गिरिडीह:निजी फाइनेंस कंपनियों की मकड़जाल में फंस चुकी हैं ग्रामीण महिलाएं,ऋण के किस्त भरने के बाद घर में पड़ रहे खाने के लाले
गिरिडीह:गरीबों के कल्याण का खोखला दावा करने वाली सरकारों की नाकामियों के कारण भिन्न-भिन्न जरूरतों से ग्रामीण महिलाएं लगातार फाइनेंस कंपनियों के ऋण जाल में फंसती जा रही हैं। स्थिति इतनी विकट हो गई है कि मेहनत-मजदूरी कर सारी कमाई का किस्त भरने के बावजूद घर में खाने के लाले पड़ने शुरू हो गए हैं।
इसलिए ऐसी स्थिति में अमीरों को कर्ज माफी का लाभ देने वाली मोदी सरकार को गरीबों का भी कर्जा माफ करना चाहिए।
उक्त बातें भाकपा माले नेता सह अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश यादव ने शनिवार को गिरिडीह सदर प्रखंड के लेदा पंचायत के आदिवासी बहुल गांव कोदयडीह में निजी फाइनेंस कंपनियों के लोन की चंगुल में फंसी महिलाओं तथा ग्रामीणों के साथ एक बैठक के दौरान उनकी बातों को सुनने के बाद कही।
उन्होंने कहा कि सरकारी सिस्टम फेल होने का ही नतीजा है कि कुछ ने परिवार के किसी सदस्य का प्राइवेट से इलाज करने के लिए लोन लिया, कुछ ने कच्चा मकान धंसने और पीएम आवास स्वीकृत नहीं होने के कारण घर बनाने के लिए लोन लिया, किसी ने लड़की की शादी के लिए लोन लिया तो किसी ने सरकारी शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के कारण बच्चे को पढ़ाने के लिए लोन ले लिया है। मतलब साफ है कि यदि सरकारी संस्थाएं दुरुस्त रहतीं और गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं सही ढंग से चलती, तो इन्हें लोन के चंगुल में फंसना नहीं पड़ता।
श्री यादव ने आगे कहा कि दूसरी तरफ फाइनेंस कंपनियों के एजेंट किस्त वसूली के लिए सारी हदें पार कर रहे हैं। एक तरह से कानून हाथ में लेकर किसी भी कीमत पर लोन वसूली के लिए ऋण धारकों पर नाजायज दबाव बना रहे हैं।जानकारी मिली कि कंपनी के एजेंट किस्त भुगतान में एक दिन का भी विलंब होने पर जायज/नाजायज हर तरह के दबाव बनाना शुरू कर देते हैं। ऋण धारकों के साथ बदसलूकी और गाली गलौज की जाती है। घर में अकेली महिलाओं का भी ख्याल नहीं रखा जाता, एजेंट उनके घरों में घुस जा रहे हैं। बाध्य होने पर कुछ महिलाएं अपने घर में संपत्ति के रूप में रखे थोड़े बहुत जेवरात बेचकर किस्त चुकाने की कोशिश भी करती देखी गईं।
माले नेता ने फाइनेंस कंपनियों के एजेंटों को इसे लेकर आगाह किया कि वे लोन वसूली के लिए हद पार नहीं करें। उन्होंने जिला प्रशासन से भी ऐसे मामलों में उचित कार्रवाई की मांग की और कहा कि, यदि यही हाल रहा तो हजारों लोगों को लेकर में फाइनेंस कंपनियों के दफ्तरों के समक्ष प्रदर्शन किया जाएगा।साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की है कि जब एक तरफ बड़ी-बड़ी कंपनियों को ऋण माफी का लाभ दिया जा रहा है, तो लाचार और बेबस गरीबों का भी ऋण माफ किया जाए।
मौके पर माले के स्थानीय नेता सदानंद स्वर्णकार, अशोक हेंब्रम तथा राजेश मांझी के अलावा सुखदेव हेंब्रम,हेमलाल सोरेन, सोमर टुडू,धीरन सोरेन, प्रकाश सोरेन,जेट्टू हेंब्रम, चांदमुनी देवी, बुधनी देवी, राजमुनि देवी, छोटकी देवी, चरकी देवी, दुलारी देवी, बिंदो देवी, सुकरमुनी देवी, सोनामुनी देवी,बड़की देवी, प्रमिला टुडू, लुगुमुनी देवी,पानो देवी, सोरजी देवी,हेमंती देवी,अंजू मुर्मू,धनी देवी,चुड़की देवी, प्रिया टुडू,संयोति मरांडी,रूपरानी टुडू, हिरामुनी टुडू,चरकी मुर्मू, रूपा टुडू सहित अन्य मौजूद थे।
Sep 17 2023, 18:37