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'हमारी पीएम मोदी हमारी नकल कर रहे हैं और राजस्थान में भी कंफ्यूजन फैला रहे हैं', CM गहलोत ने PM पर साधा निशाना


राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत जोधपुर में भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हमारी नकल करते हैं। कहा कि राजस्थान में भी अब कर्नाटक जैसी गारंटियां दी जाएगी। उन्होंने भरोसा जताया कि हमारी सरकार वापस रिपीट हो रही है। हम जल्द राज्य को अपनी गारंटियां देने जा रहे हैं। हमने जो भी वादे किए थे। वह निभाए हैं। इस के चलते गहलोत को डरपोक मंत्री बताकर भी जमकर हमला किया। गहलोत ने शेखावत को ERCP मुद्दे को लेकर जमकर घेरा।

मुख्यमंत्री गहलोत ने जोधपुर में मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हमारी नकल कर रहे हैं। कहा कि प्रधानमंत्री मोदी प्रदेश में कंफ्यूजन फैला रहे हैं। कोरोना काल के चलते प्रधानमंत्री मोदी ने जोधपुर में भ्रम फैलाया है कि वह बैठक में नहीं आ रहे हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के चलते भी मेरा नाम स्पीच से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अपने पद की गरिमा के विपरीत कुछ प्रदेशों को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। कहा कि राजस्थान में उनका प्रयोग नाकाम रहा है। गहलोत ने कहा कि काम के मामले में राजस्थान अव्वल है।

विधानसभा चुनाव पास आने के साथ मुख्यमंत्री गहलोत गजेंद्र सिंह शेखावत पर निरंतर तीखे हमले बोल रहे हैं। उन्होंने शेखावत को डरपोक मंत्री करार दिया। उनका कहा कि शेखावत डरने वाले मंत्री हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए शेखावत से कहा कि उनके पास इतना अहम पद होने के बाद भी उन्होंने राजस्थान के लोगों को क्या लाभ दिया? उन्होंने शेखावत पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि उनकी कोई गलती नहीं है तो, संजीवनी केस में मेरी तरफ से आरोप लगाते ही वह जमानत के लिए उच्च न्यायालय क्यों गए। केंद्रीय मंत्री इतनी क्यों डरे हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रत्याशियों के ऐलान के पश्चात् राजस्थान में नजर आ रहे विरोध को लेकर गहलोत ने तंज कसा। उन्होंने कहा कि राजस्थान में पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है। जहां तोड़फोड़, आगजनी के साथ अर्थी निकाली जा रही है। भाजपा ने गुजरात मॉडल को लेकर राजस्थान में जो प्रयास किया। वह फेल हो गया। भारतीय जनता पार्टी में रुपए खाने तक के आरोप लगाए हैं। ऐसा माहौल किसी भी पार्टी में नहीं देखा गया है।

चीन ने लंबे समय से लापता रक्षा मंत्री ली शांगफू को किया बर्खास्त, किन गैंग पर भी की गई कार्रवाई

#chinaremoveddefenceministerlishangfufromhisposition

चीन ने लंबे समय से लापता चल रहे अपने रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू को उनके पद से हटा दिया है। शांगफू को रक्षामंत्री के साथ राज्य पार्षद के पद से भी बर्खास्त किया गया है। ली शांगफू पिछले दो महीनों से लापता बताए जा रहे हैं।उन्हें 29 अगस्त के बाद से सार्वजनिक तौर पर देखा नहीं गया। ली शांगफू को हटाने का कारण भी नहीं बताया गया। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने पूर्व विदेश मंत्री किन गैंग को भी राज्य पार्षद के पद से हटाने के लिए मतदान किया। किन गैंग को भी जुलाई में बिना किसी स्पष्टीकरण के पद से हटा दिया गया था।

भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के बीच गायब हुए ली

जुलाई में चीनी विदेश मंत्री किन गैंग के लापता होने के बाद शांगफू के लापता होने की खबर आई थी। ली शांगफू के इस तरह से गायब होने के बाद तमाम तरह की अटकलें लगने लगी हैं। चीन के रक्षा मंत्री तब गायब हुए हैं, जब पांच साल पहले की गई हार्डवेयर खरीद से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की जा रही है। गौरतलब है कि ये जांच जुलाई में शुरू की गई थी। हालांकि, चीनी सेना का कहना है कि वह अक्तूबर 2017 से ही इन मुद्दों की जांच कर रही है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ली सितंबर 2017 से 2022 तक उपकरण विभाग में कार्यरत थे। हालांकि, उन पर कोई आरोप नहीं है।

तीन महीने में यह चीन में दूसरा बड़ा बदलाव

रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश के शीर्ष सांसदों, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने भी रक्षा मंत्री को उनके पद से हटाने के लिए मतदान किया। इस दौरान कांग्रेस की स्थायी समिति ने यिन हेजुन को चीन का विज्ञान -प्रौद्योगिकी मंत्री और लैन फ़ान को वित्त मंत्री नियुक्त किया। बता दें कि जुलाई में विदेश मंत्री किन गैंग को अचानक बदले जाने के बाद तीन महीने में यह चीन के नेतृत्व में दूसरा बदलाव है। पद से हटाए जाने से पहले किन गैंग भी लगभग एक महीने से गायब थे। हालांकि उनकी बर्खास्तगी के पीछे उनका एक अफेयर माना जा रहा है। किन गैंग की टीवी प्रजेंटर फू जियाओटियन के साथ अफेयर होने की बात सामने आई थी। वह देश की सबसे लोकप्रिय टीवी हस्तियों में से हैं। अफेयर की खबरें कम्युनिस्ट पार्टी के लिए सिरदर्द बन गई थीं।

चीन के लिए ये नई बात नहीं

इस एक्शन से शी जिनपिंग के करीबी पावर सर्कल पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो हस्तियों के साथ किया गया बर्ताव चीनी सरकार की उसकी सत्ता के लिए किसी भी चुनौती को दूर करने के प्रयास दिखाता है। कारोबारियों के मामले में कहा जाता है कि देश के निजी कारोबारियों के हाथों में अधिक संपत्ति को चीनी सत्ताधारी पार्टी अपने लिए एक संभावित खतरा मानती है। राष्ट्रपति शी जिंनपिंग के कार्यकाल में और विशेष रूप से पिछले कुछ वर्षों में, ऐसे लोगों को गिरफ्तार करने और उनकी संपत्ति जब्त करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। माना जाता है कि सत्ता का साफ संदेश है कि कोई भी पार्टी से ऊपर या उसकी पहुंच से बाहर नहीं है।

भारतीय वायुसेना के पहले एयर मार्शल दंपति, तीन पीढ़ियों ने की देशसेवा

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अब तक आपने आईएएस पति-पत्नी और डॉक्टर दंपति के बारे में सुना होगा, लेकिन यह पहला मौका है जब पति-पत्नी ने एयर मार्शल दंपति होने की उपलब्धि हासिल की है। इसके साथ ही भारतीय वायु सेना के इतिहास में पहली बार एयर मार्शल के प्रतिष्ठित पद को संभालने वाले दंपति मिले हैं।एयर मार्शल साधना सक्सेना और एयर मार्शल केपी नायर वो भारतीय वायुसेना के पहले एयर मार्शल दंपति बन गए हैं। यह पहला मौका है जब पति-पत्नी ने एयर मार्शल दंपति होने की उपलब्धि हासिल की है।

के पी नायर 2015 में रिटायर्ड हो गए थे। तब वह फ्लाइट सेफ्टी (इंस्पेक्शन) के डायरेक्टर जनरल के पद पर थे। उसके बाद उनकी पत्नी साधना को सशस्त्र सेनाओं के डायरेक्टर जनरल (महानिदेशक) (अस्पताल सेवाओं) के प्रभारी पद पर पदोन्नति किया गया है। इसके साथ ही भारतीय वायुसेना में नायर दंपती पहले और अकेले एयर मार्शल दंपती बन गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया, वे इंडियन एयरफोर्स के पहले और एकमात्र एयर मार्शल कपल हैं। हालांकि भारतीय सशस्त्रीय बलों में वे दूसरे थ्री स्टार कपल हैं। नायर से पहले कनितकर कपल थे जो साल 2020 में सशस्त्र बलों में तीन सितारा अधिकारियों जैसे उच्च पद हासिल करने वाले पहले कपल बने थे। सेना में लेफ्टिनेंट-जनरल माधुरी कनितकर (जो एक डॉक्टर भी हैं) ने तब अपने पति लेफ्टिनेंट-जनरल राजीव कानितकर के साथ इस उपलब्धि को हासिल की थी। बता दें कि उनके पति राजीव साल 2017 में क्वार्टर मास्टर जनरल पद से रिटायर हुए थे।

इतिहास में पहली बार एयर मार्शल के पद पर पदोन्नति

यह भी भारतीय वायु सेना के इतिहास में पहली बार हुआ है जब वाइस एयर मार्शल के पद से एयर मार्शल के पद पर पदोन्नति की गई। साधना वायु सेना की दूसरी महिला मेडिकल अफसर हैं जो एयर मार्शल के पद तक पहुंची हैं। पहली महिला एयर मार्शल पदमा बंदोपाध्याय थीं जो अब सेवानिवृत हो चुकी हैं। सेना के सूत्रों के मुताबिक सशस्त्र सेनाओं के महानिदेशक (अस्पताल सेवाओं) का प्रभार बेहद प्रतिष्ठित पद माना जाता है, जिसे संभालने वाली वह पहली महिला बन गई हैं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार एयर मार्शल साधना नायर को वायुसेना के मुख्यालय ट्रेनिंग कमांड, बेंगलुरु से ट्रांसफर करके यहां प्रोन्नत किया गया है। प्रमोशन के बाद वह मुख्यालय में ट्रांसफर की गई हैं।

तीन पीढ़ियों ने दी सेवाएं

साधना एयरफोर्स में सेवाएं देने वाली अपने परिवार से इकलौती इंसान नहीं है। पिछली तीन पीढ़ियां सेना से जुड़ी रही हैं।भारतीय वायुसेना के रिकॉर्ड के मुताबिक, एयर मार्शल साधना नायर की फैमिली की तीन पीढ़ियां इसी सेना में सेवाएं दे रही है। साधना सक्सेना के पिता और भाई सेना में डॉक्टर रहे हैं, और अब तीसरी पीढ़ी के रूप मेंउनका बेटा भारतीय वायुसेना में बतौर फाइटर पायलट काम कर रहा है। इस तरह पिछले 7 दशकों ने इनका परिवार भारतीय वायुसेना में सेवाएं दे रहा है।

क्या है जायनीवाद? इजराइल-हमास युद्ध के बीच क्यों हो रही उसकी चर्चा

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इजराइल और हमास के बीच युद्ध जारी है। इस बीच दोनों एक दूसरे को मिटा देने पर अमादा हैं।दुनिया पर छाए इस युद्ध संकट के बीच जायनीवाद और जायनिस्ट की चर्चा जोरों पर हैं।दरअसल हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन में इजरायल की यात्रा की और इजरायल को खुल कर पूरा समर्थन देने की बात को दोहराया. यात्रा के दौरान उन्होंने कहा था, “मैं इस बात में विश्वास नहीं करता हूं कि मुझे जायनिस्ट होने के लिए यहूदी होने की जरूरत है। मैं एक जायनिस्ट हूं।” तेल अवीव के होटल में बाइडन के इस कथन को वहां मौजूद इजरायल के नेताओं और अन्य लोगों ने स्वीकृति थी। एसे में जानते हैं कि जायनीवाद क्या है और इसका इस युद्ध से क्या कनेक्शन है।

जायनीवाद 19वीं सदी में फिलिस्तीन में यहूदियों उनकी मातृभूमि दिलाने के लिए चला एक आंदोलन था। फिलिस्तीन इजरायल एक ही जमीन के हिस्से को अपनी बताने का दावा सदियों से करते आ रहे हैं और यही यहूदियों और मुस्लिमों के बीच संघर्ष और विवाद की वजह भी है। 20वीं सदीं में इजराइल बनने के बाद जायनीवाद एक विचारधारा बन गई, जो इजराइल के विकास और संरक्षण का समर्थन करते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यहूदियों के समर्थक जायनीवाद के समर्थक माने जाते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जायन शब्द से जायनिज्म बना है। जायनीवाद यहूदियों के लिए अपनी मातृभूमि हासिल करने के लिए लंबे समय तक किए गए संघर्ष को दर्शाता है। 20वीं सदी के मध्य में इजरायल के बनने के बाद जायनिज्म एक ऐसी विचारधारा बन गई जो इजरायल देश के संरक्षण और विकास का समर्थन करती है। दुनिया में ऐसे लोग जो चाहते हैं कि यहूदियों को देश मिले वे जायनीवाद के समर्थक माने जाते हैं।

*नवाज शरीफ को बड़ी राहत, अंतरिम पंजाब कैबिनेट ने अल-अजीजिया मामले में सजा को किया निलंबित*

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पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को स्टील मिल केस में बड़ी राहत मिली है। पंजाब की कार्यवाहक सरकार ने अल अज़ीज़िया स्टील मिल केस में नवाज़ शरीफ़ की सज़ा निलंबित कर दी है। इस फ़ैसले के बाद अल अज़ीज़िया मामले में नवाज़ शरीफ़ की ग़िरफ़्तारी नहीं होगी। बता दें कि नवाज शरीफ हाल ही में ब्रिटेन से पाकिस्तान लौटकर आए हैं। नवाज शरीफ ने चार साल के लंबे अंतराल के बाद लंदन से शनिवार को वतन वापसी की है।

 इस बात की जानकारी स्थानीय समाचार एजेंसी जियो न्यूज की ओर से दी गई है। जिओ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को अल-अजीजिया मामले में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सुप्रीमो नवाज शरीफ की सजा को पंजाब कैबिनेट ने निलंबित कर दिया। कार्यवाहक सूचना मंत्री आमिर मीर ने पंजाब कैबिनेट के फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह निर्णय आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 401 के तहत अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए लिया गया, जो इसे किसी भी अपराधी को माफ करने के लिए भी अधिकृत करता है। मीर ने बताया कि पीएमएल-एन सुप्रीमो ने पंजाब कैबिनेट से उनकी सजा निलंबित करने का अनुरोध किया था।

पूर्व कानून मंत्री आजम तरार और वकील अमजद परवेज ने शरीफ की ओर से उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की थीं। उच्च न्यायालय ने 19 अक्टूबर को शरीफ को 24 अक्टूबर तक दोनों मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था, ताकि वह गिरफ्तारी के डर के बिना अदालत में पेश हो सकें। शरीफ तीन बार प्रधानमंत्री रहे हैं, लेकिन 2017 में भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने के बाद उन्हें सत्ता से हटना पड़ा और उन्हें राजनीति से आजीवन अयोग्य घोषित कर दिया गया।

पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ को एवेनफील्ड और अल-अजीजिया मामलों में दोषी ठहराया गया था और तोशाखाना वाहन मामले में भगोड़ा घोषित किया गया था, जो इस्लामाबाद जवाबदेही अदालत के समक्ष लंबित है। जब शरीफ 2019 में चिकित्सा आधार पर ब्रिटेन के लिए रवाना हुए, तब वह इन मामलों में जमानत पर थे।

नवाज शरीफ को बड़ी राहत, अंतरिम पंजाब कैबिनेट ने अल-अजीजिया मामले में सजा को किया निलंबित

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पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को स्टील मिल केस में बड़ी राहत मिली है। पंजाब की कार्यवाहक सरकार ने अल अज़ीज़िया स्टील मिल केस में नवाज़ शरीफ़ की सज़ा निलंबित कर दी है। इस फ़ैसले के बाद अल अज़ीज़िया मामले में नवाज़ शरीफ़ की ग़िरफ़्तारी नहीं होगी। बता दें कि नवाज शरीफ हाल ही में ब्रिटेन से पाकिस्तान लौटकर आए हैं। नवाज शरीफ ने चार साल के लंबे अंतराल के बाद लंदन से शनिवार को वतन वापसी की है।

इस बात की जानकारी स्थानीय समाचार एजेंसी जियो न्यूज की ओर से दी गई है। जिओ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को अल-अजीजिया मामले में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सुप्रीमो नवाज शरीफ की सजा को पंजाब कैबिनेट ने निलंबित कर दिया। कार्यवाहक सूचना मंत्री आमिर मीर ने पंजाब कैबिनेट के फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह निर्णय आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 401 के तहत अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए लिया गया, जो इसे किसी भी अपराधी को माफ करने के लिए भी अधिकृत करता है। मीर ने बताया कि पीएमएल-एन सुप्रीमो ने पंजाब कैबिनेट से उनकी सजा निलंबित करने का अनुरोध किया था।

पूर्व कानून मंत्री आजम तरार और वकील अमजद परवेज ने शरीफ की ओर से उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की थीं। उच्च न्यायालय ने 19 अक्टूबर को शरीफ को 24 अक्टूबर तक दोनों मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था, ताकि वह गिरफ्तारी के डर के बिना अदालत में पेश हो सकें। शरीफ तीन बार प्रधानमंत्री रहे हैं, लेकिन 2017 में भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने के बाद उन्हें सत्ता से हटना पड़ा और उन्हें राजनीति से आजीवन अयोग्य घोषित कर दिया गया।

पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ को एवेनफील्ड और अल-अजीजिया मामलों में दोषी ठहराया गया था और तोशाखाना वाहन मामले में भगोड़ा घोषित किया गया था, जो इस्लामाबाद जवाबदेही अदालत के समक्ष लंबित है। जब शरीफ 2019 में चिकित्सा आधार पर ब्रिटेन के लिए रवाना हुए, तब वह इन मामलों में जमानत पर थे।

*दशहरा के मौके पर तवांग पहुंचे रक्षा मंत्री, जवानों के साथ की शस्त्र पूजा*

#defence_minister_visied_tavang_during_vijayadashami 

आज पूरा देश दशहरा धूमधाम से मना रहा है। विजयदशमी के मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तवांग पहुंचे। यहां रक्षा मंत्री ने सैनिकों के साथ शस्त्र पूजा की। पूजा के बाद उन्होंने दोहराया कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। रक्षा मंत्री ने कहा कि बहादुर सशस्त्र बलों के जवानों की धार्मिकता और धर्म को विजयदशमी के त्योहार के लोकाचार का जीवित प्रमाण हैं। रक्षामंत्री ने अरुणाचल प्रदेश में अग्रिम चौकियों का दौरा किया और फॉरवर्ड पोस्ट पर सेना की तैयारियों का जायजा लिया।

अरुणाचल प्रदेश की अपनी यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री ने सीमाओं की सुरक्षा के लिए सैनिकों की सराहना की। पुष्पांजलि समारोह के बाद सैनिकों को संबोधित करते हुए, रक्षा मंत्री ने अपने कर्तव्य को पूरा करने के दौरान उनके सामने आने वाली चुनौतियों को दूर करने पर जोर दिया। सैनिकों की समर्पित सेवा में देश के गौरव पर जोर दिया।

रक्षा मंत्री ने जवानों की वर्दी के महत्व और सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर डाला। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक मंच पर भारत के तेजी से बढ़ते कद का श्रेय बहादुर सैनिकों को दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हासिल किए गए आर्थिक विकास और देश की प्रगति की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सीमाओं की रक्षा में सैनिकों की कोशिशों के बिना ऐसी उपलब्धियां मुमकिन नहीं होतीं।

दशहरे के अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग पहुंचकर रक्षा मंत्री का शस्त्र पूजा करने की काफी अहमियत है। दरअसल, भारत और चीन के बीच बीते काफी समय से सीमा पर विवाद चल रहा है और दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने तैनात हैं। चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है, वहीं भारत द्वारा लगातार चीन के इस दावे को खारिज किया जाता है। खासकर तवांग पर चीन का ज्यादा फोकस है। दशहरा के मौके पर रक्षामंत्री की तवांग में शस्त्र पूजा और फिर चीन से लगी सीमा पर जवानों का हौसला बढ़ाना चीन को साफ संदेश देता है कि वह वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी हरकतों से बाज आए नहीं तो भारत उसको माकूल जवाब देने से हिचकेगा नहीं

यहां जानिए, भारत के इस शहर में होगा देश के सबसे बड़े रावण का दहन, 18 लाख रुपये हुए खर्च

आज, 24 अक्टूबर, 2023 को पूरे भारत में विजया दशमी मनाया जा रहा है। इस दिन, विभिन्न स्थानों पर रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले बनाए जाते हैं और आग लगा दी जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भारत में ऐसे कई शहर हैं जहां रावण पुतला दहन बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, जिसमें विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।

देश का सबसे ऊंचा रावण का पुतला इसी साल पंचकुला में बनाया गया है. इस पुतले की कुल ऊंचाई 171 फीट है और यह देशभर में एक प्रमुख आकर्षण बन गया है। आज पंचकुला के सेक्टर 5 स्थित शालीमार ग्राउंड में श्री माता मनसा देवी चैरिटेबल ट्रस्ट (दशहरा कमेटी) और श्री आदर्श रामलीला ड्रामाटिक क्लब द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में पुतला दहन किया जाएगा। इस रावण के पुतले को तैयार करने में 18 लाख रुपये का खर्च आया है। इसे बनाने में 25 कारीगरों को लगभग तीन महीने लगे। रावण के चेहरे के निर्माण में लगभग 25 क्विंटल लोहा, 500 बांस के टुकड़े, 3000 मीटर कपड़ा और 1 क्विंटल फाइबर का उपयोग किया गया था।

पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए, रावण के पुतले में पर्यावरण-अनुकूल आतिशबाजी को शामिल किया गया, जो तमिलनाडु से मंगवाई गई थी। पुतले को रिमोट से आग लगाई जाएगी। पुतला दहन से पहले भक्ति गीत और भजनों का कार्यक्रम होगा। इस दशहरा उत्सव में हजारों लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। बराड़ा गांव के तेजिंदर सिंह राणा पिछले 35 साल से रावण के पुतले बना रहे हैं। तेजिंदर राणा ने इससे पहले 2019 में चंडीगढ़ के धनास गांव में 221 फीट ऊंचे दुनिया के सबसे ऊंचे रावण के निर्माण की योजना बनाई थी।

कौन हैं आईएएस वीके पांडियान ? जिसने लिया वीआरएस, तो नवीन पटनायक ने दिया कैबिनेट मंत्री का दर्जा

#who_is_ias_vk_pandian_odisha_cm_patnaik_made_him_cabinet_minister

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के भरोसेमंद सचिव और आईएएस अधिकारी वीके पांडियन ने सोमवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया। वीआरएस लेने के 24 घंटे के अंदर वीके पांडियन को कैबिनेट मंत्री के पद के साथ 5टी (परिवर्तनकारी पहल) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वीके पांडियन को जिस पर पर नियुक्त किया गया, वह सीधे मुख्यमंत्री के अधीन आता है। मतलब ओडिशा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के बाद दूसरे पोजिशन पर वीके पांडियान हो गए हैं।

बता दें कि पांडियन सीएम पटनायक के सबसे करीबी माने जाते हैं। वह करीब 23 सालों से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के खास रहे हैं।उन्हें यूं ही सीएम पटनायक का उत्तराधिकारी नहीं कहा जा रहा बल्कि वर्ष 2000 के ओडिशा काडर के ही आईएएस अधिकारी रहे पांडियन अपनी तैनाती के साथ ही मुख्यमंत्री के पसंदीदा बन गए थे। 

पांडियन ओडिशा कैडर के 2000 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। 49 वर्षीय पांडियन तमिल हैं और पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। इन्होंने ओडिशा कैडर की आईएएस अधिकारी सुजाता रौत से शादी की है। शादी के बाद उनकी मांग पर उनका कैडर बदलकर ओडिशा कर दिया गया। उन्हें 2002 में कालाहांडी जिले के धर्मगढ़ के सब-कलेक्टर के पद पर तैनात किया गया था। उन्हें 2005 में मयूरभंज का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया था और फिर 2007 में पांडियन को गंजम का जिलाधिकारी बनाया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गंजम में तैनाती के दौरान ही वह सीएम के करीब बन गए थे।

मूल रूप से तमिलनाडु के 2000 बैच के आईएएस अधिकारी पांडियन 2011 से मुख्यमंत्री कार्यालय में हैं। पांडियन 2011 में मुख्यमंत्री कार्यालय (सी. एम. ओ.) में शामिल हुए और तब से वे पटनायक के निजी सचिव रहे हैं। 2019 में पटनायक के पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद, पांडियन को सरकारी विभागों में कुछ परिवर्तनकारी पहलों को लागू करने के लिए '5टी सचिव' की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई थी।

राजनीति में आने की थीं अटकलें

पांडियन के आईएएस छोड़ने और नवीन की पार्टी में शामिल होने की अफवाहें तब से चल रही थीं जब उन्होंने इस साल मार्च में राज्य के विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करना शुरू किया था। पांडियान, बीजेडी के नेतृत्व वाली ओडिशा सरकार की 5टी पहल के सचिव के रूप में भी काम करते हैं, ने लोगों की शिकायतों को दूर करने के लिए सभी 147 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया। यह एक ऐसा कदम था जिसे व्यापक रूप से उनकी राजनीतिक आकांक्षाओं के लिए आधार के रूप में देखा गया।

माने जा रहे नवीन के उत्तराधिकारी

नवीन पटनायक 77 वर्ष की आयु में 2024 में मुख्यमंत्री के रूप में संभावित छठे कार्यकाल की तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि वीके पांडियान शीर्ष राजनीतिक रणनीतिकार बनेंगे और खुद भी पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। उन्हें नवीन पटनायक का उत्तराधिकारी भी माना जा रहा है।

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव, टिकट कटने से बीजेपी के वरिष्ठ नेता को आया हार्ट अटैक, नाराज कार्यकर्ताओं ने किया विरोध प्रदर्शन

मध्य प्रदेश चुनाव के बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता को हार्ट अटैक आ गया है। पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि उन्हें हार्ट अटैक आया है हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है। उमाशंकर गुप्ता भोपाल की दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट के टिकट के प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन भाजपा ने उनका टिकट काटकर भगवानदास सबनानी को प्रत्याशी बनाया। उमाशंकर गुप्ता का टिकट कटने के बाद भोपाल में एक ओर जहां बीजेपी में टिकट वितरण में असंतोष के कारण कार्यकर्ता नाराजगी जताते हुए विरोध प्रदर्शन करने में लगे हुए हैं। उमाशंकर गुप्ता साल 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पीसी शर्मा से हार गए थे।

जानकारी के मुताबिक, उमाशंकर गुप्ता को इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गुप्ता के हॉस्पिटल में एडमिट हो जाने की खबर मिलते ही बीजेपी कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटना शुरू हो गई। अस्पताल के बाहर बीजेपी के दर्जनों कार्यकर्ताओं की भीड़ लग गई है। हॉस्पिटल से मिली जानकारी के मुताबिक, गुप्ता को माइनर अटैक आया था। फिलहाल उनकी हालत ठीक है। सोमवार को सुबह अचानक उनकी तबियत खराब हो गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अनंत हार्ट हॉस्पिटल के कार्डियोलोजिस्ट डॉ. आरएस मीणा ने बताया कि सोमवार दोपहर 1.30 बजे उमाशंकर गुप्ता को हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था। फिलहाल उनकी एंजियोप्लास्टी हो गई है। अब उनकी स्थिति खतरे से बाहर है। बता दें कि भाजपा की 5वीं लिस्ट साने आने के बाद प्रत्याशी बनाए गए भगवानदास सबनानी उमाशंकर गुप्ता से मुलाकात के लिए उनके घर गए थे लेकिन गुप्ता ने यह कहते हुए मिलने से मना कर दिया था कि वे आज बात करने की स्थिति में नहीं हैं।