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पूर्णिया के नगर प्रखंड के 4 पंचायत के 12 गांवों में घूसा कोसी नदी का पानी, जन-जीवन अस्त-व्यस्त

पूर्णिया : बीते रविवार से रुक रुक कर हो रही मूसलाधार बारिश के कारण गुरुवार शाम पूर्णिया के केनगर प्रखंड के 4 पंचायत के 12 गांवों में कोसी नदी का पानी घुस गया। 

कनगर के पंचायत राज बनभाग चूनापुर, परोरा, गणेशपुर, बिठनौली पूर्व, बिठनौली पश्चिम, गोकुलपुर, काझा जैसे गांव में न सिर्फ ग्रामीण सड़क बल्कि सैकड़ों घरों में घुटने भर पानी के प्रवेश कर जाने से गांव में तालाब जैसी स्थिति बन गई है। इससे ग्रामीण जनजीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया है। 

हालात ऐसे हैं कि लोगों का अपने घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। ग्रामीण बच्चों को लेकर काफी सहमे हुए हैं। गांव में घुटने भर पानी प्रवेश कर जाने से बच्चों के डूबने का खतरा बढ़ गया है। 

बारिश से किसानों के खेत में लगे धान की फसल बर्बाद हो गए हैं। धान की फसले बारिश के पानी में डूबने से किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। 

किसानों का कहना है कि पहले तो सूर्य की तेज तपिश से धान की फसल खेत मे सूखने लगी। उसे किसी तरह सिंचाई कर बचाया गया। अब रविवार से गुरुवार शाम तक हुई बारिश ने धान की फसल हो बर्बाद कर दिया है। 

 

बारिश से बढ़े कोसी नदी का पानी इन गांवों में प्रवेश कर जाने से

सैकड़ों घरों में पानी घूस गया है। बनभाग परोरा पंचायत के दर्जनों घर पानी में डूब गए हैं। लोग सड़कों व रेलवे की पटरी पर शरण लिए हुए हैं और पानी के कम होने का इन्तेजार कर रहे हैं। 

जिला परिषद सदस्य देशबंधु कुमार उर्फ बूलबूल ने बताया कि घर में पानी घूस जाने के कारण भोजन भी नहीं बन पा रहा है। लोग मुढी़ चूडा़ खाकर अपनी जान बचाने को विवश है। परोरा में हुए नाला का निर्माण पानी निकासी के लिए कराया गया है वो खुद जलजमाव की समस्या का मुख्य कारण बन गया है। निर्माण कार्य में लगे संवेदक ने अपने फायदे को देखते हुए नाला का निर्माण किया है। जिस कार्य योजना के तहत नाले को पानी की निकासी के लिए नहर से जोडा़ गया है। उसी नहर से पानी उल्टे नाले के रास्ते घरों में घूस रहा है। इससे और ज्यादा परेशानी यहां के लोगों को हो रही है। ऐसे में बनभाग निवासी ग्रामीण शबाना खातून , मो इस्ताबुर, रहीना खातून, राज कुमार यादव, बीरबल ,महेश, मो मुबस्सिर, जुबैदा जैसे पीड़ितों की मांग है कि सरकार इस ओर ध्यान देकर जलमाव की संकट झेल रहे पीड़ितों को मुआवजा दे। साथ ही लोगों ने सरकार से फसल क्षति व घरों में घुसे पानी की नुकसान सहित भरपाई की मांग की है।

पूर्णिया से जेपी मिश्र

नवजात शिशुओं का संपूर्ण टीकाकरण जरूरी: डीआईओ

नियमित टीकाकरण दिवस-दिसंबर तक मिजल्स तथा रुबैला के उन्मूलन को लेकर वृहत पैमाने पर किया जा रहा प्रचार प्रसार:--

विभिन्न संक्रमित बीमारियों से सुरक्षित करने को लेकर चिकित्सा पदाधिकारियों को दिया गया आवश्यक दिशा निर्देश::- सिविल सर्जन 

नियमित टीकाकरण में 12 प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाव को किया जाता है टीकाकरण: एमओआईसी 

खसरा एवं रुबैला पर प्रभावी नियंत्रण व उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग टीकाकरण को पहले से भी अधिक सशक्त माध्यम बनाकर नवजात शिशुओं का शत प्रतिशत टीकाकरण कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 

सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि नियमित टीकाकरण सत्रों के अलावा सघन मिशन इंद्रधनुष के सभी चक्रों में मिजल्स और रुबैला के टीकाकरण से वंचित बच्चों में टीके की दोनों डोज देकर इस बीमारी से सुरक्षित करने को लेकर जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। 

जिसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने बिहार के सभी जिलों के सिविल सर्जन को पत्र लिखा है। जिसमें दिसंबर 2023 को मिजल्स तथा रुबैला के उन्मूलन वर्ष को ध्यान में रखते हुए वृहत पैमाने पर प्रचार प्रसार करने को कहा गया है। 

नवजात शिशुओं का संपूर्ण टीकाकरण जरूरी: -----डीआईओ 

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ विनय मोहन ने कहा कि इस समय नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। जिसमें उनका संपूर्ण टीकाकरण करा कर भविष्य में होने वाली कई प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान की जा सके। 

बच्चे के जन्म पर बीसीजी,ओरल पोलियो वैक्सीन और हेपेटाइटिस बी का टीका देना होता है। वहीं छः सप्ताह पर पेंटावेलेंट, 10 सप्ताह पर पेंटावेलेंट ओपीवी टू, रोटावायरस टू, 14 सप्ताह पर पेंटावेलेंट, ओपीवी थ्री, रोटावायरस थ्री, आईपीवी टू, पीसीवी टू दिया जाना है। वहीं 9 से 12 महीनों पर खसरा और रुबैला वन टीका देना जरूरी होता है। जबकि 16 से 24 महीनों पर खसरा, डीपीटी बूस्टर वन, ओपीवी बूस्टर और 5 से 6 साल पर डीपीटी बूस्टर टू का टीका दिया जाता है। इसके बाद 10 वर्ष के बाद और 16 वर्ष पर टेटनस एंड एडल्ट डिप्थेरिया का टीका दिया जाता है। 

नियमित टीकाकरण में 12 प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए किया जाता है टीकाकरण: एमओआईसी 

शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार झा ने बताया कि सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी के मार्गदर्शन में हमलोग टीकाकरण कार्यक्रम को संचालित करते हैं। 

स्थानीय यूपीएचसी में प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों और एएनएम के द्वारा नवजात शिशुओं के लिए प्रतिदिन टीकाकरण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। 

हालांकि विशेष रूप से क्षेत्रों में अभियान चलाकर नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं सहित धात्री माताओं का टीकाकरण कार्य किया जाता है। 

क्योंकि रोस्टर के अनुसार एएनएम द्वारा विभिन्न वार्ड के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सभी तरह के टीके लगाए जाते हैं। नियमित टीकाकरण के अंतर्गत 12 प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाता है।

 नियमित टीकाकरण के आच्छादन में गिरावट होने से जानलेवा बीमारियों के संक्रमण बढ़ने की संभावना बनी रहती है। छूटे हुए बच्चों में वैक्सीन प्रीवेंटबल डिजीज के संक्रमण का खतरा बढ़ने की आशंका बनी रहती है।

 नियमित टीकाकरण दिवस (बुधवार एवं शुक्रवार) को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या सत्र स्थलों पर जाकर अनिवार्य रूप से अपने बच्चों को टीके लगवाना चाहिए।

मेरी माटी मेरा देश - माटी का नमन वीरों का वंदन कार्यक्रम का किया गया आयोजन

नेहरू युवा केन्द्र पूर्णिया एवं भोला पासवान शास्त्री कृषि कालेज पूर्णिया के संयुक्त तत्वावधान में मेरी माटी मेरा देश - माटी का नमन वीरों का वंदन कार्यक्रम का आयोजन भोला पासवान शास्त्री कृषि कालेज पूर्णिया के प्रांगण में किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कर्नल मनीष वर्मा 35 बिहार बटालियन एनसीसी , पूर्णिया को नेहरू युवा केन्द्र पूर्णिया के जिला युवा अधिकारी सत्य प्रकाश यादव के द्वारा पौधा एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया तथा उनके द्वारा पौधा रोपण किया एवं पंच प्रण सपथ दिलाया गया।

 तत्पश्चात श्री यादव ने कार्यक्रम के महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मेरी माटी मेरा देश माटी का नमन वीरों का वंदन करते हुए आज के दिन वृहद पैमाने पर पौधा रोपण किया जाना है जिसकी शुरुआत भोला पासवान शास्त्री कृषि कालेज पूर्णिया के साथ जिले के सभी पंचायत में नेहरू युवा केन्द्र पूर्णिया के स्वयंसेवकों द्वारा 09-15 अगस्त 2023 तक पौधा रोपण कार्यक्रम किया जाएगा। मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कर्नल मनीष वर्मा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं को आगे बढ़कर वीरों एवं शहीदों के परिवारों का ख्याल रखना चाहिए और समाज को भी इसके प्रति जागरूक करना चाहिए तभी हम लोगों का वीरों एवं शहीदों के प्रति सच्ची देशभक्ति पैदा होगी। 

प्राचार्य डॉ पारस नाथ, भोला पासवान शास्त्री कृषि कालेज ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण हमलोग कई तरह के परेशानियों से जूझ रहे हैं इसके निवारण के लिए नेहरू युवा केन्द्र एवं भोला पासवान शास्त्री कृषि कालेज पूर्णिया द्वारा वृहद पैमाने पर पौधा रोपण कार्य किया जा रहा है जो 15 अगस्त 2023 तक लगातार अभियान के रूप में

 चलेगा। मौके पर डॉ जनार्दन प्रसाद, डॉ पंकज कुमार यादव, कृषि कालेज पूर्णिया ने भी युवाओं से आह्वान किया कि पौधा रोपण कार्यक्रम को सफल बनाने में एक अभियान के रूप में लें। कार्यक्रम को सफल बनाने में डा पंकज कुमार, भोला पासवान शास्त्री कृषि कालेज, मुरली मनोहर भारती नेहरू युवा केन्द्र पूर्णिया, के पी यादव, श्री गोपाल लाल चौधरी, महेंद्र पाल, प्रकाश यादव, विनित कुमार सिंह, नवीन चंद आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

 पौधा रोपण कार्यक्रम में नेहरू युवा केन्द्र के स्वयं सेवकों एवं भोला पासवान शास्त्री कृषि कालेरज पूर्णिया के एन एस एस इकाई एवं एन सी सी के सैकड़ों सदस्यों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

बारिश ने मेडिकल कॉलेज के हाईटेक और अपग्रेड होने के दावों की खोली पोल,GMCH पूर्णिया बेहाल

पूर्णिया : जिले में बारिश से GMCH पूर्णिया बेहाल है। बारिश ने मेडिकल कॉलेज के हाईटेक और अपग्रेड होने के दावों की पोल खोलकर रख दी है। जोरदार बारिश की वजह से लेबर वार्ड के ऑपरेशन थियेटर, सर्जरी रूम, महिला वार्ड और नर्स रूम में लबालब पानी भरा है। तेज बारिश के बाद ये वार्ड झील में तब्दील हो गए। जिसके चलते कुछ मरीज घर वापस लौट गए तो वहीं कुछ मरीजों को कहीं और शिफ्ट किया गया है। 

बारिश का पानी जीएमसीएच के रीजनल वैक्सीन सेंटर में प्रवेश कर जाने से लाखों का वक्सिन नष्ट हो गया। वैक्सीन सेंटर की मशीनें जल गईं हैं।

इससे भी बदतर हालात जीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड, एसएनसीयू, महिला वार्ड और आरवीएस तक जाने वाले रास्ते की है। जिससे मरीज और उनके परिजनों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

हालात ऐसे हैं कि इन महत्वपूर्ण वार्डों तो जाने में गर्भवती महिलाओ को खासी परेशानी हो रही है। यहां भारी बारिश के बाद घुटने से ऊपर तक पानी भर गया है। बारिश के पानी में एंबुलेंस से लेकर ऑटो तक फंस गए।

मिडिया से बात करते हुए डिस्ट्रिक्ट इम्युनाइजेशन ऑफिसर डॉक्टर विनय मोहन ने बताया कि सुबह रिनल वैक्सीन सेंटर में बारिश का पानी प्रवेश कर गया। जिससे कमरे रखे 4 जिलों के लाखों के वैक्सीन नष्ट हो गए। वैक्सीन पानी में तैरते नजर आ रहे हैं। मशीनें नष्ट हो गई हैं। आरवीएस में रखा वैक्सीन बर्बाद हो गया है। एक वैक्सिन की कीमत 1500 आती है। 

वही जीएमसीएच के सुप्रीटेंडेंट वरुण कुमार ठाकुर ने कहा कि जीएमसीएच में निर्माणाधीन कार्य चलने के कारण इस तरह के हालात बने हैं। मोटर से पानी निकाला जा रहा है। इमर्जेंसी में एडमिट होने वाली प्रसूता के लिए वैकल्पिक हल निकाला जा रहा है।

पूर्णिया से जेपी मिश्र

घर में घुसे बारिश के पानी में डूबने से 5 माह के बच्चे की हुई मौत, परिवार मे मातम


पूर्णियां : के के.हाट थाना क्षेत्र के हाउसिंग कॉलोनी में घर में घुसे बारिश के पानी में डूबने से 5 माह के बच्चे की मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना के बाद से घर में मातम पसरा है। 

बच्चे की मां का कहना है कि बच्चे को दूध पिलाने के बाद उनकी आंख लग गई। इसी दौरान करवट लेने पर बच्चा घर में घुसे पानी में जा गिरा। उनकी नींद खुली तो बच्चे को घर में घुसे पानी में डूबा पाया। 

आनन-फानन में बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल लेकर दौड़ी। जहां अस्पताल पहुंचने से पहले ही मासूम ने दम तोड़ दिया।

वहीं इस घटना ने बारिश को लेकर की गई निगम की तैयारियों की पोल खोलकर रख दी है। 

बच्ची की नानी गीता देवी ने बताया कि लगातार हो रही बारिश के चलते हाउसिंग कॉलोनी के दर्जनों घर में पानी घुस गया था। इनमे से एक घर उनका भी है। पानी घुसने से चौकी पर सो रही मां की पांच महीने की बच्ची करवट लेते ही नीचे पानी में गिर गयी। जिससे बच्ची की मौत हो गयी। 

बच्ची की मां ने बताया कि सुबह वे अपनी बेटी को दूध पिला कर सुला दी थी। पूरी रात जगने के कारण उसे भी नींद लग गई। इसी दौरान उनकी बेटी चौकी पर से नीचे गिर गई। जब तक जीएमसीएच लेकर जाते बच्ची की मौत हो गई। बच्ची की मौत से परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। घरवाले मासूम की मौतम का जिम्मेवार नगर निगम को मानती हैं। 

उनका कहना है कि घर में बरसात का पानी नहीं जमा होता तो बच्ची की मौत नहीं होती।

पूर्णिया से जेपी मिश्र

स्वास्थ्य संस्थानों में स्तनपान सप्ताह के अंतिम दिन हेल्दी बेबी शो का हुआ आयोजन

पूर्णिया : शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, नवजात शिशुओं के शारीरिक एवं मानसिक विकास के साथ ही कुपोषण से बचाने तथा माताओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए 01 से 07 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। 

सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि विगत दिनों जिलाधिकारी कुंदन कुमार के साथ समीक्षा बैठक के दौरान निर्णय लिया गया था कि स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में हेल्दी बेबी शो का आयोजन किया जाना है। जिसके आलोक में सप्ताह के अंतिम दिन जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में हेल्दी बेबी शो का आयोजन किया गया। पूर्णिया पूर्व प्रखंड मुख्यालय स्थित शहरी आईसीडीएस के सभागार में पूर्णिया पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शरद कुमार की अध्यक्षता में हेल्दी बेबी शो का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर एमओआईसी डॉ शरद कुमार, सीडीपीओ लक्ष्मी कुमारी, बीएचएम विभव कुमार, सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी, महिला पर्यवेक्षिका मधु यादव, सविता, मालती देवी, पूनम भारती, आकांक्षा सिन्हा, आरएमएनसीएच के परामर्शी महम्मद सोहैल रजा के अलावा आईसीडीएस की आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका सहित कई अन्य कर्मी उपस्थित थे। 

पूर्णिया पूर्व में हेल्दी बेबी शो आयोजित कर किया गया सम्मानित:- एमओआइसी 

पूर्णिया पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शरद कुमार ने कहा कि राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देशानुसार और जिलाधिकारी व सिविल सर्जन के मार्गदर्शन में हेल्दी बेबी शो का आयोजन किया गया। 

आयोजन के दौरान बताया गया कि नवजात के जन्म के प्रथम एक घंटे में स्तनपान शुरू करने एवं प्रथम छः महीने तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं को लाभ होता है। इससे नवजातों में मृत्यु की संभावना 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। 

शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया से होने वाली मृत्यु की संभावना क्रमश: 11 गुणा एवं 15 गुणा कम हो जाती है। शिशुओं का समुचित शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। वयस्क होने पर संचारी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है। सबसे अहम बात यह है कि स्तनपान कराने वाली माताओं में रक्तस्राव जल्द बंद होने के साथ ही स्तन एवं ओवरी कैंसर होने का खतरा कम रहता है। 

स्तनपान से होने वाले लाभ एवं डिब्बा बंद दूध, बोतल के नुकसान को लेकर उन्मुखीकरण: सीडीपीओ

पूर्णिया शहरी क्षेत्र की सीडीपीओ लक्ष्मी कुमारी ने कहा कि एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह समेकित बाल विकास सेवा निदेशालय एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सहयोग से मनाया जा रहा है। 

इस दौरान विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के माध्यम से माताओं को स्तनपान के महत्व की जानकारी एवं स्तनपान कराने को लेकर प्रोत्साहित किया जा रहा है। 

ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित टीकाकरण कराने वाली एएनएम, आंगनबाड़ी सेविकाओं सहित अन्य कर्मियों को स्तनपान से होने वाले लाभ एवं डिब्बा बंद दूध या बोतल एवं निपल के प्रयोग से होने वाले नुकसान के संबंध में उन्मुखीकरण किया जा रहा है। 

वीएचएसएनडी में सभी दो वर्ष तक के बच्चों की माताओं को बुलाकर शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार अभ्यासों तथा उनके बच्चों के पोषण स्तर में हुए सुधार के आधार पर चिह्नित माताओं को प्रोत्साहित किया जाएगा। 

हेल्दी बेबी शो में शामिल माताओं को स्वस्थ शिशु प्रशस्ति पत्र से किया गया सम्मानित: बीएचएम

पूर्णिया पूर्व पीएचसी के बीएचएम विभव कुमार ने कहा कि हेल्दी बेबी शो के दौरान प्रथम पुरस्कार के रूप में रुद्र कुमार, द्वितीय पुरस्कार पूरब राज जबकि सानवी दास और इशिका को तृतीय पुरस्कार के रूप में शामिल माताओं को स्वस्थ शिशु प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया है। हेल्दी बेबी शो के दौरान जच्चा एवं बच्चा दोनों के सभी तरह के टीकाकरण को सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया गया। मौके पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से मां का हौसला बढ़ाने के उद्देश्य से कई प्रकार के उपहार और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। जन्म से लेकर 6 महीने तक सभी मां अपने- अपने बच्चे को अनिवार्य रूप से स्तनपान कराएं। बच्चे के शरीर में पोषक तत्व अमृत के समान पाया जाता है।

पूर्णिया से जेपी मिश्र

बिपाशा बसु ने रोते हुए सुनाई बेटी की दर्दनाक कहानी, बोलीं- बेटी के दिल में थे दो छेद, 3 महीने की उम्र में हुई ओपन हार्ट सर्जरी

डेस्क: बॉलीवुड फिल्मों से लंबे वक्त से दूर रहने वाली बिपाशा बसु हाल में ही मां बनी हैं। अपनी बोल्ड अदाओं से हर किसी को अपना दीवाना बनाने वाली एक्ट्रेस हाल में ही मां बनी हैं। एक्ट्रेस ने बेटी को जन्म दिया और उसके बाद से ही वो बेबी की पेरेंटिंग में लगी हुई हैं। बिपाशा बसु ने हाल में ही अपनी बेटी को लेकर एक खुलासा किया है। नेहा धूपिया से एक चैट शो में बात करते हुए एक्ट्रेस ने बताया कि उनका बीता कुछ वक्त काफी मुश्किलों से भरा रहा। उनकी बेटी को भी बड़े मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा।

बिपाशा ने बताई अपनी पेरेंटिंग जर्नी

नेहा धूपिया ने बिपाशा से पेरेंटिंग और मम्मी बनने पर सवाल पूछा, जिसका बिपाशा ने जवाब देते हुए कहा कि उनका और उनके पति करण सिंह ग्रोवर का पेरेंट्स बनना बाकी लोगों से काफी मुश्किल रहा। बिपाशा ने कहा कि ऐसा दौर किसी मां की जिंदगी में न आए। एक्ट्रेस ने बताया कि उनकी बेटी जब पैदा हुई तो पता चला कि उसके दिल में दो छेद थे और वो काफी बड़े थे। ये जानकारी उन्हें बेबी के पैदा होने के तीसरे दिन ही पता चल गई थी। डॉक्टर्स ने उन्हें बताया की उनकी बेटी को वेंट्रिकुलर सेप्टल डीफेक्ट है, जिसके बारे में उन्होंने कभी सुना भी नहीं था।

डॉक्टर्स ने बताया बेटी के दिल में हैं दो छेद

बिपाशा बसु बताती हैं, 'जैसा कि होता है, बच्चों के दिल का छेद अमूमन बड़े होने के साथ खुद भर जाता है, ठीक ऐसा ही सोचा था, लेकिन हमारे साथ ऐसा नहीं हुआ। मैं और करण किसी से कह नहीं पाए और काफी परेशान हो गए। शुरुआती पांच महीने काफी मुश्किल थे। हर महीने स्कैन कराने के लिए कहा गया, पता चला कि हमारी बेटी के दिल के छेद नॉर्मल से बड़े थे। ऐसे में इनका खुद भरना बहुत मुश्किल था।

ऐसे में सर्जरी करने की डॉक्टर्स ने सलाह दी और कहा कि तीन महीने की उम्र में ही ओपन हार्ट सर्जरी कराना सबसे सही होता है। लोगों ने अलग-अलग सलाह दी, लेकिन मैं लगातार रिसर्च करती रही। इस बीच डॉक्टर्स से मिलती रही। करण इस सर्जरी के लिए तैयार नहीं था, लेकिन मैं तैयार हो गई थी। ये थोड़ा कठिन था कि छोटे से बच्चे को सही समय पर सही इलाज मिलना, लेकिन हमें उसके लिए सही फैसला लेना पड़ा। 6 घंटे तक ऑपरेशन चला।'

ऐसे मिली बिपाशा को हिम्मत

एक्ट्रेस बताती है कि वो थोड़ी डरपोक हैं, लेकिन इस बार वो नहीं डरीं। उनके पति करण बहादुर हैं, लेकिन वो काफी ज्यादा परेशान हो गए थे। एक्ट्रेस ने बाकी पेरेंट्स को भी सलाह दी कि ऐसी स्थिति में डर के देरी नहीं करनी चाहिए, बल्कि बच्चे के लिए सही निर्णय, सही समय पर लेना चाहिए। एक्ट्रेस का कहना है कि वो ये उन लोगों के लिए साझा कर रही हैं, जो ऐसी मुश्किलों से जूझ रहे हैं।

उनका कहना है कि उन्होंने भी बहुत सी मांओं से सीखा है, ऐसे में वो उनके साथ अपनी जर्नी शेयर करना चाहती थी, ताकि वो भी सही फैसला ले सकें। साथ ही एक्ट्रेस बताती हैं कि उनकी बेटी बहुत बहादुर है और वो ऐसी स्थिति में भी हंसती खेलती रही। वो कभी सुस्त नहीं पड़ी। नेहा धूपिया बिपाशा की जर्नी सुनने के बाद रो पड़ी। वहीं बिपाशा ने बताया कि सही निर्णय लेने की हिम्मत उन्हें कई मांओं से मिली, जिन्होंने समझाया कि बच्चे के लिए खड़े हो।

दिखाया बेटी का चेहरा

बिपाशा बताती है कि बेटी के सीने पर स्कार्स हैं, जो कि हमेशा रहेंगे, लेकिन वो घबराएगी नहीं। वो इसे फ्लॉन्ट करेगी, ये उसकी जीत का बैज है। एक्ट्रेस ने बात करते हुए पहली बार बेटी की चेहरा भी पूरी तरह दिखाया।

मां का दूध विकल्प नही बल्कि संकल्प थीम की शत प्रतिशत सफ़लता को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का किया गया आयोजन

बच्चों के लिए मां का दूध श्रेष्ठ ही नहीं बल्कि जीवन रक्षक:

नवजात शिशुओं के रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिए नियमित रूप से स्तनपान कराना जरूरी: शिशु रोग विशेषज्ञ

दूध पिलाने वाली 72% माताओं को बीमारी का खतरा कम: यूनिसेफ

पूर्णिया, 05 अगस्त।

विश्व स्तनपान सप्ताह (01 से 07) की शत प्रतिशत सफ़लता को लेकर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर स्थित सभागार में सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी की अध्यक्षता में "मां का दूध विकल्प नही बल्कि संकल्प" थीम के तहत  एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी, जीएमसीएच के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष  डॉ प्रेम प्रकाश, डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास, डीसीएम संजय कुमार दिनकर, डीपीसी डॉ सुधांशु शेखर, पिरामल स्वास्थ्य के डीटीएल आलोक पटनायक, आकांक्षी जिला कार्यक्रम अधिकारी संजीव सिंह, यूनिसेफ की ओर से राष्ट्रीय पोषण अभियान के जिला समन्वयक देवाशीष घोष,

सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी, पीरामल के सनत गुहा, जियाउद्दीन, नम्रता सिन्हा के अलावा जिले के सभी आरएमएनसीएच और आईसीडीएस के प्रखंड समन्वयक सहित कई अन्य अधिकारी कर्मी उपस्थित थे।

बच्चों के लिए मां का दूध श्रेष्ठ ही नहीं बल्कि जीवन रक्षक:

सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने कहा कि नवजात शिशु अपनी मां का दूध पीकर सदैव स्वस्थ्य रहता है। बता दें कि मां का दूध जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त मात्रा में पीने के लिए नहीं मिलता  उनको बचपन में शुरू होने वाली मधुमेह की बीमारी अत्यधिक होती है। साथ ही बुद्धि का विकास उन बच्चों में दूध पीने वाले बच्चों की अपेक्षाकृत कम होता है। अगर बच्चा समय से पूर्व जन्मा (प्रीमेच्योर) हो, तो उसे बड़ी आंत का घातक रोग, नेक्रोटाइजिंग एंटोरोकोलाइटिस हो सकता है। इसलिए मां का दूध छह से आठ महीने तक बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं बल्कि जीवन रक्षक भी होता है।

नवजात शिशुओं की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिए नियमित रूप से स्तनपान कराना जरूरी: डॉ प्रेम प्रकाश

राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रेम प्रकाश ने कहा कि जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने वाले नवजात शिशुओं में मृत्यु की संभावना लगभग 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसके साथ ही पहले छह महीने तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया से होने वाली मृत्यु की संभावना 11 से 15 प्रतिशत तक कम हो जाती है। स्तनपान करने वाले शिशुओं का समुचित ढंग से शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है एवं वयस्क होने पर उसमें गैर संचारी (एनसीडी) बीमारियों के होने की भी संभावना बहुत कम होती है। इसके साथ ही स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन एवं ओवरी कैंसर होने का खतरा भी नहीं होता है।

दूध पिलाने वाली 72% माताओं को बीमारी का खतरा कम: यूनिसेफ

यूनिसेफ के जिला पोषण अभियान के जिला समन्वयक देवाशीष घोष ने कहा कि मां का दूध नवजात शिशुओं के लिए अमृत समान होता है। क्योंकि जन्म से लेकर छह माह तक यदि एक नवजात शिशु को मां का दूध पिलाया जाए तो मां को 72 प्रतिशत स्वास्थ से संबंधित किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं होती है। साथ ही 28 प्रतिशत स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) में कमी और 30 प्रतिशत मधुमेह में भी कमी आती है। जो मां अपने बच्चों को दूध पिलाती हैं तो उसमें से 17 प्रतिशत महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। साथ ही 10 प्रतिशत अन्य रोगों में भी कमी आती है। वहीं 50 प्रतिशत महिलाओं को थायराइड से बचाव हो सकता है।

पूर्णिया: सदर विधायक विजय खेमका ने विद्युत आपूर्ति की स्थिति के सम्बन्ध में की समीक्षा

पूर्णिया: सदर विधायक विजय खेमका ने पूर्णिया में लगातार लचर विद्युत आपूर्ति की स्थिति के सम्बन्ध में विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता तथा शहरी एवं ग्रामीण कार्यपालक अभियंता से समीक्षा किया | 

विधायक ने ग्रामीण क्षेत्र एवं शहर में बिजली अल्प आपूर्ति से आम लोगों को हो रही कठिनाई से विभाग के अधिकारी को अवगत कराया | विधायक ने कहा रात दिन मिलकर बिजली की आपूर्ति लोगों को 6-8 घंटे मिल रही है जिससे लोग काफी परेशान है |

 लाईन बाजार मेडिकल हब है जहाँ बिजली की आपूर्ति नगण्य रहने से मरीजों को भारी कठिनाई हो रही है | बिजली आपूर्ति के अभाव में पूर्णिया का उद्योग व्यवसाय भी काफी प्रभावित है |

 विधायक ने अधीक्षण अभियंता से पूर्णिया में नियमित एवं लगातार बिजली आपूर्ति शीघ्र बहाल करने का निर्देश दिया | अधीक्षण अभियंता एवं कार्यपालक अभियंता ने दो से चार दिन में बिजली आपूर्ति व्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा सुधार करने का विधायक को विश्वास दिलाया है |

पूर्णिया में पति और ससुराल वालों ने मिलकर नवविवाहिता की किरोसीन छिड़कर किया आग के हवाले


पूर्णिया में पति और ससुराल वालों ने मिलकर पहले नवविवाहिता की बेरहमी से पिटाई की इसके बाद किरोसीन छिड़कर उसके आग के हवाले कर दिया।

 नवविवाहिता की पहचान पूर्णिया के बी कोठी थाना क्षेत्र के सहसौल गांव निवासी 47 वर्षीय सुनील कुमार की 19 वर्षीय बेटी गुंजन कुमारी के रूप में हुई है। समूची घटना क्रम को लेकर मधेपुरा जिले के उदयकिशुनगंज में गुंजन के परिजनों की ओर से लिखित शिकायत की गई है। जिसके बाद से पुलिस को ससुराल वालों की तलाश है। 

घटना की जानकारी देते हुए पीड़िता गुंजन के पिता सुनील कुमार ने कहा कि पिछले साल 2 मई को बड़े ही धूमधाम से तय तमन्ना के साथ उन्होंने अपनी बेटी गुंजन कुमारी की शादी मधेपुरा जिले के उदयकिशुनगंज थाना क्षेत्र के जलालपुर (आनंदपुरा) निवासी युगल शर्मा के 21 वर्षीय बेटे सतीश कुमार से हुई थी। शादी के वक्त बतौर दहेज 2 लाख कैश, बाइक समेत सोने चांदी के जेवर लिए गए थे। 

शादी के कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक रहा। मगर इसके बाद एक बार फिर से दामाद और बेटी के ससुराल वाले हर छोटी -बड़ी डिमांड करने लगे। डिमांड पूरी ना होने पर उनकी बेटी को बेरहमी से पीटा जाता। जुलाई के शुरुआत में एक बार फिर दामाद और बेटी के ससुराल पक्ष की ओर से 1 लाख रुपए और मवेशी की डिमांड शुरू हो गई। जिसे देने से उन्होंने साफ मना कर दिया। 

इसके बाद बीते 26 जुलाई को दामाद सतीश कुमार, ससुर युगल शर्मा और सास उमा देवी ने उनकी बेटी को बेरहमी से पीटा। जब इतने से उनका मन नहीं भरा। तो उनके दामाद ने केरोसिन तेल छिड़ककर बेटी को आग के हवाले कर दिया और फिर सभी फरार हो गए।

वहीं घटनाक्रम के बाद से पीड़िता गुंजन कुमारी का पति और ससुराल पक्ष के लोगों का मोबाइल बंद है। सभी घर छोड़कर फरार हैं। इनके खिलाफ मधेपुरा के उदयकिशनगंज थाने में लिखित शिकायत की गई है। परिजनों का कहना है कि जिस तरह से उनकी बेटी के साथ ज्यादती की गई है। उन दहेज लोभियों को भी उसी तरीके से फांसी के फंदे पर लटकाया जाए।