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पीएम मोदी के राजस्थान दौरे से पहले सीएम अशोक गहलोत का बड़ा आरोप, कहा- पीएमओ ने मेरा भाषण हटाया

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राजस्थान के दौरे पर जाएंगे। प्रधानमंत्री राजस्थान के सीकर में पीएम किसान समृद्धि केंद्र राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इससे पहले, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा आरोप लगाया है।मुख्यमंत्री का आरोप है कि प्रधानमंत्री कार्यालय में पीएम के कार्यक्रम से उनका भाषण हटा दिया है।अशोक गहलोत ने इसको लेकर सीएम गहलोत ने ट्वीट करके प्रधानमंत्री पर कई तंज भी कसे हैं।

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा है, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, आज आप राजस्थान पधार रहे हैं। आपके कार्यालय PMO ने मेरा पूर्व निर्धारित 3 मिनट का संबोधन कार्यक्रम से हटा दिया है इसलिए मैं आपका भाषण के माध्यम से स्वागत नहीं कर सकूंगा अतः मैं इस ट्वीट के माध्यम से आपका राजस्थान में तहेदिल से स्वागत करता हूं।

अपने ट्वीट में गहलोत ने आगे कहा कि मैं इस कार्यक्रम में अपने भाषण के माध्यम से जो मांग रखता वो इस ट्वीट के माध्यम से रख रहा हूं। आशा करता हूं 6 महीने में की जा रही इस सातवीं यात्रा के दौरान आप इन्हें पूरी करेंगे।

सीएम गहलोत ने पीएम मोदी के सामने रखी ये मांगे-

1-आज हो रहे 12 मेडिकल कॉलेजों के लोकार्पण और शिलान्यास राजस्थान सरकार व केंद्र की भागीदारी का परिणाम है। इन मेडिकल कॉलेजों की परियोजना लागत 3,689 करोड़ रुपये है जिसमें 2,213 करोड़ केन्द्र का और 1,476 करोड़ राज्य सरकार का अंशदान है। मैं राज्य सरकार की ओर से भी सभी को बधाई देता हूं।

2-मैं इस कार्यक्रम में अपने भाषण के माध्यम से जो मांग रखता वो इस ट्वीट के माध्यम से रख रहा हूं। आशा करता हूं 6 महीने में की जा रही इस सातवीं यात्रा के दौरान आप इन्हें पूरी करेंगे।

3-राजस्थान खासकर शेखावटी के युवाओं की मांग पर अग्निवीर स्कीम को वापस लेकर सेना में परमानेंट भर्ती पूर्ववत जारी रखी जाए। 

4-राज्य सरकार ने अपने अंतर्गत आने वाले सभी को-ऑपरेटिव बैंकों से 21 लाख किसानों के 15,000 करोड़ रुपये के कर्जमाफ किए हैं। हमने केन्द्र सरकार को राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्जमाफ करने के लिए वन टाइम सैटलमेंट का प्रस्ताव भेजा है।जिसमें किसानों का हिस्सा हम देंगे। इस मांग को पूरा किया जाए।

5-राजस्थान विधानसभा ने जातिगत जनगणना के लिए संकल्प पारित कर भेजा है। केन्द्र सरकार इस पर अविलंब निर्णय ले।

6-NMC की गाइडलाइंस के कारण हमारे तीन जिलों में खोले जा रहे मेडिकल कॉलेजों में केंद्र सरकार से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिल रही है। ये पूरी तरह स्टेट फंडिंग से बन रहे हैं। इन आदिवासी बाहुल्य तीनों जिलों के मेडिकल कॉलेजों में भी केन्द्र सरकार 60 फीसदी की फंडिंग दे।

7-पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का दर्जा दिया जाए।

पीएम मोदी ने किया सबसे बड़े आईईसीसी कन्वेंशन सेंटर का उद्घाटन, 2700 करोड़ की लागत से बना 'भारत मंडपम'*

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को प्रगति मैदान में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी एवं सम्मेलन केंद्र (आईईसीसी) परिसर का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने ड्रोन के जरिए आईटीपीओ कैम्पस को देश को समर्पित किया। पीएम मोदी ने ड्रोन उड़ाकर इस कन्वेंशन सेंटर का नाम बताया। इस कन्वेंशन सेंटर का नाम भारत मंडपम रखा गया है।उद्घाटन समारोह में पीएम के अलावा केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, राजनाथ सिंह, डॉ. जितेंद्र सिंह, अभिनेता आमिर खान और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

2,700 करोड़ रुपये की लागत से किया विकसित

प्रधानमंत्री कार्यालय ने सोमवार को बताया था कि प्रगति मैदान में इस परियोजना को लगभग 2,700 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है। पीएमओ के मुताबिक, लगभग 123 एकड़ भूभाग में तैयार यह परिसर देश के सबसे बड़े बैठक, सम्‍मेलन और प्रदर्शनी केन्‍द्र के रूप में विकसित किया गया है। इसमें सितंबर के महीने में जी20 नेताओं की बैठक की मेजबानी भी की जाएगी।

टॉप 10 कन्वेंशन सेंटर में शामिल

लगभग 123 एकड़ में फैला यह परिसर कई बड़े आयोजनों की मेजबानी कर चुका हैं। आयोजनों के लिए उपलब्ध कवर किए गए स्थान के संदर्भ में, पुनर्विकसित और आधुनिक आईईसीसी कॉम्प्लेक्स दुनिया के शीर्ष 10 प्रदर्शनी और सम्मेलन परिसरों में अपना स्थान पाता है, जो जर्मनी में हनोवर प्रदर्शनी केंद्र, शंघाई में राष्ट्रीय प्रदर्शनी और कन्वेंशन सेंटर (एनईसीसी) जैसे विशाल नामों को टक्कर देता है।

सिडनी के ओपेरा हाउस से बड़ा

कॉम्प्लेक्स के ‘लेवल-3’ पर 7,000 लोगों के बैठने की क्षमता है, जो इसे ऑस्ट्रेलिया के ऐतिहासिक सिडनी ओपेरा हाउस से भी ज्यादा बड़ा बनाता है, जहां तकरीबन 5,500 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। अधिकारियों के अनुसार, यह विशेषता आईईसीसी को वैश्विक पैमाने पर बड़े सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सही जगह है।

चीन में कैसे गायब हो जाती हैं बड़ी से बड़ी हस्ती ?

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चीन भले ही खुद को लोकतांत्रिक देश बताता हो, लेकिन वहां सत्ता के हर पक्ष पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का बोलबाला है। मीडिया के साथ ही लोगों की भी अभिव्यक्ति की आजादी पर पल-पल सरकार का पहरा रहता है। चीन सरकार की विरोधी खबरें कठोरता से दबा दी जाती हैं। यह नहीं चीन सरकार के विरोध में उठने वाली आवाजों को भी खामोश कर दिया जाता है। जी हां, चीन मे बड़ी से बड़ी हस्तियां जिन्होंने भी मुंह खोला वे गायब हो जाते हैं। 

1949 में सत्ता संभालने के बाद से ही कम्युनिस्ट पार्टी का रवैया अपने विरोधियों और आलोचकों के प्रति दमन का रहा है। 1960 के दशक में चीनी सांस्कृतिक क्रांति के दौरान राजनेताओं, शिक्षकों और आलोचकों को बिना किसी आरोप के सालों तक जेलों में बंद कर दिया गया था। चीन में गायब होने वाली लोगों की लिस्ट में एक्टर, एक्टिविस्ट से लेकर स्पोर्ट्सपर्सन तक के नाम शामिल हैं। चीन ने अपने नागरिकों के साथ ही दूसरे देशों के नागरिकों को भी कथित तौर पर डिटेन किया है। 2013 में शी जिनपिंग के चीनी राष्ट्रपति बनने के बाद से लोगों का इस तरह 'गायब' होना बढ़ा है।

चीन में लोगों के लापता होने को लेकर एक बार फिर सवाल तेज होने लगे हैं। दरअसल, चीन के विदेश मंत्री पिछले कई दिनों से गायब हैं, जिसके बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है। 57 साल के चिन गांग को अंतिम समय 25 जून को सार्वजनिक रूप से देखा गया था. उनको हटाए जाने को लेकर कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया गया है। एक महीने से वो अपने आधिकारिक कार्यों से ग़ायब रहे और सेहत को कारण बताया गया। हालांकि जब वो चार हफ़्ते तक नहीं लौटे तो ये अनुमान लगाया जाने लगा कि या तो उनको सज़ा दी जा रही है या राजनीतिक रूप से वो अपनी जगह छोड़ रहे हैं।

सोशल मीडिया पर एक महिला टेलीविज़न प्रेजेंटर के साथ उनके अफ़ेयर की अफवाह उड़ने लगी। ये प्रेजेंटर सोशल मीडिया पर काफ़ी एक्टिव थीं लेकिन इस अटकलबाज़ी के बाद वो अचानक ग़ायब हो गईं। टेलीविजन प्रजेंटर फू जियाओटियन चीनी मीडिया में वे सबसे लोकप्रिय और चर्चित चेहरों में आती हैं। बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले फू जियाओटियन ने विदेश मंत्री के साथ एक इंटरव्यू किया था, जिसके बाद से ही दोनों के बीच नजदीकियां आईं थीं। इस मामले को लेकर चीनी सोशल मीडिया में भी दोनों के संबंधों को लेकर तरह-तरह की बातें होने लगी।

हालांकि ऐसे अफ़ेयर क़ानून के ख़िलाफ़ नहीं हैं, लेकिन इसे पार्टी अनुशासन के उल्लंघन के तौर पर लिया जाता है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के काम करने का जो तरीक़ा है, ऐसे में चिन गांग के गायब होने के खबरों को खारिज नहीं किया जा सकता।

जैक मा

वैसे चीन में इस तरह से गायब होना काफी हद तक सामान्य है। यहां, एक्टिविस्ट, मार्क्सवादी, आला आधिकारी और यहां तक विदेशी भी गायब हो जाते हैं। इससे पहले चीन के अरबपति उद्योगपति जैक मा भी गायब ह गए थे। चीन की फाइनेंशियल रेगुलेटर्स के नीतियों की आलोचना के बाद वह गायब हो गए थे। चीन में टेक इंटरप्रोन्यर्स पर एक्शन के बीच जैक मा सबसे हाई प्रोफाइल अरबपति थे। साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट की मानें तो वह करीब एक साल देश से बाहर बिताने के बाद लौटकर आए हैं। उन्हें बीते तीन साल में सार्वजनिक जगहों पर बहुत कम देखा गया।

रेन झिकियांग

मार्च 2020 में अरबपति और रियल एस्टेट टाइकून रेन झिकियांग ने महामारी से निपटने के तरीकों को लेकर शी जिनपिंग को 'जोकर' कहा था। जिसके बाद वह गायब हो गए थे। उसी साल में बाद में रेन को भ्रष्टाचार के आरोप में 18 साल की सजा सुनाई गई।

फैन बिंगबिंग

फैन बिंगबिंग की गिनती चीन की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली एक्ट्रेस में होती है। 2018 में चीनी अधिकारियों ने फैन और उनकी कंपनियों को 130 मिलियन डॉलर की राशि टैक्स चोरी के मामले में चुकाने का आदेश दिया था। इसके बाद ही फैन 3 महीने के लिए गायब हो गई थीं। 

डुआन वेईहांग

बिजनेस वुमन डुआन वेईहांग भी 2017 में लापता हो गई थीं। उनके पति एक किताब पब्लिश करने की तैयारी कर रहे थे, जिसमें वे चीन के समृद्ध वर्गों में भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले थे। 4 साल बाद डुआन ने अपनी पति को फोन कर कहा था कि वह किताब प्रकाशित नहीं करवाएं।

30,000 लोग हो चुके हैं गायब

वैसे चीन में लोगों की गायब होने की लिस्ट दो-चार या दस में नहीं है, ये सैकड़ों में भी नहीं है, बल्किन हजारों में हैं। जी हां, चीन में साल 2013 से गायब हुए लोगों का आंकड़ा 30,000 है। ये आंकड़ा मानवाधिकार संगठन सेफगार्ड डिफेंडर्स ने जारी किया था।रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में हर दिन चीन में कम से कम 20 लोगों के गायब होने का अनुमान है।

मिजोरम के मुख्यमंत्री ने कहा, न केंद्र सरकार से डरते, न NDA की पॉलिसी मानेंगे, म्यांमार के सभी शरणार्थियों को वापस भेजने से भी कर दिया मना

मिजोरम के सीएम जोरमथांगा ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हमारी सरकार को निर्देश दिया था कि म्यांमार के सभी शरणार्थियों को वापस भेज दिया जाए, लेकिन हमने ऐसा करने से मना कर दिया।

मिजोरम के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के प्रमुख जोरमथांगा ने कहा कि भले ही वह केंद्र में सत्तारूढ़ NDA के पार्टनर हों लेकिन वह एनडीए की हर नीति मानने को बाध्य नहीं हैं। सीएम जोरमथांगा ने कहा कि उनकी राज्य सरकार और एमएनएफ पार्टी केंद्र की एनडीए सरकार से नहीं डरती है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने म्यांमार से शरणार्थियों को वापस भेजने से इनकार कर दिया है, जो म्यांमार में जुंटा के सैन्य शासन संभालने के बाद यहां आ गए थे।

पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधन

राजधानी आइजॉल में एमएनएफ पार्टी कार्यालय (ह्नम रन) में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जोरमथंगा ने कहा, “भारत में राजनीतिक दल भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए या हाल ही में कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया के नाम पर बने गठबंधन में शामिल हो रहे हैं, और एमएनएफ एनडीए का गठबंधन भागीदार है। हालांकि हम एनडीए के साथ हैं लेकिन हम एनडीए की हरेक नीति और उद्देश्यों से सहमत नहीं हैं।"

वापस नहीं भेजेंगे शरणार्थी- जोरमथांगा

जोरमथांगा ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हमारी सरकार को निर्देश दिया था कि म्यांमार के सभी शरणार्थियों को वापस भेज दिया जाए, लेकिन हमने ऐसा करने से मना कर दिया। मैंने विधानसभा को बताया है कि हम उन्हें (म्यांमार के शरणार्थियों को) वापस नहीं भेज रहे हैं, बल्कि उन्हें अपने यहां आश्रय और खाना देंगे। 

UCC का भी विरोध

मिजोरम के मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएनएफ के अलावा किसी अन्य पार्टी ने एनडीए की बैठकों में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का कड़ा विरोध नहीं किया है क्योंकि उनमें से अधिकांश केवल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए जाते रहे हैं। बता दें कि जोरमथांगा ने 4 जुलाई को विधि आयोग को चिट्ठी लिखकर समान नागरिक संहिता को देश के सभी नस्ली अल्पसंख्यक और खासकर मिजो लोगों के हितों के खिलाफ बताया था।

उन्होंने कहा, "मैंने केंद्र को बताया कि 1971 में पश्चिम बंगाल में शरण लेने वाले पूर्वी पाकिस्तान के लाखों शरणार्थियों का भारत सरकार ने ख्याल रखा था और मैंने केंद्र सरकार पर कड़ा दबाव बनाया है।" मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी एमएनएफ तभी तक एनडीए के कार्यक्रमों और नीतियों का साथ देगी, जबतक वे जनता और खासकर देश के नस्ली अल्पसंख्यकों के हित में होंगी।

दिसंबर तक विधानसभा चुनाव

उन्होंने कहा कि केंद्र में सरकार बदलने पर एमएनएफ कभी अपना रुख नहीं बदलता। पार्टी ने प्रस्तावित यूसीसी का कड़ा विरोध किया क्योंकि एमएनएफ ने ऐसी किसी भी चीज़ का विरोध किया जो उसके आदर्श वाक्य - "भगवान और देश के लिए" के लिए हानिकारक हो। बता दें कि मिजोरम में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। 

मिजोरम में 36,000 शरणार्थी

म्यांमार में फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के कारण म्यांमार से आए। लगभग 35,000 शरणार्थियों को मिजोरम पनाह दे रहा है। इसके अलावा बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों में सेना की कार्रवाई के कारण 1,000 से अधिक आदिवासियों को अपने गांव छोड़कर मिजोरम में बतौर शरणार्थी मिजोरम में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इस बीच,मिजोरम सरकार ने गृह और आपदा प्रबंधन मंत्री लालचमलियाना की अध्यक्षता में हिंसाग्रस्त मणिपुर से विस्थापित होकर मिजोरम में आए व्यक्तियों (आईडीपी) पर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।

जान लीजिए, क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव, कैसे होती है वोटिंग और क्या हैं इस प्रक्रिया के नियम, प्रस्ताव पास हुआ तब सरकार क्या उठाती है कदम


मॉनसून सत्र के दौरान सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी की है। इसके लिए कांग्रेस की तरफ से नोटिस भी दे दिया गया है, जिसे लोकसभा ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि, बहस की तारीख का अब तक ऐलान नहीं हुआ है। कहा जा रहा है कि इस दांव के जरिए INDIA गठबंधन के विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर बयान देने के लिए मजबूर करना चाहती है।

क्या है अविश्वास प्रस्ताव

अविश्वास प्रस्ताव एक संसदीय प्रक्रिया है, जिसके तहत विपक्ष सरकार को चुनौती दे सकता है। अगर प्रस्ताव पास हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है। हालांकि, यह प्रक्रिया इतनी सरल नहीं है। सरकार के खिलाफ खड़े होने वाले दलों को पहले नोटिस दाखिल करने समेत कई चरणों से गुजरना होता है।

क्या कहता है नियम

लोकसभा का कोई भी सदस्य अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। इस प्रस्ताव को सदन के 50 सदस्यों का समर्थन मिलना जरूरी है। अगर प्रस्ताव को सदन में स्वीकार कर लिया जाता है, तो चर्चा के लिए दिन तय किया जाता है। इतना ही नहीं सरकार को बहुमत साबित करने के लिए भी कहा जा सकता है। अगर सरकार ऐसा करने में असफल होती है, तो इस्तीफे का दौर शुरू होता है।

नोटिस के बाद की प्रक्रिया

लोकसभा स्पीकर तय करेंगे कि नोटिस के बाद इसपर चर्चा की जानी है या नहीं। स्वीकार होने के बाद स्पीकर चर्चा के लिए दिन और समय तय करते हैं। लोकसभा में प्रस्ताव पर चर्चा होती है और सरकार को इसका जवाब भी देना होता है।

कैसे होता है वोट

चर्चा के बाद लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की जाती है। अगर सदन के अधिकांश सदस्य इसका समर्थन करते हैं, तो प्रस्ताव पास हो जाता है। वहीं, अगर सरकार जीत जाती है, तो सत्ता में बनी रहती है।

ताजा आंकड़े

लोकसभा में बहुमत का आंकड़ा 272 का है। जबकि, NDA सरकार के पास 331 सदस्य हैं। इतना ही नहीं सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के पास ही 303 सांसद हैं। विपक्षी गठबंधन INDIA में शामिल दलों के सांसदों की संख्या 144 है। इनके अलावा तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति, आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस और ओडिशा की बीजू जनता दल के पास मिलाकर संख्या 70 है।

आप सांसद राघव चड्ढा को संसद के बाहर चोंच मार गया कौआ, सोशल मीडिया पर तस्वीरें हुईं वायरल, बीजेपी ने कसा तंज

#raghav_chadha_attacked_pecked_by_a_crow

संसद में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा पर कौए चोंच मार गया।इस घटना की तस्वीरें आज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं।राघव चड्ढा पर कौए के चोंच मारवे वाली तस्वीर दिल्ली भारतीय जनता पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी साझा की है।बीजेपी ने इन तस्वीरों को शेयर कर राघव चड्ढा पर तंज कसा है।

दिल्ली बीजेपी ने तंज कसते हुए लिखा है कि- झूठ बोले कौवा काटे. आज तक सिर्फ सुना था, आज देख भी लिया कौए ने झूठे को काटा! बीजेपी दिल्ली ने ट्वीट कर जो तस्वीरें शेयर की हैं, उनमें देखा जा सकता है कि राघव चड्ढा सदन के बाहर फोन पर बात कर रहे हैं।इसी दौरान एक कौआ उन्हें चोंच मार जाता।बीजेपी ने फोटो शेयर करते हुए लिखा, झूठ बोले कौवा काटे, आज तक सिर्फ सुना था, आज देख भी लिया कौवे ने झूठे को काटा!

बता दें कि इस ट्वीट को अब तक 7000 से अधिक लोग लाइक कर चुके हैं। इसके अलावा करीब 2000 से ज्यादा लोग इसे रिट्वीट कर चुके हैं। सोशल मीडिया कई लोग इस तस्वीर पर अलग अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने विपक्षी दलों के गठबंधन को 'ईस्ट इंडिया कंपनी' कहने पर पीएम मोदी को घेरा, उठाए कई सवाल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने विपक्षी दलों के गठबंधन, इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इक्लूसिव अलायंस यानि इंडिया को ईस्ट इंडिया कंपनी कहने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की। सोशल मीडिया पर सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि यह माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जिन्होंने विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन मुजाहिदीन से की है।

सीएम ने कहा, "नीरव मोदी और ललित मोदी जिन्होंने भारतीय करदाताओं के सैकड़ों करोड़ रुपये लूट लिए और देश से भाग गए, आपका नाम भी मोदी है? क्या उनकी तुलना आपसे की जा सकती है?"सिद्दारमैया ने आगे कहा, "ललित और नीरव के सरनेम पूछने को लेकर राहुल गांधी पर मानहानि का मुकदमा किया गया, दो साल की सजा सुनाई गई और लोकसभा से अयोग्य ठहराया गया।

अब आपने 'इंडिया' की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन मुजाहिदीन से की है, क्या राहुल गांधी के खिलाफ की गई कार्रवाई यहां लागू नहीं होती? सीएम सिद्दारमैया ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आपको 'इंडिया' के सुंदर, मधुर और पवित्र नाम से इतनी नफरत क्यों है? इंडिया नाम से क्या आप अपने ही सरकारी कार्यक्रमों जैसे मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया आदि का नाम बदल देंगे?

उत्तराखंड : कई जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट, बदरीनाथ और गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे बंद, 296 सड़कें भी बंद

उत्तराखंड में मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है। राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के कई इलाकों में दिन की शुरुआत बारिश के साथ हुई। वहीं, मौसम विभाग ने आज कुछ जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।

मौसम विभाग के अनुसार आज चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, चंपावत और नैनीताल जिले के कई इलाकों में बिजली चमकने के साथ ही भारी बारिश हो सकती है। केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि अगले कुछ दिन पूरे राज्य में तेज बारिश और बिजली चमकने के आसार हैं। बारिश से होने वाले भूस्खलन से संवेदनशील इलाकों में सड़क मार्ग और राजमार्ग अवरुद्ध हो सकते हैं। ऐसे में मौसम की सटीक जानकारी लेने के बाद ही यात्रा की योजना बनाए।

उफान पर बह रही नदियां

यमुनोत्री धाम सहित यमुना घाटी में रात से हो रही बारिश से यमुना नदी, हनुमान गंगा, बडियार नदी उफान पर चल रही है। उधर, पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में काली नदी चेतावनी स्तर से ऊपर बह रही है।

बदरीनाथ और गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे समेत 296 सड़कें बंद

प्रदेश में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग सहित 296 सड़कें बंद हैं, जिन्हें खोलने के लिए 240 जेशीबी मशीनों को लगाया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग 94 बड़कोट में डाबराकोट, खराड़ी और किशाला में तीन जगह बंद है। इसके अलावा 12 स्टेट हाईवे, आठ मुख्य जिला मार्ग, तीन जिला मार्ग, 139 ग्रामीण सड़कें और 133 पीएमजीएसवाई की सड़कें बंद हैं।

प्रदेशभर में कुल 277 सड़कें एक दिन पहले से बंद थीं। मंगलवार को 91 सड़कें और बंद हुईं। कुल 368 बंद सड़कों में से मंगलवार शाम तक 72 सड़कों को ही खोला जा सका था। लोनिवि के प्रमुख अभियंता दीपक यादव ने बताया कि बंद सड़कों को खोलने के लिए प्राथमिकता के तहत कार्यवाही की जा रही है।

 

यमुनोत्री हाईवे पर रानाचट्टी में कई भवनों को खतरा

भारी बारिश के चलते यमुनोत्री हाईवे से लगे गीठ पट्टी के राना गांव, बाडिया गांव में कई आवासीय भवनों को खतरा पैदा हो गया है। बाडिया गांव में दो परिवारों ने घर छोड दिए। वहीं, राना गांव के मुकेश चौहान ने बताया कि गांव के बीचों-बीच आने वाले गदेरे व निर्माणाधीन राना निषणी सड़क के मलबे ने गांव साथ ही यमुनोत्री हाईवे व राना चट्टी के होटल व्यवसायियों की नींद उड़ा दी है। मलबा होटल, घरों, हाईवे पर पसरा हुआ है।

गंगोत्री हाईवे का पांच मीटर हिस्सा धंसा

मनेरी-सिलकुरा के समीप गंगोत्री हाईवे पर भू- कटाव शुरू हो गया है। हाईवे का करीब पांच से सात मीटर हिस्सा धंस गया है। वहीं सड़क के अंदर से पानी रिस रहा है।

बदरीनाथ हाईवे कई जगह बंद

मंगलवार रात भारी बारिश से कर्णप्रयाग सहित पिंडर घाटी में जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। कर्णप्रयाग में उमा महेश्वर आश्रम के पास बदरीनाथ हाईवे पर रात नौ बजे पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा आने के कारण सड़क बंद है। यहां पर करीब 30 से 40 वाहन फंसे हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी सड़कों पर मलबा आने से वाहनों की आवाजाही में दिक्कत हो रही है।

बदरीनाथ हाईवे पर कमेड़ा में सड़क खोलने का काम जारी है। कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे नलगांच, नारायणबगड़ में परखाल तिराहा, हरमनी, मल्यापौड़ व बैनोली बैंड में मलबा आने से बंद है। उधर, नादायणबगड़ में अस्पताल के सामने मलबा भर गया है । साथ ही चार दुकानों के अंदर मलबा व पानी चला गया है।

ईडी चीफ के कार्यकाल बढ़ाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची मोदी सरकार, शीर्ष अदालत सेवा विस्तार को पहले ही ठहरा चुकी है अवैध

#modi_govt_reached_to_supreme_court_in_case_of_ed_chief_tenure_extension 

केंद्र सरकार ने सोमवार को ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया था। अदालत गुरुवार (27 जुलाई) को केंद्र के आवेदन पर सुनवाई के लिए सहमत हुई है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को दिए गए एक फैसले में 2021 में शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लंघन करने के लिए ईडी प्रमुख संजय कुमार मिश्रा के विस्तार को अवैध करार दिया था। 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ईडी प्रमुख के रूप में संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल का तीसरा विस्तार अवैध था और 2021 में उसके फैसले का उल्लंघन था।हालांकि, शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें 31 जुलाई तक पद पर बने रहने की अनुमति दी थी।

2020 में मिला था पहला कार्यकाल विस्तार

बता दें कि संजय कुमार मिश्रा को नवंबर 2018 में प्रवर्तन निदेशालय के पूर्णकालिक प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। केंद्र सरकार ने सबसे पहले 2020 में उनको एक साल का सेवा विस्तार दिया था। तब उन्हें 18 नवंबर, 2021 तक एक साल के लिए उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था। फिर 2021 में कार्यकाल समाप्त होने से एक दिन पहले ही उन्हें दोबारा सेवा विस्तार दिया गया। ये दूसरी बार था। वहीं, 17 नवंबर 2022 को संजय कुमार मिश्रा का दूसरा सेवा विस्तार खत्म होने से पहले ही कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने एक वर्ष (18 नवंबर 2022 से 18 नवंबर 2023 तक) के लिए तीसरे सेवा विस्तार को मंजूरी दे दी थी।  

मिश्रा के सेवानिवृत्त होने से पहले सरकार ने किए थे संशोधन

नवंबर 2021 में, मिश्रा के सेवानिवृत्त होने से तीन दिन पहले, भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 और केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 में संशोधन करते हुए दो अध्यादेश जारी किए गए थे। ये अध्यादेश अंततः उन विधेयकों में परिणत हुए जिन्हें दिसंबर में संसद द्वारा अनुमोदित किया गया था। इन संशोधनों के बल पर अब सीबीआई और ईडी दोनों निदेशकों का कार्यकाल प्रारंभिक नियुक्ति से पांच साल पूरा होने तक एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईटीपीओ परिसर में किया हवन-पूजन, जी 20 मिटिंग के लिए कॉम्पलैक्स बनकर तैयार

#itpo_complex_ready_for_g20_meeting_in_delhi 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को सुबह नई दिल्ली के प्रगति मैदान पहुंचे। पीएम मोदी ने यहां नए बनकर तैयार हुए भव्य आईटीपीओ कॉम्प्लेक्स के हवन और पूजन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। बुधवार शाम को साढ़े छह बजे नए प्रगति सेंटर का प्रधानमंत्री उद्घाटन करेंगे।हवन और पूजा के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने कॉम्प्लेक्स तैयार करने में जुटे मजदूरों से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने श्रमिकों से बात भी की।

2700 करोड़ की लागत का प्रोजेक्ट

कॉम्प्लेक्स जी20 नेताओं की बैठकों की मेजबानी करेगा। इस कन्वेंशन सेंटर में 9 से 10 सितंबर तक 18वीं G-20 बैठक होगी। इस इंटरनेशनल एग्जीबिशन-कम-कन्वेंशन सेंटर (आईआसीसी) कॉम्प्लेक्स का रीडेवलपमेंट 2,700 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है।

टॉप 10 कन्वेंशन सेंटर में शामिल

लगभग 123 एकड़ में फैला यह परिसर कई बड़े आयोजनों की मेजबानी कर चुका हैं। आयोजनों के लिए उपलब्ध कवर किए गए स्थान के संदर्भ में, पुनर्विकसित और आधुनिक आईईसीसी कॉम्प्लेक्स दुनिया के शीर्ष 10 प्रदर्शनी और सम्मेलन परिसरों में अपना स्थान पाता है, जो जर्मनी में हनोवर प्रदर्शनी केंद्र, शंघाई में राष्ट्रीय प्रदर्शनी और कन्वेंशन सेंटर (एनईसीसी) जैसे विशाल नामों को टक्कर देता है।

सिडनी के ओपेरा हाउस से बड़ा

कॉम्प्लेक्स के ‘लेवल-3’ पर 7,000 लोगों के बैठने की क्षमता है, जो इसे ऑस्ट्रेलिया के ऐतिहासिक सिडनी ओपेरा हाउस से भी ज्यादा बड़ा बनाता है, जहां तकरीबन 5,500 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। अधिकारियों के अनुसार, यह विशेषता आईईसीसी को वैश्विक पैमाने पर बड़े सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सही जगह है।