लूटकांड को अंजाम देने के लिए घटना के दिन से करीब करीब डेढ़ माह पूर्व ही साजिश रची गयी थी, गिरोह के सदस्यों ने बरही में ही इस लूटेरा गिरोह ने क्रेटा कार में चिप प्लांट किया था. उस वक्त गिरोह के लोगों ने डीवाई कंपनी के कर्मियों से सेल टैक्स का अधिकारी बनकर सात लाख रुपये की वसूली की थी. उसी समय से गिरोह के लोगों को पता था कि डीवाई कंपनी की मोटी रकम इसी क्रेटा कार से ढोयी जाती है, इसलिए क्रेटा कार पर जीपीएस के माध्यम से निगरानी रखी जा रही थी. डीवाई कंपनी की पांच करोड़ की राशि लोड होने और पटना से कोलकाता जाने की सूचना गिरोह को पटना से ही मिली थी. जबकि लूटकांड की इस घटना को अंजाम देने के लिए डीवाई कंपनी के पटना स्थित कार्यालय में गिरोह का ही एक व्यक्ति लंबे समय से रैकी कर रहा था. क्रेटा कार में मोटी रकम लोड होने की सूचना उसी व्यक्ति ने गिरोह को उपलब्ध करायी और उसके बाद गिरोह के लोग जीपीएस के माध्यम से कार को ट्रैक करने लगे. फिर गिरिडीह जिले के जमुआ के बाटी गांव के पास रोक कर उससे पांच करोड़ रुपये लूट लिए थे।
आज गिरिडीह में स्वच्छता अभियान चलाया गया
कोलकाता हाईकोर्ट ने कुड़मी समुदायों के रेल रोको आंदोलन पर लगायी रोक,रेलवे ने रद्द 172 ट्रेनों को किया बहाल
z धनबाद। 20 सितंबर को रेल रोको आंदोलन की घोषणा कुड़मी समुदाय के लोगों ने की थी. कुड़मी समुदाय चाहती है कि आदिवासी जाति में उनको शामिल किया जाये. इसको लेकर करीब 172 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया था जबकि कई ट्रेनों को डाइवर्ट कर दिया गया था. लेकिन अंतिम समय में कोलकाता हाईकोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप किया और कहा कि कुड़मी समुदाय चाहे तो इसको लेकर अपनी आवाज संस्थागत स्थानों पर उठा सकती है. लेकिन इस तरह का आंदोलन जिससे आम जनमानस परेशान हो, वह करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. किसी भी समाज के लोगों को यह अधिकार नहीं है कि वे रेलवे और रोडवेज को ब्लॉक कर के, ना केवल बंगाल बल्कि पड़ोसी राज्यों के लोगों को परेशान करें। उन्हें अनिश्चितकालीन आंदोलन बुलाकर निर्दोष लोगों को परेशान करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। ज्ञात हो कि 20 सितंबर को रेल रोको आंदोलन की घोषणा कुड़मी समुदाय के लोगों ने की थी। कुड़मी समुदाय के नेताओं ने आदिवासी/ अनुसूचित जनजाति में शामिल होने की माँग को लेकर यह आंदोलन करने की बात कही थी । कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद जितने भी ट्रेनों को रद्द या डायवर्ट या शार्ट टर्मिनेट करने की अधिसूचना रेलवे जारी की थी, उसे वापस ले लिया गया है। सारी ट्रेनें अब सामान्य तरीके से चलेंगी। आज रेलवे ने इस से संबंधित एक अधिसूचना जारी की है। दरअसल “पुरुलिया चेम्बर फोर ट्रेड एंड इंडस्ट्री” ने इस आंदोलन को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इससे पहले, करीब दो बार कुड़मी समुदाय रेल रोक चुकी थी, जिसे लेकर हजारों लोग परेशान होते थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार, हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्थगित कर दिया गया है।