कृषि विज्ञान केन्द्र मानपुर से रबी अभियान का शुभारम्भ, कृषि यांत्रिकीकरण योजना के तहत 108 प्रकार के कृषि यंत्रो पर अनुदान देने का प्रावधान
गया : जिले में रबी अभियान का उद्घाटन कृषि विज्ञान केन्द्र मानपुर में कृषि निदेशालय पटना से आये हुए नोडल पदाधिकारी शंकर कुमार चौधरी, निदेशक, बिहार राज्य बीज एवं जैविक अभिकरण (बसोका) एवं संयुक्त निदेशक, मगध प्रमंडल, गया द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
निदेशक बसोका ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा फसल,विविधीकरण, मक्का एवं दलहन, तेलहन के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के उद्देष्य से कार्य कर रही है।
पी०एम० किसान योजना में किसानों को ई०के०वाई०सी कराना अनिवार्य है तथा अयोग्य पाये किसानों से राशि की रिकवरी कराने का निर्देश दिया गया।
जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत जलवायु के बदलते परिवेश को ध्यान में रखकर पारम्परिक फसलों की जगह मक्का, स्वीट काॅर्न, बेबी काॅर्न, चना, मसूर एवं राई सरसों फसलों के क्षेत्र विस्तार, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करने के उद्देष्य से वित्तीय वर्ष 2023-24 में फसल विविधीकरण के तहत मक्का 4500 हे०, चना 18100 हे०, मसूर 22300 हे०, राई/सरसों 7300 हे० एवं तीसी 1800 हे० आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिये कृषि विभाग द्वारा प्रत्यक्षण के साथ-साथ अनुदानित दर पर प्रमाणित बीजों को वितरण गेहूँ 18049 क्वीं, चना 3805 क्वीं, मसूर 2241 क्वीं, मक्का 666 क्वीं एवं राई/सरसों 158 क्वीं कराया जा रहा है।
रबी मौसम में मक्का, बेबी काॅर्न एवं स्वीट काॅर्न फसल पर किसान पाठशाला का आयोजन कर किसानों को प्रशिक्षित किया जायेगा।
गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता हेतु जिले में दो सीड हब की स्थापना करने का लक्ष्य रखा गया है। गेहूँ फसल के लिये गुरारु प्रखंड अन्तर्गत डीहा एवं देवकली ग्राम एवं चना फसल के लिये अतरी प्रखंड अन्तर्गत बैरका ग्राम का चयन किया गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में आर०ए०डी० योजना अन्तर्गत बोधगया प्रखंड के गाफाखूर्द ग्राम पंचायत का चयन कलस्टर के रुप में किया गया है। इसके तहत फसल पद्धति आधारित कृषि प्रणाली में बायो फोर्टिफाईड बीज से आच्छादित कराने का लक्ष्य रखा गया है जिसमें 25 हे० में मक्का 5 हे० गेहूँ एवं 10 हे० मसूर फसल का आच्छादन का लक्ष्य है, जिसका व्यापाक प्रचार - प्रसार किया जाना है।
इसके लिये सभी प्रखंड मुख्यालय में फ्लैक्सी बोर्ड के साथ- साथ राज्य से भेजे गये एल०ई०डी० रथ के माध्यम से किया जा रहा है। सहायक निदेशक, कृषि अभियंत्रण ने कहा कि कृषि यांत्रिकीकरण योजना के तहत 108 प्रकार के कृषि यंत्रो पर अनुदान देने का प्रावधान है।
’’पहले आओ, पहले पाओ‘‘ के सिद्धान्त पर आवेदकों को अधिक अनुदान वाले योजनान्तर्गत लाभ पहले दिया जायेगा।
सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण ने कहा कि कृषि क्षेत्र में अत्याधिक एवं अनुचित रसायनों के प्रयोग से मृदा के सूक्ष्म जीवों का विनाश हो रहा है, फलस्वरुप मृदा की उर्वरता एवं उत्पादन के टिकाउपन में लगातार कमी हो रही है। रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के आसमान छूते मूल्य के कारण खेती की लागत में लगातार वृद्धि हो रही है। इन तथ्यों को ध्यान में रखकर वर्तमान में वैज्ञानिकों द्वारा जैविक खेती पर बल दिया जा रहा है। जैविक खेती में मुख्य रुप से उर्वरता प्रबंधन हेतु कार्बनिक खाद (कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट), हरित खाद एवं जैव उर्वरक इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। कीट एवं रोगों के प्रबंधन हेतु बायोपेस्टीसाइड का प्रयोग किया जाता है। जैविक खेती में प्रयोग होने वाले अधिकांश उपादान कृषक अपने स्त्रोत से अपने प्रक्षेत्र पर ही तैयार कर सकते है।
रबी कार्यशाला में कृषि विज्ञान केन्द्र, मानपुर एवं आमस के वैज्ञानिक, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला मत्स्य पदाधिकारी, सहायक निदेशक, भूमि संरक्षण, सहायक निदेशक, उद्यान, सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण, सहायक निदेशक, रसायन, जिला परामर्शी, सभी अनुमंडल कृषि पदाधिकारी, सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, सभी कृषि समन्वयक, सभी बी०टी०एम०, ए०टी०एम० एवं किसान सलाहकार उपस्थित थे।
गया से मनीष कुमार
Oct 17 2023, 17:00