दुमका : सोहराय की धूम, दिसोम मांझी थान में धूमधाम से मना सोहराय, गीत-संगीत पर खूब थिरके आदिवासी युवक
दुमका : दुमका में सोहराय पर्व को लेकर धूम मची हुई है।
दिसोम मांझी थान और जाहेर थान समिति की ओर से जाहेर थान परिसर में दिसोम मांझी विशाल मरांडी के नेतृत्व में सोहराय पर्व धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
सुबह नायकी सीताराम सोरेन के अगुवाई में गोट टांडी में विधि विधान के साथ पूजा अर्चना किया गया। बाद में बलि के रूप में दिया गया मुर्गा का खिचड़ी बना कर प्रसाद के रूप में वितरण किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में संताली साहित्यकार मान चुंडा सोरेन सिपाही और विशिष्ट अतिथि अशोक हांसदा और सुकलाल सोरेन मौजूद थे।
सोहराय पर्व मूल रूप से सोहराय चांदो यानि अक्टूबर में मनाया जाता है लेकिन संताल विद्रोह (1855-56) में मार्शल लॉ के कारण संताल परगना क्षेत्र में पुश चांदो यानि जनवरी महीने में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
मान्यता है कि सोहराय पर्व संताल आदिवासियों का सबसे बड़ा पर्व है जिसका तुलना हाथी के साथ किया गया है। सोहराय पर्व पांच दिन तक मनाया जाता है।
पहला दिन उम माहा, दूसरा दिन बोंगा व दाकाय माहा, तीसरा दिन खूंटाव माहा, चौथा दिन जाले माहा और पांचवां या अंतिम दिन जाले माहा के रूप में मनाया जाता है। सोहराय पर्व में संताल परगना के विभिन्न हिस्सों से मांझी बाबा और आतो मोड़ें होड़ शामिल हुए। साथ ही आसपास के गावों से युवक-युवतियां और छात्र-छात्राएं भी पारंपरिक वेश भूषा में शामिल होकर सोहराय नृत्य का खूब आनंद लिया।
मौके पर समिति के सदस्य सुरेशचंद्र सोरेन, निलेश हांसदा, टेकलाल मरांडी, सुनील मुर्मू, मुकेश आरडीएक्स टुडू, दीपक हेंब्रम, बेनीलाल टुडू, सतीश सोरेन, मोहन टुडू, सुशील मरांडी, प्रेम हांसदा, लकी संतोष टुडू, सीमांत हांसदा, अंजनी बेसरा, झुमरी सोरेन, सीमा सोरेन, सिकंदर हेंब्रम, लवकिशोर टुडू, राम हांसदा, लक्ष्मण हांसदा आदि मौजूद थे.
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Jan 06 2024, 20:52