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बागेश्वर सीट के लिए उपचुनाव के दौरान भाजपा को उलझाए रही कांग्रेस, BJP ने भी निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक की भूमिका पर उठाया सवाल


उत्तराखंड के बागेश्वर उपचुनाव में सहानुभूति की लहर पर सवार भाजपा आखिरकार कड़ी मशक्कत को विवश हो गई। कांग्रेस की रणनीति सत्तारूढ़ दल को उलझाए रखने पर रही। दोनों दलों के बीच जोर-आजमाइश का अंदाजा इससे लग सकता है कि मतदान की तारीख समीप आते-आते विपक्ष की शिकायतों पर पलटवार करते हुए भाजपा ने भी निर्वाचन आयोग के केंद्रीय पर्यवेक्षक की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए। इस चुनावी जंग को लेकर उत्साहित कांग्रेस की नजरें आज हो रहे मतदान पर टिकी हैं।

उपचुनाव को सधी रणनीति के तहत लड़ रही कांग्रेस

कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन से रिक्त हुई बागेश्वर आरक्षित सीट (अनुसूचित जाति) पर उपचुनाव को कांग्रेस सधी रणनीति के तहत लड़ रही है। प्रमुख विपक्षी दल ने इस उपचुनाव को लोकसभा चुनाव से पूर्व तैयारी के रूप में लिया है। यही कारण है कि भाजपा के हर दांव की काट के लिए कांग्रेस ने अपनी ओर से कसर नहीं छोड़ी।

भाजपा ने अपनाया सहानुभूति का पैंतरा

लगातार चार बार इस सीट से विधायक रहे कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन से उपजी सहानुभूति लहर को ध्यान में रखकर भाजपा ने उनकी पत्नी पार्वती देवी को चुनाव मैदान में उतारा। जवाब में कांग्रेस ने उपचुनाव को एकतरफा नहीं होने देने पर जोर लगाया। माहरा और आर्य ने डाला डेरा मजबूत प्रत्याशी पर दांव खेलने के लिए पार्टी ने बाहर से अपेक्षाकृत अधिक दमदार समझे जा रहे बंसत कुमार को अपने पाले में खींचा और फिर प्रत्याशी बनाने में देर नहीं लगाई।

लोकसभा से पहले तैयारी

सरकार और सत्तारूढ़ दल से मिल रही चुनौती को भांपकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य पूरे उपचुनाव के दौरान क्षेत्र में ही डटे रहे। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर नजर कांग्रेस इस उपचुनाव को अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पूर्व तैयारी के रूप में ले रही है।

अल्मोड़ा संसदीय सीट भी है आरक्षित

बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र अल्मोड़ा संसदीय सीट के अंतर्गत है। अल्मोड़ा संसदीय सीट भी आरक्षित है। बागेश्वर उपचुनाव के परिणाम अगर कांग्रेस के पक्ष में रहते हैं तो पार्टी को नई ऊर्जा मिलना तय है। इसे ध्यान में रखकर ही पार्टी ने अधिक संख्या में मतदाताओं में पैठ बनाने पर ध्यान केंद्रित किया और पांच-पांच बूथों पर बड़े नेताओं की चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी।

बागेश्वर सीट के लिए उपचुनाव के दौरान भाजपा को उलझाए रही कांग्रेस, BJP ने भी निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक की भूमिका पर उठाया सवाल

उत्तराखंड के बागेश्वर उपचुनाव में सहानुभूति की लहर पर सवार भाजपा आखिरकार कड़ी मशक्कत को विवश हो गई। कांग्रेस की रणनीति सत्तारूढ़ दल को उलझाए रखने पर रही। दोनों दलों के बीच जोर-आजमाइश का अंदाजा इससे लग सकता है कि मतदान की तारीख समीप आते-आते विपक्ष की शिकायतों पर पलटवार करते हुए भाजपा ने भी निर्वाचन आयोग के केंद्रीय पर्यवेक्षक की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए। इस चुनावी जंग को लेकर उत्साहित कांग्रेस की नजरें आज हो रहे मतदान पर टिकी हैं।

उपचुनाव को सधी रणनीति के तहत लड़ रही कांग्रेस

कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन से रिक्त हुई बागेश्वर आरक्षित सीट (अनुसूचित जाति) पर उपचुनाव को कांग्रेस सधी रणनीति के तहत लड़ रही है। प्रमुख विपक्षी दल ने इस उपचुनाव को लोकसभा चुनाव से पूर्व तैयारी के रूप में लिया है। यही कारण है कि भाजपा के हर दांव की काट के लिए कांग्रेस ने अपनी ओर से कसर नहीं छोड़ी।

भाजपा ने अपनाया सहानुभूति का पैंतरा

लगातार चार बार इस सीट से विधायक रहे कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन से उपजी सहानुभूति लहर को ध्यान में रखकर भाजपा ने उनकी पत्नी पार्वती देवी को चुनाव मैदान में उतारा। जवाब में कांग्रेस ने उपचुनाव को एकतरफा नहीं होने देने पर जोर लगाया। माहरा और आर्य ने डाला डेरा मजबूत प्रत्याशी पर दांव खेलने के लिए पार्टी ने बाहर से अपेक्षाकृत अधिक दमदार समझे जा रहे बंसत कुमार को अपने पाले में खींचा और फिर प्रत्याशी बनाने में देर नहीं लगाई।

लोकसभा से पहले तैयारी

सरकार और सत्तारूढ़ दल से मिल रही चुनौती को भांपकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य पूरे उपचुनाव के दौरान क्षेत्र में ही डटे रहे। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर नजर कांग्रेस इस उपचुनाव को अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पूर्व तैयारी के रूप में ले रही है।

अल्मोड़ा संसदीय सीट भी है आरक्षित

बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र अल्मोड़ा संसदीय सीट के अंतर्गत है। अल्मोड़ा संसदीय सीट भी आरक्षित है। बागेश्वर उपचुनाव के परिणाम अगर कांग्रेस के पक्ष में रहते हैं तो पार्टी को नई ऊर्जा मिलना तय है। इसे ध्यान में रखकर ही पार्टी ने अधिक संख्या में मतदाताओं में पैठ बनाने पर ध्यान केंद्रित किया और पांच-पांच बूथों पर बड़े नेताओं की चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी।

'मेरे विरोधी भी मेरे शिक्षक, क्योंकि..', राहुल गांधी ने शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए विपक्षियों को घेरा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अनोखे तरह से शिक्षक दिवस की बधाई दी है। राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि उनके विरोधी भी उनके शिक्षक हैं क्योंकि "उनका व्यवहार, झूठ और शब्द" उन्हें सही रास्ते पर बने रहने और "हर कीमत पर उस पर आगे बढ़ते रहने" में मदद करते हैं। उन्होंने शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को धन्यवाद भी दिया। 

उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, 'एक शिक्षक का जीवन में बहुत ऊंचा स्थान है, क्योंकि एक शिक्षक आपके जीवन का मार्ग रोशन करता है और आपको सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। भारत के लोग भी शिक्षकों की तरह हैं, क्योंकि वे विविधता में एकता का उदाहरण देते हैं, हमें हर समस्या से साहस के साथ लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं और विनम्रता और तपस्या के प्रतीक हैं।' बता दें कि, शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था।

कांग्रेस नेता ने कहा कि वह “महात्मा गांधी, गौतम बुद्ध और श्री नारायण गुरु जैसे महापुरुषों” को अपना गुरु मानते हैं। उन्होंने कहा कि इन विभूतियों ने "हमें समाज में सभी लोगों की समानता और सभी के प्रति दया और प्रेम दिखाने का ज्ञान दिया।" उन्होंने कहा, "मैं अपने विरोधियों को भी अपना शिक्षक मानता हूं क्योंकि वे अपने व्यवहार, झूठ और शब्दों से मुझे सिखाते हैं कि मैं जिस रास्ते पर चल रहा हूं वह बिल्कुल सही है और हर कीमत पर उस पर आगे बढ़ते रहना है।"

Article 370 में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, पांच जजों की संविधान पीठ ने सुरक्षित रखा फैसला, हसनैन मसूदी ने कहा, दी गई दलीलों से संतुष्ट हैं


आर्टिकल 370 मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने 16 दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि 5 अगस्त 2019 को संसद ने जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिला विशेष दर्जा खत्म करने का प्रस्ताव पास किया था। इसके साथ ही उसे 2 केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का भी फैसला लिया गया था।

हम दलीलों से संतुष्ट हैं : हसनैन मसूदी

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और अनुच्छेद 370 मामले में याचिकाकर्ता न्यायमूर्ति (रिटायर्ड जज) हसनैन मसूदी ने कहा, हम दलीलों से संतुष्ट हैं। कोर्ट में सभी पहलुओं पर ठोस दलीलें दी गईं।

कौन-कौन रहे सुनवाई के समापन दिन में शामिल

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई में पांच जजों की संविधान पीठ ने आर्टिकल 370 पर सुनवाई की। इसमें पीठ के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल रहे। इस दौरान जजों ने सुनवाई के समापन दिन 370 को बहाल करने के पक्ष में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यंत दवे और अन्य की दलीलें सुनीं।

दुनिया हमें इंडिया नाम से जानती है..', देश का नाम 'भारत' करने की चर्चा पर सीएम ममता बनर्जी ने दिया बयान

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मंगलवार को सवाल किया कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि देश को केवल भारत कहा जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि, इंडिया ही भारत है। 'भारत के राष्ट्रपति' के नाम पर जी20 के रात्रिभोज के निमंत्रण पर विवाद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया इस देश को इंडिया के नाम से ही जानती है।

ममता ने आगे कहा कि, "मैंने सुना है कि INDIA नाम बदला जा रहा है। जी20 का जो निमंत्रण माननीय राष्ट्रपति के नाम से गया था, उस पर भारत लिखा है। हम देश को भारत कहते हैं, इसमें नया क्या है? अंग्रेजी में हम इंडिया कहते हैं, कुछ भी नया करने को नहीं है। दुनिया हमें इंडिया के नाम से ही जानती है। अचानक ऐसा क्या हुआ कि देश का नाम बदलना पड़ गया?" उन्होंने कहा, "देश में इतिहास दोबारा लिखा जा रहा है।"

इसके साथ ही सीएम बनर्जी ने बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर भी हमला किया और आरोप लगाया कि वह राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को रोक रहे हैं। उन्होंने कहा, "राज्यपाल की कार्रवाई राज्य प्रशासन को पंगु बनाने का एक प्रयास है। वह वित्त विधेयकों को रोक नहीं सकते।" उन्होंने कहा, "अगर जरूरत पड़ी तो मैं राजभवन के बाहर धरने पर बैठूंगी।" मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि राज्यपाल राज्य में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "अगर राज्यपाल विश्वविद्यालयों के कामकाज में हस्तक्षेप करना जारी रखेंगे तो हम फंड रोक देंगे।"

भारत में 30 लाख डॉलर निवेश करेगा Amazon, डिटेल में जानिए क्या है ई-कॉमर्स कंपनी का प्लान ?


 ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी अमेज़न ने पूरे भारत में प्रकृति-आधारित परियोजनाओं में 3 मिलियन डॉलर (लगभग 25 करोड़ रुपए) के शुरुआती निवेश की घोषणा की है। यह प्रतिबद्धता एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र में प्रकृति-आधारित पहलों के लिए नामित अमेज़न के 15 मिलियन डॉलर के फंड का हिस्सा है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि, 'फंड के APAC आवंटन से पहला $3 मिलियन भारत में प्रकृति-आधारित परियोजनाओं का समर्थन करेगा। अपने पहले प्रोजेक्ट के लिए, अमेज़ॅन पश्चिमी घाट में समुदायों और संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने के लिए सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज (CWS) के साथ काम करेगा, जो दुनिया की सबसे बड़ी आबादी सहित जंगली एशियाई हाथियों और बाघों समेत भारत की सभी वन्यजीव प्रजातियों के 30 प्रतिशत से अधिक का घर है।  

इस प्रयास के हिस्से के रूप में, अमेज़ॅन "वाइल्ड कार्बन" कार्यक्रम शुरू करने में CWS की सहायता के लिए 1 मिलियन डॉलर का योगदान देगा। इस कार्यक्रम का लक्ष्य 10,000 किसानों को दस लाख फलदार, इमारती लकड़ी और औषधीय पेड़ लगाने और उनका पालन-पोषण करने में सहायता करना है। सस्टेनेबिलिटी के लिए अमेज़ॅन के ग्लोबल वीपी कारा हर्स्ट ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जैव विविधता के नुकसान और भूमि क्षरण से बचाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर और स्थानीय कार्यों में निवेश करने के लिए अमेज़ॅन की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

हर्स्ट ने कहा, "क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए, हमें बड़े पैमाने पर और स्थानीय कार्रवाई दोनों की आवश्यकता होगी - और हम दोनों में निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" बता दें कि, प्रकृति-आधारित परियोजनाओं के लिए $15 मिलियन का आवंटन 2019 में स्थापित अमेज़ॅन के $100 मिलियन राइट नाउ क्लाइमेट फंड से लिया गया है। यह फंड उन पहलों का समर्थन करने के लिए समर्पित है, जो जलवायु लचीलापन बढ़ाते हैं, जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं, और उन समुदायों में सामाजिक और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं जहां अमेज़ॅन संचालित होता है। 

CWS की कार्यकारी निदेशक कृति कारंथ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अमेज़ॅन का समर्थन एक आत्मनिर्भर कार्यक्रम के निर्माण को सक्षम बनाता है। किसानों को उन पेड़ों की किस्मों का चयन करने के लिए अग्रिम सहायता मिलेगी जो उनकी आजीविका और स्थानीय वन्य जीवन को लाभ पहुंचाते हैं। उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन, कृषि वानिकी प्रशिक्षण और असफल पौधों को दोबारा लगाने के लिए सहायता भी प्राप्त होगी। अमेज़ॅन पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी ने 2019 में द क्लाइमेट प्लेज की सह-स्थापना की थी, जिसमें पेरिस समझौते के लक्ष्य से एक दशक पहले, 2040 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने का वादा किया गया था।

इस प्रतिज्ञा पर अब विभिन्न उद्योगों और देशों में 400 से अधिक हस्ताक्षरकर्ता हैं, जिनमें नौ भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। 2022 में, अमेज़ॅन ने अपने शुरुआती 2030 लक्ष्य से पांच साल पहले, 2025 तक अपने वैश्विक परिचालन को 100% नवीकरणीय ऊर्जा के साथ सशक्त बनाने के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, भारत में छह उपयोगिता-स्तरीय परियोजनाएं शुरू कीं। इन परियोजनाओं में पवन-सौर हाइब्रिड और सौर फार्म शामिल हैं, जिनकी संयुक्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 920 मेगावाट है। अमेज़ॅन इंडिया ने अपनी स्थिरता पहल का समर्थन करते हुए 2025 तक अपने डिलीवरी बेड़े में 10,000 इलेक्ट्रिक वाहन तैनात करने की भी प्रतिबद्धता जताई है।

भारत में 30 लाख डॉलर निवेश करेगा Amazon, डिटेल में जानिए क्या है ई-कॉमर्स कंपनी का प्लान ?

 ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी अमेज़न ने पूरे भारत में प्रकृति-आधारित परियोजनाओं में 3 मिलियन डॉलर (लगभग 25 करोड़ रुपए) के शुरुआती निवेश की घोषणा की है। यह प्रतिबद्धता एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र में प्रकृति-आधारित पहलों के लिए नामित अमेज़न के 15 मिलियन डॉलर के फंड का हिस्सा है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि, 'फंड के APAC आवंटन से पहला $3 मिलियन भारत में प्रकृति-आधारित परियोजनाओं का समर्थन करेगा। अपने पहले प्रोजेक्ट के लिए, अमेज़ॅन पश्चिमी घाट में समुदायों और संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने के लिए सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज (CWS) के साथ काम करेगा, जो दुनिया की सबसे बड़ी आबादी सहित जंगली एशियाई हाथियों और बाघों समेत भारत की सभी वन्यजीव प्रजातियों के 30 प्रतिशत से अधिक का घर है।  

इस प्रयास के हिस्से के रूप में, अमेज़ॅन "वाइल्ड कार्बन" कार्यक्रम शुरू करने में CWS की सहायता के लिए 1 मिलियन डॉलर का योगदान देगा। इस कार्यक्रम का लक्ष्य 10,000 किसानों को दस लाख फलदार, इमारती लकड़ी और औषधीय पेड़ लगाने और उनका पालन-पोषण करने में सहायता करना है। सस्टेनेबिलिटी के लिए अमेज़ॅन के ग्लोबल वीपी कारा हर्स्ट ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जैव विविधता के नुकसान और भूमि क्षरण से बचाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर और स्थानीय कार्यों में निवेश करने के लिए अमेज़ॅन की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

हर्स्ट ने कहा, "क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए, हमें बड़े पैमाने पर और स्थानीय कार्रवाई दोनों की आवश्यकता होगी - और हम दोनों में निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" बता दें कि, प्रकृति-आधारित परियोजनाओं के लिए $15 मिलियन का आवंटन 2019 में स्थापित अमेज़ॅन के $100 मिलियन राइट नाउ क्लाइमेट फंड से लिया गया है। यह फंड उन पहलों का समर्थन करने के लिए समर्पित है, जो जलवायु लचीलापन बढ़ाते हैं, जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं, और उन समुदायों में सामाजिक और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं जहां अमेज़ॅन संचालित होता है। 

CWS की कार्यकारी निदेशक कृति कारंथ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अमेज़ॅन का समर्थन एक आत्मनिर्भर कार्यक्रम के निर्माण को सक्षम बनाता है। किसानों को उन पेड़ों की किस्मों का चयन करने के लिए अग्रिम सहायता मिलेगी जो उनकी आजीविका और स्थानीय वन्य जीवन को लाभ पहुंचाते हैं। उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन, कृषि वानिकी प्रशिक्षण और असफल पौधों को दोबारा लगाने के लिए सहायता भी प्राप्त होगी। अमेज़ॅन पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी ने 2019 में द क्लाइमेट प्लेज की सह-स्थापना की थी, जिसमें पेरिस समझौते के लक्ष्य से एक दशक पहले, 2040 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने का वादा किया गया था।

इस प्रतिज्ञा पर अब विभिन्न उद्योगों और देशों में 400 से अधिक हस्ताक्षरकर्ता हैं, जिनमें नौ भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। 2022 में, अमेज़ॅन ने अपने शुरुआती 2030 लक्ष्य से पांच साल पहले, 2025 तक अपने वैश्विक परिचालन को 100% नवीकरणीय ऊर्जा के साथ सशक्त बनाने के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, भारत में छह उपयोगिता-स्तरीय परियोजनाएं शुरू कीं। इन परियोजनाओं में पवन-सौर हाइब्रिड और सौर फार्म शामिल हैं, जिनकी संयुक्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 920 मेगावाट है। अमेज़ॅन इंडिया ने अपनी स्थिरता पहल का समर्थन करते हुए 2025 तक अपने डिलीवरी बेड़े में 10,000 इलेक्ट्रिक वाहन तैनात करने की भी प्रतिबद्धता जताई है।

वीरेन्द्र सहवाग ने भी कि “इंडिया” की जगह “भारत” लिखने की वकालत, जाने बीसीसीआई से की क्या मांग?

#sehwagdemandedtowritebharatonjerseyofindian_team

भारत बनाम इंडिया विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि 18 सितंबर से लेकर 22 सितंबर तक मोदी सरकार द्वारा बुलाए जा रहे संसद के विशेष सत्र में हमारे देश का नाम सिर्फ ‘भारत’ रखने वाला संविधान संशोधन लाया जाएगा, यानी ‘India’ को हटा दिया जाएगा। एक तरफ कांग्रेस, आम आदमी पार्टी से लेकर तृणमूल कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार पर हमलावर है। वहीं इस विवाद में पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीरेन्द्र सहवाग लकी भी एंट्री हो गई है।वीरेंदर सहवाग ने बीसीसीआई से टीम इंडिया की जर्सी पर ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ लिखने की मांग की है।यही नहीं सहवाग ने कहा कि इंडिया नाम अंग्रेजों का दिया हुआ है।

सहवाग ने एक्स पर लिखा, ''मेरा हमेशा से मानना रहा है कि नाम ऐसा होना चाहिए जो हममें गर्व पैदा करे। हम भारतीय हैं, इंडिया अंग्रेजों द्वारा दिया गया एक नाम है और हमारे मूल नाम 'भारत' को आधिकारिक तौर पर वापस पाने में बहुत समय लग गया है। मैं बीसीसीआई और जय शाह से आग्रह करता हूं कि वह सुनिश्चित करें कि इस विश्व कप में हमारे खिलाड़ियों के सीने पर भारत हो।''

सहवाग ने दिए कई उदाहरण

एक अन्य ट्वीट में, सहवाग ने बताया कि कैसे नीदरलैंड ने 1996 वनडे वर्ल्ड कप के लिए अपने आधिकारिक नाम के रूप में ‘हॉलैंड’ का इस्तेमाल किया था और बर्मा ने भी वापस अपना नाम म्यांमार कर दिया था। उन्होंने लिखा, “1996 के वर्ल्ड कप में, नीदरलैंड भारत में वर्ल्ड कप में हॉलैंड के रूप में खेलने आया था। 2003 में जब हम उनसे मिले, तब वे नीदरलैंड थे और अब भी वही हैं। बर्मा ने अंग्रेजों द्वारा दिया गया नाम वापस बदलकर म्यांमार कर दिया है। और कई अन्य लोग अपने मूल नाम पर वापस चले गए हैं।

अमिताभ ने भी किया “भारत” का समर्थन

इसी तरह अमिताभ बच्चन ने भी अपनी ‘T 4759’ नामक ट्वीट में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा वाला इमोजी लगाया और लिखा, “भारत माता की जय।” इससे ये अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि अमिताभ बच्चन भी देश का नाम सिर्फ ‘भारत’ रखे जाने और ‘India’ हटाए जाने से खुश हैं।

दिल्ली में रिकॉर्ड तोड़ रही गर्मी, 123 साल में दूसरा सबसे गर्म दिन रहा सोमवार, सितंबर में भी पारा 40 के पार*

#4septemberwassecondmosthottestdayindelhi

इस साल बारिश का रूख बेरूखी भरा रहा। भले ही जुलाई में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश ने तबाही मचाई, लेकिन देश का अधिकांश हिस्सा शुष्क रहा। अब सितंबर शुरू हो चुका है, लेकिन गर्मी है कि अब भी जाने का नाम नहीं ले रही है।देश की राजधानी दिल्ली में सितंबर माह में गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सोमवार को दिल्ली में रिकॉर्ड गर्मी दर्ज की गई है। सोमवार को पारा 40.1 डिग्री पहुंच गया। सोमवार को सितंबर माह में 123 वर्ष में दूसरी बार सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया है। 

सामान्य से 6 डिग्री अधिक तापमान

सोमवार को राजधानी का अधिकतम तापमान 40.1 डिग्री रहा। यह सामान्य से 6 डिग्री अधिक है। वहीं, न्यूनतम तापमान 26.3 डिग्री रहा। यह सामान्य से एक डिग्री अधिक है। हवा में नमी का स्तर 39 से 86 प्रतिशत रहा। अगस्त में भी किसी दिन पारा 40 डिग्री नहीं पहुंचा। 

रिकॉर्ड तोड़ रही गर्मी की वजह

रिकॉर्ड तोड़ रही इस गर्मी की वजह बारिश न होना और वेस्टर्न डिस्टरबेंस से पहले हवाओं में हुए बदलाव को माना जा रहा है। इस वजह से राजधानी में गर्मी बढ़ गई है। मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार को तापमान दो से तीन डिग्री कम होने की संभावना है। शाम को बूंदाबांदी का अनुमान भी है। इसके बाद 6 सितंबर से तापमान 35 डिग्री तक रह सकता है।

*उदयनिधि स्टालिन को आचार्य परमहंस की धमकी पर भड़के प्रियंक खड़गे, कहा-आपमें और कट्टरपंथियों में क्या अंतर*

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन की ओर से सनातन धर्म पर दिए विवादित बयान पर बवाल बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ बीजेपी नेताओं की तरफ से उदयनिधि के बयान पर बीजेपी हमलावर है, वहीं दूसरी तरफ अयोध्या के संत जगतगुरु परमहंस आचार्य ने उदयनिधि का सिर कलम कर लाने पर इनाम की घोषणा की है।संत परमहंस आचार्य ने उदयनिधि स्टालिन का सिर कलम करने पर 10 करोड़ रुपये का इनाम देने का एलान किया है। इसपर कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने आपत्ति जाहिर की है।

अयोध्या के संत परमहंस आचार्य की जान से मारने वाली धमकी के बाद कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खड़गे ने कहा कि अगर ऐसे किसी को जान से मारने की धमकी देते रहेंगे, तो उनमें और दूसरे कट्टरपंथियों में क्या फर्क रह जाएगा।

प्रियांक खरगे ने कहा कि भारत की यही खूबसूरती है कि यहां हर किसी को हर मुद्दे पर बोलने की आजादी है। लेकिन फिर भी लोगों की भावनाओं को देखना चाहिए। अगर आप जान से मारने की धमकी देने जा रहे हैं या कुछ भी कहने वाले पर 10 करोड़ रुपये का इनाम रखेंगे तो आपमें और अन्य कट्टरपंथियों में क्या अंतर है? उन्होंने कहा कि मैं बस यही कहना चाहता हूं कि क्या उनका धर्म दया और समानता नहीं सिखाता।

डेंगू और मलेरिया से की थी सनातन धर्म की तुलना

उदयनिधि ने एक सभा के दौरान सनातन धर्म पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया से की थी। उन्होंने कहा था, कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जाता है, बल्कि उन्हें जड़ से खत्म किया जाता है। सनातन धर्म भी ऐसा ही है, जिसका विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे जड़ से खत्म करना चाहिए।

क्या कहा था उदयनिधि ने

उदयनिधि के सनातन धर्म वाले बयान के बाद से ही वह विवादों में घिरे हुए हैं। भाजपा, हिन्दू संगठन और साधु-संतों ने उनके बयान का कड़ा विरोध किया है। इसी बीच, अयोध्या में तपस्वी छावनी मंदिर के मुख्य पुजारी परमहंस आचार्य ने सोमवार को कहा जो कोई भी स्टालिन का सिर कलम करके, मुझे लाकर देगा, मैं उसे 10 करोड़ रुपये का इनाम दूंगा। अगर किसी में स्टालिन को मारने की हिम्मत नहीं है तो मैं खुद उसे ढूंढकर उसे मार डालूंगा।