आस्था: आईए जानते है झारखंड के कुछ ऐसे धार्मिक स्थल जहां होती है हर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी...
झारखंड:-भारत 64 करोड़ देवी-देवताओं की भूमि है ,जो अपने प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। भारत में कई राज्यों में कुछ ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो आज भी रहस्मयी है। आज हम आपको झारखंड के कुछ रहसमयी मंदिरों के बारे में बताएंगे जहा भक्तों की होती हर मनोकामनाएं पूरी।
झारखंड तो ऐसे पर्यटन स्थल और मंदिरों के लिए चर्चा में रहा है।झारखंड में कई ऐसे रहस्यमय मंदिर जहा लोग पूजा कर मन्नत मांगते और उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती है|
झारखंड के इन्हीं धार्मिक स्थल और इन्हीं मंदिरों में से कई ऐसे रहस्य में मंदिर है, जिनका इतिहास काफी पुराना है।
आज हम ऐसे ही झारखंड के कई रहस्यमयी और अदभूत मंदिरों के बारे में जानेंगे जिसकी चर्चा झारखंड में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में होती है।
धर्म और रहस्य में दृष्टि से देखा जाए तो भारत में कई ऐसे मंदिर है, जिनमें कई राज छुपे है। ऐसे ही कुछ मंदिर झारखंड में भी स्थित है| जिनका पुराना इतिहास रहा है। जिसे जानकर आपको हैरानी होगी. तो चलिए जानते है, झारखंड के इन मंदिरों के बारे में..!
झारखण्ड का प्रसिद्ध मंदिर बैद्यनाथ मंदिर
झारखण्ड के 5 सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर में से एक बैद्यनाथ मंदिर है. भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र शिवलिंग झारखंड के देवघर में स्थित है| ऐसा माना जाता है, कि यहाँ आने वाले हर भक्तों की मनोकामना भोलेनाथ पूरी करते है, यही कारन है की भक्तगण यहां के शिवलिंग को कामना-शिवलिंग भी कहते है| यह भारत के 12 शिव ज्योतिर्लिंग में से एक है।
आमतौर पर भारत के सभी मंदिरों पर मंदिरों के शीर्ष पर देखेंगे तो आपको त्रिशूल लगा दिखता है| लेकिन यहां के बैजनाथ परिसर के सभी मंदिरों पर त्रिशूल के बदले पंचशील लगे है|
हिंदू धर्म में पंचशील को सुरक्षा कवच भी कहा जाता है| ऐसा माना जाता है, कि इसी पंचशील के कारण आज तक मंदिर पर किसी भी प्रकार के प्राकृतिक आपदा का प्रभाव नहीं पड़ा है।
यहां के मंदिर में 72 फीट ऊंचे शिव मंदिर के अलावा 22 मंदिरों की स्थापन भी की गई है| हिंदू धर्म और पुराणों के अनुसार ऐसा कहा जाता है, कि माता सती का ह्रदय इसी स्थान पर गिरा था. यह भारत का एकमात्र ऐसा स्थान है। जहां ज्योतिर्लिंग के साथ शक्तिपीठ भी है| यही कारण है, कि इस स्थान की महिमा और भी ज्यादा बढ़ जाती है| यहाँ हर वर्ष श्रद्धालु अपनी श्रद्धा दिखाने के लिए उमड़ पड़ते है। शायद इन्ही कारणों से इसे भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में एक भी कह सकते है.
श्रद्धा का केंद्र झारखण्ड का प्रसिद्ध माँ छिन्नमस्तिका मंदिर
रामगढ़ स्थित छिन्नमस्तिका मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से 80 किलोमीटर दूर है| यह मंदिर अपने आप में कई संस्कृति और श्रद्धा को समेटे हुए है|
मां छिन्नमस्तिका मंदिर को कामनाओं का मंदिर माना जाता है| ऐसा कहा जाता है, कि इस मंदिर का इतिहास 600 वर्ष पुराना है| यह मंदिर जितना अद्भुत है, उतना ही विस्मयकारी भी है| यहां बिना सिर वाली मां की पूजा होती है| इनके अगल बगल में डाकिनी और शकिणी खड़ी है। जिन्हें वे अपना रक्त पान करा रही है। और स्वयं भी रक्तदान कर रही है| उनकी प्रतिमा में देखें तो इनके कटे हुए सर से तीन रक्त की धाराएं निकल रही है।
इतना ही नहीं इनके मंदिर के सामने बली स्थान भी है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहां हर दिन 150-200 बकरों की बलि चढ़ती है| सबसे अद्भुत बात यह है की, बलि चढ़ने के स्थान पर एक भी मक्खी देखने को नहीं मिलती है| यह एक ऐसा चमत्कार है जिसे जानकर लोग हैरान हो जाते है।
ऐसा कहा जाता है, मां छिन्नमस्तिका मंदिर महाभारत के काल से भी ज्यादा पुरानी है।और यह मंदिर भी झारखंड पांच प्रमुख मंदिरों में शामिल है।
झारखंड के प्रमुख मंदिर देवड़ी मंदिर के बारे में जानकारी
झारखंड के धार्मिक स्थल में से प्रमुख देवड़ी मंदिर भी है, यह मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की आस्था इस मंदिर पर काफी हद तक है| वे जब भी अपने पिछले समय में क्रिकेट खेलने जाते थे, या क्रिकेट खेल कर आते थे, तब वह इस मंदिर में दर्शन करने अवश्य ही आते थे. धोनी के इस मंदिर में बार बार दर्शन करने आने के कारण इस मंदिर को काफी प्रसिद्धि मिली है। वर्ष 2011 में संपन्न हुए वर्ल्ड कप जीतने के बाद महेंद्र सिंह धोनी सबसे पहले देवड़ी मंदिर के दर्शन करने आए थे
इस मंदिर के निर्माण को लेकर यह कहा जाता है, कि मंदिर का निर्माण युद्ध से हार कर लौटते समय केरा नाम के एक मुंडा राजा ने करवाई थी ऐसा कहा जाता है| कि केरा नाम के उस मुंडा राजा ने जब इस मंदिर का निर्माण करवाया तब उसे अपना खोया हुआ राज्य वापस मिल गया था. भारत के अन्य दूसरे मंदिरों की तुलना में देवड़ी मंदिर की अलग ही विशेषता और खासियत है।
इस मंदिर की पूजा आदिवासी पुजारियों के द्वारा किया जाता है| इस मंदिर की प्रतिमा की सबसे विचित्र बात यह है| कि अन्य मंदिरों में मां दुर्गा के 8 भुजा वाले मूर्ति देखने को मिलती है।लेकिन इस मंदिर में 16 भुजाओं वाली माता का मूर्ति है| इस मूर्ति की ऊंचाई साढ़े तीन फीट की है।
राष्ट्रीय ध्वज फ़हराया जाने वाला रांची का प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर
रांची का प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यह मंदिर समुंद्र तल से 2140 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. पहाड़ी मंदिर को पहले फांसी टोंगरी के नाम से जाना जाता था, भारत के स्वतंत्रता के पहले इस मंदिर के क्षेत्र पर अंग्रेजों का अधिकार था. अंग्रेज इस स्थान पर स्वतंत्रता सेनानी को फांसी दिया करते थे, इसलिए इस पहाड़ी को फांसी टोंगरी के नाम से जाना जाता था, आपको यह बात जानकर हैरानी होगी की, यह भारत का पहला ऐसा मंदिर है, जहां भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए आपको 468 सीढ़ियां चढ़ने पड़ती है| और जब आप इस मंदिर के ऊपर जाएंगे तो रांची का पूरा नजारा देख सकते है|
हजारो वर्ष पुराना मां उग्रतारा नगर मंदिर झारखण्ड
मां उग्रतारा नगर मंदिर झारखंड के लातेहार जिले में स्थित है. इस मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है| शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध इस मंदिर में देवियों की मूर्तियां है| ऐसा कहा जाता है, कि जब कोई भक्त इस मंदिर में आकर अपनी मन्नत मांगता है| और उसकी मन्नत पूरी हो जाती है| तो वह भक्त इस मंदिर के परिसर में पांच झंडे गाड़ता है| यह मंदिर हजारों और लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा और आस्था का केंद्र है| लेकिन इसकी मान्यता सभी मंदिरों से अलग है।यह देश का पहला ऐसा मंदिर है, जहां नवरात्र की पूजा 16 दिनों तक होती है।मां उग्रतारा के इस मंदिर की पूजा पद्धति कालिका मार्कण्डेय पुराण से ली गई है।
इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना भी है, इतिहास के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी में टोरी राज्य के तत्कालीन शासक पीतांबर नाथ शाही ने अपने महल के परिसर में कराया था।
झारखण्ड के प्रसिद्ध मंदिरों में हर वर्ष लाखो श्रद्धालु आते है, इन मंदिरों में इतनी आस्था है की बाहरी राज्य के लोग भी अपनी मनोकामनाए लेकर आते है।
Sep 09 2023, 20:13