कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में वृक्षारोपण, पर्यावरण के बारे में ग्रामीणों को बताकर जागरूक किया गया
गया। कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन हरे कृष्ण गुप्ता कमांडेंट 29वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल के मार्गदर्शन में 29वीं वाहिनी मुख्यालय, सशस्त्र सीमा बल द्वारा गाँव धनावाँ दुबहल एवं उसके समीप वृहद स्तर पर अपने-अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर 05-05 पौधों का वृक्षारोपण किया गया और स्थानीय ग्रामीणों को पर्यावरण के सबंध में जागरूक किया गया।
इस कार्यक्रम के अवसर पर उन्होंने बताया कि दिन-प्रतिदिन जनसंख्या में हो रही वृद्धि की वजह से लोगों की आवश्यकताएं बढ़ती ही जा रही हैं। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों की कटाई की जा रही है। लोग हर तरह के कार्यों के लिए इन्हीं वृक्षों पर निर्भर हैं। जैसे कागज, माचिस, फर्नीचर बनाना, सड़क, भवन निर्माण आदि किए जा रहे है। इस तरह के कार्यों की वजह से लगातार लकड़ी की आवश्यकता बढ़ती ही जा रही है और इसका परिणाम है वृक्षों की अंधाधुंध कटाई। लेकिन वृक्षों की कटाई का प्रभाव पर्यावरण में बहुत ही बुरा पड़ा है।
क्योंकि वृक्षों की कटाई की वजह से पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि हुई है। प्रदूषण की समस्या बढ़ी है जिससे ग्रीन हाउस गैसों में बढ़ोतरी हुई है और यही ग्लोबल वार्मिंग का कारण बना है। इसके साथ ही जलवायु में भी दिन-प्रतिदिन परिवर्तन होता जा रहा है अलग-अलग क्षेत्रों में इसका प्रभाव अलग पड़ता है, जैसे कई जगह सिर्फ गर्मी की वजह से सूखा पड़ रहा है तो कहीं अधिक बारिश की वजह से बाढ़ और तूफान की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वृक्षों की कटाई की वजह से धीरे-धीरे जंगल खत्म होते जा रहे हैं जिस वजह से जंगलों पर आश्रित जीव-जंतु लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। वहीं कई जीव जंतुओं का तो अस्तित्व ही मिट चुका है।
जीव-जंतुओं को उनका आहार जंगलों से प्राप्त होता है तथा वह जंगलों में ही निवास करते हैं। मानव की लालची प्रवृत्ति की वजह से यह सब खत्म हो रहा है जिस वजह से वह जंगलों को छोड़कर मानव क्षेत्रों में प्रवेश कर रहे हैं हैं। राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार देश के 33.3 प्रतिशत भू-भाग पर वन होने चाहिए, लेकिन चिंता की बात है कि देश के केवल 19.5 प्रतिशत भाग पर ही वन है। वृक्षों में ही खासियत होती है कि वह कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण कर लेते हैं और ऑक्सीजन देते हैं। लेकिन धीरे-धीरे इन वृक्षों के खत्म हो जाने की वजह से अब वातावरण में कई प्रकार की जहरीली गैसे फैल चुकी है जिस वजह से वायु प्रदूषण की समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल होती जा रही है। वायु प्रदूषण की वजह से लोग कई प्रकार की घातक बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं जैसे कि फेफड़ों और स्वास्थ्य संबंधित रोग। लगातार वनों की कटाई की वजह से जलवायु में दिन-प्रतिदिन परिवर्तन होता जा रहा है। जल चक्र और कार्बन चक्र में भी इसका प्रभाव पड़ा है। मनुष्य पर्यावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं।
इसी कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर पेड़-पौधे इसे वापस ऑक्सीजन में तब्दील कर देते हैं। लेकिन जब से वृक्षों की कटाई में तेजी आई है तब से वातावरण में कई तरह के बदलाव आए हैं। वातावरण में मिथेन और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि हुई है और यह दोनों ही गैसे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने में अपना योगदान दे रही है जो की बिलकुल अच्छा नहीं है। इसी वजह से वातावरण के तापमान में वृद्धि हो रही है तथा मौसम का असमान चक्र देखने को मिल रहा है। जंगलों में कई तरह के पेड़-पौधे पाए जाते हैं कुछ पेड़-पौधों में जड़ी बूटिय गुण होते हैं जो कई प्रकार की बीमारियों के इलाज में सक्षम होते हैं। लेकिन इन्हीं पेड़-पौधों की कई तरह की प्रजातियों को हमने खो दिया है। अब इन पेड़-पौधों की प्रजातियों को वापस पाना असंभव हो गया है।
प्राचीन काल से ही भारत के लोग जड़ी बूटियों पर निर्भर थे। प्रकृति से हमें कई तरह की औषधियां प्राप्त होती है लेकिन वृक्षों की अंधाधुंध कटाई की वजह से पहाड़ और जंगल वीरान होते जा रहे हैं इस वजह से दुर्लभ औषधियों की प्राप्ति नहीं हो रही, जिससे हर्बल दवाइयां अनुपलब्ध हो रही है I यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएं तो लोगों में पर्यावरण रक्षा को लेकर जागरूकता फैल सकती है। यदि हम समय रहते इस पर लगाम नहीं लगाते तो पर्यावरण को तो नुकसान होगा ही, साथ ही जन-जीवन को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। आज वृक्षों की कटाई एक वैश्विक समस्या बन चुकी है इसलिए आवश्यकता है कि समस्त देश इसके लिए कदम उठाए। समस्त देशों की सरकार इस समस्या को दूर करने का एक सामूहिक कदम उठा सकती है।
हालांकि इन वृक्षों की कटाई को पूरी तरह से तो बंद नहीं किया जा सकता लेकिन इसमें कमी लाने की ओर कदम जरूर उठाए जा सकते हैं। ऐसे में यह जीवनदायिनी पेड़-पौधे ही अगर नहीं रहेंगे तो हम या हमारी आने वाली पीढ़ी कैसे बचेगी I ऐसे में हमें एकजूट होकर इसे गंभीरता से लेना होगा तथा वृहद् स्तर पर वृक्षारोपण करना होगा। इस कार्यक्रम के दौरान 29वीं वाहिनी के श्री टी राजेश पॉल, द्वितीय कमान अधिकारी, आशीष कुमार, उप कमांडेंट व अन्य अधिकारी एवं बलकर्मी भी उपस्थित रहे।
Jul 26 2023, 20:17