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चांद के बाद इसरो ने किया सूरज का रूख, श्रीहरिकोटा से आदित्य L1 की लॉन्चिंग आज, पूरे देश में किए जा रहे हवन और यज्ञ

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चंद्रयान-3 की सफलता के कुछ दिन बाद भारत शनिवार को अपने पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ को लॉन्च करेगा। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो आज 11.50 बजे आदित्य एल1 सैटेलाइट को लॉन्च करेगा। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्चिंग होगी। आदित्य एल1 लॉन्च होने के 4 महीने बाद अपनी जगह पर पहुंचेगा। आदित्य एल 1 की लॉन्चिंग देखने बड़ी संख्या में लोग श्रीहरिकोटा पहुंच रहे हैं।वहीं दूसरी ओर आदित्य एल 1 की सफल लॉन्चिंग के लिए देशभर में लोग प्रार्थना कर रहे हैं।

पीएसएलवी रॉकेट की मदद से आदित्य एल1 अपने डेस्टिनेशन के लिए उड़ान भरेगा। मिशन की लॉन्चिंग के लिए पीएसएलवी रॉकेट के एक्सएल वर्जन का इस्तेमाल किया जाएगा। आदित्य एल 1 को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर (930,000 मील) दूर अंतरिक्ष के एक क्षेत्र में लैंग्रेज बिंदु-1 पर स्थापित किया जाएगा। यहां से भारत लगातार सूरज पर नजर रख सकेगा। ये सोलर एक्टिविटी अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करेगा।

ऐसे चलेगा मिशन

इसरो का पीएसएलवी-सी 57 रॉकेट आदित्य-एल 1 को धरती की निचली ऑर्बिट में पहुंचाएगा। फिर इस मिशन की ऑर्बिट को ज्यादा वलयाकार बनाया जाएगा और फिर ऑन-बोर्ड प्रपल्शन के जरिये इसे एल 1 पॉइंट की ओर धकेला जाएगा। चार-पांच बार ऑर्बिट में उछाल के बाद एल1 की ओर बढ़ते हुए यह मिशन पृथ्वी के गुरुत्व बल के दायरे से बाहर चला जाएगा। इसके बाद क्रूज फेज शुरू होगा और यान एल1 के इर्दगिर्द बड़े हालो ऑर्बिट में पहुंचेगा। यह सबसे मुश्किल फेज़ है, क्योंकि यहां गति को कंट्रोल नहीं किया गया तो यह सीधे सूर्य की ओर चला जाएगा और खाक हो जाएगा। 

डेस्टिनेशन तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे

सूर्य मिशन को अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे। आदित्य-एल1 पेलोड कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, गतिशीलता और अंतरिक्ष मौसम की समस्याओं को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी देगा।

रोज 1,440 फोटो भेजेगा

आदित्य-L1 मिशन ऑब्जर्वेटरी क्लास मिशन है। यह पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित ऑब्जर्वेटरी (वेधशाला) होगी। अभी तक हम सूरज की स्टडी धरती पर लगाई दूरबीनों से कर रहे हैं। ये दूरबीनें कोडईकनाल या नैनीताल के ARIES जैसी जगहों पर लगी हैं, लेकिन हमारे पास स्पेस में टेलीस्कोप नहीं हैं। धरती की दूरबीन से हम सूरज की दिख रही सतह ही देख पाते हैं, सूरज का ऐटमॉस्फियर नहीं दिखता, जो धरती के वातावरण से काफी अलग है। सूरज के आउटर ऐटमॉस्फियर को कोरोना कहा जाता है। वह बेहद गर्म होता है। कोरोना गर्म क्यों होता है, इसकी इसकी पूरी जानकारी नहीं है। कोरोना को पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान ही देखा जा सकता है। अब हम कोरोनाग्राफ जैसा एक टेलिस्कोप VELC इस मिशन के साथ भेज रहे हैं, जो कोरोना पर 24 घंटे निगाह रखेगा और ग्राउंड स्टेशन पर रोज 1,440 फोटो भेजेगा।

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक बोले- यह बहुत चुनौतीपूर्ण

आदित्य एल-1 मिशन पर पद्म श्री से सम्मानित और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मायलस्वामी अन्नादुराई ने कहा कि एल-1 बिंदु तक पहुंचना, उसके चारों ओर एक कक्षा बनाना और बहुत सटीक खोज आवश्यकताओं के साथ पांच वर्षों तक जीवित रहना तकनीकी रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण है। यह वैज्ञानिक रूप से फायदेमंद होने वाला है, क्योंकि सात उपकरण वहां जो हो रहा है उसकी गतिशीलता और घटनाओं को समझने की कोशिश करेंगे।

आदित्य-L1 मिशन के लॉन्च से पहले मंदिर में पहुंचे इसरो चीफ एस सोमनाथ, बोले- जल्द करेंगे चंद्रयान-4 की घोषणा

डेस्क: चंद्रमा पर फतह हासिल करने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब सूर्य मिशन की ओर बढ़ रहा है। आदित्य-L1 नाम का ये सूर्य मिशन श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से लॉन्च होने वाला है। इस मिशन का काउंटडाउन शुरू हो चुका है और इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 2 सितंबर सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा। मिशन के लॉन्च होने से पहले इसरो प्रमुख एस सोमनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंचे और इसरो के आगामी मिशन के बारे में जानकारी दी।

पूरी हो गई तैयारी

लॉन्च से पहले तिरूपति जिले के चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचे इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने आदित्य L1 के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, "आज से आदित्य L1 का काउंटडाउन शुरू हो रहा है और यह कल सुबह 11.50 बजे के आसपास लॉन्च होगा। आदित्य L1 उपग्रह सूर्य का अध्ययन करने के लिए है। L1 बिंदु तक पहुंचने में इसे 125 दिन लगेंगे। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण लॉन्च है।

चंद्रयान-4 की घोषणा जल्द

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने आदित्य L1 के अलावा भारत के आगामी अंतरिक्ष मिशन के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारा अगला प्रक्षेपण गगनयान अक्टूबर के पहले सप्ताह तक होगा। उन्होंने कहा कि हमने अभी तक चंद्रयान-4 को लेकर फैसला नहीं किया है, हम जल्द ही इसकी घोषणा करेंगे।

बेगूसराय में सड़क हादसे में महिला की मौत

बेगूसराय में तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने एक महिला को कुचल दिया। जिससे महिला की घटनास्थल पर ही दर्दनाक मौत हो गई। घटना के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। मामला बीरपुर थाना क्षेत्र के असुरारी स्थित सुल्तानपुर टोला की है।

मृत महिला की पहचान बीरपुर थाना क्षेत्र के सहूरी गांव के रहने वाले शंकर पासवान की पत्नी रीता देवी के रूप में की गई है। परिजनों ने बताया कि मृतक रीता अपने माएके असुरारी जा रही थी। तभी रास्ते में ही तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने रीता देवी को कुचल दिया।

परिजनों ने बताया कि काफी देर तक वह घर वापस नहीं लौटी तो उसे ढूंढने के लिए गए तो पता चला कि सड़क दुर्घटना में रीता देवी की मौत हुई है। घटना की सूचना वीरपुर थाना पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची बीरपुर थाने की पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बेगूसराय सदर अस्पताल भेज दिया और आगे की कार्रवाई में जुटी हुई है। इस घटना के बाद परिजनों में कोहराम मच गया।

बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट

122 साल बाद अगस्त में पड़ी इतनी भीषण गर्मी, जानिए सितंबर महीने में कैसा रहेगा मौसम का हाल

डेस्क: अगस्त महीने के दौरान उत्तर भारत में गर्मी ने जमकर तांडव मचाया। कई जगह तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के भी पार चला गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार देश ने इतिहास में सबसे गर्म और शुष्क अगस्त का अनुभव किया है। इस साल के अगस्त महीने में 1901 के बाद से सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह चिंताजनक प्रवृत्ति जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को उजागर करती है, जिससे मौसम संबंधी आपदाएं हो रही हैं।

अगस्त 2023 में औसत अधिकतम तापमान 35.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो सामान्य से 1.2 डिग्री अधिक था। दिल्ली के सफदरजंग मौसम केंद्र में अगस्त में इससे अधिक औसत अधिकतम तापमान 2014 में देखा गया था, जब यह 36.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। बारिश नहीं होने के कारण अगस्त कम से कम 14 वर्षों में दूसरा सबसे शुष्क वर्ष बन गया। राष्ट्रीय राजधानी के बेस स्टेशन सफदरजंग में 61 प्रतिशत की वर्षा की कमी हुई, इसमें सामान्य 233.1 मिमी की तुलना में केवल 91.8 मिमी वर्षा दर्ज की गई।

14 साल बाद इतनी कम हुई बारिश 

जबकि, अगस्त 2022 केवल 41.6 मिमी वर्षा के साथ 14 वर्षों में सबसे शुष्क था, इस बार का अगस्त महीना उसी समय सीमा में दूसरा सबसे शुष्क वर्ष रहा। 21 अगस्त को एक दिन का उच्चतम तापमान 38.1 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया, जबकि महीने का औसत न्यूनतम तापमान 26.77 डिग्री सेल्सियस रहा। 31 अगस्त को तापमान सामान्य से ऊपर रहा, जो अधिकतम 36.8 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 25.9 डिग्री सेल्सियस था।

सितंबर में कैसा रहेगा मौसम 

आईएमडी का कहना है कि सितंबर में कुछ राहत की उम्मीद है। इस महीने पूरे देश में मानसूनी वर्षा की गतिविधि सामान्य स्तर पर लौटने की उम्मीद है। लेकिन, आईएमडी ने सितंबर के लिए भी तापमान सामान्य से ऊपर रहने का पूर्वानुमान जताया है। मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ने बताया है कि 1 सितंबर को दिल्ली में अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा, जबकि न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह सकता है। सितंबर में दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत और पश्चिम-मध्य भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है।

अब एनसीईआरटी दे सकेगी स्वयं की ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्टरेट डिग्री, मिलेगा डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा

डेस्क: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को घोषणा की है कि नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। मंत्री ने एनसीईआरटी के 63वें स्थापना दिवस पर अपने संबोधन के दौरान यह घोषणा की। मंत्री ने नई दिल्ली में आयोजित एनसीईआरटी के 63वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम में यह घोषणा की है। 

संबोधन के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल एंड ट्रेनिंग को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "आज मैं घोषणा करना चाहता हूं कि हम एनसीईआरटी को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दे रहे हैं।" साथ ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने "बच्चों को समग्र शिक्षा प्रदान करने" के लिए बाल भवनों और बाल वाटिका को एनसीईआरटी के साथ विलय करने का भी आह्वान किया। 

कैसे घोषित होती है डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी?

बता दें कि स्कूली शिक्षा के मामले में सरकार को सहायता और सलाह देने के लिए एनसीईआरटी की स्थापना 1961 में सोसायटी अधिनियम के तहत की गई थी। अधिनियम की मानें तो विश्वविद्यालयों के अलावा, पढ़ाई के किसी विशिष्ट क्षेत्र में बहुत हाई स्टैंडर्ड पर काम करने वाले हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशनल को यूजीसी की सलाह पर केंद्र सरकार द्वारा 'डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी' संस्थान घोषित किया जा सकता है। 

जो संस्थान 'डीम्ड यूनिवर्सिटी' हैं, उन्हें भी यूनिवर्सिटी जैसे ही शैक्षणिक स्थिति और विशेषाधिकारों मिलते हैं। डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के साथ, एनसीईआरटी अपनी स्वयं की ग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और डॉक्टरेट डिग्री देगी।

"चंद्रयान-3 और नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के बीच समानता"

धर्मेंद्र प्रधान ने 3 लैब का उद्घाटन किया जिसमें एक वर्चुअल रिएलिटी एजुकेएशन और दूसरी टीचर ट्रेनिंग सेंटर शामिल है। अपने संबोधन के दौरान शिक्षा मंत्री ने चंद्रयान-3 और नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के बीच समानताएं बताईं और कहा कि नई शिक्षा नीति हालिया इसरो प्रोजेक्ट जितनी ही सफल होगी। प्रधान ने आगे कहा, "चंद्रयान-3 के सफल संचालन का श्रेय एनसीईआरटी को भी जाना चाहिए क्योंकि यहीं से ऐसे प्रोजेक्ट का विचार पनपता है।" “एनईपी चंद्रयान-3 की तरह है। यह सफल होगा। इसे कोई नहीं रोक सकता''

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की श्रीलंका यात्रा से डगमग होने वाली है चीनी जासूसी की शातिर चाल

डेस्क: श्रीलंका के बंदरगाहों पर अपने जासूसी और युद्धक पोतों को भेजकर भारत की जासूसी करने वाले चीन की चाल अब विफल होने वाली है। श्रीलंका को कर्ज के एहसान तले दबाकर चीन ने सिर्फ इस देश की सुरक्षा में सेंध लगाई, बल्कि इस बहाने भारती सुरक्षा क्षेत्र में भी जासूसी का प्रयास किया। भारत की कड़ी आपत्तियों के बाद श्रीलंका जब चीन का खेल समझ गया तो उसके दायरे को सीमित कर दिया। अब श्रीलंका अपने असली मित्र भारत के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा है। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की 2-3 सितंबर को होने वाली दो दिवसीय श्रीलंका यात्रा पर जा रहे हैं। इससे चीन बौखला गया है। 

दोनों देशों के बीच मित्रता का मजबूत बंधन बनाने में महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सिंह श्रीलंका की यात्रा के दौरान पड़ोसी देश के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणावर्द्धने से बातचीत करेंगे। विक्रमसिंघे श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय का कामकाज भी देख रहे हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन बैठकों में दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों के संपूर्ण आयाम की समीक्षा की जाएगी। बयान के अनुसार राजनाथ सिंह मध्य श्रीलंका में स्थित नुवरा एलिया और पूर्वी हिस्से में स्थित त्रिंकोमाली का दौरा भी करेंगे। मंत्रालय के अनुसार, ‘‘राजनाथ सिंह की यात्रा में श्रीलंका के साथ मौजूदा दोस्ताना संबंधों को विस्तार देने की भारत की सतत प्रतिबद्धता को दोहराया जाएगा।’’

श्रीलंका पर दबाव बढ़ाना चाह रहा था चीन

श्रीलंका पर प्रभाव बढ़ाने की चीन की कोशिशों को लेकर चिंताओं के बीच भारत द्वीपीय देश के साथ समग्र रणनीतिक संबंधों का विस्तार कर रहा है। पिछले साल अगस्त में हम्बनटोटा बंदरगाह पर चीनी मिसाइल और उपग्रह निगरानी जहाज ‘युआन वांग’ को खड़ा किये जाने के बाद भारत और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक तनाव पैदा हो गया था। एक और चीनी युद्धपोत पिछले महीने कोलंबो बंदरगाह पर पहुंचा था। वहीं, भारत ने पिछले साल अगस्त में श्रीलंका को एक डॉर्नियर समुद्री निगरानी विमान सौंपा था। श्रीलंका की तत्काल सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय नौसेना के बेड़े से विमान दिया गया था।

भारत स्वदेश निर्मित अपतटीय गश्ती वाहन (ओपीवी) देने समेत श्रीलंका के रक्षा बलों के अनेक क्षमता निर्माण उपायों का समर्थन कर रहा है। श्रीलंकाई राष्ट्रपति विक्रमसिंघे जुलाई में भारत यात्रा पर आये थे और इस दौरान दोनों पक्षों ने अपने रक्षा और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने का संकल्प व्यक्त किया था। श्रीलंका में पिछले साल गंभीर आर्थिक संकट पैदा होने के बाद से यह किसी श्रीलंकाई नेता की पहली भारत यात्रा थी। (भाषा)

*I.N.D.I.A की बैठक के बाद बोले राहुल गांधी, 'गठबंधन के सभी दलों ने मिलकर सुलझाए अपने मतभेद’

डेस्क: मुंबई में I.N.D.I.A गठबंधन की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में हमारे गठबंधन को हराना बीजेपी के के लिए असम्भव है। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गरीबों से उनका पैसा छिनकर कुछ चुनिंदा लोगों को दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन में शामिल सभी दलों ने अपने आपसी मतभेद सुलझा लिए हैं और हम सभी अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराकर इसे देश और संविधान की रक्षा करने के लिए तैयार हैं।

 गठबंधन में शामिल नेता देश की 60 प्रतिशत से ज्यादा जनता के के नेता- राहुल गांधी 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि गठबंधन में शामिल नेता देश की 60 प्रतिशत से ज्यादा जनता के के नेता हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम सभी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ें तो अगले चुनाव में बीजेपी को हराकर सत्ता से बाहर कर सकते हैं। बकौल राहुल गांधी इस मीटिंग के बाद जो सह-समन्वयक समिति बनी है वह हमें और भी ज्यादा मजबूत बनाएगी। राहुल गांधी ने कहा कि हम सीटों के बंटवारे पर जल्द ही बात करना शुरू करेंगे और आपसी समझौते से चुनाव क्षेत्र को तय कर लेंगे।

देश के प्रधानमंत्री और एक व्यापारी के रिश्ते के बारे में सबको मालूम- राहुल गांधी 

इस प्रेस कांफ्रेंस में भी कांग्रेस नेता ने अप्रत्यक्ष रूप से अडानी मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री और एक व्यापारी के रिश्ते के बारे में सबको मालूम है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और भाजपा भ्रष्टाचार के गठजोड़ हैं और यही पहली चीज है जिसे I.N.D.I.A गठबंधन प्रदर्शित और साबित करेगा। पीएम मोदी की सरकार के पीछे का विचार गरीबों से पैसा निकालकर कुछ सीमित लोगों तक पहुंचाना है।

गूगल ने भारत के लिए लॉन्च किया AI सर्च टूल, हिन्दी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में करेगा काम

डेस्क: ओपन एआई के चैटजीपीटी आने के बाद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जमकर चर्चा हो रही है। पर्सनल लाइफ से लेकर प्रोफेशनल लाइफ तक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में कई AI टूल को लॉन्च किया गया है। अब गूगल ने भारतीय यूजर्स के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित एक बड़ा कदम उठाया है। गूगल ने भारतीयों के लिए AI सर्च टूल लॉन्च किया है। यह AI टूल सर्च के साथ यूजर्स को प्रॉम्प्ट में टेक्स्ट या विजुअल रिजल्ट शो करेगा।

गूगल ने भारत से पहले जापान के यूजर्स के लिए जेनेरेटिव आर्टिफिशियल टूल लॉन्च किया था। गूगल के इस AI टूल को क्रोम डेस्कटॉप के साथ साथ एंड्रॉयड और आईओएस पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। गूगल का यह एआई टूल कई बेहतरीन फीचर्स के साथ आने वाला है जो यूजर्स के सर्च एक्सपीरियंस को पूरी तरह से बदल देगा। गूगल ने अपने इस AI सर्च टूल को सबसे पहले अमेरिका में लॉन्च किया था। 

गूगल की मानें तो इस AI सर्च टूल की मदद से अगर आप किसी बड़े टॉपिक को सर्च करते है तो यह फीचर आपको उस आर्टिकल के महत्वपूर्ण प्वाइंट को शो करेगा। गूगल के इस नए फीचर को गूगल सर्च के “explore on the page” से में जाकर एक्सेस किया जा सकता है।

गूगल का नया AI Search Tool और चैटबॉट Bard दोनों ही पूरी तरह से अलग अलग टूल्स हैं। अगर आप गूगल बार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो आपको सिर्फ टेक्स्ट में जानकारी मिलेगी जबकि वहीं गूगल एआई टूल की मदद से रिलेटेड टॉपिक पर वीडियो और फोटो भी देखने को मिलेंगे। सर्च एक्सपीरियंस में यह यूजर्स के लिए पूरी तरह से एक नया एक्सपीरियंस होने वाला है।

आपको बता दें कि इस AI सर्च टूल से यूजर फॉलोअप क्वेश्चन भी पूछ सकते हैं। इतना ही नहीं यह एआई टूल यूजर को उसके द्वारा सर्च किए गए टॉपिक से रिलेटेड कई तरह के दूसरे सवाल भी देता है। इन सवालों को चुन कर आप अपने और AI बीच कनवर्सेशन्स को बढ़ा सकते हैं।

I.N.D.I.A की प्रेस कॉन्फ्रेंस में खरगे ने पीएम पर साधा निशाना, कहा– 'मोदी हमेशा गरीबों के खिलाफ काम करते हैं'

डेस्क: विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की तीसरी बैठक आज मुंबई में पूरी हो गई है। इस बैठक गठबंधन के लिए कमेटी समेत कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। जिसके बारे में प्रेस कान्फ्रेंस के माध्यम से जानकारी दी गई है। आइए जानते हैं बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में...

सभी दल मौजूद नहीं

बता दें कि I.N.D.I.A आलायंस की प्रेस कॉन्फ्रेंसमें सभी 28 दलों के नेता मौजूद नहीं हैं और इस बारे में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पहले ही सफाई दे दी थी। रमेश ने कहा था कि इसके बारे में कोई गलतफहमी न हो इसलिए पहले ही बता दे रहे हैं कि आयोजनकर्ता ने कहा है कि कुछ नेताओं की 04:30 बजे फ्लाइट है इसलिए वे एयरपोर्ट निकल गए हैं। कांग्रेस के अलावा महा विकास अघाडी ने भी कहा था कि I.N.D.I.A आलायंस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी नेता मौजूद नहीं रहेंगे।

कोर्डिनेशन कमेटी की घोषणा

शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने 14 सदस्यीय समन्वय समिति(कोर्डिनेशन कमेटी) के नामों की घोषणा की - केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस), शरद पवार (एनसीपी), टीआर बालू (डीएमके), हेमंत सोरेन (जेएमएम), संजय राउत (शिवसेना-उद्धव गुट) , तेजस्वी यादव (राजद), अभिषेक बनर्जी (टीएमसी), राघव चड्ढा (AAP), जावेद अली खान (सपा), ललन सिंह (जेडीयू), डी राजा (CPI), उमर अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेसंस), महबूबा मुफ्ती (पीडीपी), CPI (M) से एक और सदस्य की भी घोषणा की जाएगी।

सितंबर के दूसरे हफ्ते से रैली

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन ने देशभर में संयुक्त रैलियां आयोजित करने का फैसला किया है। अलायंस ने बताया कि सितंबर के दूसरे हफ्ते से देशभर में रैलियां आयोजित की जाएंगी। इसके अलावा सीट शेयरिंग पर भी जल्द ही फैसला होगा।

क्या बोले खरगे?

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा- "सभी दलों ने इस बैठक को अच्छे ढंग से आयोजित किया। पहले मेरे आवास पर बातचीत के दौरान गठबंधन के लिए एक रूपरेखा तैयार की गई थी। पटना की बैठक में एक एजेंडा तय किया गया था और अब मुंबई में सभी ने एक-दूसरे के सामने अपनी बात रखी है। सभी का एक ही लक्ष्य है कि कैसे बेरोजगारी और बढ़ती ईंधन और एलपीजी सिलेंडर की कीमतों से लड़ा जाए।" खरगे ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले सरकार चीजों की कीमत बढ़ाती है और फिर उसमें थोड़ी कमी कर देती है। मोदी जी गरीबों के लिए कभी काम नहीं कर सकते। खरगे ने कहा कि सरकार ने बिना किसी से पूछे संसद का विशेष सत्र बुलाया है। ये देश चलाने का तरीका नहीं है। हम धीरे-धीरे तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं।

तीन प्रस्ताव पास

शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने बताया कि गठबंधन ने आज तीन प्रस्ताव पास किए। एक कि जहां तक ​​संभव हो सके आगामी लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने का संकल्प लेते हैं। विभिन्न राज्यों में सीट-बंटवारे की व्यवस्था जल्द से जल्द शुरू की जाएगी। दूसरा, हम सभी दल सार्वजनिक चिंता और महत्व के मुद्दों पर देश के विभिन्न हिस्सों में जल्द से जल्द सार्वजनिक रैलियां आयोजित करने का संकल्प लेते हैं। तीसरा विभिन्न भाषाओं में 'जुडेगा भारत, जीतेगा इंडिया' की थीम पर हमारी संबंधित संचार और मीडिया प्रचार और कैंपेनिंग की जाएगी।

'वन नेशन, वन इलेक्शन' क्या है, जानिए इसके फायदे और चुनौतियां?

डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समय-समय पर अपने संबोधनों में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' चर्चा करते रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने इस व्यवस्था को देश की जरूरत भी बताया है। अब इसी दिशा में सरकार ने अपना कदम बढ़ा दिया है। केंद्र सरकार की ओर से 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर एक कमिटी का गठन किया गया है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया है। इस संबंध में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आज पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात भी की है। 

वहीं सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र भी बुलाया है। इस सत्र में कुल पांच बैठकें होंगी। माना जा रहा है कि सरकार संसद के विशेष सत्र में वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव ला सकती है। अब यहां हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर 'वन नेशन, वन इलेक्शन' क्या है? इसके फायदे क्या हैं और चुनौतियां क्या हैं।

'वन नेशन, वन इलेक्शन' क्या है?

वन नेशन, वन इलेक्शन जैसा कि नाम से ही जाहिर है- एक देश के लिए एक चुनाव। इसका मतलब है कि देश में होनेवाले सभी चुनाव एक साथ होंगे। अब तक ये चुनाव अलग-अलग होते रहे हैं। कभी लोकसभा का चुनाव... तो कभी विधानसभा चुनाव.. देश में हर कुछ महीने पर कहीं न कहीं.. किसी न किसी हिस्से में कोई चुनाव होता रहता है। इन हालातों से निपटने के लिए ही वन नेशन, वन इलेक्शन का कॉन्सेप्ट सामने आया और इस पर चर्चा शुरू हुई है। अब पहली बार इस मुद्दे पर सरकार की ओर से कदम आगे बढ़ाने की कोशिश की गई है।

इसके क्या फायदे होंगे ? 

यूं तो इसके कई फायदे गिनाए जाते हैं। राजनीतिक विश्लेषक हर्षवर्धन त्रिपाठी का मानना है कि वन नेशन, वन इलेक्शन आज देश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इससे बड़े पैमाने पर होने वाले खर्च को तो बचाया ही जा सकता है साथ ही अगर देश में विकास की रफ्तार और सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखना है तो 'वन नेशन, वन इलेक्शन' जरूरी है। उन्होंने कहा कि हर कुछ महीने के बाद देश में कहीं न कहीं चुनाव होता ही हैं। चुनाव के समय सबसे ज्यादा आपसी झगड़े भी होते हैं। सांप्रदायिक तनाव की स्थितियां भी देखी जाती हैं। चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद विकास के कामों पर भी असर पड़ता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती है तो ऐसी स्थिति में क्या विकल्प होगा,इसका रास्ता भी निकालना होगा।

पैसों की बर्बादी बचेगी

इसके लागू होने से देश में चुनावों पर हर साल होनेवाले भारी भरकम खर्च से बचा जा सकता है। साथ ही चुनाव की व्यवस्था में बड़े पैमाने पर मैन पावर का भी इस्तेमाल किया जाता है। विभिन्न विभागों में तैनात इन कर्मचारियों को अपने मूल काम को छोड़कर चुनाव के इंतजाम में जुटना पड़ता है। बार-बार चुनाव होने से विभिन्न विभागों का काम भी लंबित होता है जिसका असर विकास पर पड़ता है। 

विकास में गतिरोध नहीं

चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। ऐसी स्थिति में विकास के नए कामों नहीं हो पाते हैं। सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं ले पाती है और विभिन्न योजाओं को लागू करने में परेशानियां आती हैं। देश में बार-बार होनेवाले चुनाव से विकास के कार्य बुरी तरह प्रभावित होते हैं। एक चुनाव खत्म होते ही फिर दूसरा चुनाव आ जाता है। इन्हीं हालातों से बचने के लिए वन नेशन वन इलेक्शन की चर्चा शुरू हुई थी।

क्या हैं चुनौतियां

लॉ कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक वन नेशन वन इलेक्शन के लिए कानून में संशोधन करने की जरूरत होगी। रीप्रेजेंटेशन ऑफ दी पुपुल एक्ट 1951 के प्रावधानों में भी संशोधन करना होगा ताकि उपचुनावों को साथ में कराया जा सके। इसके लिए सभी दलों को एक मंच पर लाना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके खिलाफ एक तर्क यह भी बताया जाता है कि इससे राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के बीच मतभेद बढ़ सकता है। क्योंकि वन नेशन वन इलेक्शन से राष्ट्रीय पार्टियों को फायदा पहुंच सकता है जबकि छोटे दलों को नुकसान हो सकता है। 

पहले भी एकसाथ हो चुके हैं चुनाव

ऐसा नहीं है कि देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ नहीं हुए। वर्ष 1951-52, 1957,1962 और 1967 में देश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हुए थे। हालांकि 1968 और 1969 में कुछ विधानसभा और 1970 में लोकसभा भंग होने के बाद हालात बदले। बाद के दिनों में ज्यादातर चुनाव अलग-अलग समय पर ही हुए और पहले जैसी एकरूपता नहीं रह गई। हालांकि पूर्व में चुनाव आयोग और विधि आयोग की तरफ से भी वन नेशन वन इलेक्शन का जिक्र किया गया है। लेकिन इस पर राजनीतिक दलों के बीच आम राय कायम करने की गंभीर कोशिश नहीं हुई।