जी20 समिट से पहले हिंसा की चपेट में देश, जैसे ट्रंप के भारत दौरे के दौरान हुआ था दिल्ली दंगा, क्या वैसे ही एक बार फिर रची गई देश को बदनाम करने क
#Was_there_conspiracy_to_defame_country_again
दुनिया के सबसे ताकतवर आर्थिक समूह जी 20 के सालाना शिखर सम्मेलन के लिए भारत पूरी तरह से तैयार है। जी 20 शिखर सम्मेलन का आयोजन 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में होना है। बतौर अध्यक्ष इस सम्मेलन के लिए एजेंडे को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी भारत के पास ही है। इस मकसद से पिछले 8 महीने से जी 20 से जुड़ी कई बैठकों का आयोजन देश के 50 से भी ज्यादा शहरों में किया गया। हालांकि, जी 20 के सालाना शिखर सम्मेलन के आयोजन से एक महीने पहले देश एक बार फिर हिंसा की चपेट में हैं। राजधानी दिल्ली के आसपास सांप्रदायिक हिंसा भड़ गई है।
इस बीच, भारत के सबसे अच्छे दोस्तों में शामिल देश अमेरिका ने नूंह हिंसा को लेकर प्रतिक्रिया दी है। अमेरिका के विदेश विभाग ने शांति का आह्वान और पार्टियों से हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया। अमेरिकी प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि हमेशा की तरह हम अब भी शांति बनाए रखने की अपील करते हैं। वहीं, उन्होंने पार्टियों से हिंसक कार्रवाइयों से दूर रहने का आग्रह किया। मिलर ने आगे कहा कि हमें इस बारे में नहीं पता था। अमेरिका के लोगों से सुनने में आया। फिर दूतावास से संपर्क किया है।
यही नहीं पिछले दो दिनों से ग्लोबल मीडिया में गुरुग्राम हिंसा की खबर छाई हुई है। अमेरिकी मीडिया संस्थान सीएनएन ने ट्रेन में मुस्लिम समुदाय के लोगों की गोली मारकर हत्या और हिंसाओं को कवर किया। ‘वर्ल्ड लीडर समिट से एक महीने पहले भारत में घातक सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी’ टाइटल के साथ लिखा कि दिल्ली में जी20 नेताओं के स्वागत से कुछ हफ्ते पहले भारत में गहरी सांप्रदायिक दरार उजागर हुई है।
जी हां अगले महीने दुनिया के ताकतवर नेता हिंदुस्तान में होंगे। ऐसे में देश की राजधानी दिल्ली के आसपास फैली हिंसा ने चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में एक बार फिर से 2020 में दिल्ली दंगे की याद हो आई है जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर थे।ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या एक बार फिर देश को बदनाम करने की साजिश रची गई है? क्या एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सामने देश को कमजोर दिखाने का षडयंत्र किया जा रहा है?
दरअसल, 2020 में दिल्ली में 23-24 फरवरी को हिंसा भड़क उठी थी। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे हुए। जिसमें 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जिन दो दिनों के दौरान दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगे भड़के थे, उस दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर थे। ट्रम्प 24 और 25 फरवरी 2020 को भारत में थे - दो दिन दिल्ली जली। जाहिर है, चुनावी साल में अंतरराष्ट्रीय मीडिया ट्रंप के पीछे था और उन्मादी दंगाइयों को पता था कि हिंसा और उसके बाद पुलिस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कवरेज मिलेगा।
दिल्ली में हुए इन दंगों को लेकर पुलिस ने एफआईआर में गहरी साजिश का जिक्र किया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का कहना था कि जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी), पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई), पिंजरा तोड़, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट से जुड़े लोगों ने साजिश के तहत दिल्ली में दंगे कराए। पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि इसके पीछे राजनीति का एक ऐसा डिजाइन है जो राष्ट्र के सौहार्द को खंडित करने का इरादा रखता है। यह सिर्फ अगर कानून का विरोध होता तो सरकार के आश्वसान के बाद खत्म हो जाना चाहिए था। पुलिस को शाहीन बाग में ऐसे लोगों के शामिल होने की सूचना मिली थी जिनका संबंध आइएस जैसे संगठन से था। पुलिस का कहना था कि नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए विरोधी प्रदर्शनों का इस्तेमाल मुस्लिम युवाओं को भड़काकर हिंसा के लिए करना चाहते थे।
Aug 03 2023, 14:45