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डिटेल में जानिए, आखिर हमास है कौन? जिसने इजरायल के अभेद्य माने जाने वाले जल थल और वायु सुरक्षाचक्र की धज्जियां उड़ा दीं

हमास के लड़ाके शनिवार को इजरायल में घुस गए और जमकर बर्बरता की। इसकी कई तस्वीरें और वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आने लगे हैं। 

फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास ने शनिवार को इजरायल पर अब तक सबसे भीषण हमला किया है। हमास के लड़ाकों ने जल-थल और नभ तीनों जगहों से इजरायल को निशाना बनाया जिसमें 300 से ज्यादा लोग मारे गए जबकि सैकड़ों की संख्या में घायल हुए हैं और बड़ी संख्या में लोग बंधक भी बनाए गए हैं।

 शनिवार को जो तस्वीरें और वीडियो इजरायल से आए वो दिल दहला देने वाले थे जहां हमास के आतंकी आम लोगों के साथ बर्बरता कर रहे थे। इन सबके बीच आम लोगों के मन में भी एक सवाल है कि आखिर हमास है कौन? जिसने इजरायल के अभेद्य माने जाने वाले सुरक्षाचक्र की धज्जियां उड़ा दीं। 

हमास एक फिलिस्तीनी इस्लामी आतंकवादी संगठन है जिसका गाजा पट्टी पर कब्जा है। हमास ने इजरायल खात्मे की शपथ ली है और 2007 में गाजा में सत्ता संभालने के बाद से उसने इजरायल के साथ कई युद्ध लड़े हैं। उन युद्धों के बीच, इसने इज़रायल पर हजारों रॉकेट दागे और अन्य घातक हमले भी किए। इजरायल ने भी हमास पर बार-बार हवाई हमले किए हैं, और मिस्र के साथ मिलकर, अपनी सुरक्षा के लिए 2007 से गाजा पट्टी को ब्लॉक कर दिया। 

फिलिस्तीनी समूह हमास क्या है?

हमास, यानि इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन की स्थापना 1987 में पहले फ़िलिस्तीनी इंतिफ़ादा के दौरान हुई थी। इंतिफादा का मतलब बगावत करना या विद्रोह करना होता है, इसको ईरान का समर्थन प्राप्त है और इसकी विचारधारा मुस्लिम ब्रदरहुड की इस्लामी विचारधारा से मेल खाती है, जिसे 1920 के दशक में मिस्र में स्थापित किया गया था।

इस आतंकी संगठन का मकसद फिलिस्तीन में इस्लामिक शासन स्थापित करना और इजरायल का विनाश करना है। 12 साल की उम्र से व्हीलचेयर पर रहने वाले अहमद यासीन ने हमास की स्थापना सेख अहमद यासीन ने की थी। यासीन ने 1987 में इजराइल के खिलाफ पहले इंतिफादा का ऐलान किया था।

2007 में हमास ने वेस्ट बैंक में सत्ता पर काबिज और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) के प्रमुख राष्ट्रपति महमूद अब्बास के लड़ाकों को एक गृह युद्ध शिकस्त दी थी।

2006 में फिलिस्तीनी संसदीय चुनावों में अपनी जीत के बाद हमास ने गाजा पर कब्ज़ा कर लिया था तब यहां आखिरी बार चुनाव आयोजित हुए थे। हमास ने महमूद अब्बास पर उसके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया। वहीं अब्बास ने गाजा पर हमास के कब्जा करने को तख्तापलट करार दिया था।

तब से, इज़रायल के साथ हमास का कई बार युद्ध हो चुका है, जिनमें अक्सर गाजा से इज़रायल की तरफ उसके द्वारा रॉकेट दागे जाते हैं। जवाब में इजरायली भी हवाई हमले और बमबारी करता है।

हमास इजरायल को मान्यता देने से इनकार करता रहा है। और 1990 के दशक के मध्य में इज़रायल और पीएलओ द्वारा बातचीत किए गए ओस्लो शांति समझौते का हिंसक विरोध किया.

हमास के पास इज़ अल-दीन अल-क़सम ब्रिगेड नामक एक सशस्त्र विंग है, जिसने इजरायल में कई बंदूकधारी और आत्मघाती हमलावर भेजे हैं. हमास अपनी सशस्त्र गतिविधियों को इजरायली कब्जे के खिलाफ प्रतिरोध के रूप में वर्णित करता है।

इसके 1988 के संस्थापक चार्टर में इजरायल के विनाश का आह्वान किया गया था। हालांकि हमास के नेताओं ने कई बार 1967 के युद्ध में इजरायल द्वारा कब्जाए गए सभी फिलिस्तीनी क्षेत्र पर एक व्यवहार्य फिलिस्तीनी राज्य के बदले में इजरायल के साथ दीर्घकालिक संघर्ष विराम (अरबी में हुदना) की पेशकश भी की है। दूसरी तरफ इजरायल इसे एक प्रपंच मानता रहा है।

हमास को इज़राइल, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, मिस्र और जापान द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया है। वहीं हमास एक क्षेत्रीय गठबंधन का हिस्सा है जिसमें ईरान, सीरिया और लेबनान में शिया इस्लामी समूह हिजबुल्लाह शामिल हैं, जो मध्य पूर्व और इजरायल में अमेरिकी नीति का व्यापक रूप से विरोध करते हैं।

हमास की शक्ति का आधार गाजा में है, हमास के पास फिलिस्तीनी क्षेत्रों में भी समर्थक हैं और इसके नेता कतर सहित मध्य पूर्व के देशों में फैले हुए हैं। हमास की तरफ से शनिवार को किया गया रॉकेट हमला पिछले अब तक का सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है।

इजरायल और फिलिस्तीन के हमास आतंकियों के बीच जंग शुरू, सक्रिय हुई इजरायल की टॉप खुफिया एजेंसी मोसाद और बॉर्डर सिक्योरिटी शिन बेट, पढ़िए, पूरी खबर

 इजरायल और फिलिस्तीन के हमास आतंकियों के बीच ऐलान-ऐ-जंग हो चुकी है। हमास आतंकियों ने शनिवार तड़के 20 मिनट में 5 हजार रॉकेट दागकर इजरायल को चौंका दिया। इस हमले के बाद इजरायली पीएम नेतन्याहू ने धमकी दी है कि वे दुश्मन को मिट्टी में मिलाकर ही दम लेंगे। दोनों देशों की तरफ से कम से कम 400 लोग मारे जा चुके हैं और 1700 से ज्यादा घायल हैं। हमास के हमले ने इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद और बॉर्डर सिक्योरिटी शिन बेट को भी मात दे दी। ये दोनों इजरायल को दुनिया में सबसे ताकतवर और सुरक्षित बनाती हैं। इस हमले के बाद अब इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद फिर ऐक्टिव हो गई है। एजेंसी के पूर्व प्रमुख एफ़्रैम हेलेवी ने बताया कि हमला पूरी तरह से आश्चर्यजनक था, हमे इसकी कोई जानकारी नहीं थी।

इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसी माना जाता है। मोसाद के बारे में यह कहा जाता है कि उसकी डिक्शनरी में असंभव कोई शब्द नहीं। मोसाद के ऑपरेशन्स को जानकर कोई भी दांतो तले अंगुली दबा देगा जब, इजरायल ने अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाया। मोसाद के कई ऑपरेशन में घटी सच्ची घटनाएं फिल्मों में ऐक्शन सीक्वंश तक में यूज हो चुके हैं।

ऑपरेशन फिनाले-1960

1957 में जर्मनी के हेस राज्य प्रमुख और यहूदी नस्ल के जर्मन नागरिक फ़्रिट्स बॉएर ने इसराइल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद से संपर्क स्थापित करके बताया था कि एडोल्फ़ आइकमन जीवित हैं और अर्जेंटीना में छिपा हुआ है। लेफ़्टिनेंट कर्नल एडोल्फ़ आइकमन लंबे समय तक एडोल्फ़ हिटलर की बदनाम सेना का प्रमुख रहा था। यहूदियों पर अत्याचार करने में वह अव्वल था। कुल मिलाकर इजरायल की नजर में वह सबसे बड़ा अपराधी था। आइकमन की जानकारी मिलने के बाज मोसाद ऐक्टिव हो गई और उसने एक टीम का गठन किया। 

मोसाद को मालूम था कि दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी की हार के बाद आइकमन को तीन बार पकड़ा गया लेकिन वो हर बार भाग निकल जाता था। फ़्रिट्स बॉएर को आइकमन के अर्जेंटीना में रहने की ख़बर एक यहूदी से मिली, जिसकी बेटी और आइकमन के बेटे में इश्क चल रहा था। मोसाद ने उसे जिंदा पकड़ने का जिम्मा उठाया। फिल्मी स्टाइल में उसे इजरायल लाया गया।

ऑपरेशन फिनाले में यह तय हुआ कि इजरायल के शिक्षा मंत्री अब्बा इबन के साथ जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में मोसाद के एजेंट भी होंगे, जो आइकमन को पकड़ेंगे। इसकी जानकारी शिक्षा मंत्री तक को पता नहीं चली। कार से उसे किडनैप किया गया और इजरायली एयरलाइन वर्कर की ड्रेस पहनाकर उसे देश लाया गया। यहां उसे फांसी की सजा सुनाई गई।

एली कोहेन

1960 के दशक में सीरिया और इसराइल के संबंध बेहद खराब संबंध थे। गोलन हाइट्स पर सीरियाई फ़ौज से इसराइल की उत्तरी सीमा पर रहने वाले समुदायों को बार-बार धमकी मिल रही थी, जिससे इसराइल में बेचैनी बढ़ रही थी। इजरायल ने सीरिया को सबक सिखाने की कसम खाई। फिर उन्हें एली कोहेन के रूप में अपना सबसे जाबांज एजेंट मिला। कोहेन वैसे तो मिस्र में पैदा हुए लेकिन वह सीरियाई मूल के यहूदी थे। सीरियाई होने की वजह वह इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद में जुड़ने की दो असफल कोशिश भी कर चुके थे। अब मोसाद की नजर कोहेन पर पड़ी क्योंकि सीरिया ऑपरेशन के लिए वह काफी अहम कड़ी थे।

1960 में ट्रेनिंग पाकर कोहेन को एक व्यवसायी बनाकर अर्जेंटीना भेजा गया। वह वहां सीरियाई प्रवासियों की एक मानी जानी संस्था से जुड़े। कुछ ही समय में उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति से दोस्ती कर ली जो बाद में सीरिया के राष्ट्रपति बने। ऐसा बताया जाता है कि एक समय कोहेन को सरकार में उप रक्षामंत्री तक का दावेदार माना जाने लगा। वह कुछ ही समय में सीरियाई सरकार में अपनी पकड़ बना चुके थे।

कोहेन ने अपने खुफिया पैठ के दम पर कई सीरियाई ऑपरेशन्स को नाकाम किया। बौखलाई सीरिया सरकार ने इसका तोड़ निकालने के लिए सोवियत रूस की मदद ली और कोहेन पकड़े गए। 1965 में गिरफ्तार हुए कोहेन को मौत की सजा सुनाई गई। उन्हें बीच चौराहे पर फांसी दी गई। इजरायल के लोग कोहेन को सच्चे देशभक्त के रूप में जानते हैं।

ऑपरेशन ईरान

इसराइल और ईरान के संबंध हमेशा से तीखे रहे हैं। अपने परमाणु कार्यक्रमों को लेकर इजरायल के रुख का ईरान हमेशा बौखलाया रहा है। हमास के आतंकी हमलों पर ईरान जश्न मना रहा है। बात 2011 की है, जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने झटका दिया। जनवरी 2010 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम के एक सलाहकार की कार के पास खड़ी मोटरसाइकिल में छिपाकर रखे गए विस्फोटक से हत्या कर दी गई।

2011 में ईरानी परमाणु परियोजना प्रमुख अपनी कार में कहीं जा रहे थे और तभी उनकी बगल चल रहे एक मोटरसाइकिल चालक ने कार की पिछली विंडशील्ड पर एक छोटी सी डिवाइस चिपका दी। यह ऐसी घटना है, जिसका यह दृश्य टॉम क्रूज की हॉलीवुड फिल्म मिशन इंपॉसबल में भी लिया गया है। चंद सेकंड बाद ही उस डिवाइस से विस्फोट हुआ और 45 वर्षीय न्यूक्लियर वैज्ञानिक की मौत हो गई। ऐसा माना जाता है कि इसके पीछे मोसाद था लेकिन, उसने कभी यह नहीं स्वीकारा।

जब हमास को सिखाया सबक

फलस्तीनी संगठन ‘हमास’ ने इसराइल की मोसाद एजेंसी पर ट्यूनीशिया में रह रहे अपने एक कमांडर मुहम्मद अल-ज़्वारी की हत्या का आरोप लगाया था। 15 दिसंबर 2016 के दिन मुहम्मद अल-ज़वारी को उनके आवास के पास चलती कार से गोली मार दी गई थी। 

हत्यारों की पहचान करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिला और जो कुछ मिला भी वो मोबाइल फ़ोन सिम और एक किराए की कार थी जो किसी तीसरे व्यक्ति के नाम दर्ज थी। हमास इसके पीछे मोसाद को जिम्मेदार मानता है।

एक के बाद एक सात भूकम्प के झटकों से थर्राया अफगानिस्तान, 465 मकान जमींदोज, 135 पूरी तरह से क्षतिग्रस्त, चार गांवों को सबसे ज्यादा नुकसान

पश्चिमी अफगानिस्तान में आए शक्तिशाली भूकंप में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 2,000 तक पहुंच गई है। तालिबान के एक प्रवक्ता ने बताया कि 465 मकान जमींदोज हो गए हैं और 135 क्षतिग्रस्त हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने कहा, ‘‘कुछ लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका की खबरों के बीच तलाश एवं बचाव अभियान जारी रहने के कारण साझेदारों तथा स्थानीय प्राधिकारियों ने मृतकों की संख्या बढ़ने का अनुमान जताया है.’’ आपदा प्राधिकरण के प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुल्ला जन ने बताया कि भूकंप और उसके बाद आए झटकों का सबसे ज्यादा असर हेरात प्रांत के जेंदा जन जिले के चार गांवों पर पड़ा है। अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण ने बताया कि भूकंप का केंद्र हेरात शहर से करीब 40 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में था। इसके बाद 6.3, 5.9 और 5.5 तीव्रता के तीन भूकंप के झटके भी महसूस किए गए 

अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में शनिवार को आए 6.3 तीव्रता के भूकंप के दो झटकों में दर्जनों लोगों की मौत हो गई। अफगानिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण ने यह जानकारी दी। संयुक्त राष्ट्र ने 320 लोगों के मारे जाने का प्रारंभिक आंकड़ा दिया था, हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि आंकड़े की अभी पुष्टि की जा रही है। मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के उसी अपडेट के अनुसार, स्थानीय अधिकारियों ने 100 लोगों के मारे जाने और 500 घायल होने का अनुमान लगाया है।

चार गांवों को भूकंप और झटकों से सबसे ज्यादा नुकसान

राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण के प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुल्ला जान ने बताया कि हेरात में जेंदा जान जिले के चार गांवों को भूकंप और झटकों से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि दर्जनों मकान क्षतिग्रस्त हो गये हैं। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण ने बताया कि 6.3 तीव्रता के झटके आए भूकंप का केंद्र हेरात शहर से 40 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में था। बाद में भी 5.5 तीव्रता का झटका महसूस किया गया। सर्वेक्षण की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया एक नक्शा इस क्षेत्र में सात भूकंपों का संकेत देता है।

अपने घरों से बाहर निकल गए लोग

हेरात शहर के निवासी अब्दुल समदी ने कहा, दोपहर के समय शहर में कम से कम पांच शक्तिशाली भूकंप आए। समदी ने कहा, ‘‘लोग अपने घरों से बाहर निकल गए हैं। घर, कार्यालय और दुकानें सभी खाली हैं। आगे और झटके आने की आशंका है.’’ समदी ने कहा, ‘‘मैं और मेरा परिवार अपने घर के अंदर थे। मुझे भूकंप महसूस हुआ.’’ उसने कहा कि उनका परिवार शोर मचाने लगा और बाहर निकल गया और वापस अंदर जाने से डर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि उसने हताहतों को अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए जेंदा जान इलाके में 12 एम्बुलेंस भेजीं।

टेलीफोन लाइन ठप हो जाने के कारण हो रही परेशानी

टेलीफोन लाइन ठप हो जाने के कारण प्रभावित क्षेत्रों से सटीक विवरण प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में हेरात शहर में सैकड़ों लोग अपने घरों और कार्यालयों के बाहर सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं। हेरात प्रांत की सीमा ईरान से लगती है।

 स्थानीय मीडिया की खबरों के अनुसार, भूकंप आसपास के फराह और बदगीस प्रांतों में भी महसूस किया गया। लिबान द्वारा नियुक्त आर्थिक मामलों के उप प्रधानमंत्री अब्दुल गनी बरादर ने हेरात और बदगीस में भूकंप में मारे गए लोगों और घायलों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। जून 2022 में, पूर्वी अफगानिस्तान में शक्तिशाली भूकंप आया, जिसमें कई मकान जमींदोज हो गए। यह भूकंप अफगानिस्तान में दो दशकों में सबसे भीषण था, जिसमें कम से कम 1,000 लोग मारे गए और लगभग 1,500 लोग घायल हो गए।

अफगानिस्तान में भूकंप ने मचा दी भारी तबाही, अब तक 2000 से ज्यादा लोगों की मौत, कई इमारतें गिरी, राहत बचाव कार्य जारी

अफगानिस्तान में शनिवार दोपहर में आए 6.3 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। हजारों लोगों के मरने और गंभीर रूप से जख्मी होने की अब तक सूचना मिल रही है। हालांकि राहत बचाव कार्य जारी है। मिली जानकारी के अनुसार हताहत होने वालों की संख्या बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। भूकंप के ताबड़तोड़ कई झटकों से चारों ओर तबाही का आलम है। समाचार एजेंसी एपी ने तालिबान प्रवक्ता के हवाले से बताया है कि भूकंप की वजह से देश में अब तक 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। वहीं हजारों की संख्या में लोग घायल हैं। 

अधिकारियों ने कहा है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि लोग ढही हुई इमारतों के नीचे दबे हो सकते हैं। तालिबान सरकार की तरफ से अब तक कोई बयान नहीं आया है। अफगानिस्तान के समय के मुताबिक, भूकंप सुबह करीब 11 बजे (भारतीय समय से 12 बजे) आया। अफगानिस्तान में भूकंप के बाद वहां मौजूद WHO के ऑफिस ने घायलों के लिए इलाज का प्रतिबंध करवाया। ताजा भूकंप देश में दो दशकों में आए सबसे घातक भूकंपों में से एक है। अभी भी खोज और बचाव अभियान जारी है। 

बता दें कि, पूर्वी अफगानिस्तान के एक ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्र में भी जून 2022 में शक्तिशाली भूकंप आया था जिसमें पत्थर और मिट्टी-ईंटों के घर जमींदोज हो गए थे। यह भूकंप अफगानिस्तान में दो दशकों में सबसे घातक था जिसमें कम से कम 1,000 लोग मारे गए थे और लगभग 1,500 लोग घायल हुए थे।

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, हमास के आतंकियों को इजरायल पर हमले की बड़ी कीमत चुकानी होगी, जवाबी कार्रवाई जारी

हमास के इजरायल में हमले में 300 से अधिक लोगों की मौत व करीब 1500 लोगों के घायल होने के बाद स्थिति काफी बिगड़ गई है। इस्राइल में 5000 रॉकेट हमलों के बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास के आतंकियों को इस्राइल पर हमले की बड़ी कीमत चुकानी होगी। इस्राइली वायुसेना ने गाजा पट्टा पर मौजूद हमास पर जवाबी कार्रवाई की है।

इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के आतंकियों को चेतावनी दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हमास के हर ठिकानों को ध्वस्त कर देंगे। शहरों को मलबे में बदल देंगे। मैं गाजा के लोगों से कहना चाहता हूं कि शहर अभी छोड़ दो क्योंकि हम ताबड़तोड़ कार्रवाई करेंगे।

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने भी मामले में टिप्पणी की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मैं इस्राइल में हुए आतंकी हमले की निंदा करता हूं। हमले में नौ नेपाली घायल हुए हैं। मैं नेपालियों सहित अन्य पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।

यूलिया जीटो मेरास स्काई ने यूक्रेन में युद्ध के दौरान मारे गए अपने माता-पिता के आत्मा की शांति के लिए गया मद किया पिंडदान व तर्पण

युद्धग्रस्त यूक्रेन देश की निवासी यूलिया जीटो मेरास स्काई बिहार के गया जी में युद्ध के दौरान मारे गए अपने माता-पिता के आत्मा के शांति के लिए पिंडदान व तर्पण किया। आचार्य लोकनाथ गौड़ ने युवती ययूलिया को विधि विधान से कर्मकांड संपन्न कराया। यूलिया पेशे से साइकोलॉजिस्ट है और यूक्रेन में रहकर ऑनलाइन चीन और दूसरे देश के लिए काम कर रही है। वह बताती हैं कि युद्ध के दौरान रसिया के हमले में उसके माता-पिता सहित परिवार के कई सदस्य मारे गए। वहां पूरी तरह अशांति फैली भी हुई है युद्ध अभी भी जारी है।

कहा कि अविलंब युद्ध बंद कर शांति बहाल होनी चाहिए। वह गया जी में यूक्रेन के लोगों के अलावे रसिया देश में भी मारे गए सभी लोगों के आत्मा के शांति के लिए यहां पिंडदान संपन्न कर रही हैं। वे बताया कि विश्व में कहीं मोक्ष भूमि है तो गया जी हैं। इसकी जानकारी उनके एक धर्मगुरु से मिली कि गयाजी में अपने पितरों व पूर्वजों के आत्मा के शांति के लिए पिंडदान की जाती है। वह दूसरी बार गया जी में पिंडदान कर रही है। पहली बार जब वह आई थी तो उन्हें काफी शांति महसूस हुई थी। अब दूसरी बार युद्ध के दौरान मारे गए अपने माता-पिता वह अन्य परिवारजनों के आत्मा के शांति के लिए पिंडदान संपन्न कर रही है।

भारत इस कठिन समय में इजराइल के साथ..', आतंकी हमले से जूझ रहे यहूदी देश पर पीएम मोदी ने दिया बयान, यहां डिटेल में पढ़िए

 यहूदी देश इजराइल पर आतंकी संगठन हमास के खतरनाक हमले के बाद अब इजराइली वायुसेना ने भी आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देना शुरू कर दिया है। इसी बीच भारत ने भी अपने मित्र देश के लिए एक बयान जारी किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स (ट्विटर) हैंडल से ट्वीट करते हुए इजराइल के प्रति समर्थन जाहिर किया है। 

उन्होंने लिखा है कि, 'इजराइल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा सदमा लगा है। हमारी संवेदनाएँ और प्रार्थनाएँ निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं। हम इस कठिन समय में इज़राइल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।' बता दें कि, आतंकी संगठन हमास ने इज़राइल पर 5,000 से अधिक रॉकेट दागे थे, जिससे बड़े पैमाने पर लोग हताहत और क्षति हुई। इस हमले के दौरान हमास के आतंकियों ने इजरायली महिलाओं को पकड़ लिया और इस्लामिक नारे 'अल्लाह हू अकबर' के नारों के बीच उनकी नग्न परेड कराई। इसके वीडियो भी सामने आए हैं, जिससे हमास के आतंकियों की दरिंदगी साफ देखी जा सकती है।  

हमास के आतंकवादियों ने हमले के दौरान कई इजरायली नागरिकों और रक्षा कर्मियों को पकड़ लिया है और उन्हें गाजा पट्टी में ले गए हैं। ऐसी कई घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं। ऐसे ही एक वीडियो में हमास आतंकियों द्वारा एक इजरायली महिला का अपहरण करते हुए देखा गया था। वे उसे जबरदस्ती जीप के अंदर डाल रहे थे। जीप में और उसके आसपास सभी आतंकवादी 'अल्लाह हू अकबर' के नारे लगा रहे थे जबकि असहाय इजरायली महिला उनकी बंदी बनी हुई थी।

Asian Games 2023: रद्द हो गया मैच, फिर भी टीम इंडिया को मिला गोल्ड मेडल, जानिए क्यों ?

टीम इंडिया शनिवार को हांग्जो एशियाई खेलों के पुरुष क्रिकेट फाइनल में अफगानिस्तान के खिलाफ विजयी घोषित हुई और उसे स्वर्ण पदक मिला। लेकिन, ज्यादा रन बनाने के कारण नहीं। रुतुराज गायकवाड़ की अगुवाई वाली टीम ने शनिवार को हांगझू में टॉस जीतकर क्षेत्ररक्षण करने का फैसला किया और अफगानिस्तान के बल्लेबाजों को अपने प्रभावी स्पैल से नियंत्रण में रखा। हालाँकि, बारिश ने खलल डाला और 19वें ओवर के दौरान मैच रोक दिया गया, जब अफगानिस्तान का स्कोर 112/5 था। आधे घंटे से ज्यादा की देरी के बाद मैच रद्द कर दिया गया और टीम इंडिया को विजेता घोषित कर दिया गया। 

जब मैच पूरा नहीं हुआ, तो भारत को विजेता क्यों घोषित किया गया?

बारिश के कारण मैच रद्द होने के बावजूद टीम इंडिया ने जीत हासिल की और स्वर्ण पदक भी हासिल किया। दरअसल, मौजूदा एशियाई खेलों में भारत को अफगानिस्तान से अधिक वरीयता मिलने के कारण ऐसा हुआ। वरीयता स्थिति के आधार पर भारत विजयी हुआ। वर्तमान में, ICC रैंकिंग के अनुसार, तीनों प्रारूपों में भारत नंबर 1 टीम है। एशियाई खेलों 2023 में यह भारत का 27वां स्वर्ण पदक था, जिससे उनकी कुल पदक संख्या 104 (28 स्वर्ण, 35 रजत, 41 कांस्य) हो गई है।

मैच में पहले, बल्लेबाजी करने उतरी अफगानिस्तान ने 18.2 ओवर में 5 विकेट पर 112 रन बनाए थे, जब लगातार बारिश के कारण झेजियांग यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी क्रिकेट फील्ड में कार्यवाही रुक गई और मैच फिर से शुरू नहीं हुआ। अफगानिस्तान की ओर से

 शाहिदुल्लाह कमाल (49) और गुलबदीन नायब (27) क्रीज पर नाबाद रहे। जबकि भारत के लिए अर्शदीप सिंह, शाहबाज़ अहमद, शिवम दुबे और रवि बिश्नोई ने एक-एक विकेट लिया।

गाजियाबाद में जिस शौक़ीन को राखी बांधती थी नाबालिग लड़की, उसी ने बीच सड़क पर तलवार से किए 9 वार, हुआ गिरफ्तार

 उत्तर प्रदेश में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। गाजियाबाद जिले के मोदीनगर इलाके में शौकीन नाम के एक व्यक्ति ने एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की पर धारदार हथियार से हमला किया। शौकीन के क्रूर हमले में पीड़िता के शरीर पर नौ गंभीर चोटें आई हैं, जिसमें उसके सिर, गर्दन और हाथों पर गंभीर घाव के साथ-साथ कोहनी की हड्डी भी टूट गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अपराधी शौकीन के लड़की के पिता के साथ घनिष्ठ संबंध थे और वह उनके घर के ठीक सामने रहता था। यह घटना 5 अक्टूबर की शाम की है। हमलावर ने लड़की पर तलवार से उस समय कई वार किए, जब वो स्कूल से घर जा रही थी। पड़ोसियों को लड़की की मदद के लिए दौड़ते देख वह तुरंत वहां से फरार हो गया। चश्मदीद गवाहों का दावा है कि हमले के बाद उसने मौके पर हथियार भी लहराया। यूपी पुलिस ने घटना पर तुरंत प्रतिक्रिया दी और हमलावर को अरेस्ट कर लिया। पीड़िता हिन्दू धर्म से संबंध रखने वाली बताई जा रही है, लेकिन वो सवर्ण है, OBC है, दलित है या आदिवासी है, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है, यानी पीड़िता की 'जाति' का पता नहीं चल सका है। 

एक अधिकारी ने बताया है कि, 'क्रोधित स्थानोय लोगों ने पीड़ित पर जानलेवा हमले के लिए हमलावर का विरोध किया। पुलिस तुरंत पहुंची और उसे हिरासत में ले लिया।' उन्होंने आगे बताया कि अपराधी शौकीन ने मेडिकल जांच के लिए ले जाते समय भागने का प्रयास किया, लेकिन उसे पकड़ लिया गया। पुलिस ने बताया कि, 'मौके का फायदा उठाते हुए, उसने मेडिकल जांच के दौरान पुलिस अधिकारियों पर उनके ही सर्विस हथियार से हमला करने की कोशिश की। उसने भागने की भी कोशिश की। जवाब में मोदीनगर पुलिस ने भी उसके पैर को निशाना बनाकर फायरिंग की और उसे पकड़ लिया। फिलहाल, आरोपी शौकीन अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उसका उपचार चल रहा है।' घटना को देखने वाले एक पड़ोसी ने बताया है कि आरोपी का पीड़ित लड़की के पिता के साथ घनिष्ठ संबंध था। वे पास-पास रहते हैं और दोस्ताना संबंध साझा करते हैं। लेकिन आज लड़की सह रही है। अपराधी को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। मासूम बच्ची पर जघन्य हमले के लिए उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए।' भीम सिंह ने बताया कि, आरोपी ने बच्ची की जिंदगी पूरी तरह से बर्बाद कर दी है, उसकी कोहनी टूट गई है, शरीर पर कई जख्म हैं।

इस बीच, राजबाला नामक एक महिला ने बताया कि आरोपी शौकीन अक्सर पीड़िता के घर पर खाना खाता था। उन्होंने (आरोपी और पीड़िता के पिता) में मजबूत रिश्ता भी था। पिछले दो वर्षों में, आरोपी नियमित रूप से अपने आवास पर साथ भोजन करते थे। कभी-कभी पीड़ित लड़की खुद भी उसे खाना परोसती थी। पीड़िता उसे भाई मानती थी और रक्षाबंधन के दौरान उसकी कलाई पर राखी भी बांधती थी। हालाँकि, यह घटना लड़की के प्रति आरोपी की क्रूर नफरत को उजागर करती है। पीड़िता के पिता ने भी इस मामले में बताया है कि, आरोपी ने स्कूल में लड़की की उपस्थिति का विरोध किया और उस पर स्कूल बदलने का दबाव डाला था। पिता के अनुसार, शौकीन ने लड़की पर अपना स्कूल बदलने का दबाव डाला था। दरअसल, कुछ दिन पहले उसके स्कूल की एक लड़की अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी। इसलिए, शौकीन जोर दे रहा था कि हमारी बेटी स्कूल बदल ले। इससे हमारे बीच मामूली तकरार हो गई थी। शौकीन ने हम पर उसकी ट्यूशन बदलने का भी दबाव डाला। उसने पीड़िता को यातनाएं दीं और उसे कभी शांति से नहीं छोड़ा।

कर्नाटक के चिक्कमगलुरु जिले में मात्र 78 हज़ार का कर्ज, नहीं हुआ माफ ! महिला किसान ने माइक्रो फाइनेंस कंपनी के कर्मियों से परेशान होकर की ख़ुदकुशी

 कर्नाटक के चिक्कमगलुरु जिले में एक महिला किसान ने ऋण चुकाने के लिए माइक्रोफाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों द्वारा कथित तौर पर परेशान किए जाने के बाद आत्महत्या कर ली। रिपोर्ट के अनुसार, मृतक की पहचान 64 वर्षीय देवीरम्मा के रूप में हुई है और यह घटना कडुरू तालुक के अंतर्गत आने वाले तंगली गांव की है। 

पुलिस के मुताबिक, पीड़ित ने ग्रामीण कूटा फाइनेंस कंपनी से महज 78 हजार रुपये का लोन लिया था। लेकिन, फसल बर्बाद होने के कारण वह संकट में थी, इसलिए वह केवल एक महीने से किस्त नहीं चुका सकी। इसके बाद से कंपनी के कर्मचारी हर हफ्ते उसके घर आ रहे थे और उसे परेशान कर रहे थे और कर्ज चुकाने के लिए दबाव डाल रहे थे। प्रताड़ना बर्दाश्त न कर पाने पर महिला किसान ने अपने घर में ही फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। 

बता दें कि, कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की सरकार है, जो इस समय मध्यप्रदेश और राजस्थान के चुनावों में किसानों के कर्जे माफ करने का वादा कर रही है। ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं कि, जहाँ पार्टी सत्ता में है, वहां महिला किसान का मात्र 78 हज़ार का कर्ज माफ क्यों नहीं किया गया ? केवल एक महीने की क़िस्त चुकने पर उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि, उन्हें आत्मघाती कदम उठाना पड़ा। 

माइक्रोफाइनेंस कंपनी के कर्मचारी शंकर नायक, उषा और रूबीना के खिलाफ कदुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। बता दें कि, राज्य की सिद्धारमैया सरकार ने चिक्कमगलुरु को सूखा प्रभावित जिला घोषित कर दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सूखे की वजह से अब तक तीन किसानों ने आत्महत्या कर ली है।